Up board live class 12 hindi solution पाठ-4 गीत -1( महादेवी वर्मा)
काव्यांजलि
पाठ -4 गीत -1( महादेवी वर्मा)
1. महादेवी वर्मा का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए उनकी कृतियों पर प्रकाश डालिए।
अथवा
महादेवी वर्मा का साहित्यिक परिचय दीजिए एवं उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर= जीवन परिचय= पीड़ा की गाय का अथवा धीमी आधुनिक युग की मीरा के नाम से विख्यात श्रीमती महादेवी वर्मा का जन्म सन 1960 ईस्वी में उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध नगर फर्रुखाबाद में होलिका दहन के पुण्य पर्व के दिन हुआ था। उनकी माता हेमरानी साधारण कवयित्री थी। वे श्री कृष्ण में अटूट श्रद्धा रखती थी ।उनके नाना ब्रज भाषा में कविता करते थे ।नाना एवं माता के इन गुणों का प्रभाव महादेवी जी पर पड़ा 9 वर्ष की छोटी उम्र में ही उनका विवाह स्वरूप नारायण वर्मा से हो गया था। किंतु इन्हीं दिनों उनकी माता का स्वर्गवास हो गया मां का साया सिर से उठ जाने पर भी उन्होंने अपना अध्ययन जारी रखा तथा पढ़ने में और अधिक मन लगाया परिणाम स्वरूप उन्होंने मैट्रिक से लेकर एम०ए० तक की परीक्षाए प्रथम श्रेणी मे प्राप्त की ।बहुत समय तक वे प्रयाग महिलाविद्यापीठ में प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत रही। महादेवी वर्मा का स्वर्गवास 80 वर्ष की अवस्था में 11 सितंबर सन 1987 ईस्वी को हो गया।
साहित्यिक परिचय =महादेवी वर्मा ने मैट्रिक उत्तीर्ण करने के पश्चात ही काव्य रचना प्रारंभ कर दी थी करुणा एवं भागता उनके व्यक्तित्व के अभिन्न अंग थे अपने अंतर्मुखी मनोवृति एवं नारी सुलभ गहरी भावुकता के कारण उनके द्वारा रचित काव्य में रहस्यवाद वेदना एवं स्वच्छ मोतियों की कोमल तथा मर्मस्पर्शी भाव मुखरित हुए हैं इनकी काव्य में संगीतत्मकता एवं भाव तीव्रता का सहज स्वाभाविक समावेश हुआ है उनकी रचनाएं सर्वप्रथम चांद नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई तत्पश्चात के एक प्रसिद्ध कवित्री के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त हुए सन 1935 ईस्वी में इन्होंने प्रयाग महिला विद्यापीठ के प्राचार्य पद को सुशोभित किया। इनके काव्यात्मक प्रतिभा के लिए इन्हें सेकसरिया एवं मंगला प्रसाद पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
कृतियां
नीहार= इस काव्य संकलन मैं भाव में गीत संकलित है उनमें वेदना का स्वर मुखरित हुआ है ।
रश्मि = इस संग्रह में आत्मा परमात्मा के मधुर संबंधों पर आधारित गीत संकलित है।
नीरजा= इसमें प्रकृति प्रदान की संकलित है इन गीतों में सुख-दुख की अनुभूतियों को वाणी मिली है।
सांध्य गीत= इसके गीतों में परमात्मा से मिलन का आनंद का चित्रण है।
दीपशिखा= इसमें रहस्यभावनाप्रधान गीतों को संकलित किया गया । इनके अतिरिक्त अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएं, श्रंखला की कड़ियां, आदि उनकी गद्ध रचनाएं हैं। "यामा" नाम से उनके विशिष्ट गीतों का संग्रह प्रकाशित हुआ है। संधिनी और आधुनिक कवि भी उनके गीतों की संग्रह है ।
हिंदी साहित्य में स्थान= महादेवी वर्मा छायावादी युग की एक महान कवयित्री समझी जाती है ।सरल कल्पना भावुकता एवं वेदना और भावों को अभिव्यक्त करने की दृष्टि से इन्हें अपूर्व सफलता प्राप्त हुई । वेदना को हृदयस्पर्शी रूप में व्यक्त करने के कारण ही इन्हें आधुनिक युग की मीरा कहा जाता है । छायावादी काव्य के पल्लवन एवं विकास में इनका अविस्मरणीय योगदान रहा। वस्तुत: महादेवी वर्मा जी हिंदी काव्य साहित्य की विलक्षण साधिका थी कवि ह्रदय लेकर और कल्पना के सतरंगी आकाश में बैठकर इन्होंने जिस काव्य का सर्जन किया वह हिंदी साहित्य की अपूर्व उपलब्धि है।
2.प्रस्तुत पद्यांश की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए।
गीत-1
चिर सजग आंखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना!
जाग तुझको दूर जाना!
अचल हिमगिरि के हृदय में आज चाहे कंप हो ले,
या प्रलय के आंसुओं में मौन अलसित व्योम रो ले;
आज पी आलोक को डोले तिमिर की घोर छाया,
जाग या विद्युत शिखाओ में निठुर तूफान बोले!
पर तुझे है नाश पथ पर चिन्ह अपने छोड़ आना!
जाग तुझको दूर जाना।
संदर्भ= प्रस्तुत पद्यांश श्रीमती महादेवी वर्मा द्वारा रचित सांधे गीत का पसंद करें से हमारी पाठ पुस्तक के काव्य खंड में संकलित गीत 1 शीर्षक गीत से उद्धृत है। प्रसंग= श्रीमती महादेवी वर्मा अपने साधना पथ में तनिक भी आलस्य नहीं आने देना चाहते आता वह अपने प्राणों को संबोधित करते हुए कहते हैं।
व्याख्या = हे प्राण! निरंतर जागरूक रहने वाली आंखें आज आलस से युक्त क्यों हैं और तुम्हारा वेश आज अस्त व्यस्त क्यों हैं ?आज आलस्य आने का समय नहीं आलस्य और प्रमाद को छोड़कर अब तुम जाग जाओ क्योंकि तुम्हें बहुत दूर जाना है। तुम्हें अभी बहुत बड़ी साधना करनी है। चाहे आज इस तरह हिमालय कंपित हो जाए या फिर आकाश से प्रलय काल की वर्षा होने लगे अथवा घोर अंधकार प्रकाश को निगल जाए। और चाहे चमकती और कड़कती बिजली में से तूफान बोलने लगे तो भी तुम्हें उस विनाश वेला में अपने चिन्ह को छोड़ते चलना है। और साधना पथ से विचलित नहीं होना। महादेवी जी अपने प्राणों को उद्बोधन करते हुए कहती हैं कि है। प्राण तू अब जाग जा क्योंकि तुझे बहुत दूर जाना है।
काव्य सौंदर्य= इन पंक्तियों में महादेवी जी ने एक सच्ची साधिका के रूप में साधना के मार्ग में आने वाली विविध बाधाओं का प्रतीकात्मक शब्दावली में उल्लेख किया है।
भाषा = शुद्ध खड़ी बोली।
अलंकार= इन पंक्तियों में हिमगिरी के हृदय में कंप, व्योम का रोना, तिमिर का डोलना और तूफान के बोलने आदि के माध्यम से प्रकृति का मानवीकृत रूप में वर्णन किया गया है अतः यहां मानवीकरण अलंकार का प्रयोग हुआ है।
रस= वीर
शब्द शक्ति= लक्षण।
गुण= ओज एवं प्रसाद।
3. सूक्ति की संदर्भ एवं प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए।
1.हार भी तेरी बनेगी मानिनी जय की पताका।
संदर्भ= प्रस्तुत सूक्ति पंक्ति प्रसिद्ध कवयित्री श्रीमती महादेवी वर्मा द्वारा रचित काव्य सांध्य संगीत से हमारी पाठ्यपुस्तक के काव्य खंड में संकलित गीत 1 से शीर्षक कविता से उद्धृत है ।
प्रसंग= इस उक्ति में एक निष्ठा एवं सच्चे प्रेम के परिणाम के संदर्भ में महादेवी जी कहती है_
व्याख्या= यदि किसी के हृदय में अज्ञात प्रियतम के प्रति सच्चा प्रेम में तथा उसके हृदय में अपने प्रियतम से मिलने की एक निष्ठ छटपटाहट विद्यमान है। तो इस स्थिति में व्यक्ति की हार भी जीत ही मानी जाएगी वह यह है। कि प्रेम की सफलता इसी में है कि हम एकनिष्ठ भाव से अपने प्रेम को प्रदर्शित करते रहे चाहे हमारा अपने प्रियतम से मिलन हो या ना हो।
Writer Ritu kushwaha
एक टिप्पणी भेजें