UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 3 क्या लिखूं? (गद्य खंड)
पाठ-3 क्या लिखूं?
(पदुमलाल पुन्ना लाल बख्शी)
बहुविकल्पी प्रश्न-
1 - पदम लाल पुन्नालाल बख्शी
का कहां जन्म कहां हुआ था?
(क) 1876
(ख) 1894
(ग) 1872
(घ) 1664
उत्तर-(ख)1894
2- पदम पुन्नालाल बख्शी के
पिता का क्या नाम था?
(क) चंद्रबली शुक्ल
(ख) उमराव बख्शी
(ग) श्री रवि सिह
(घ ) देवी प्रसाद
उत्तर-(ख) उमराव बख्शी
प्रश्न -2 लेखक संबंधी प्रश्न(क)पदुमलाल पुन्नालाल
बख्शी का जीवन परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए/
(ख) पदुमलाल पुन्नालाल की भाषा शैली पर प्रकाश
डालिए|
(ग) पदुमलाल पुन्नालाल की रचना शैली की विशेषताओं
का उल्लेख कीजिए|
जीवन परिचय - श्री
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जन्म सन् 1894 ई० में मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के खैरागढ़
नामक स्थान पर हुआ था इनके पिता श्री उमराव बख्शी तथा बाबा पुन्नालाल बख्शी साहित्य
प्रेमी और कवि थे इनकी माता जी को भी साहित्य से प्रेम था अतः परिवार के साहित्यिक
वातावरण का प्रभाव इनके मन पर भी गहरा पड़ा
और विद्यार्थी जीवन से ही कविताएं लिखने लगे !बीए उत्तीर्ण करने के बाद बख्शी जी ने
साहित्य सेवा को अपना लक्ष्य बनाया तथा कहानियां और कविताएं लिखने लगी द्विवेदी जी
बख्शी जी की रचनाओं और योग्यताओं से इतने अधिक प्रभावित थे !कि अपने बाद उन्होंने सरस्वती
की बागडोर बख्शी जी को ही सौंपी द्विवेदी जी के बाद 1920 से 1927 ई० तक इन्होंने कुशलतापूर्वक
सरस्वती के संपादन का कार्य किया यह नम्र स्वभाव के व्यक्ति थे और ख्याति से दूर रहते
थे खैरागढ़ के हाई स्कूल में अध्यापन कार्य करने के पश्चात इन्होंने पुनः सरस्वती का
संपादन भार संभाला !सन 1971 ई० में 77 वर्ष की आयु में निरंतर साहित्य सेवा करते हुए
आप गोलोक वासी हो गए!
कृतियाँ- बख्शी जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी
थे इनकी रचनाओं का विवरण निम्न है!
1- निबंध संग्रह- पंचपात्र ;तीर्थ रेणु ;प्रबंध परिजात ;कुछ
बिखरे पन्ने ;मकरंद बिंदु ;यात्री तुम्हारे लिए ;तीर्थ सलिल आदि!
2- काव्य संग्रह शतदल और अश्रु दल!
3- कहानी
संग्रह- झलमला और उज्जलि!
4- आलोचना- हिंदी साहित्य विमर्श 'विश्व साहित्य हिंदी
उपन्यास साहित्य 'हिंदी कहानी साहित्य' 'साहित्य शिक्षा' आदि!
5- अनूदित रचनाएं- जर्मनी के मा रिस मेटर लिंग के दो नाटकों का
प्रायश्चित' और उन्मुक्ति' का बंधन 'शीर्षक से अनुवाद!
6- संपादन- 'सरस्वती 'और छाया'!
साहित्य में स्थान- बख्शी जी भावुक कवि श्रेष्ठ निबंधकार निष्पक्ष
आलोचक कुशल पत्रकार एवं कहानीकार है !आलोचना और निबंध के क्षेत्र में इन का महत्वपूर्ण
योगदान रहा है !विश्व साहित्य में इनकी गहरी बैठ है !अपने ललित निबंधों के लिए यह ये सदैव स्मरण किए जाएंगे! विचारों की मौलिकता और सैलो
की न्यूनता के कारण हिंदी साहित्य में शुक्ल युग के निबंध कारों में इनके बंधुओं का
विशिष्ट स्थान है!
1- ऐसे निबंधों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि
वे मन की स्वच्छंद रचनाएं हैं उनमें ना कवि की
कल्पना रहती है न आख्यायिका- लेखक की सोच में दृष्टि और ना विज्ञो है की गंभीर
तर्कपूर्ण विवेचना! उनमें लेखक की सच्ची अनुभूति रहती है! उनमें उसके सच्चे भाव की
सच्ची अभिव्यक्ति होती है !उनमें उसका उल्लास रहता है! ये निबंध तो उस मानसिक स्थिति
में लिखे जाते हैं !जिसमें ना ज्ञान की गरिमा रहती है !और ना कल्पना की महिमा जिसमें
हम संसार को अपनी ही दृष्टि से देखते हैं और अपने ही भाव से ग्रहण करते हैं!
(अ) प्रस्तुत कद दांत के पाठ और लेखक का नाम लिखिए!
(ब) रेखा किंत अशोक की व्याख्या कीजिए!
( स) 1- निबंध किस मानसिक स्थिति में लिखे जाते हैं?
2- मान ट्रेन की शैली के निबंधों की विशेषता क्या
है?
3- प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने किस शैली के
निबंधों की विशेषता बताई है?
उत्तर-
(अ) - प्रस्तुत गद्दाश हमारी पाठ्य
पुस्तक हिंदी के गद्य खंड में संकलित श्री पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी द्वारा लिखित क्या
लिखूं? शीर्षक ललित निबंध से उद्धृत है!
विशेष- इस पाठ के से सभी गद्दाशो की व्याख्या में यही संदर्भ प्रयुक्त होगा!
(ब) - व्याख्या - श्री पदुमलाल पन्नालाल बख्शी जी लिखते हैं
कि मान टेन के अनुसार स्वच्छन्दतावादी शैली में लिखें गए निबंधों की सबसे बड़ी विशेषता
यह होती है! कि ऐसे निबंध लेखक के हृदय की बंधन मुक्त रचनाएं होते हैं! इसमें कवि के
समान उच्च कल्पनाएं और किसी कहानी लेखक के समान सूक्ष्म दृष्टि की आवश्यकता नहीं होती
है!और ना ही विद्वानों के समान गंभीर तर्कपूर्ण विवेचना की आवश्यकता होती है! इसमें
लेखक अपने मन की सच्ची भावनाओं को स्वतंत्रता और प्रसन्नता के साथ व्यक्त करता है!
इन निबन्धों को लिखते समय लेखक पंडित प्रदर्शन की अवस्था से भी दूर रहता है वह अपने
भावो को जिस रूप में चाहता है उसी रूप में
अभिव्यक्त करता है! श्री पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी लिखते हैं की स्वच्छंदतावादी शैली
में लिखे गए निबन्धों मैं लेखक अपने मन में
उठने वाले भावो को
ज्यों का त्यों व्यक्त कर
देता है इन निबंधों में न ज्ञान की गुरता निहित होती है और ना ही कल्पना की उड़ान!
ये निबंध लेखक के मन के सच्चे उद्गार होते हैं !वह संसार का जैसा अनुभव करता है !और
जिस रूप में देखता है !बिना उसमें आलकारिकता व
पंडित के प्रदर्शन के उसी रूप में व्यक्त कर देता है!
(स) 1- निबंध ऐसी मानसिक स्थिति में लिखे जाते हैं
जिसमें ना तो ज्ञान का गौरव नीहित होता है !और ना ही कल्पना की ऊंची उड़ान !निबंध में
लेखक अपने ही विचारों की अभिव्यक्ति करता है!
2- मानटेन की शैली के निबंधों की विशेषता है कि
वे लेखक के ह्रदय कि बंधन मुक्त रचनाएं हैं जिसमें लेखक की वास्तविक अनुभूति और उसके
भावो का वास्तविक प्रकटीकरण होता है!
3- प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने स्वच्छंदतावादी बंधन मुक्त शैली के निबंधों की विशेषता बताइए है! और स्पष्ट किया है! कि इन
निबंधों में बनावट 'ऊंची कल्पना और तर्क पूर्व विवेचना नहीं होती है!
Sandhya kushwaha
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