Up board live class- 10th hindi निबन्ध मेरी प्रिय पुस्तक( श्रीरामचरितमानस)
निबंध
मेरी प्रिय पुस्तक( श्रीरामचरितमानस)
प्रस्तावना- पुस्तकें मनुष्य की एकांकी जीवन की उत्तम मित्र है। जो घनिष्ठ मित्र की तरह सदस्य संता बना प्रदान करते हैं। अच्छी पुस्तके मानव के लिए सचिव पद प्रतिष्ठा होती है। मनुष्य को पुस्तकें पढ़ने में आनंद की उपलब्धि होती है। वैसे तो सभी पुस्तक ज्ञान का अच्छा भंडार होते हैं। और इनके मस्तक विकसित होते हैं। परंतु अभी तक पढ़ी गई अनेक पुस्तकों में से सबसे अधिक प्रभावित किया है । रामचरितमानस ने इसके अध्ययन से मुझे सर्वाधिक संतोष शांति और आनंद की प्राप्ति हुई है ।
श्रीरामचरितमानस का परिचय - श्रीरामचरितमानस के प्रेणता भारत की जनता के सच्चे प्रतिनिधि गोस्वामी तुलसीदास जी हैं। उन्होंने इसकी रचना संवत् 1631 में की थी । यह भाषा में लिखा गया उनका सर्वाधिक रन था। इसमें महासभा के तत्वाधान में पेश किया है तुलसीदास जी ने इस मामले की रचना संता सुखाय की है।
श्रीरामचरितमानस का महत्व- श्री रामचरितमानस हिंदी साहित्य का सर्वोत्कृष्ट और अनुपम ग्रंथ है। यह हिंदू जनता का परम पवित्र धार्मिक ग्रंथ है। उन्हें विद्वान अपने बदलाव को इसकी सूचियों का प्रयोग करके प्रभावशाली बनाते हैं। राशि रामचरितमानस की लोकप्रियता का सबसे सबल प्रमाण यही है। कि इसका अनेक विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। मानव जीवन को सफल बनाने के लिए ,मैत्री ,प्रेम ,करना शांत ,सब ,त्याग ,और ,कर्तव्य ,परायणता का महान संदेश देता है।
श्रीरामचरितमानस का वार्ड विषय - श्रीरामचरितमानस की कथा यादव कोई सोचता हूं । राम की संपूर्ण जीवन पर आधारित है। ऐसी तथा वस्तु का मूल स्त्रोत वाल्मीकि कृत रामायण है। तुलसीदास ने अपनी कला एवं प्रतिभा के द्वारा इस नवीन एवं मौलिक रूप प्रदान किया है। इसमें राम की रावण पर विजय दिखाते हुए प्रतीकात्मक रूप से सत्य न्याय और धर्म ,की ,अन्य और अधर्म,,पर धर्म की असद अन्याय और अधर्म पर विजय प्रदर्शित की है। इस महान काव्य राम के शिव शक्ति और मर्यादा पूर्ण चित्रण है।
श्री रामचरितमानस की विशेषताएं (क)आदर्श चरित्रों का भंडार -
श्रीरामचरितमानस आदर्श चित्रों का पावन भंडार है। कौशल्या मातृ प्रेम की प्रतिमा है। भारत में भक्ति भक्ति योग्यता और क्या का उच्च आदर्श सीतापति आदर्श पत्नी है। लक्ष्मण शक्ति मातृभूमि और सुग्रीव विभीषण आदर्श मित्र और हनुमान के उपासक हैं।
(ख) - लोकमंगल का आदर्श - तुलसी का श्रीरामचरितमानस लोकमंगल की भावना का आदर्श है। तुलसी ने अपनी लोकमंगल साधना के लिए जो भी आवश्यक समझा उसे अपने इष्ट देव राम के चरित्र में निर्मित पति कर दिया।
(ग) - भारतीय समाज का दर्पण - तुलसी के श्री रामचरितमानस में तत्कालीन भारतीय समाज में मुखरित हो उठा है। यह जन्म काल की रचना है। जब हिंदू जनता पतन के गर्त में जा रही थी। वह भयभीत और चारों ओर से निराश हो चुकी थी। उस समय तुलसीदास जी ने जनता को सन्मार्ग दिखाने के लिए नाना पुराना और आगामी भारतीय संस्कृति को जनता के भाषा में जनता के कल्याण के लिए प्रस्तुत किया है।
(घ) - सदाचार और समन्वय की भावना- नीति सदाचार और समन्वय की भावना) - शहीदे श्री रामचरितमानस में श्रेष्ठ नीति सदाचार के विभिन्न स्रोत और समन्वय की भावना मिलती है। शत्रु से किस प्रकार व्यवहार किया जाए सच्चा मित्र कौन है अच्छे बुरे की पहचान आदि पर भी विचार हुआ है। तुलसीदास किसी वस्तु या व्यक्ति को श्रेष्ठ बतलाते हैं। जो सार्वजनिक हो इसके अतिरिक्त धार्मिक सामाजिक और साहित्यिक सभी क्षेत्र में व्याप्त विरोधि को दूर कर कभी नहीं समन्वय स्थापित किया है।
(ड) कवि ने श्री रामचरितमानस में आदर्श राज्य की कल्पना बढ़ती बेरोजगारी कारण : कारण और निवारणराम राज्य के रूप में लोगों के सामने रखी इन्होंने व्यक्ति के स्तर से लेकर समाज और राज्य तक के समस्त अंगों का आदर्श रूप प्रस्तुत किया और विनाश जैन समाज के नवीन प्रेरणा देकर राम राज्य के आदर्श तक पहुंचने का मार्ग दिखाया ।
उपसंहार - मेरे विचार में कालिदास और शेक्सपियर के जंतुओं का जो साहित्यिक महत्व चाणक्य नीति का राजनीति क्षेत्र में जो मान है। बाय फील कराने दादी का जो धनुष है। वह सब कुछ अकेले श्री रामचरितमानस में समाविष्ट है।
हिंदू धर्म का ही नहीं भारतीय समाज की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक है। यही कारण है। कि इसने मुझे सर्वाधिक प्रभावित किया है। मेरा विश्वास है। कि मैं इस पुस्तक में जीवन निर्माण के लिए सर्वाधिक पूर्णता प्राप्त करता हूं।
Writer - roshani kushwaha
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