UP board live solution class 10th social science unit 3 लोकतांत्रिक राजनीति 2(नागरिक शास्त्र) chapter -7 लोकतंत्र की चुनौतियां
UP board live solution class 10th social science
इकाई -3 लोकतांत्रिक राजनीति 2 (नागरिक शास्त्र)
अध्याय-7 लोकतंत्र की चुनौतियां
बहुविकल्पीय प्रश्न-
प्रश्न-1 चुनौतियों से लोकतांत्रिक व्यवस्था------।
(क) कमजोर होती है
(ख) मजबूत होती है
(ग) मजबूर होती है
(घ) व्यवस्थित होती है
उत्तर- (ख) मजबूत होती है
प्रश्न-2 राजनीति एक------- का क्षेत्र है।
(क) संभावनाओं
(ख) विकल्पों
(ग) प्रयासों
(घ) ये सभी
उत्तर- (क) संभावनाओं
प्रश्न-3 लोकतंत्र की विभिन्न चुनौतियों के विषयक सभी प्रस्ताव --------- कहलाते हैं।
(क) लोकतांत्रिक सुधार
(ख) राजनीतिक सुधार
(ग) (क) और (ख) दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (क) और (ख) दोनों
अति लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न-1 धर्मनिरपेक्षता से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- राज्य का अपना कोई धर्म न हो तथा राज्य में रहने वाले व्यक्ति स्वेच्छा से कोई भी धर्म अपना सके तथा राज्य धर्म के आधार पर नागरिकों में भेदभाव ना करें तो यह स्थिति धर्मनिरपेक्षता कहलाती है।
प्रश्न-2 लोकतांत्रिक व्यवस्था क्या है?
उत्तर- यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसके केंद्र में लोग हैं अर्थात लोगों के द्वारा बनाई गई सरकार, जो लोगों के हितों के लिए काम करेगी तथा लोगों की इच्छा तक ही बनी रहेगी।
प्रश्न-3 एक अच्छे लोकतंत्र को किस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है?
उत्तर- जनता शासक को चुने और शासक जनता की भावनाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप काम करें।
प्रश्न-4 उत्तर प्रदेश सरकार ने एक सर्वेक्षण के उपरांत क्या पाया?
उत्तर- उत्तर प्रदेश सरकार ने एक सर्वेक्षण कराया और पाया कि ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर पदस्थ अधिकतर डॉक्टर अनुपस्थित थे। वे शहरों में रहते हैं, निजी प्रैक्टिस करते हैं और महीने में सिर्फ एक या दो बार अपनी नियुक्ति वाली जगह पर घूम आते हैं। गांव वालों को साधारण रोगों के इलाज के लिए भी शहर जाना होता है।
प्रश्न-5 सूचना का अधिकार- कानून क्या है?
उत्तर- सूचना का अधिकार कानून लोगों को जानकार बनाने और लोकतंत्र के रखवाले के तौर पर सक्रिय करने का एक अच्छा उदाहरण है।
प्रश्न-6 लोकतंत्र के लिए किन्हीं दो चुनौतियां का उल्लेख करें।
उत्तर-
1- बुनियादी आधार बनाने की चुनौती
2- विस्तार की चुनौती।
लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न-1 संसार के कुछ देश 'लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती' का किस प्रकार सामना कर रहे हैं?
उत्तर- संसार के कुछ देश लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती का सामना कर रहे हैं। कई देशों में एकात्मक शासन- व्यवस्था कायम है, ऐसी स्थिति में शासन का केंद्र एक स्थान पर होता है, जबकि लोकतंत्र का विस्तार तभी हो सकता है जब स्थानीय सरकारों को अधिक अधिकार- संपन्न बनाना, संघ की सभी इकाइयों के लिए संघ के सिद्धांतों को व्यावहारिक स्तर पर लागू करना, महिलाओं और अल्पसंख्यक समूहों की उचित भागीदारी सुनिश्चित करना आदि ऐसी ही चुनौतियां हैं।
प्रश्न-2 विश्व में कुछ देश किस प्रकार लोकतंत्र को बुनियादी आधार बनाने की चुनौती का सामना कर रहे हैं ?उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- दुनिया के 1 चौथाई से मैं अभी भी लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था नहीं है। इन इलाकों में लोकतंत्र के लिए बहुत ही मुश्किल चुनौतियां हैं। इन देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था की तरफ जाने और लोकतांत्रिक सरकार गठित करने के लिए जरूरी बुनियादी आधार बनाने की चुनौती है। इसमें मौजूदा गैर -लोकतांत्रिक शासन -व्यवस्था को गिराने, सत्ता पर सेना के नियंत्रण को समाप्त करने और एक संप्रभु तथा कारगर शासन- व्यवस्था को स्थापित करने की चुनौती है।
प्रश्न-3 लोकतंत्र के लिए जरूरी पहलुओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर- लोकतंत्र के लिए कुछ जरूरी पहलू निम्नलिखित हैं-
1- लोकतांत्रिक अधिकार लोकतंत्र का प्रमुख पहलू है। यह अधिकार सिर्फ वोट देने, चुनाव लड़ने और राजनीतिक संगठन बनाने भर के लिए नहीं है। इसमें सामाजिक और आर्थिक अधिकारों को शामिल करते हैं, जिन्हें लोकतांत्रिक शासन को अपने नागरिकों को देना ही चाहिए।
2- सत्ता में हिस्सेदारी को लोकतंत्र की भावना के अनुकूल माना गया है। इस प्रकार सरकारों और सामाजिक समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र के लिए जरूरी है।
3- लोकतंत्र बहुमत की तानाशाही या क्रूर शासन- व्यवस्था नहीं हो सकता और अल्पसंख्यक आवाजों का आदर करना लोकतंत्र के लिए बहुत जरूरी है।
4- समाज में विद्यमान हर प्रकार के भेदभाव को मिटाना लोकतांत्रिक व्यवस्था का महत्वपूर्ण काम है।
5- लोकतांत्रिक व्यवस्था में हमें कुछ न्यूनतम नतीजों की उम्मीद तो करनी ही चाहिए।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न- 1 लोकतंत्र के सम्मुख प्रमुख चुनौतियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- अलग- अलग देशों के सामने अलग- अलग तरह की चुनौतियां होती हैं। तीन प्रमुख चुनौतियां निम्नलिखित हैं-
1- दुनिया के जिन देशों में अभी भी लोकतांत्रिक- शासन व्यवस्था नहीं है इन इलाकों में लोकतांत्रिक व्यवस्था की तरफ जाने और लोकतांत्रिक सरकार गठित करने के लिए जरूरी बुनियादी आधार बनाने की चुनौती है। इनमें मौजूदा गैर- लोकतांत्रिक शासन- व्यवस्था को गिराने, सत्ता पर सेना के नियंत्रण को समाप्त करने और एक संप्रभु तथा कारगर शासन- व्यवस्था को स्थापित करने की चुनौती है।
2- अधिकांश स्थापित लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के सामने अपने विस्तार की चुनौती है। इसमें लोकतांत्रिक शासन के बुनियादी सिद्धांतों को सभी इलाकों, सभी सामाजिक समूह और विभिन्न संस्थाओं में लागू करना शामिल है। स्थानीय अधिकारों को अधिक अधिकार- संपन्न बनाना, संघ की सभी कार्यों के लिए संघ के सिद्धांतों को व्यवहारिक स्तर पर लागू करना, महिलाओं और अल्पसंख्यक समूह की उचित भागीदारी सुनिश्चित करना आदि ऐसी चुनौतियां हैं। इसका यही मतलब है कि कम- से -कम चीजें ही लोकतांत्रिक नियंत्रण के बाहर रहने चाहिए। भारत और दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र में से एक अमेरिका जैसे देशों के सामने भी यह चुनौती है।
3- तीसरी चुनौती लोकतंत्र को मजबूत करने की है। हर लोकतांत्रिक व्यवस्था के सामने किसी- न- किसी रूप में यह चुनौती रहती है। इसमें लोकतांत्रिक संस्थाओं और व्यवहारों को मजबूत बनाना शामिल है। यह काम इस तरह से होना चाहिए कि लोग लोकतंत्र से जुड़ी अपनी उम्मीदों को पूरा कर सकें। लेकिन अलग-अलग समाजों में आम आदमी की लोकतंत्र में अलग-अलग तरह की अपेक्षाएं होती हैं। इसलिए यह चुनौती दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग अर्थ और अलग- अलग स्वरूप लेती है। संक्षेप में कहें तो इसका मतलब संस्थाओं की कार्यपद्धति को सुधारना और मजबूत करना होता है, ताकि लोगों की भागीदारी और नियंत्रण में वृद्धि हो। इसके लिए फैसला लेने की प्रक्रिया पर अमीर और प्रभावशाली लोगों के नियंत्रण और प्रभाव को कम करने की जरूरत होती है।
प्रश्न-2 एक अच्छे लोकतंत्र की परिभाषा दीजिए ।इसकी प्रमुख विशेषताएं बताइए।
उत्तर- लोकतंत्र शासन का वह स्वरूप है जिसमें लोग अपने शासकों का स्वयं चुनाव करते हैं। यह शासक संविधान के बुनियादी नियमों और नागरिकों के अधिकारों को मानते हुए कानून बनाते हैं। चुनाव में लोगों को शासकों को बदलने और अपनी पसंद जाहिर करने का पर्याप्त अवसर और विकल्प मिलता है। यह अवसर सबको समान रूप से मिलते हैं।
लोकतांत्रिक शासन की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
1- लोकतांत्रिक शासन में अंतिम सत्ता जनता के हाथों में होती है। जनता अपने शासकों का चुनाव करती है और जब चाहे तब उन्हें उनके पद से हटा सकती है।
2- लोकतांत्रिक शासन में सरकार जनता के प्रति उत्तरदायी होती है, इसीलिए वह संविधान के नियमों तथा जनता के हितों को ध्यान में रखकर कानून बनाती हैं।
3- लोकतांत्रिक देशों में लोगों के वोट डालने, चुनाव लड़ने और राजनीतिक संगठन बनाने के अतिरिक्त विभिन्न सामाजिक और आर्थिक अधिकार भी प्राप्त होते हैं।
4- लोकतांत्रिक शासन समाज में विद्यमान मतभेद का शांतिपूर्ण तरीके से निपटारा कर सकता है। लोकतंत्र विभिन्न सामाजिक टकराव को कम करने की कोशिश करता है।
5- लोकतंत्र में नागरिकों को सरकार की गलत नीतियों की आलोचना करने का पूरा अधिकार होता है।
6- लोकतंत्र देश के बहुसंख्यक समुदाय के साथ-साथ अल्पसंख्यक समुदाय के हितों की रक्षा करता है।
7- एक अच्छा लोकतांत्रिक शासन वह होगा जिसमें अधिक -से -अधिक जनता अधिक -से -अधिक भागीदारी दिखाएं। सरकारी मसलों पर जनता अपनी राय दें, यदि जनता राजनीतिक रूप से शिक्षित होगी तो वह लोकतंत्र में भागीदारी कर सकेगी, जो एक अच्छे लोकतंत्र की प्रमुख विशेषता है।
प्रश्न-3 भारतीय लोकतंत्र के समक्ष क्या चुनौतियां हैं? किन्हीं तीन का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- भारतीय लोकतंत्र के समक्ष तीन प्रमुख चुनौतियां निम्न प्रकार है-
1- असामाजिक तत्वों की भूमिका- भारत में चुनावों में असामाजिक तत्वों की भूमिका बहुत बढ़ गई है। चुनाव के दौरान मतदाताओं पर किसी व्यक्ति विशेष के पक्ष में मतदान करने के लिए दबाव डाला जाता है। चुनाव के दौरान मत खरीदे और बेचे जाते हैं और मतदान केंद्रों पर कब्जा किया जाता है।
2- जातिवाद और संप्रदायवाद- जातिवाद एवं संप्रदायवाद भारतीय लोकतंत्र के सम्मुख उपस्थित एक गंभीर समस्या है। चुनाव के लिए प्रत्याशियों का चयन करते समय सभी राजनीतिक दल जातीय समीकरण को महत्व देते हैं। मतदाता भी मतदान करते समय जातिवाद तथा संप्रदायवाद से प्रभावित होकर मतदान करते हैं। कई राजनीतिक दलों का गठन भी संप्रदाय तथा जातिवाद के आधार पर किया गया है। जातिवाद के आधार पर लोगों में आपसी झगड़े होते रहते हैं जो लोकतंत्र की बड़ी समस्या का कारण बनते हैं।
3- सामाजिक तथा आर्थिक असमानता- किसी भी देश में लोकतंत्र की सफलता के लिए सामाजिक एवं आर्थिक समानता का होना अनिवार्य होता है। भारत में इसका अभाव है। समाज में सभी नागरिकों को समान नहीं समझा जाता। जाति, धर्म तथा वंश आदि के आधार पर नागरिकों में भेदभाव किया जाता है। आर्थिक दृष्टि से अमीर तथा गरीब की खाई बहुत बड़ी है।
Written by- Bandana Kushwaha
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