लता मंगेशकर की जीवनी || biography of Lata Mangeshkar
"हजारों गीतों को देकर अपनी सुरमयी आवाज,
जीता है लता जी ने भारत कोकिला का ताज।"
परिचय- लता मंगेशकर भारत की सबसे लोकप्रिय गायिका थीं। वह एक पार्श्वगायिका होने के साथ-साथ संगीत निर्देशक और निर्माता भी थीं। अत्यंत सुरीली आवाज की मालकिन लता जी स्वर-सामग्री, राष्ट्र की आवाज, भारत कोकिला, स्वर कोकिला जैसे नामों से भी जानी जाती थीं। लता जी ही एकमात्र ऐसी जीवित व्यक्ति थीं जिनके नाम से पुरस्कार दिए जाते हैं।
जन्म एवं शिक्षा-
लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर मध्य प्रदेश में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। इनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर एक शास्त्रीय गायक थे। वे पंडित दीनानाथ मंगेशकर और शेवंती की बड़ी बेटी हैं। लता के पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर एक मराठी संगीतकार, शास्त्रीय गायक और थिएटर एक्टर थे जबकि मां गुजराती थीं। शेवंती उनकी दूसरी पत्नी थीं। उनकी पहली पत्नी का नाम नर्मदा था जिसकी मृत्यु के बाद दीनानाथ ने नर्मदा की छोटी बहन शेवंती को अपनी जीवनसंगिनी बनाया। प्रसिद्ध गायिका आशा भोसले लता जी की ही बहन हैं। लता जी की परवरिश महाराष्ट्र में हुई। लता जी मात्र 1 दिन के लिए ही स्कूल गई थीं। परंतु उन्हें न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय समेत 6 विश्वविद्यालयों ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी थी।
बाल्यावस्था व अभिनय-
लता जी का बचपन काफी जिम्मेदारियों से भरा था। जब वह मात्र 13 साल की थीं तभी उनके पिता का निधन हो गया था। घर की बड़ी बेटी होने के नाते सभी जिम्मेदारियां उन्होंने अपने कंधों पर ले ली। लता जी बचपन से ही गायक बनना चाहती थीं। पिता की मृत्यु के बाद लता जी को पैसे के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। ऐसे में अभिनय में रुचि ना होने के बावजूद उन्हें कुछ हिंदी और मराठी फिल्मों में काम करना पड़ा। अभिनेत्री के रूप में सन 1942 में उनकी पहली फिल्म पाहिली 'मंगलागौर' थी। लता मंगेशकर घर की जिम्मेदारियां निभाने की वजह से ही शादी भी नहीं कर पाईं।
हार्डीकर से मंगेशकर-
पंडित दीनानाथ का सरनेम हार्डीकर था जिसे बदल कर उन्होंने मंगेशकर कर दिया। वे गोवा में मंगेशी के रहने वाले थे और इसके आधार पर उन्होंने अपना नया सरनेम चुना।
लता के जन्म के समय उनका नाम हेमा रखा गया था जिसे बदलकर लता कर दिया गया। यह नाम दीनानाथ को अपने नाटक 'भावबंधन' के एक महिला किरदार लतिका के नाम से सूझा। लता के बाद मीना, आशा, ऊषा और हृदयनाथ का जन्म हुआ।
गायन क्षेत्र में लता मंगेशकर का योगदान-
लता जी ने लगभग 20 से ज्यादा भाषाओं में 30,000 से अधिक फिल्मी और गैर-फिल्मी गाने गाए हैं। परंतु लता जी का फिल्मी गायन में सबसे बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायिका के रूप में मजबूत पहचान बनाई है। लता जी ने वर्ष 1948 में पार्श्वगायिका में कदम रखा था। शुरुआत में उन्हें काफी संघर्ष का सामना करना पड़ा। सन 1949 में लता जी ने फिल्म 'महल' के लिए 'आएगा आनेवाला' गीत गाया। यह गाना अत्यंत सफल और प्रसिद्ध रहा। इसके बाद लता जी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। लताजी हमेशा नंगे पांव गाना गाती थीं। लता मंगेशकर ने आनंदघन बैनर तले फिल्मों का निर्माण भी किया है और संगीत भी दिया है।
क्यों नहीं स्कूल गई लता-
बचपन से ही लता को घर में गीत-संगीत और कला का माहौल मिला और वे उसी ओर आकर्षित हुईं। 5 वर्ष की उम्र से ही लता को उनके पिता संगीत का पाठ पढ़ाने लगे। उनके पिता के नाटकों में लता अभिनय भी करने लगीं। लता को स्कूल भी भेजा गया, लेकिन पहले ही दिन उनकी टीचर से अनबन हो गई।
लता अपने साथ अपनी छोटी बहन आशा को भी स्कूल ले गईं। टीचर ने आशा को कक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी इससे लता को गुस्सा आ गया और वे फिर कभी स्कूल नहीं गई।
13 वर्ष की उम्र में परिवार का बोझ-
1942 में लता मंगेशकर पर मुसीबत का पहाड़ टूट गया। उनके पिता की मृत्यु हुई तब लता मात्र 13 वर्ष की थीं। लता पर परिवार का बोझ आ गया। नवयुग चित्रपट मूवी कंपनी के मालिक मास्टर विनायक, मंगेशकर परिवार के नजदीकी लोगों ने लता का कैरियर गायिका और अभिनेत्री के रूप में संवारने के लिए मदद की।
लता को अभिनय पसंद नहीं था, लेकिन पैसों की तंगी के कारण उन्होंने कुछ हिंदी और मराठी फिल्मों में अभिनय किया। मंगलागौर (1942), मांझे बाल (1943), गजभाऊ (1944), बड़ी मां (1945), जीवन यात्रा (1946) जैसी फिल्मों में लता ने छोटी-मोटी भूमिकाएं अदा की।
लता को सदाशिव राव नेवरेकर ने एक मराठी फिल्म में गाने का अवसर 1942 में दिया। लता ने गाना रिकॉर्ड भी किया, लेकिन फिल्म के फाइनल कट से वो गाना हटा दिया गया। 1942 में रिलीज हुई मंगलागौर में लता की आवाज सुनने को मिली। इस गाने की धुन दादा चांदेकर ने बनाई थी। 1943 में प्रदर्शित मराठी फिल्म 'गजाभाऊ' में लता ने हिंदी गाना 'माता एक सबूत की दुनिया बदल दे तू' गाया।
1945 में लता मंगेशकर मुंबई शिफ्ट हो गई और इसके बाद उनका कैरियर आकार लेने लगा। वहां पर उन्होंने भिंडी बाजार घराना के उस्ताद अमन अली खान से भारतीय शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू किया। फिल्म बड़ी मां (1945) में गाए भजन 'माता तेरे चरणों में' और 1946 में रिलीज हुई 'आपकी सेवा में' लता द्वारा गाए गीत 'पा लागू कर जोरी' ने लोगों का ध्यान लता की ओर खींचा।
लता को किया रिजेक्ट-
वसंत देसाई और गुलाम हैदर जैसे संगीतकारों के संपर्क में लता आईं और उनका करियर निखरने लगा। लता के गुलाम हैदर मेंटर बन गए। वे लता को दिग्गज फिल्म निर्माता शशधर मुखर्जी के पास ले गए जो उस समय 'शहीद' (1948) नामक फिल्म बना रहे थे।
हैदर ने लता को लेने की सिफारिश मुखर्जी से की। लता को सुनने के बाद मुखर्जी ने यह कहते हुए लता को लेने से इंकार कर दिया कि लता की आवाज बहुत पतली है। इससे हैदर भड़क गए। वे लता की प्रतिभा को पहचान चुके थे। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में लता छा जाएगी और ये सारे निर्माता- निर्देशक लता के चरणों में गिरकर लता से अपनी फिल्मों में गाने की मिन्नत करेंगे।
गुलाम हैदर ने लता से 'मजबूर' (1948) में एक गीत 'दिल मेरा तोड़ा, मुझे कहीं का ना छोड़ा' गवाया। यह गीत लता का पहला हिट माना जा सकता है।
गुलाम हैदर ने लता में जो प्रतिभा देखी थी इसका जिक्र अक्सर लता करती रही हैं। लता के अनुसार गुलाम हैदर उनके सही मायनों में गॉडफादर थे और उन्हें लता की प्रतिभा में पूरा विश्वास था।
उपलब्धियां और पुरस्कार-
लता मंगेशकर जी ने गायन क्षेत्र में असीमित उपलब्धियां हासिल की हैं। उनकी महान गायकी और सुरम्य आवाज के दीवाने पूरी दुनिया में हैं। प्यार से सभी लोग उन्हें 'लता दीदी' कहकर पुकारते हैं। लता जी को भारत के लगभग सभी बड़े अवॉर्ड मिल चुके हैं। जो इस प्रकार हैं –
- फिल्म फेयर पुरस्कार — (1958,1962,1965,1969,1993,1994)
- राष्ट्रीय पुरस्कार — (1972,1975,1990)
- महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार – (1966,1967)
- पद्म भूषण – 1969
- दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज बुक रिकॉर्ड – 1974
- दादा साहब फाल्के पुरस्कार – 1989
- फिल्म फेयर का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार – 1993
- स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार – 1996
- राजीव गांधी पुरस्कार – 1997
- महाराष्ट्र भूषण – 1997
- एन.टी.आर पुरस्कार – 1999
- पद्म विभूषण – 1999
- जी सिने का लास्ट टाइम अचीवमेंट पुरस्कार – 1999
- आई.आई.ए.एफ का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार — 2000
- स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार — 2001
- भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न" — 2001
- नूरजहां पुरस्कार — 2001
अंतिम समय-
6 फरवरी, 2022 को 92 वर्ष की उम्र में लता मंगेशकर ने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांसे ली। इस महान स्वर कोकिला के जाने से पूरे देश में शोक की लहर सी दौड़ गई। सरकार द्वारा देशभर में 2 दिन का शोक भी रखा गया।
"जाना तुम्हारा एक महान युग का है अंत!
सुरों की महफिल में फिर ना आयेगी कोई बसंत।"
आयेगा आनेवाला से नहीं देखा पीछे मुड़कर -
1949 में एक फिल्म रिलीज हुई 'महल' । इसमें खेमचंद प्रकाश ने लता से 'आएगा आने वाला' गीत गवाया जिसे मधुबाला पर फिल्माया गया था। यह गीत सुपरहिट रहा। इस गीत ने एक तरह से ऐलान कर दिया कि आएगा आने वाला आ चुका है। यह गीत लता के बेहतरीन गीतों में से एक माना जाता है और आज भी सुना जाता है। इस गीत की कामयाबी के बाद लता ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।
1950 से 1970 का बेहतरीन दौर-
1950 से 1970 का दौर भारतीय फिल्म संगीत के लिए बेहतरीन माना जाता है। जब एक से बढ़कर एक गायक, संगीतकार, गीतकार और फिल्मकार थे। सबने मिलकर बेहतरीन फिल्में और संगीत रचा और लता मंगेशकर के स्वरों में ढ़लकर एक से बढ़कर एक गीत सुनने को मिले।
80 और 90 के दशक में भी गूंजते रहे नगमे-
80 के दशक में कई नए संगीतकार उभर कर आए। अनु मलिक, शिवहरी, आनंद-मिलिंद, राम-लक्ष्मण ने भी लता से गीत गवाना पसंद किया।
सिलसिला, फासले, विजय, चांदनी, कर्ज, एक दूजे के लिए, आसपास, अर्पण, नसीब, क्रांति, संजोग, मेरी जंग, राम लखन, रॉकी, फिर वही रात, अगर तुम ना होते, बड़े दिलवाला, मासूम, सागर, मैंने प्यार किया, बेताब, लव स्टोरी, राम तेरी गंगा मैली जैसी सैकड़ों फिल्म में लता के गाए गीत गली-गली गूंजते रहे।
90 के दशक में लता ने गाना कम कर दिया। इस दौर में भी डर, लम्हे, दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे, दिल तो पागल है, मोहब्बतें, दिल से पुकार, जुबैदा, रंग दे बसंती, 1942 ए लव स्टोरी जैसी फिल्मों में लता को सुनने को मिला। हालांकि वे समय-समय पर कहती भी रही कि आज के दौर के संगीतकार उनके पास अच्छे गीत का प्रस्ताव लाते हैं तो उन्हें गीत गाने में कोई समस्या नहीं है।
लगभग 7 दशक से भारतीय फिल्में लता के गीतों से लकदक होती रहीं। मधुबाला से लेकर माधुरी दीक्षित तक जैसी तमाम हीरोइनों को उन्होंने आवाज दी। लता की आवाज कभी भी किसी भी अभिनेत्री पर मिसफिट नहीं लगी। शाहरुख खान ने तो एक बार लता के सामने कहा भी था कि काश उन पर भी कोई लता की आवाज में गीत फिल्माया जाता।
सभी के परिवार का हिस्सा-
लता मंगेशकर हमेशा अपने सौम्य स्वभाव के लिए जानी गई। तमाम फिल्म निर्माता, निर्देशक, संगीतकार, गायक, हीरो, हीरोइनों से उनके पारिवारिक रिश्ते रहे। दिलीप कुमार, राज कपूर, देवानंद, अमिताभ बच्चन, यश चोपड़ा, राहुल देव बर्मन, मुकेश, किशोर कुमार से उनके घनिष्ठ संबंध रहे। पीढ़ी दर पीढ़ी उनके संबंध मधुर रहे। लता को हर किसी ने अपने परिवार का ही हिस्सा माना।
इक्के-दुक्के रहे विवाद-
अक्सर सफेद साड़ी में नजर आने वाली लता ने विवादों से हमेशा अपने आप को दूर रखा। सचिन देव बर्मन से जरूर एक बार उनका मनमुटाव हो गया था और दोनों ने 5 साल तक साथ काम नहीं किया। इसी तरह मोहम्मद रफ़ी और लता गीतों की रॉयल्टी पर एकमत नहीं हो सके और उन्होंने भी कुछ समय नहीं गाया। सी रामचंद्र और ओपी नैयर से उनका छोटा-मोटा विवाद रहा। हालांकि इन्हें विवाद की बजाय मनमुटाव कहना ही ठीक होगा जो कि आमतौर पर साथ में काम करने वालों के बीच हो जाता है।
लता मंगेशकर को दिया था जहर-
वर्ष 1962 में लता की जान लेने की कोशिश की गई। लता को एक दिन सुबह उठते ही उन्हें पेट में जबरदस्त दर्द हुआ। उनकी हालत ऐसी थी कि अपनी जगह से हिलने में भी उन्हें दिक्कत होने लगी। लता जी को स्लो प्वाइजन दिया गया था। हालांकि उन्हें मारने की कोशिश किसने की, इस बारे में आज तक खुलासा नहीं हो पाया।
लता और शादी-
लता मंगेशकर की शादी नहीं हो पाई। बचपन से ही परिवार का बोझ उन्हें उठाना पड़ा। इस दुनियादारी में वे इतना उलझ गईं कि शादी के बारे में उन्हें सोचने की फुर्सत ही नहीं मिली।
बताया जाता है कि संगीतकार सी. रामचंद्र ने लता मंगेशकर के समक्ष शादी का प्रस्ताव रखा था, लेकिन लता जी ने इसे ठुकरा दिया था। हालांकि लता ने इस बारे में कभी खुलकर नहीं कहा, परंतु बताया जाता है कि सी. रामचंद्र के व्यक्तित्व से लता बहुत प्रभावित थीं और उन्हें पसंद भी करती थीं।
एक इंटरव्यू में सी. रामचंद्र ने कहा था कि लता उनसे शादी करना चाहती थी, परंतु उन्होंने इनकार कर दिया क्योंकि वह पहले से शादीशुदा थे। लेकिन रोचक बात यह है कि लता को इंकार करने की बात कहने वाले सी. रामचंद्र ने इस घटना के बाद अपनी एक अन्य महिला मित्र शांता को दूसरी पत्नी बना लिया था।
1958 में सी. रामचंद्र के साथ व्यवसायिक रिश्ते खत्म कर लेने के बारे में लता ने एक इंटरव्यू में कहा था कि एक रिकॉर्डिस्ट इंडस्ट्री में मेरे बारे में उल्टी-सीधी बातें फैला रहा था और मैंने सी. रामचंद्र से कहा कि उसे हटा दें, परंतु वह उस रिकॉर्डिस्ट के साथ काम करने पर ही अड़े हुए थे। इस बात के बाद मैंने उनके साथ काम ना करने का फैसला किया।
कितने गीत गाए लता ने-
लता मंगेशकर के कौन से गीत पसंद किए गए या लोकप्रिय रहे इसकी सूची बहुत लंबी है। लता ने ढेर सारे गाने गाए जिनमें से अधिकांश पसंद किए गए। किसी को मदन मोहन के संगीत में लता की गायकी पसंद आई तो किसी को नौशाद के संगीत में। सबकी अपनी-अपनी पसंद रही। लता ने कितने गाने गाए इसको लेकर भी बढ़ा चढ़ाकर दावे किए गए।
खुद लता ने कहा कि वे नहीं जानती कि उन्होंने कितने गाने गाए क्योंकि उन्होंने कोई रिकॉर्ड नहीं रखा। गिनीज बुक में भी उनका नाम शामिल किया गया था, लेकिन इसको लेकर भी खासा विवाद हुआ। 25 या 30 हजार गानों की बातें करना बेमानी है। लगभग 5 से 6 हजार गीतों में लता ने अपनी आवाज दी है।
मान सम्मान और पुरस्कार-
लता मंगेशकर को ढेरों पुरस्कार और सम्मान मिले। जितने मिले उससे ज्यादा के लिए उन्होंने मना कर दिया। 1970 के बाद उन्होंने फिल्मफेयर को कह दिया कि वे सर्वश्रेष्ठ गायिका का पुरस्कार नहीं लेंगी और उनकी बजाय नए गायकों को यह दिया जाना चाहिए। लता को मिले प्रमुख सम्मान और पुरस्कार इस तरह से हैं:-
भारत सरकार पुरस्कार-
1969 - पदम भूषण
1989 - दादा साहेब फाल्के पुरस्कार
1999 - पद्म विभूषण
2001 - भारत रत्न
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार-
1972 - फिल्म परी के गीतों के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
1974 - फिल्म कोरा कागज के गीतों के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
1990 - फिल्म लेकिन के गीतों के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
फिल्म फेयर अवॉर्ड्स-
1959 - "आजा रे परदेसी" (मधुमति)
1963 - "काहे दीप जले कही दिल" (20 साल बाद)
1966 - "तुम्हीं मेरे मंदिर तुम्ही मेरी पूजा" (खानदान)
1970 - "आप मुझसे अच्छे लगने लगे" (जीने की राह से)
1993 - फिल्मफेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड
1994 - "दीदी तेरा देवर दीवाना" (हम आपके हैं कौन) के लिए विशेष पुरस्कार
2004 - फिल्म फेयर स्पेशल अवार्ड : 50 साल पूरे करने वाले फिल्मफेयर अवॉर्ड्स के अवसर पर एक गोल्डन ट्रॉफी प्रदान की गई।
महाराष्ट्र राज्य फिल्म पुरस्कार-
1966 - सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका
1966 - सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक ('आनंदघन' नाम से)
1977 - जैत रे जैत के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका
1997 - महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार
2001 - महाराष्ट्र रत्न
बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन अवॉर्ड्स-
बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर इन फिल्मों के लिए
1964 - वो कौन थी
1967 - मिलन
1968 - राजा और रंक
1969 - सरस्वतीचंद्र
1970 - दो रास्ते
1971 - तेरे मेरे सपने
1972 - पाकीजा
1973 - बॉन पलाशिर पदबाली (बंगाली फिल्म)
1973 - अभिमान
1975 - कोरा कागज
1983 - A portrait of Lata ji
1985 - राम तेरी गंगा मैली
1987 - अमरसंगी (बंगाली फिल्म)
1991 - लेकिन
इसके अलावा ढेर सारे पुरस्कार, सम्मान और ट्रॉफियां। मध्य प्रदेश सरकार ने लता मंगेशकर के नाम पर पुरस्कार भी स्थापित किया है।
People Also Search -
1. लता मंगेशकर का जन्म कब और कहां हुआ था?
उत्तर- लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री दीनानाथ मंगेशकर था जो कि एक मराठी संगीतकार, शास्त्रीय गायक और थिएटर एक्टर थे। इनकी माता का नाम शेवंती देवी था जो कि मूल रूप से गुजराती थीं।
2. लता मंगेशकर कौन से गांव की थी?
उत्तर- गोवा की राजधानी पणजी से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर गोंडा इलाके में मंगेशी गांव है ये मंगेशी गांव आज के समय में बेहद महत्व रखता है। यह गांव स्वर कोकिला लता मंगेशकर का पैतृक गांव है।
3. लता मंगेशकर ने शादी क्यों नहीं की?
उत्तर- लता मंगेशकर घर की जिम्मेदारियां निभाने की वजह से ही शादी नहीं कर पाईं। इस बात का खुलासा खुद उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में किया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि उन्होंने सोचा कई बार था लेकिन अमल नहीं कर पाईं। एक बार एक इंटरव्यू में लता मंगेशकर ने बताया था कि जब वह 13 साल की थी तभी उनके पिता का निधन हो गया था।
4. लता मंगेशकर को क्या कहा जाता है?
उत्तर- पंडित दीनानाथ का सरनेम हार्डीकर था जिसे बदलकर उन्होंने मंगेशकर कर दिया। वे गोवा में मंगेशी के रहने वाले थे और इसके आधार पर उन्होंने अपना नया सरनेम चुना जिसे बदलकर लता कर दिया गया। यह नाम दीनानाथ को अपने नाटक 'भावबंधन' के एक महिला किरदार लतिका के नाम से सूझा।
5. लता मंगेशकर अविवाहित क्यों थी?
उत्तर- इंटरव्यू में उनसे पूछा गया था, शादी के सपने के साथ बड़ी होने वाली हर लड़की की तरह क्या आपको शादी करने का विचार कभी नहीं आया, इस सवाल पर लता का जवाब था नहीं। उन्होंने कहा, "सब कुछ भगवान की इच्छा के अनुसार होता है।"
6. लता जी के भाई का क्या नाम था?
उत्तर-हृदयनाथ मंगेशकर
7. लता जी का वास्तविक नाम क्या था?
उत्तर-हेमा मंगेशकर
8. लता जी की मृत्यु कब हुई थी?
उत्तर- 6 फरवरी 2022
9. लता मंगेशकर कैसे मर गई?
उत्तर- डॉक्टर्स के द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक लता मंगेशकर की मौत मल्टीपल ऑर्गन फैलियर की वजह से हुई है।
10. लता मंगेशकर का अंतिम गाना कौन सा है?
उत्तर- लता मंगेशकर ने कई भाषाओं में गीत गाए, लेकिन अगर उनके आखिरी गीत के बारे में बात करें तो उनका आखिरी रिलीज गीत "सौगंध मुझे इस मिट्टी की" था। इस गीत को उन्होंने अपने आखिरी गीत के तौर पर गाया था। जिसे 30 मार्च 2019 को रिलीज किया गया था। उन्होंने अपने इस गीत को देश और सेना के नाम किया था।
Aapne bhut achi jankari di hai .
जवाब देंहटाएंMy website https://www.biographyin.com/?m=1
एक टिप्पणी भेजें