विद्यार्थी जीवनम् पर संस्कृत में निबंध (Essay on Student Life In Sanskrit)

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विद्यार्थी जीवनम् पर संस्कृत में निबंध (Essay on Student Life In Sanskrit)

विद्यार्थी जीवनम् संस्कृत निबंध (Essay on Student Life In Sanskrit)


विद्यार्थी जीवनम् पर संस्कृत में निबंध (Essay on Student Life In Sanskrit)


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विद्यार्थीजीवनम् (अथवा छात्रजीवनम् )


छात्रजीवनमेव मानवजीवनस्य प्रभातवेला आधारशिला च वर्तते। समस्तजीवनस्य विकासस्य ह्रासस्य वा कारणम् एतज्जीवनमेवास्ति । वस्तुतः विद्यार्थिजीवनं साधनामयं जीवनम् अध्ययनं परमं तप उच्यते।


छात्रजीवने परिश्रमस्य महती आवश्यकता वर्तते यः छात्रः आलस्यं त्यक्त्वा परिश्रमेण विद्याध्ययनं करोति स एव साफल्यं लभते । अतएव छात्रैः प्रातःकाले ब्रह्ममुहूर्ते एवं उत्थातव्यम् कस्मैचित् कालाय भ्रमणाय अनिवार्यम् । ततः प्रतिनिवृत्य स्नानसन्ध्योपासनादिकं विधाय अध्ययनं कर्त्तव्यम्। तदान्तरं च लघुसात्विकं भोजनं दुग्धं च गृहीत्वा विद्यालयं गन्तव्यम् । तत्र गत्वा गुरुन् नत्वा अध्ययनं कर्त्तव्यम्। छात्रैः असत्यवादनं न कदापि कर्त्तव्यम् ।


छात्रजीवनं पूर्णत: अनुशासनबद्धं भवति । विद्यार्थीजीवने एवं समस्तानां मानवोचितगुणानां विकासः भवति। छात्र एवं राष्ट्रस्ययानुपमा निधिरस्ति । अतः छात्राणां शारीरिकं चारित्रिकं च विकास अत्यन्तानिवार्यम् विद्यार्थिजीवनमेव सम्पूर्णागामिजीवनस्य आधारशिला अतः तेषां सम्यक् रक्षणं, पोषणम् च कर्त्तव्यम्।



हिंदी अनुवाद


विद्यार्थी जीवन मानव जीवन की सुबह और आधारशिला है।  यह जीवन ही समस्त जीवन के विकास या पतन का कारण है।  वास्तव में विद्यार्थी का जीवन, ध्यान का जीवन, अध्ययन को ही परम तप कहा जाता है।


विद्यार्थी जीवन में कठिन परिश्रम की बहुत आवश्यकता होती है आलस्य को त्याग कर मन लगाकर पढने वाला विद्यार्थी ही सफलता प्राप्त करता है।  इसलिए विद्यार्थियों के लिए ब्रह्म मुहूर्त में सुबह उठकर इस तरह से कुछ देर टहलना जरूरी है।  फिर पीछे मुड़कर स्नान, संध्या पूजन आदि करना चाहिए और अध्ययन करना चाहिए।  इस दौरान हल्का सात्त्विक भोजन और दूध लेकर स्कूल जाना चाहिए  वहाँ जाकर गुरु को प्रणाम करके अध्ययन करो।  छात्रों को कभी भी झूठ नहीं खेलना चाहिए।


विद्यार्थी जीवन पूर्णतः अनुशासित होता है।  इस प्रकार छात्र जीवन में मानवीय रूप से उपयुक्त सभी गुणों का विकास होता है।  छात्र इस प्रकार राष्ट्र के लिए एक अतुलनीय खजाना हैं।  अत: विद्यार्थियों का शारीरिक एवं चरित्र विकास आवश्यक है।छात्र जीवन ही समस्त भावी जीवन की आधारशिला है और इसलिए उनका समुचित संरक्षण एवं पालन पोषण किया जाना चाहिए।


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