योग शिक्षा: आवश्यकताएं और उपयोगिता पर निबंध || yog Shiksha avashyaktaen aur upbhokta par

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योग शिक्षा: आवश्यकताएं और उपयोगिता पर निबंध || yog Shiksha avashyaktaen aur upbhokta par

योग शिक्षा: आवश्यकताएं और उपयोगिता पर निबंध ||  yog Shiksha avashyaktaen aur upbhokta par essay       

  निबंध

योग शिक्षा आवश्यकता और उपयोगिता

                              (2016, 17) 


प्रस्तावना- योगासन शरीर और मन को स्वस्थ रखने की प्राचीन भारतीय प्रणाली है ! शरीर को किसी ऐसे आसान या  स्थिति में रखना जिससे स्थिरता और सुख का अनुभव हो, योगासन कहलाता है! योगासन शरीर की आंतरिक प्रणाली को गतिशील करता है! इससे रक्त -नलिकाएँ  साफ होती हैं तथा प्रत्येक अंग में शुद्ध वायु का संचार होता है! जिससे उनमें स्फूर्ति आती है! परिणामतः व्यक्ति में उत्साह और कार्य क्षमता का विकास होता है एकाग्रता आती है! 


योग का अर्थ - योग संस्कृत के यज् धातु से बना है, जिसका अर्थ है संचालित करना समृद्ध करना सम्मिलित करना अथवा जोड़ना अर्थ के अनुसार विवेचन किया जाए तो शरीर एवं आत्मा का मिलन ही योग कहलाता है! यह भारत की छ: दशनो, जिन्हें षडप्रदर्शन कहा जाता है ,में से एक है! अन्य दर्शन से न्याय वैशेषिक ,सांख्य, वेदांत एवं मीमांसा की उत्पत्ति भारत में लगभग 5000 ई० पू० में हुई थी! पहले यह सिद्ध गुरु शिष्य परंपरा के तहत पुरानी पीढ़ी से नई पीढ़ी को हस्तातरित होती थी! लगभग 200 ई० पू० में महर्षि पतंजलि ने योग दर्शन को योग सूत्र नामक ग्रंथ के रूप में लिखित रूप में प्रस्तुत किया! इसलिए महर्षि पतंजलि को योग का सरिता कहा जाता है! आज बाबा रामदेव योग नामक इस अचूक विद्या का देश - विदेश में प्रचार कर रहे हैं! 


योग की आवश्यकता - शरीर के स्वस्थ रहने पर ही मस्तिष्क स्वस्थ रहता है! मस्तिक से यह शरीर की समस्त क्रियाओं का संचालन होता है! इसके स्वस्थ और तनाव मुक्त होने पर ही शरीर की सारी क्रियाएं भली प्रकार से संपन्न होती है! इस प्रकार हमारे शारीरिक मानसिक बौद्धिक और आत्मिक विकास के लिए योगासन अति आवश्यक है! 


हमारा हृदय निरंतर कार्य करता है ! हमारे थककर आराम करने या रात को सोने के समय भी ह्रदय गतिशील रहता है ह्रदय प्रतिदिन लगभग 8000 लीटर रक्त को पंप करता है उसकी यह क्रिया जीवन पर चलती रहती है! यदि हमारी रक्षा दल का हिस्सा होंगी तो हृदय को अतिरिक्त मेहनत नहीं करनी पड़ेगी इससे उधर स्वस्थ रहेगा और शरीर के अन्य भागों को शुद्ध रक्त मिल पाएगा, जिससे निरोग वह सफल हो जाएंगे फलत: व्यक्ति की कार्य क्षमता भी बढ़ जाएगी! 


योग की उपयोगिता - मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए हमारे जीवन में योग अत्यंत उपयोगी है शरीर मन एवं आत्मा के बीच संतुलन अर्थात योग स्थापित करना होता है! योग की प्रक्रियाओं में जब तन मन और आत्मा के बीच संतुलन एवं अर्थात योग स्थापित होता है! तब आत्म संतुष्ट शांति एवं चेतना का अनुभव होता है! योग शरीर को शक्तिशाली एवं लचीला बनाए रखता है !साथ ही तनाव से भी छुटकारा दिलाता है! यह शरीर के जोड़ों एवं मांसपेशियों में लचीलापन लाता है! मांसपेशियों को मजबूत बनाता है !शारीरिक विकृतियों को काफी हद तक ठीक करता है शरीर में रक्त प्रभाव को सुचारू करता है! तथा पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है इन सब को अतिरिक्त यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है !कई प्रकार की बीमारियों जैसे अनिद्रा, तनाव, थकान, उच्च रक्तचाप, चिंता इत्यादि को दूर करता है तथा शरीर को ऊर्जावान बनाता है! आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में स्वस्थ रहें पाना किसी चुनौती से कम नहीं होता हर आयु - वर्ग की स्त्री पुरुष के लिए योग उपयोगी है!


योग के सामान नियम - योगासन उचित विधि से करना चाहिए अन्यथा लाभ के स्थान पर आने की संभावना रहती है योगासन के अभ्यास से पूर्व उसके औचित्य पर भी विचार कर लेना चाहिए! बुखार से ग्रस्त तथा गंभीर रोगियों को योगासन नहीं करना चाहिए ! योगासन करने से पहले नीचे दिए सामान नियमों की जानकारी होनी आवश्यक है! 


1-  प्रातः काल शौचादि से निवृत्त होकर ही योगासन का अभ्यास करना चाहिए स्नान के बाद वह योगासन करना और भी उत्तम रहता है! 


2 - सांकाल  खाली पेट पर ही योगासन करना चाहिए! 


3-  योगासन के लिए शांत, स्वच्छ तथा खुले स्थान का चयन करना चाहिए बगीचे अथवा पार्क में योगासन करना अधिक अच्छा रहता है! 


4 - आसान करते समय कम, हल्के तथा ढीले ढाले वस्त्र पहनने चाहिए! 


5 - योगासन करते समय मन को प्रसन्न एकाग्र और स्तर रखना चाहिए कोई बातचीत नहीं करनी चाहिए! 


6 - योगासन के अभ्यास को धीरे-धीरे ही बढ़ाएं! 


7 - योगासन का अभ्यास करने वाले व्यक्ति को हल्का शीघ्र पाचक सात्विक और पौष्टिक भोजन करना चाहिए! 


8-  अभ्यास के आरंभ में सरल योगदान करने चाहिए! 


9-  योगासन के अंत में शिथिलासन अथवा शवासन करना चाहिए इससे शरीर को विश्राम मिल जाता है तथा मन शांत हो जाता है! 


10 - योगासन करने के बाद आधे घंटे तक ना तो स्नान करना चाहिए और ना ही कुछ खाना चाहिए! 


योग से लाभ छात्रों शिक्षकों एवं शोधार्थियों के लिए योग विशेष रूप से लाभदायक सिद्ध होता है, क्योंकि उनके मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाने के साथ-साथ उनकी एकाग्रता भी बढ़ता है! जिससे उनके लिए अध्ययन अध्यापन की प्रक्रिया सरल हो जाती है! 

पतंजलि के योग सूत्र के अनुसार आसनों की संख्या 84 है जिनमें भुजंगासन ,कोडासन,  पद्मासन, मयूरासन, सलभासन धनुरासन ,गोमुखासन ,सिंहासन , वजासन, पर्वतासन स्वासन हलासन ,शीर्षासन ,ताड़ासन ,सर्वांगासन ,पश्चिमोत्तानासन चतुष्कोणसन, त्रिकोणासन, मत्स्यासन ,गरुड़ासन ,इत्यादि कुछ प्रसिद्ध आसान है! योग के द्वारा शरीर पुष्ट होता है! वृद्धि और तेज बढ़ाता है अंग प्रत्यंग में उच्च रक्त प्रभावित होने से स्फूर्ति आती है! मांसपेशियां सरदार होती है! पाचन शक्ति ठीक रहती है !तथा शरीर स्वस्थ और हलका प्रतीत होता है योग के साथ मनोरंजन का समावेश होने से लाभ द्विगुणित होता है! इससे मन प्रफुल्लित रहता है और युग की थकावट भी अनुभव नहीं होती है !शरीर स्वस्थ मनुष्य सभी इंद्रियां सुचारू रूप से काम करते हैं! योग से शरीर निरोग मन प्रसन्न और जीवन सरल सरल हो जाता है! 


उप संघार-  आज की आवश्यकता को देखते हुए योग शिक्षा की बेहद आवश्यकता है !क्योंकि सबसे बड़ा सुख शरीर का स्वस्थ होना है यदि आपका शरीर स्वस्थ है तो आपके पास दुनिया की सबसे बड़ी दौलत है! स्वस्थ व्यक्ति देश और समाज का हित कर सकता है अतः आज की भाग दौड़ की जिंदगी में खुद को स्वस्थ एवं ऊर्जावान बनाए रखने के लिए योग्यता आवश्यक है !पर वर्तमान परिवेश में योग ना सिर्फ हमारे लिए लाभकारी है बल्कि विश्व के बढ़ते प्रदूषण एवं मानवीय व्यवस्थाओं से उपजी समस्याओं के निवारण के संदर्भ में इसकी सार्थकता और बढ़ गई है! 


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                                 Sandhya kushwaha

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