Up board live class 12 hindi पाठ 3 गीत(जयशंकर प्रसाद

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Up board live class 12 hindi पाठ 3 गीत(जयशंकर प्रसाद

Up board live class 12 hindi पाठ 3 गीत(जयशंकर प्रसाद




काव्यांजलि



पाठ  3 गीत(जयशंकर प्रसाद)


1. जयशंकर प्रसाद का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए उनकी कृतियों पर प्रकाश डालिए।

                         अथवा

जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए।


उत्तर= जयशंकर प्रसाद का जन्म काशी में सुघीनी साहू नाम से प्रचलित वैश्य परिवार में सन 1890 में हुआ था। प्रसाद जी के पितामह शिवरतन साहू शिव के परम भक्त तथा दयालु स्वभाव के थे। तथा इनके पिता का नाम देवीप्रसाद था ।इनके परिवार का मुख्य व्यापार तम्बाकू का था ।प्रसाद जी का बाल्यकाल सुख से बीता। उन्होंने बाल्यकाल में ही अपनी माता के साथ धाराक्षेत्र ,पुष्कर ,उज्जैन और ब्रज आदि तीर्थों की यात्रा की अमरकंटक पर्वत श्रेणियों के बीच नर्मदा के नाव के द्वारा भी इन्होंने यात्रा की। यात्रा से लौटने के पश्चात प्रसाद जी के पिता का स्वर्गवास हो गया था। और उनके 4 वर्ष बाद उनकी माता का भी देहावसान हो गया इसलिए प्रसाद जी की शिक्षा तथा पालन-पोषण उनके बड़े भाई संभू रतन जी ने किया। और उनका दाखिला क्वींस कॉलेज में कराया गया ।लेकिन जब प्रसाद जी का मन वहां नहीं लगा तब उनके लिए पढ़ाई की व्यवस्था घर पर ही कराई गई ।प्रसाद जी ने फारसी ,संस्कृत ,हिंदू, उर्दू तथा अंग्रेजी शिक्षा की प्राप्ति घरेलू स्तर पर ही कि वेद पुराण साहित्य दर्शन की से ही इन्होंने पूर्ण ज्ञान प्राप्त कर लिया। प्रसाद जी मे काव्य सृजन के गुण बाल्यकाल से ही निहित थे।बड़े भाई की मृत्यु के कारण इनका व्यापार ठप हो गया था। इनका परिवार ऋण ग्रस्त हो गया था  ऋण चुकाने के लिए उन्होंने पूरी पैतृक संपत्ति बेच दी थी। प्रसाद जी को अपने जीवन में अनेकानेक विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा उनका पूरा जीवन संघर्षों में ही बीता। किंतु पराजित नहीं हुए । प्रसादजी क्षय रोग के शिकार हो गए तथा रंज के द्वारा इनका शरीर दुर्बल हो गया काशी में 15 नवंबर सन 1937 को प्रसाद जी का स्वर्गवास हो गया।

साहित्यिक परिचय= प्रसाद जी में साहित्य सर्जन की प्रतिभा जन्मजात से ही विद्वान थी ।अपने अल्पजीवनकाल में इन्होंने जो कुछ भी लिखा वह हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि बन गया। प्रसाद जी ने नाटक ,कहानी ,उपन्यास ,निबंध और काव्य के क्षेत्र में अपने विलक्षण साहित्यिक प्रतिभा का परिचय दिया। इन्होंने काव्य साहित्य कला आदि विषयों पर अनेक महत्वपूर्ण निबंध लिखें।

कृतियां

काव्य= आंसू, कामयानी, लहर ,झरना , चित्र आधार।

उपन्यास= इरावती, तितली ,कंकाल।

कहानी =आंधी इंद्रजाल छाया प्रतिध्वनि आदि

नाटक= चंद्रगुप्त, स्कंदगुप्त ,अजातशत्रु, सज्जन, कल्याणी परिणय, प्रायश्चित, जन्मेजय का नाग यज्ञ, विशाख व  ध्रुवस्वामिनी आदि।

 निबंध= काव्य कला एवं अन्य निबंध ।


 भाषा शैली= प्रसाद जी के साहित्य के समान ही उनकी भाषा के कई स्वरूप देखने को मिलते हैं। प्रसाद जी की भाषा में संस्कृत के तत्सम शब्दों की बहुलता है।

भावमयता उनकी भाषा की प्रमुख विशेषता है भावों और विचारों के अनुरूप ही शब्दों का प्रयोग हुआ है।

इनकी भाषा में मुहावरे तथा लोकोक्तियां का प्रयोग ना के बराबर है। तथा विदेशी शब्द भी अल्प मात्रा में दिखाई पड़ते हैं।

हिंदी साहित्य में स्थान= प्रसाद जी का व्यक्तित्व बहुमुखी प्रतिभा वाला है । वे कहानीकार, नाटककार, उपन्यासकार के साथ-साथ कविता गुणों के धनी भी थे।हिंदी साहित्य से प्रसाद जी के नाम को पृथक कर पाना असंभव है हिंदी साहित्य के लिए प्रसाद जी की उपलब्धि एक युगांत कारी घटना है।

                         

गीत

2.पद्यांश की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए।

 

बीती विभावरी जाग री।

 अंबर- पनघट में डुबो रही _

तारा -घट उषा -नागरी ।

खग-कुल कुल -कुल सा बोल रहा,

 किसलय का अंचल डोल रहा,

 लो यह लतिका भी भर लाई_ 

मधु मुकुल नवल रस- गागरी।

 अंधेरों में राग आमंद पिए ,

आंखों में मलयज बंद किए,

 तू अब तक सोई है आली !

आंखों में भरी विहाग री।

 

संदर्भ= प्रस्तुति "गीत" शीर्षक कविता कविवर "जयशंकर प्रसाद" द्वारा रचित "लहर" का विषय हमारी पाठ्यपुस्तक के काव्य खंड में संकलित है।

 प्रसंग=इस गीत में कवि ने प्रात कालीन सौंदर्य के माध्यम से प्रकृति के जागरण का आह्वान किया है। व्याख्या= एक सखी दूसरी शक्ति से कहती है कि यह सखी रात्रि व्यतीत हो गई। अतः अब तेरा जागना ही उचित है। गगन रूपी पनघट में उषा रूपी नायिका तारा रूपी घड़े को डुबो रही है अर्थात समस्त नक्षत्र प्रभात के आगमन के कारण आकाश में लीन हो गए हैं प्रातः काल के आगमन पर पक्षी समूह कलरव कर रहा है ।तथा पलकों का आंचल हिलने लगा है शीतल मंद सुगंध इस समय प्रभाहित हो रहा है। यह लता भी नवीन पराग रूपी रस से युक्त गागर को भर लाई है। हे सखी तू अपने अंधरो में प्रेम की मदिरा को पिए हुए अपने बालों में सुगंध को समाए हुए तथा आंखों में आलस भरे हुए सो रही है। कहने का तात्पर्य यह है। कि प्रातः काल होने पर सर्वत्र जागरण हो गया है। परंतु हे सखी तू अब तक सो रही है जबकि यह समय सोने नहीं है।

काव्य सौंदर्य= प्रस्तुत गीत जागरण गीत की कोठी में आता है, यह गीत प्रसाद जी की संगीत ज्ञान का परिचायक है।

 विहाग= रात्रि के अंतिम प्रहर में गाए बजाए जाने वाले राग को विहाग कहते हैं।

 भाषा = शुद्ध संस्कृतनिस्ठ खड़ीबोली ।शैली=  गीतिशैली का सुंदर प्रयोग। अलंकार = सान्गरूपक ,कूल- कूल मे पुनरुक्तिप्रकाश ,अनुप्रास, मानवीकरण उपमा ,शलेस एवं ध्वन्यर्थव्यंजना।शब्द शक्ति= लक्षणा एवं व्यंजना

गुण= माधुर्य।


3. सूक्ति की संदर्भ एवं प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए।


श्रद्धा मनु


1.चंद्रिका से लिपटा घनश्याम।

संदर्भ= प्रस्तुत सूक्ति प्रसिद्ध छायावादी कवि "जयशंकर प्रसाद" द्वारा रचित महाकाव्य "कामयानी" से हमारी पाठ्यपुस्तक के काव्य खंड में संकलित "श्रद्धा मनु "शीर्षक काव्यांश से उद्धृत है। प्रसंग = इस सूक्ति पंक्ति में कवि ने श्रद्धा के रूप सौंदर्य का वर्णन किया। व्याख्या= जीवन से निराश मनु पर्वत की चोटी पर चिंता मग्न बैठे हैं तभी अनिघ रूपसुंदरी श्रद्धा वहां पहुंचती है। मनु श्रद्धा की रूप माधुरी से सम्मोहित से हो जाते हैं। उसका कुसुम कोमल मुख मनु को उस समय ऐसा लगा मानो वह चांदनी में लिपटा हुआ बादल का कोई टुकड़ा हो।





Writer -ritu kushwaha

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