Up board live solution for class 12th saahityik hindi पध chapte 2 मैथिलीशरण गुप्त
कक्षा 12 हिंदी
पाठ 2 कैकेयी का अनुताप
लेखक का नाम- मैथिलीशरण गुप्त
प्रश्न -मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए
अथवा
मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय देते हुए उनकी कृतियों और काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए
अथवा
मैथिलीशरण गुप्त का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए
जीवन परिचय- राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त का जन्म 3 अगस्त सन् 1886 ई० चिरगांव जनपद झांसी में हुआ था! उनके पिता का नाम सेठ रामचरण था!, जो स्वयं श्रेष्ठ कवि थे! अतः गुप्त जी को काव्य प्रतिभा अपने पिता से पैतृक रूप से प्राप्त हुई! उनकी विद्यालयी शिक्षा कक्षा 9 तक हो सके! स्वाध्याय ही ज्ञान प्राप्त का माध्यम बना
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के संपर्क में आकर उनकी काव्य प्रतिभा निखर उठी और आगे चलकर वे राष्ट्र कवि के पद पर प्रतिष्ठित हुए गुप्तजी पर महात्मा गांधी और उनके स्वतंत्रता आंदोलन का अत्यधिक प्रभाव पड़ा और वे उस में भाग लेकर कई बार कारागार गए! गुप्त जी को क्रमसा आगरा एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने डी लिट की उपाधि से विभूषित किया! भारती संस्कृति और राष्ट्र के अन्य सेवक एवं राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का 12 दिसंबर सन् 1864 ई० को स्वर्गवास हो गया!
साहित्यिक परिचय- काव्य rachna की ओर गुप्त जी की रुचि बचपन से ही थी! आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने उनकी साहित्यिक प्रतिभा को पहचाना तथा मार्गदर्शन किया! मुंशी अजमेरी का साथ भी उन्हें मिला उनकी प्रतिभा धीरे-धीरे निखरी! राष्ट्रप्रेम ,भारतीय संस्कृति ,से प्रेम के कारण ही महात्मा गांधी द्वारा उन्हें राष्ट्रकवि के सम्मान से सम्मानित किया गया
कृतियाँ- गुप्त ने 35 श्रेष्ठ ग्रंथों की रचना और 9 ग्रंथों का अनुवाद किया! उनकी प्रमुख कृतियों के नाम इस प्रकार हैं-
साकेत ,उर्मिला ,यशोधरा ,द्वापर ,भारत -भारती, जय भारत, पंचवटी ,झंकार ,जयद्रथ -वध ,त्रिपथगा ,
कुषाल-गीत नहुष, पृथ्वी पुत्र ,प्रदक्षिणा ,काबा और कर्बला विश्व वेदना , विष्णु प्रिया ,सिद्धराज हिडिंबा रंग में भंग, किसान, बक-संघार आदि
इनके अतिरिक्त 'चंद्रहास ''तिलोत्तमा 'और 'अनघ' गति - नाटय तथा प्लासी का युद्ध, मेघनाथ वध ,वृत्र संघार ,बिरहा ,वीरांगना ,उमर खययाम की रुबाई या, स्वप्नवासवादात्ता, अभिज्ञान शाकुंतलम् ,प्रतिमा नाटकम ,अनूदित काव्य है!
गुप्त जी के काव्य में सर्वत्र आदर्श और यथार्थ का सुंदर समन्वय है! उनका काव्य 'सत्यम शिवम सुंदरम 'का प्रतीक है! गुप्तजी राम के अन्यय भक्त थे !उनके रामकृष्ण से भिन्न नहीं है !फिर भी उन्हें तुलसी की तरह राम रूप ही अधिक प्रिय है!
पद्यांशो के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर
1- जनकर जननी ही जान ना पाई जिसको?
संदर्भ- प्रस्तुत सूक्ति पंक्ति कविकर मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित महाकाव्य साकेत से पाठ पुस्तक के काव्य खंड में संकलित कैकेयी का अनुपात शीर्षक से उद्धृत है!
प्रसंग- पंचवटी आश्रम में अपने दुख को व्यक्त करते हुए जब भारत अत्यंत व्यथित हो गए तो श्रीराम ने भरत से कहा उसी का विवेचन इस सूक्त में निहित है!
व्याख्या-भरत के वचनों को सुनकर श्रीराम ने खींच कर उन्हें अपने हृदय से लगा लिया भरत पर अपने आंसू बरसाते हुए श्री राम ने कहा कि जिस पुत्र के उच्च भावों को गहराई का अनुपात स्वयं उसे जन्म देने वाली माता तक ना कर पाई उसके हृदय की थाह किसी दूसरे को कैसे मिल सकती है, अर्थात् कोई भी ऐसे महान व्यक्ति भरत की मन स्थिति का अनुमान नहीं लगा सकता!
यह सच है… . … … … गोमुखी गंगा!
हां जन कर भी… . … … . तुम्हारी मैया!
सबने रानी की… … . … … . गौमुखी गंगा!
संदर्भ-प्रस्तुत सूक्ति पंक्ति कविकर मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित महाकाव्य साकेत से पाठ पुस्तक के काव्य खंड में संकलित कैकेयी का अनुपात शीर्षक से उद्धृत है!
प्रसंग- श्री राम ने कैकेयी को संबोधित करते हुए कहा था कि भरत की जननी होते हुए भी वे उन्हें समझ नहीं पाई उसी बात को लक्ष्य कर कैकयी राम से कहती है_
व्याख्या -हे राम! यदि तुम्हारी बात सत्य है कि मैं मां होते हुए भी भरत को समझ नहीं पाई तो अब तुम घर को लौट चलो: अर्थात अपने नासमझी में मैंने जो तुम्हारे बनवास की कामना की थी मेरी उस भूल को भुला दो|
कैकयी के इस दृढ़ स्वर को सुनकर सब चौंक उठे सब ने अचानक रानी कैकयी की ओर देखा! उस समय विधवा के वेश में वह सफेद वस्त्र धारण किए ऐसी प्रतीत हो रही थी! मानो कोहरे से ढकी चांदनी हो
काव्य सौंदर्य - 1 दुख ने कैकयी को मलिन और उदास बना रखा था इसी कारण कवि ने उसे कोहरे से ढकी चांदनी कहां है! 2 - कवि ने कैकयी के परिवर्तित स्वभाव की अनुपम कल्पना कि हैं इसी कारण पूर्व प्रसंगों में उसे सिंघनी और वर्तमान परिवर्तित रूप के लिए गोमती गंगा के समान शांत और पवित्र है
writer - dipaka kushwaha
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