Up board live solutionकक्षा 12 समाजशास्त्र पाठ 4 सामाजिक असमानता एवं बहिष्कार का ढांचा

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Up board live solutionकक्षा 12 समाजशास्त्र पाठ 4 सामाजिक असमानता एवं बहिष्कार का ढांचा

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कक्षा 12 समाजशास्त्र

पाठ 4 सामाजिक असमानता एवं बहिष्कार का ढांचा

बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न1- प्रत्येक समाज में निम्न में से किन संसाधनों के आधार पर विभेद किया जाता है? 

(अ) धन

(ब) संपदा

(स) शिक्षा

(द) उपर्युक्त सभी

उत्तर- (द) उपर्युक्त सभी


प्रश्न 2- पूंजी के तीन प्रमुख रूपों में निम्न में से कौन शामिल है? 

(अ) आर्थिक पूंजी

(ब) सांस्कृतिक पूंजी

(स) सामाजिक पूंजी

(द) राजनीतिक पूंजी

उत्तर- (द)राजनीतिक पूंजी


प्रश्न 3 -एक समूह के सदस्यों द्वारा दूसरे समूह के बारे में पूर्व कल्पित विचार या व्यवहार को निम्न में से क्या कहते हैं? 

(अ) पूर्वाग्रह

(ब) रंगभेद

(स) अस्पृश्यता

(द) इनमें से कोई नहीं

उत्तर(अ)- पूर्वाग्रह

प्रश्न 4- भारत में हाथ से मैला उठाने वाले लोगों की संख्या लगभग कितनी है? 

(अ) 50 लाख

(ब) 60 लाख

(स) 70 लाख

(द) 70 लाख

उत्तर- (द) 80 लाख

प्रश्न 5 महात्मा गांधी ने अस्पृश्य जातियों के लिए 1930 के दशक को किस नाम से संबोधन आरंभ किया? 

(अ) आदिवासी

(ब) हरिजन

(स) पिछड़े

(द) दलित

उत्तर -(ब) हरिजन

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 6 विषमता तथा बहिष्कार के संबंध में सामाजिक क्या है? 

उत्तर- सामाजिक विषमता सामाजिक है क्योंकि_

इनका संबंध व्यक्ति विशेष से नहीं बल्कि समूह से है| यह पूरी तरह से आर्थिक नहीं है बल्कि इनका संबंध आर्थिक तथ्यों से है| यह सब क्रमबद्ध तथा संरचनात्मक तरीके से होता है क्योंकि विषमता तथा बहिष्कार की पद्धति एक निर्धारित प्रक्रिया का घोतक है|


प्रश्न 7 सामाजिक संसाधनों का क्या अर्थ है? 

उत्तर- सामाजिक संसाधन आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक पूंजीगत साधनों का सहयोग होते हैं ,जैसे_ संपत्ति शिक्षा स्वास्थ्य ऊर्जा आदि|


प्रश्न 8- दलित शब्द का क्या अर्थ है? 

उत्तर- अस्पृश्य जातियों को दलित कहा जाता है|

इस तरह की जातियां सामाजिक तथा राजनीतिक उपेक्षा का बरषों से शिकार रही है| इन्हें अशुद्ध ,अस्वच्छ तथा प्रदूषित माना जाता है|


प्रश्न 9- अन्य पिछड़ी जातियाँ किन्हे कहा जाता हैं? 

उत्तर- अन्य पिछड़ी जातियां अस्पृश्य समूह से ऊपर तथा द्विज जातियों से नीची समझी जाती है| इस प्रकार की द्विज जातियां हैं_ ब्राह्मण, क्षत्रिय तथा वैश्य| इस तरह की अन्य पिछड़ी जातियां इतनी शक्तिशाली नहीं होती कि मुख्य धारा में सम्मिलित हो सके तथा इतनी वंचित भी नहीं होती कि उन्हें अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जा सके| वे शिल्पकार होती है|

प्रश्न 10- सामाजिक स्तरीकरण का वर्णन करें|

उत्तर- सामाजिक स्तरीकरण से तात्पर्य समाज के विभिन्न वर्ग कि उनके स्तर के अनुरूप अधिकृमित व्यवस्था है| इनके अंतर्गत इस के सदस्य अधिक्रम में समान अवस्था का सहभाजन करते हैं|

प्रश्न 11 वर्ग से आप क्या समझते हैं? 

उत्तर- सामाजिक वर्ग का तात्पर्य उन व्यक्तियों के समूह से होता है जिसकी किसी समाज में समान स्थिति होती हैं| जब समाज के कुछ लोगों में एक सामान समानता होने के कारण उनकी स्थिति में समानता होती है तो इस सामान स्थिति प्राप्त व्यक्तियों के समूह को वर्ग कहते हैं |

प्रश्न 12- भारत में जनजातियों की किन्हीं तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए|

उत्तर-1- जनजातियां सभ्य समाज से दूर घने जंगल के बीच निवास करती हैं इनका अपना एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र है|2- जनजातियों की अपनी एक विशिष्ट भाषा होती है|

3- जनजातीय अन्त विरवाही समूह होता है|


लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 13- सामाजिक विषमता क्या है? 

उत्तर- संसाधनों के आसमान वितरण की पद्धति को विषमता यह समानता कहा जाता है| सामाजिक विषमता प्राकृतिक विध्वंस अथवा लोगों के बीच विभिन्नता का कारण नहीं है, बल्कि यह समाज द्वारा उत्पन्न किया जाता है| समाज के कुछ लोग पैसा, संपत्ति, शिक्षा, ज्ञान, स्वास्थ्य, तथा प्रतिष्ठा के मामले में उच्च स्तर पर होते हैं, जबकि दूसरे निम्नतम स्तर पर|इसे ही सामाजिक विषमता कहा जाता है |यह संसाधन के तीन स्वरूपों में विद्यमान होता है_ आरथिक, पूजीगत , संपत्ति ,सांस्कृतिक पूजीगत अस्वथा तथा सामाजिक पूंजीगत संबंध| पूजी के ये तीनो रूप आपस में घुले -मिले होते हैं|

प्रश्न 14 भेद-भाव क्या है? 

उत्तर - किसी विशेष समूह के लोगों को अनुचित तरीके से बहिष्कृत कर उन्हें वस्तुओं, सेवाओं ,रोजगार तथा अन्य संसाधनों से वंचित कर दिए जाने के कृत्य तो भेदभाव कहा जाता है| भेदभाव पूर्वाग्रह ताे संभावना गत कारक है| दोनों समान नहीं है| भेदभाव का संबंध उस व्यवहार से है, जो धनी तथा निर्धन के बीच फर्क करता है| इसे सामाजिक अंतर संबंधों, शिक्षा, लिंग तथा रोजगार में देखा जा सकता है| यह एक समूह या व्यक्ति का दूसरे समूह या व्यक्ति के प्रति किए जा रहे व्यवहार के रूप में प्रकट होता है|

प्रश्न 15- जाति एक विभेदात्मक व्यवस्था किस प्रकार से है? 

उत्तर- जन्म पर आधारित सामाजिक स्तरीकरण जातिगत भेदभाव का सूचक है| इस व्यवस्था के अंतर्गत सामाजिक आर्थिक रूप से समृद्ध समूह को उचित स्थान तथा अन्य को निचला स्थान प्राप्त है| जाति व्यवस्था लोगों को व्यवसाय तथा स्तर के आधार पर वर्गीकृत करती थी| प्रत्येक जाति अपने व्यवसाय से जाने जाती थी| जातिगत चरित्र के विभेदात्मक लक्षणों के कारण जातिगत अवस्था तथा आर्थिक अवस्था के बीच एक सकारात्मक संबंध था| निम्न जातियां हमेशा निम्न आर्थिक अवस्था वाली होती है|

प्रश्न 16 विकलांगों (दिव्यांगों) की प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए|

उत्तर- सभी देशों में विकलांगों को शिक्षा ,रोजगार,यातायात आदि सुविधाओं तक अपनी पहुंच बनाने में समस्याएं झेलनी पड़ती हैं, जिसके कारण वे शैक्षिक आर्थिक एवं सामाजिक क्षेत्र में अत्यंत पिछड़ जाते हैं और अपना स्वास्थ्य भी खो देते हैं| सभी देशों में विकलांगों को शिक्षा, रोजगार, यातायात आदि सुविधाओं तक अपनी पहुंच बनाने में समस्याएं झेलनी पड़ती है| समाज में भी इस वर्ग के लोगों को उपेक्षा और तिरस्कार का सामना करना पड़ता है|

प्रश्न 17- भारत में पिछड़े वर्गों की समस्याओं का विवेचन कीजिए|

उत्तर- पिछड़े वर्गों की प्रमुख समस्याएं इस प्रकार हैं_

1- इनका सारा जीवन बेकारी, गरीबी, शोषण, उत्पीड़न तथा अनिश्चितता पूर्ण होता है|

2- इनकी आय के साधन सीमित होते हैं जिससे इनकी आर्थिक स्थिति निम्न होती है|

3- इनके कार्य की दशाएं कठिन होती है|

4- इनका जीवन स्तर निम्न होता है|

5- अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु यह वर्ग ऋण लेता है और समय पर न चुका पाने के कारण ऋण जाल में फंस जाता है|

6- इनकी सामाजिक स्थिति अत्यंत दयनीय होती है|

7- इनके पास सहायक रोजगारो का अभाव होता है|

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 18- सामाजिक असमानता और बहिष्कार सामाजिक किस प्रकार है ?स्पष्ट कीजिए|

उत्तर- सामाजिक असमानता एवं बहिष्कार सामाजिक कैसे हैं? व्यक्ति व्यक्ति के बीच पाई जाने वाली आसमानता एवं संस्कार की भावना या प्रतिमानों को सामाजिक असमानता एवं बहिष्कार के प्रतिमान क्यों कहा जाता है? इस प्रश्न के तीन उत्तर हैं_ पहला, सामाजिक असमानता एवं बहिष्कार इसलिए सामाजिक है क्योंकि इसका संबंध केवल एक व्यक्ति से ही नहीं अपितु पूरे समुदाय से होता है| दूसरा, यह प्रतिमान इसलिए भी सामाजिक है क्योंकि यह आर्थिक पहलू नहीं है यद्यपि सामाजिक और आर्थिक असमानता के बीच गहरा रिश्ता है| तीसरा, सामाजिक असमानता का एक निश्चित प्रतिमान इसकी एक व्यवस्थित संरचना है| सामाजिक असमानता को दर्शाने वाले इन तीनों प्रतिमानों का यहां संक्षेप में वर्णन किया जाएगा|

सामाजिक विषमता

प्रत्येक समाज में हर व्यक्ति की सामाजिक प्रस्थिति एक समान नहीं होती है| समाज में कुछ लोगों के पास तो धन-संपत्ति ,शिक्षा, स्वास्थ्य ,सत्ता और शक्ति जैसे साधनों की अधिकता होती है| तो दूसरी ओर कुछ लोग लोगों के पास इनका नितांत अभाव रहता है| कुछ लोगों की स्थिति बीच की होती है| इनका सामाजिक संसाधनों को तीन पूंजी रूपों में इस प्रकार विभाजित किया जा सकता है|

1- भौतिक संपदा आय के रूप में आर्थिक पूंजी|

2- शैक्षिक योग्यता और पृस्थिति के रूप में सांस्कृतिक पूंजी|

3- सामाजिक संबंधों के रूप में सामाजिक पूंजी|

पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के ये तीनों रूप अधिव्याप्त है और एक-दूसरे में समाए रहते हैं| उदाहरण के तौर पर अगर कोई व्यक्ति अच्छे खाते पीते परिवार आर्थिक पूंजी से है तो वह ऊंची महंगी शिक्षा का भार वहन कर सकता है और आर्थिक पूंजी के आधार पर ही वह सांस्कृतिक या शैक्षिक पूंजी को भी अर्जित कर सकता है| इसी प्रकार कुछ लोग अपने संबंधियों और मित्रों आदि के प्रभाव (यानी सामाजिक पूंजी के आधार पर) का लाभ उठाकर या उनकी सिफारिश पर अच्छे वेतन की नौकरी पा जाते हैं|

सामान्यता आसमान प्रतिमानों के माध्यम से सामाजिक संसाधनों को हासिल करने की प्रवृत्ति या परिपाटी को सामाजिक असमानता कहा जाता है| समाज में सामाजिक असमानता को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है| व्यक्ति व्यक्ति के बीच में उनकी योग्यताओं और क्षमताओं में अंतर पाया जाता है| समाज में कुछ लोग बहुत बुद्धिमान या प्रतिभावान होते हैं| जो अपनी मेहनत व लगन से अपार संपत्ति तथा प्रस्थिति के स्वामी बन जाते हैं| जबकि कुछ लोग योगिता और कुशलता की कमी के कारण निम्न स्तर पर रहते हैं लेकिन बड़े पैमाने पर सामाजिक असमानता का कारण केवल अन्तजारत योग्यता और कुशलता ही नहीं है| अपितु इसका मुख्य कारण वह समाज है| जिसमें वह रहता है| समाज या सामाजिक व्यवस्था ही असमानता ओं को निर्मित करती है| समाज में एक ऊंच-नीच का संस्तरण पाया जाता है| जिसके अंतर्गत लोगों को जाति ,लिंग ,प्रजाति ,प्रदत्त, स्थिति के आधार पर भिन्न-भिन्न श्रेणियों में रखा जाता है|

प्रश्न 19 -सामाजिक स्तरीकरण का अर्थ और विशेषता स्पष्ट कीजिए|

उत्तर- सामाजिक स्तरीकरण और इसकी प्रमुख विशेषताएं

किसी भी समाज में सब व्यक्तियों की प्रस्थिति या पद एक समान नहीं होते इनमें किसी ना किसी आधार पर सदैव और समानता पाई जाती रही है| प्रत्येक समाज अनेक सामाजिक समूहों में बटा होता है| प्रारंभिक समाजों में आयु ,लिंग , व्यक्तिगत, शक्ति के आधार पर ऊंच-नीच का भेद सदा ही बना रहा है|

Writer name- dipaka kushwaha


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