हिंदी दिवस पर कविता/Hindi diwas par Kavita
संस्कृत की एक लाडली बेटी है ये हिंदी।
बहनों को साथ लेकर चलती है ये हिंदी।
सुंदर है, मनोरम है, मीठी है, सरल है,
ओजस्विनी है और अनूठी है ये हिंदी।
पाथेय है, प्रवास में, परिचय का सूत्र है,
मैत्री को जोड़ने की सांकल है ये हिंदी।
पढ़ने व पढ़ाने में सहज है, ये सुगम है,
साहित्य का असीम सागर है ये हिंदी।
तुलसी, कबीर, मीरा ने इसमें ही लिखा है,
कवि सूर के सागर की गागर है ये हिंदी।
वागेश्वरी का माथे पर वरदहस्त है,
निश्चय ही वंदनीय मां-सम है ये हिंदी।
अंग्रेजी से भी इसका कोई बैर नहीं है,
उसको भी अपनेपन से लुभाती है ये हिंदी ।
यूं तो देश में कई भाषाएं और हैं,
पर राष्ट्र के माथे की बिंदी है ये हिंदी।
Written by-Nitya Kushwaha
Very good
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