CG board October Assignment-3 class-10th social science solutions 2021-22

Ticker

CG board October Assignment-3 class-10th social science solutions 2021-22

CG board October Assignment-3 class-10th social science solutions 2021-22 /कक्षा -10वीं समाजिक विज्ञान असाइनमेंट

CG board October Assignment-3 class-10th social science solutions 2021-22

छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल रायपुर

शैक्षणिक सत्र 2021- 22 माह अक्टूबर

असाइनमेंट- 03

कक्षा- दसवीं

विषय- सामाजिक विज्ञान


प्रश्न-1 मोटे अनाजों के उत्पादन में कमी होने के क्या कारण हैं।


उत्तर-  सन 1951 के बाद गेहूं ,चावल जैसे खाद्यान्नों के उत्पादन में जहां वृद्धि दर्ज की गई हैं ,वही मोटे अनाजों के उत्पादन में कमी आई है इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित है-


1- चावल व गेहूं प्रमुख खाद्यान्न फसलें हैं अतः इसके उत्पादन पर अधिक जोर दिया गया।


2- फसल उत्पादन आज एक व्यवसाय बन चुका है, इस कारण किसान उन्हीं फसलों को प्राथमिकता देते हैं जिनमें अधिक लाभ मिल सके।


3- बढ़ती जनसंख्या की खाद्यान आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु सरकार ने भी हरित क्रांति के लिए गेहूं व चावल के उत्पादन पर अधिक जोर दिया।


4- मोटे अनाज गरीब लोग उपयोग करते हैं अतः बाजार में इनका उचित मूल्य प्राप्त नहीं होता, और इन्हें उत्पादित करने वालों को लाभ नहीं होता।


5- सरकार द्वारा इन अनाजों के उत्पादन हेतु कोई प्रोत्साहन नहीं दिया गया।



प्रश्न-2 रूस में 1861 से 1940 के बीच किसानों की स्थिति में क्या-क्या परिवर्तन आए?


उत्तर-  सन 1863 ई. तक रूस में कृषकों अर्ध दास के रूप में रखा गया था। किसान जमीन से बंधे थे और वे बिना भू स्वामियों की आज्ञा से दूसरे काम धंधे नहीं कर सकते थे या गांव छोड़कर नहीं जा सकते थे। सन 18 सो 61 ईस्वी में जार के घोषणा के बाद किसानों को इस प्रथा से मुक्ति तो मिली मगर तब भी जमीन भू स्वामियों के पास ही थी। और किसान को यह जमीन ऊंचे किराए पर मिलती थी। जार की पहल पर भू स्वामियों ने कुछ जमीन किसानों को दे दी मगर उसके लिए किसानों को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। शासन की ओर से यह रकम भू स्वामियों को चुकाई गई और किसानों को इसे किस्तों में पटाना था। जब तक वह ऐसे पता नहीं देते उन्हें गांव छोड़कर जाने की अनुमति नहीं थी। सन 1937 तक कई पीढ़ियां बीतने पर भी किसान यह ऋण चुकाते रहे। कुल मिलाकर 18 सो 61 के सुधारों से भूस्वामि ही लाभान्वित हुए और किसान कानूनी रूप से आजाद तो हुए मगर आर्थिक रूप से और बुरे हालातों में फंस गए। कई किसान उद्योग में मजदूरी करने शहरों में चले गए। और कई किसान जार की सेना में भर्ती हो गए। अक्टूबर क्रांति 1937 के बाद लेनिन ने जमीन संबंधी ऐलान किया जिसमें भू स्वामियों की जमीन का स्पष्टीकरण और किसानों को जमीन वितरण का ऐलान किया गया हर गांव के गरीब किसानों की समितियों को वहां के भू स्वामियों की जमीन को आपस में बांटने का अधिकार दिया गया। 1997 के बाद भू स्वामियों की जमीन किसानों के बीच वितरित होने से अधिकांश कृषक मध्यम दर्जे के किसान बन गए और कुछ बड़े किसान भी थे। लेकिन खेती के तरीके अभी भी पारंपरिक थे। और उत्पादन कम था इस बात को देखते हुए स्टालिन ने कृषि में भारी बदलाव लाने की पहल की इसके तहत किसानों को कहा गया कि वे अपने अपने खेतों को मिलाकर विशाल सामूहिक फार्म बनाएं ताकि बड़े पैमाने में खेती की जा सके। और खेती में मशीनों व अन्य आधुनिक तरीकों का उपयोग किया जा सके छोटे व मध्यम किसान इसके लिए तैयार हो गए ।मगर ज्यादातर बड़े किसान और मध्यम किसानों ने इसका विरोध किया विरोध करने वालों पर जोर जबरदस्ती की गई। और वे लाखों की संख्या में गिरफ्तार किए गए कालापानी भेजे गए या मार दिए गए। 



प्रश्न-3 ऋण की सुविधा एक और हमारी आय बढ़ाने में सहायक होती है वहीं दूसरी ओर कर्ज के जाल में फंसा देती है कैसे ?आसपास के उदाहरणों से समझाइए।


उत्तर--   ऋण अगर औपचारिक क्षेत्र से लिया गया हो तो वह हमारी आय बढ़ाने में सहायता करता है उदाहरण के लिए हमारे पड़ोसी श्याम ने किराए की दुकान खोलने के लिए बैंक से ₹200000 ऋण लिया। इसके बदले में उसने अपना घर ऋण आधार के रूप में बैंक के पास बंधक बनाया जब श्याम की दुकान 2 महीने बाद अच्छी चलने लगी तो उसने रीढ़ की किस्त 10,000 प्रतिमा देना आरंभ किया धीरे-धीरे उसकी दुकान अच्छी चलने लगी और 3 वर्ष में श्याम ने अपना पूरा ऋण चुका दीया। तथा घर भी छुड़ा लिया। इस प्रकार ऋण ने श्याम की आए बढ़ाने में सहायता की गांव में छोटे-मोटे किसानों के पास औपचारिक क्षेत्र से ऋण प्राप्त करने के लिए साख का अभाव रहता है जिसके कारण उन्हें गांव में ही महाजन से ऋण लेना पड़ता है। इसका ब्याज इतना अधिक होता है कि वह इसको चुका नहीं पाता और उसे दूसरा ऋण लेना पड़ जाता  है। इस प्रकार गरीब लोग एक बार कर्ज के जाल में फंसते हैं तो उन्हें निकालना मुश्किल हो जाता है।



प्रश्न-4 मुद्रा किसे कहते हैं? मुद्रा के लिए मापन का आधार क्यों जरूरी है?


उत्तर- ‌ मुद्रा पैसे या धन के उस रूप को कहते हैं जिससे दैनिक जीवन में क्रय और विक्रय होती है। इसमें सिक्के और कागज के नोट दोनों आते हैं। आमतौर से किसी देश में प्रयोग की जाने वाली मुद्रा उस देश की सरकारी व्यवस्था द्वारा बनाई जाती है। मसलन भारत में रुपया वा पैसा मुद्रा है। मुद्रा के मापन आधार होना जरूरी है क्योंकि मापन के आधार से मुद्रा की कीमत निर्धारित होती है।


यह भी देखें👇👇👇👇👇

Class -10th science solution assignment 3


👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇





Post a Comment

और नया पुराने

inside

inside 2