Mp board class -12th pedagogy half yearly paper 2021 || अर्धवार्षिक परीक्षा शिक्षा शास्त्र पेपर 2021-

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Mp board class -12th pedagogy half yearly paper 2021 || अर्धवार्षिक परीक्षा शिक्षा शास्त्र पेपर 2021-

Mp board class -12th pedagogy half yearly paper 2021 || अर्धवार्षिक परीक्षा शिक्षा शास्त्र पेपर 2021-22

Mp board class -12th pedagogy half yearly paper 2021 || अर्धवार्षिक परीक्षा शिक्षा शास्त्र पेपर 2021-22



Mp board class- 12 helf early paper 2021: दोस्तों आज किस पोस्ट में हम आपको बताने वाले हैं एमपी बोर्ड क्लास 12th की हेल्प एली पेपर 2021 दिसंबर में लिए जा रहे हैं उसके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न आपको बताने वाले हैं अर्धवार्षिक परीक्षा 2021 दिसंबर के पहले सप्ताह में ही ली जाएंगी कक्षा बारहवीं के सभी छात्रों के लिए यह परीक्षा बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि इसका मुख्य कारण यह है कि अगर आप के वार्षिक परीक्षा नहीं ली जाती हैं क्रोना वायरस की वजह से आप का वार्षिक परीक्षा का रिजल्ट त्रैमासिक परीक्षा अर्धवार्षिक परीक्षा और प्री बोर्ड परीक्षा के आधार पर वार्षिक परीक्षा का रिजल्ट तैयार किया।


कि आप अपने अर्धवार्षिक परीक्षा की तैयारी कैसे करें तो कोई बात नहीं चलिए मैं आपको बताती हूं कि आपको अपनी अर्धवार्षिक परीक्षा 2021 की तैयारी कैसे करनी है। तो कैलेंडर जारी कर दिया जाएगा जो आप की अर्धवार्षिक परीक्षा का होगा जिससे आपको पता चल जाएगा कि कहां तक के चैप्टर से आपके प्रश्न पूछे जाएंगे कौन कौन से टॉपिक आपको याद करने हैं कौन से याद नहीं करने हैं और आपका सिलेबस क्या होगा। इसके साथ ही साथ आप को पिछले वर्ष के जितने भी अदवार्षिक परीक्षा के पेपर से उन सभी पेपर को अच्छी तरह से हल करके देख लेना क्योंकि जैसा कि आप जानते ही होंगे कि किसी भी परीक्षा की तैयारी के लिए उसके पिछले वर्षों के परीक्षा प्रश्न पत्र बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं तो आपको एक प्रश्न पत्रों को हल जरूर कर देख ले रहा है और आपको मध्य प्रदेश बोर्ड द्वारा एक मॉडल पेपर जारी कर दिया जाएगा जिसमें आपको पेपर का प्रारूप देखने को मिल जाएगा यह प्रारूप उसी तरह का होगा। जिस तरीके से आपका पेपर आने वाला होगा आपको मॉडल पेपर को अच्छी तरीके से हल करना है और उसके जितने भी प्रश्न आए हुए हैं वह प्रश्न आपको जरूर याद कर लेने हैं क्योंकि मॉडल पेपर में कुछ प्रश्न आपके पेपर में भी आ सकता है।


अदवार्षिक परीक्षा का पेपर कैसा आएगा।


दोस्तों आपके भी मन में एक ऐसा सवाल आ रहा होगा कि आपको अर्धवार्षिक परीक्षा का पेपर कैसा आएगा तो मैं इसके लिए आपको एक सलाह देना चाहती हूं कि आप इस समस्या के समाधान के लिए पिछले साल के क्वेश्चन पेपर को देखने से आपको पता लग जाएगा कि आपको अदवार्षिक परीक्षा का पेपर कैसे आने वाला है और कौन सा पैटर्न आप का परीक्षा का प्रश्न पत्र बनाते समय फॉलो किया गया था तथा किस प्रकार के क्वेश्चन आपके पांच नंबर में पूछे जाते हैं और कौन से प्रश्न आपके दो या एक नंबर के लिए पूछे जाते हैं यह जानकारी भी आपको अपना पुराना परीक्षा का पेपर देखने से पता चल जाएगा तो मैं सोचती हूं कि आपको अपने जिस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो उस परीक्षा की तैयारी के लिए सबसे आवश्यक चीज हो जाती है कि आप अपना पूराना पेपर जरूर याद करें यह एक बार देख लें क्योंकि परीक्षाओं का पैटर्न वही रहता है बस आपको प्रश्न पत्र में प्रश्न बदल ही जाते हैं अगर आप अर्धवार्षिक परीक्षा 2020 का पेपर देखना चाहते हैं तो नीचे दिए गए वीडियो को देख सकते हैं और आप हमारी अन्य पोस्ट भी पढ़े देखिए विद्यार्थी सबसे कॉमन वाली बात यह है कि जो आप के बहुविकल्पी प्रश्न आते हैं वह आपको एक नंबर में पूछे जाते हैं फिर इसके बाद एग्जामिनर आपको रिक्त स्थान और सही गलत दे सकता है जो आपके एक एक नंबर मैं पूछे जाएंगे यह आपको पेपर मैं पांच प्रश्न दिए जाते हैं जिनमें से आपको तीन या चार करने होते हैं और आपको यह दो नंबर में पूछे जाते हैं इसके बाद फिर आपको लघु उत्तरीय प्रश्न पूछे जाते हैं जो आपको 30 से 40 शब्दों के अंतर्गत लिखना रहता है यह आपके पेपर में चार नंबर के पूछे जाते हैं और यह आप के 5 प्रश्न आते हैं जिनमें से आपको तीन या चार करने रहते हैं फिर इसके उपरांत आप को दीर्घ उत्तरीय प्रश्न पूछे जाते हैं जो आपकी इच्छा और 7 नंबर के पूछे जाते हैं कोई कोई प्रश्न आपके 10 नंबर का भी पूछ लिया जाता है दीर्घ उत्तरीय प्रश्न आपके पेपर में तीन आते हैं जिनमें से आपको दो करने लगते हैं इस प्रश्न को लिखने में आपकी शब्द सीमा निर्धारित रहती है जिसमें से आपको 100 से 150 शब्दों के बीच में इसके उत्तर लिखने रहते हैं।


अर्धवार्षिक की परीक्षा के सिलेबस को डाउनलोड करने के लिए सबसे पहले आपको विमर्श पोर्टल की ऑफिशल वेबसाइट पर जाना होगा


अर्धवार्षिक परीक्षा के नंबर रिजल्ट में जुड़ेंगे या नहीं


बहुत से विद्यार्थी के मन में एक ऐसा प्रश्न 12 बार आ रहा होगा कि आज वार्षिक परीक्षा के नंबर रिजल्ट में जुड़ेंगे या नहीं तो आपको इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ना है आपको सभी सवालों का उत्तर इस पोस्ट में मिलने वाला है यह प्रश्न उठाना स्वभाविक है कि जो आपके अर्धवार्षिक परीक्षा होने वाले हैं इस परीक्षा में प्राप्त हुए अंक आपकी वार्षिक परीक्षा में जुड़ेंगे या नहीं या फिर आप के वार्षिक रिजल्ट में इन नंबरों को जोड़ा जाएगा या फिर नहीं तो चलिए आपके मन में जो भी प्रश्न है उन सभी का हल आपको बताती हूं।


सात यदि ऐसा होता है कि पिछले साल की तरह ही करो ना वायरस के कारण आपके वार्षिक परीक्षा आयोजित नहीं हो पाए तो आप का जो रिजल्ट है वह पिछले साल की तरह है ही त्रमासिक आशिक परीक्षा, अर्धवार्षिक परीक्षा ,और आपकी प्री बोर्ड परीक्षा की तैयारी अच्छे से करें ताकि यदि पिछली बार के जैसे ही स्थितियां उत्पन्न होते हैं तो आपको इन परीक्षा में नंबर अच्छे होने पर आप का वार्षिक परीक्षा का रिजल्ट या वार्षिक रिजल्ट अच्छा रहेगा और यदि आप इन परीक्षाओं की तैयारी अच्छे से नहीं करते हैं और आपको अच्छे नंबर नहीं आते हैं और पिछली बार की जैसे ही स्थिति उत्पन्न हुई तो आप का वार्षिक रिजल्ट भी बिगड़ जाएगा तो इसके लिए आप ध्यान रखें कि इन परीक्षाओं की तैयारी बहुत ही अच्छे तरीके से करनी है तो अच्छे से अच्छे अंक प्राप्त करने हैं ‌


12वीं शिक्षा शास्त्र अर्धवार्षिक परीक्षा पेपर 2021।।


अगर आप भी कक्षा बारहवीं के छात्र और अर्धवार्षिक परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो आप भी सभी छात्रों के लिए इस पोस्ट में हम बताने वाले हैं कि आप अपनी तैयारी किस प्रकार से कर सकते हैं तो आपको अपनी अर्धवार्षिक परीक्षा की तैयारी तैयारी की है जो आप के सिलेबस में दिए गए हैं और जो आप के सिलेबस में आने वाले हैं और उसके बाद आपको महत्वपूर्ण प्रश्न याद कर लेने हैं जो आपको यूट्यूब चैनल पर मवाद कराए जा रहे हैं लगातार आपको सभी इंपॉर्टेंट क्वेश्चन मिल जाएंगे क्योंकि हम आपके सिलेबस के आधार पर हमारे यूट्यूब चैनल पर वही प्रश्न बताते हैं जो कि आप की परीक्षाओं के लिए मैं दूर होते हैं तथा जो प्रश्न आप को परीक्षा में अच्छे से अच्छे नंबर दिला सकते हैं तो आप इन प्रश्नों को जरूर याद करें और आपको इन चैनलों पर रोजाना हर सब्जेक्ट के बहुत ही इंपॉर्टेंट क्वेश्चन प्रोवाइड कराए जा रहे हैं तो आपको इन चैनल को सब्सक्राइब कर देना और बैल आइकन के साथ।।


अर्धवार्षिक परीक्षा 2021- 22

विषय: शिक्षा शास्त्र

कक्षा: 12वीं

समय: 3:00 घंटा

               पूर्णांक: 80


निर्देश:

1. सभी प्रश्न अनिवार्य है।

2. प्रश्न क्रमांक 1 से 5 तक वस्तुनिष्ठ प्रश्न है। प्रत्येक उप प्रश्न के लिए एक अंक निर्धारित है।

3. प्रश्न क्रमांक 6 से 15 तक अति लघु उत्तरीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न के लिए 2 अंक निर्धारित हैं उत्तर लगभग 30 शब्द 

4. प्रश्न 15 से 19 तक लघु उत्तरीय प्रश्न है प्रत्येक के लिए 3 अंक निर्धारित हैं उत्तर लगभग 75 शब्द।

5. प्रश्न 20 से 23 विश्लेषणात्मक प्रश्न है प्रत्येक के लिए 4 अंक निर्धारित हैं उत्तर लगभग 120 ।


पाठ- 8- पर्यावरण शिक्षा अवधारणा स्वरूप आवश्यकता, महत्व प्रदूषण ,की समस्याएं एवं उनका निराकरण


बहुविकल्पी प्रश्न


प्रश्न 1- आधुनिक वैज्ञानिक युग की प्रमुख समस्या कौन से हैं। 


(क) पर्यावरण प्रदूषण

(ख) औद्योगिकीकरण

(ग) नगरीकरण

(घ) बेरोजगारी

उत्तर- पर्यावरण प्रदूषण


प्रश्न 2-पर्यावरण प्रदूषण का प्रमुख कारण क्या है। 


(क) नवीनीकरण

(ख) औद्योगिकीकरण

(ग) राष्ट्रीयकरण

(घ) आधुनिकीकरण

उत्तर- औद्योगिकरण


प्रश्न 3- प्रदूषण की  समस्या का मुकाबला करने के लिए जो सर्वाधिक उपयोग सिर्फ हो सकती है? वह है । 


(क) सामान्य शिक्षण

(ख) पर्यावरण शिक्षण

(ग) तकनीकी शिक्षण

(घ) स्वास्थ्य शिक्षण

उत्तर -पर्यावरण शिक्षण


प्रश्न- 4- पर्यावरण शिक्षा का मूल उद्देश्य है। 


(क) औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया को धीमा करना

(ख) शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करना

(ग) खाद पदार्थों के उत्पादन में वृद्धि करना 

(घ) प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट होने से बचाना। 


उत्तर- प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट होने से बचाना


प्रश्न 5- प्रदूषण की समस्या हल की जा सकती है। 


(क) सामान्य शिक्षा द्वारा

(ख) सामाजिक शिक्षा द्वारा

(ग) नारी शिक्षा द्वारा

(घ) पर्यावरण शिक्षा द्वारा

उत्तर- पर्यावरण शिक्षा द्वारा


प्रश्न 6- हमारे देश में पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम कब पारित किया गया? 


(क) 1966

(ख) 1976

(ग) 1986

(घ) 1996


उत्तर -1986


निश्चित उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1- कारखानों की चिमनी में धुआ उबलने पर किस प्रकार का प्रदूषण होता है । 


उत्तर- वायु- प्रदूषण। 


प्रश्न -2- पर्यावरण का व्यक्त उचित अर्थ क्या है। 


उत्तर पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है। परी तथा आवरण परी का अर्थ है। चारों ओर और आवरण का  घेरना? 


प्रश्न 3- सांस की तकलीफ किस प्रकार के प्रदूषण से होती है। 


उत्तर- वायु- प्रदूषण


प्रश्न- 4- पर्यावरण शिक्षा का क्या अभिप्राय है। 

उत्तर- पर्यावरण शिक्षा का तात्पर्य है। उच्च शिक्षा से जिसमें मनुष्य अपने को संपूर्ण भौतिक व्यवस्था के अंग के रूप में देखें और मनुष्य एवं पर्यावरण के मध्य तारक मेहता की आवश्यकता को समझें। 


प्रश्न 5-पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ एक वाक्य में लिखिए। 


उत्तर पर्यावरण में किसी भी प्रकार की हानिकारक तत्वों का समावेश होना ही पर्यावरण प्रदूषण  कहलाता है। 


प्रश्न 6- राष्ट्रीय आधारभूत पाठ्य चर्चा के अनुसार पर्यावरण शिक्षा किस स्तर से प्रारंभ होती है। 


उत्तर प्रारंभिक स्तर से। 


प्रश्न 7-  पर्यावरण के माध्यम से किस समस्या को दूर किया जा सकता है। 


उत्तर पर्यावरण शिक्षा के माध्यम से पर्यावरण प्रदूषण की समस्या को दूर किया जा सकता है। 


प्रश्न 8- ध्वनि प्रदूषण से आप क्या समझते हैं। 

उत्तर पर्यावरण में उत्पन्न होने वाली कोई भी आवंटित आवाज जिसका जीवन के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है प्रदूषण कहत


प्रश्न 1- पर्यावरण शिक्षा के चार समस्याएं लिखिए। 


अथवा 


भारत में पर्यावरण शिक्षा की क्या समस्याएं हैं। 


अथवा 

भारत में पर्यावरण शिक्षा की समस्याएं क्या है। 


उत्तर पर्यावरण शिक्षा की चार समस्या है। 


1.पर्यावरण के प्रति अनुचित दृष्टिकोण अपनाना

2.भौतिकवादी संस्कृत का अत्यधिक प्रसार होना

3.नगरी सभ्यता का विकास होना

4.विद्यालयों में पर्यावरण शिक्षा का समुचित प्रबंध ना होना। 


प्रश्न 2- पर्यावरण शिक्षा की समस्या के समाधान के 4 उपाय बताइए। 


उत्तर  1.र्यावरण के प्रति उचित दृष्टिकोण अपनाया जाए । 

2.सादा जीवन उच्च विचार की जीवन शैली अपनाई जाए। 

3.पर्यावरण शिक्षा के लिए विशेष प्रयास किए जाएं। 

4.पर्यावरण शिक्षा को पाठ्यक्रम में स्थान दिया जाए। 



प्रश्न 3-प्रदूषण के विभिन्न प्रकार कौन-कौन से हैं। 


उत्तर प्रदूषण के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं। 


1.वायु प्रदूषण

2.जल प्रदूषण

3.भूमिया मृदा प्रदूषण

3.ध्वनि प्रदूषण

4.रेडियोधर्मिता प्रदूषण


प्रश्न 4-पर्यावरण के अर्थ को स्पष्ट कीजिए। 


अथवा 

पर्यावरण शिक्षा से क्या अभिप्राय है। 


उत्तर पर्यावरण की अवधारणा को स्पष्ट करने से पूर्व पर्यावरण के शाब्दिक अर्थ को स्पष्ट करना आवश्यक है। पर्यावरण के अर्थ को स्पष्ट करते हुए हम कह सकते हैं। कि पर्यावरण शब्द 2 ,'शब्दों अर्थात परी और आवरण के सहयोग यह मेल से बना है।' परी का अर्थ है ।'चारों ओर तथा आवरण का अर्थ है। जरा इस प्रकार पर्यावरण का 'शाब्दिक अर्थ हुआ चारों ओर का' घेरा इस प्रकार व्यक्ति के संदर्भ में कहा जा सकता है। कि व्यक्ति के 'चारों ओर जो प्राकृतिक सामाजिक तथा संस्कृत साहित्य और परिस्थितियां विद्यमान है उनके प्रभावी रूप को ही पर्यावरण कहा जाता है। 


प्रश्न 5- पर्यावरण शिक्षा का क्या लक्ष्य है। 


उत्तर जागरूकता का विकास करना ज्ञान का संचार करना सहभागिता सुनिश्चित करना कौशल का निर्माण  करना। 


प्रश्न 1- पर्यावरण प्रदूषण के नियंत्रण के उपाय बताइए। 


अथवा 

प्रदूषण की समस्या को स्पष्ट करते हुए इसके निराकरण के उपाय बताइए। 


उत्तर पर्यावरण प्रदूषण वास्तव में सभ्यता के विकास का एक परिणाम है। इस स्थिति में यदि कहा जाए कि हम सभ्यता का विकास भी करते रहे तथा पर्यावरण प्रदूषण से भी मुक्त हो जाए तो असंभव ही है। वास्तव में पर्यावरण प्रदूषण को कुछ सीमा तक नियंत्रित किया जा सकता है। समाप्त नहीं किया जा सकता है। उदाहरण के लिए यदि हम चाहे की सभ्यता के प्रतीक असंख्य वाहन सड़कों प्रशांत चले और वायु प्रदूषित ना हो तो यह संभव नहीं है। इसी प्रकार कल कारखाने बढ़ते जाएं और वायु तथा जल कदापि प्रदूषित ना हो तो यह भी संभव नहीं है। इस स्थिति में हम पर्यावरण प्रदूषण को केवल नियंत्रित कर सकते हैं इसके लिए नियमित उपाय किए जा सकते हैं। 


1.प्रदूषण के कारणों का पता करके उन को नष्ट किया जाना चाहिए। 

2.विभिन्न अपमार्जन पदार्थों विषैले पदार्थों दबाव मूल मंत्र आदि को  किसी बिजली श्रुति हसन की शहादत में मिलाए जाने से पहले सूचित कर लेना चाहिए जिनका फॉर थे तथा सभी प्रकार की शुद्धिकरण आवश्यक है। 


प्रश्न 2- पर्यावरण शिक्षा के महत्व का उल्लेख कीजिए। 


अथवा 

पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए। 


उत्तर वर्तमान वैज्ञानिक युग में पर्यावरण शिक्षा का महत्व निरंतर बढ़ता जा रहा है। पर्यावरण प्रदूषण ने विष्णु को विनाश के निकट खड़ा किया है। पर्यावरण असंतुलन के कारण आए दिन विश्व के किसी भी कोने में दुर्घटना घटित हो रही है। अता मानव जीवन की सुरक्षा के लिए पर्यावरण संबंधी तत्वों का ज्ञान प्राप्त करना अत्यंत आवश्यक है। और यह ज्ञान पर्यावरण शिक्षा द्वारा ही उपलब्ध हो सकता है। पर्यावरण शिक्षा के महत्व को निम्न लिखित रूप से व्यक्त किया जा सकता है। 


1.पर्यावरण शिक्षा द्वारा संपूर्ण पर्यावरण का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। 


2.पर्यावरण शिक्षा- पर्यावरण संरक्षण वन्य- जीव संरक्षण मृदा -संरक्षण आदि तथा उनकी उपभोक्ता बताती है। 


3. पर्यावरण शिक्षा विद्यार्थी को नागरिक अधिकारों कर्तव्य दायित्व ज्ञान कराती है। 


 प्रश्न 3- पर्यावरण मित्रता से क्या अभिप्राय है। 

उत्तर प्राकृतिक पर्यावरण की मौलिक गुणों एवं विशेषताओं को बनाए रखने में सहायता प्रदान करने की प्रवृत्ति को पर्यावरण मित्रता के रूप में जाना जाता है। पर्यावरण मित्रता की प्रवृत्ति को अपना लेने के बाद प्राकृतिक पर्यावरण को किस प्रकार की हानियां पाया जाता है। 


प्रश्न 4 प्रदूषण रोकने के उपायों की विवेचना कीजिए। 

उत्तर- 1.जीआईसी और औद्योगिक इलाकों में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण तथा उनका संरक्षण किया जाए। 


2. वनों की कटाई पर प्रतिबंध, 


3. पर्यावरण प्रदूषण कानूनों को सख्ती से पालन किया जाए। 


4. पर्यावरण में शोध परियोजनाएं चलाई जाए। 


प्रश्न 5- पर्यावरण प्रदूषण से मानव को खतरा हो गया है स्पष्ट कीजिए। 


उत्तर इस प्रभाव को निम्नलिखित रुप से स्पष्ट कर सकते हैं। 


पर्यावरण प्रदूषण का जन्म स्वास्थ्य पर प्रभाव- पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य प्रतिकूल प्रभाव जन स्वास्थ्य पर पड़ता है। किसी भी प्रकार के प्रदूषण से संबंधित व्यक्ति सामान से लेकर गंभीर तथा अति गंभीर रोगों का शिकार हो सकता है। उदाहरण के लिए वायु प्रदूषण से खांसी से लेकर तपेदिक तथा कैंसर जैसे रोग हो सकते हैं। जल प्रदूषण से पाचन तंत्र के साधन लोगों से लेकर अधिक गंभीर रोग जैसे की यात्रा एवं आंतों का कैंसर हो सकता है। इसी प्रकार ध्वनि प्रदूषण से लोग साधारण चिड़चिड़ा हट से लेकर हिर्दय रोग उच्च रक्तचाप तथा पूर्णता बहरापन तक के शिकार हो सकते हैं। 


पर्यावरण प्रदूषण का जन्म सामान्य की कार्य क्षमता पर -

निश्चित रूप से पर्यावरण प्रदूषण का प्रतिकूल प्रभाव जनसामान्य की कार्यक्षमता पर पड़ता है। प्रदूषित वातावरण में व्यक्त रूप से स्वस्थ नहीं रह पाता । उसकी स्थिति एवं स्फूर्ति घट जाती है। जिसकी व्यक्ति की कार्यक्षमता भी घट जाती है। 


पर्यावरण प्रदूषण का आर्थिक जीवन पर प्रभाव - पर्यावरण प्रदूषण का गंभीर विभाजन सामान की आर्थिक गतिविधियों पर भी पड़ता है। कार्यक्षमता के घर जाने से व्यक्ति की उत्पादन दर घटती है। जिससे उसकी आय घटने लगती है। इसके अतिरिक्त साधारण गंभीर रोगों के उपचार के लिए भी कम या अधिक व्यय करना पड़ता है। इस प्रकार आए करने तथा व्यय बढ़ने के परिणाम स्वरूप व्यक्ति की आर्थिक स्थिति बिगड़ जाती है। और वह आर्थिक संकट का शिकार हो जाता है। 


प्रश्न 6- वायु प्रदूषण के कारणों का वर्णन कीजिए। 


उत्तर -वायु प्रदूषण के कारण वायु प्रदूषण के मुख्य कारण निम्नबत है। 

जलने की क्रिया - कारखाने में था। फैक्ट्रियों में कोयला जल ने कोयले द्वारा अधिक रेलगाड़ियां चलाने से घरों में चूल्हे जलाने से वायु दूषित हो जाती है। राया घनी आबादी वाले नगरों और निर्धन बस्तियों में जहां एक कमरे में बहुत से लोग निवास करते हैं। वायु प्रदूषण की समस्या अधिक पाई जाती है। 


धूल व अन्य वस्तुओं के सूक्ष्म में कणों द्वारा - विभिन्न उद्योगों द्वारा उत्पन्न वस्तुओं के कणों से वायु में मिल जाते हैं। इस प्रकार की प्रदूषित वायु में सांस लेने पर शरीर में पहुंचकर स्वस्थ को हानि पहुंचाते है। 


प्रश्न -पर्यावरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए एवं इस शिक्षा की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए। 


अथवा


पर्यावरण शिक्षा वर्तमान समय की एक महत्तम आवश्यकता है स्पष्ट कीजिए। 


उत्तर पर्यावरण शिक्षा को समझने के लिए पर्यावरण का अर्थ समझना आवश्यक है पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है। 


टायसन के अनुसार पर्यावरण ही शिक्षक और शिक्षा का कार्य से पर्यावरण के अनुकूल बनाता है। 


पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता एवं महत्व


प्रसिद्ध रसायन वैज्ञानिक डॉक्टर सत्य प्रकाश के अनुसार प्राकृतिक हमारी देवी है उसके प्रदूषित होने से मन और बौद्धिक चिंतन भी प्रदूषित होता है हमें अपने हितों की रक्षा के लिए पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए इस विचार से भी पर्यावरण शिक्षा आज की विद्यालय व विश्वविद्यालय शिक्षा के प्रमुख स्थान पर रही है इसके लिए विशिष्ट पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं साथ ही साथ इस के लिए अनौपचारिक बार दूरस्थ शिक्षा का भी सहयोग लिया जा रहा है। इसकी आवश्यकता प्रत्येक आयु वर्ग के लोगों को लिए है। 


पर्यावरण शिक्षा बच्चों के लिए आवश्यक है। जिससे उन्हें बढ़ते हुए प्रदूषण से मानवीय विकास व भौतिक पर्यावरण के प्रभावित होने की जानकारी मिल सके उनमें पर्यावरण के प्रति सकारात्मक और  वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास हो सके तथा उनके चेतना व अभिरुचि विकसित हो सके युवाओं के लिए पर्यावरण शिक्षा आवश्यक है, जिससे उन्हें औद्योगिकीकरण से उत्पन्न उपभोग वाद एवं उसके परिणाम स्वरुप यकृत के अनवरत दोहन से समस्याओं के प्रति जागरूक करके समाज का उत्तरदायित्व सदस्य बनाया जा सके उन्हें ज्ञात हो सके कि तकनीकी विकास के कारण व्यक्ति का जीवन प्रभावित होता है। और आरती पर या बड़ी पूंजी की कमी बेरोजगारी व आय की असमानता से प्रभावित होता है। जिस गति से जीव वैज्ञानिक रूप से समृद्ध भारत की अनेक जीव व वनस्पति की जातियां समाप्त प्रयाग दुर्बल हो रही है इसका ज्ञान युवाओं को आवश्यक है। तथा साथ ही साथ अवश्य के परिस्थितिकी मित्रों की पहचान जो युवाओं में पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं युवाओं को पर्यावरण के संबंध में सूचित करना इसलिए आवश्यक है। कि वे अपने योगदान विभाग द्वारा पारिस्थितिकी संकट व पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करते हैं। समाज के द्वारा पर्यावरण शिक्षा देने की आवश्यकता है। जिसमें उनमें पर्यावरण संरक्षण के प्रति सकारात्मक अभिवृत्ति का विकास किया जा सके अतः पर्यावरण सुधार हेतु शैक्षिक कार्यक्रम चलाने व पर्यावरण प्रदूषण से संबंधित प्रश्नों पर परिचर्चा व संगोष्ठी करना व कार्यशाला आयोजित करना भी पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता को बताता है। 



प्रश्न दूसरा पर्यावरण प्रदूषण कितने प्रकार का होता है। इसके कारण बताइए


अथवा


पर्यावरण प्रदूषण से आपका क्या अभिप्राय है इसके कितने प्रकार हैं उन में से किन्ही दो को विस्तार से समझाइए। 


उत्तर मनुष्य प्रकृति के साथ छेड़खानी करता है तब उसमें असंतुलन उत्पन्न होता है। जिसका प्रभाव मानव जीवन पर बुरा पड़ता है। इसके लिए हम स्वयं उत्तरदाई हैं। जाने अनजाने में ऐसे त्रुटियां हो रही है। जिसके कारण पर्यावरण में प्रदूषण उत्पन्न हो रहा है मानो निश्चित रूप से विकास की ओर अग्रसर है। लेकिन प्रकृति को प्रदूषित करके आज तक जो वायु जल ऑन हमें जीवन देते थे वही मृत्यु के कारण बनते जा रहे हैं। यह कैसा विकास है। जिसमें पर्यावरण की स्वच्छता समाप्त हो जाए जलवायु साथ बन जाए जो विज्ञान की उपलब्धियां कौन सा वरदान सिद्ध होगी जब जीवन ही नहीं रहेगा तो किस का जीवन स्तर ऊंचा उठेगा इन बातों पर आज के परिवेश में गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। प्रदूषण वायु जल एवं रासायनिक एवं भौतिक ,जैविक विशेषताओं का वह परिवर्तन है, जो मनुष्य और उसके लिए लाभदायक दूसरे जंतुओं में पौधों और योगी संस्थानों तथा दूसरे कच्चे माल इत्यादि को किसी भी रूप में हानि पहुंचाता है। 


पर्यावरण प्रदूषण के अनेक कारण हो सकते हैं जैसे

निरंतर बढ़ती जनसंख्या। 


1.औद्योगिकीकरण एवं नगरीकरण


2.जल प्रदूषण तथा वायु प्रदूषण


3.पर्यावरण में बढ़ती हुई रेडियोधर्मिता


4.रसायनिक उर्वरकों तथा की कीटनाशक दवाओं का अधिक उपयोग। 


पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार


वायु प्रदूषण - मनुष्य के जीवन के लिए शुद्ध वायु आवश्यक है। प्रत्येक सांस में हम ऑक्सीजन लेते हैं ,जो हमें जीवित रखती है लेकिन दुर्भाग्य से जिस वायु को हम शरीर के अंदर सांस द्वारा ले जाते हैं। वह भी दूर से तो हो चुकी है इसका कारण वाहनों से निकलने वाला धुआं कोयले से निकलने वाला धुआं फैक्ट्रियों से निकलने वाला दूंगा तो तक कीटनाशक दवाइयों की इकाइयों से निकलने वाला धुआं है। इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार वैज्ञानिक परीक्षणों से उठने वाले धुएं से वायु प्रदूषित होती है। इस प्रकार के बाद आवरण में वायु में कार्बन हाइड्रोजन नाइट्रोजन आदि विषैली गैस से मिल चुकी है। जिसके वकार वायुमंडल दूषित हो चुका है इसके कारण फेफड़ों से संबंधित रोग सांस के रोग कैंसर आदि घातक बीमारियां फैल रही हैं जिससे मानव जीवन की भयानक खतरा उत्पन्न हो चुका है। 


जल प्रदूषण मनुष्य के जीवन के लिए दूसरा महत्वपूर्ण तत्व जल है। मानव शरीर में जल की मात्रा बहुत अधिक होती है। मनुष्य शरीर की प्यास बुझाने के लिए पानी पीता है लेकिन पानी भी शुद्ध नहीं रह गया है। जिसके कारण बहुत सी बीमारियां उत्पन्न होते हैं ,जल में आवश्यकता के अधिक खनिज लवण कार्बनिक अकार्बनिक पदार्थ हमले से निकला कचरा मल मूत्र मरे हुए जीव जंतु कूड़ा करकट सीवर का गंदा पानी आदि नदियों में विसर्जित हो रहा है। जिसके कारण पानी हो चुका है। इससे पेट संबंधी बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं सबसे अधिक जल प्रदूषण उत्पन्न होते हैं। 


ध्वनि प्रदूषण मनुष्य के जीवन के लिए तथा उसे सामान्य स्थिति में रहने के लिए 40 से 50 डेसीबल ध्वनि चाहिए। इससे अधिक ध्वनि उसके स्वास्थ्य के लिए घातक होती है, लेकिन आज महानगरों के सर्वेक्षण की जो रिपोर्ट आई है। वह बड़े खतरे की चेतावनी दे रही है। दिल्ली महानगर में दिन में ध्वनि की मात्रा 90 डेसीबल से अधिक है। अन्य महानगरों कोलकाता मुंबई चेन्नई का भी यही दशा है। इसका कारण फैक्ट्री से होने वाला ध्वनि भानु की ध्वनि लॉउट्स  स्पीकर ओं की  ध्वनि टेप रिकॉर्डर नो की दुनिया है। इससे रक्तचाप बढ़ता है। हृदय रोग तथा हृदयाघात हार्ड अटैक की संभावना हो जाती है। 



रेडियो धार्मिकता प्रदूषण - देश में आज केंद्र स्थापित हो रहे हैं। विद्युत उत्पादन में इसका प्रयोग बढ़ रहा है। इससे निकलने वाली अल्फा बीटा तथा गांव माकड़ में बहुत ही खतरनाक होते हैं। यह शरीर की कोशिकाओं को नष्ट कर देते हैं। तथा मनुष्य की क्षमता भी घटा देती हैं। इनके द्वारा जींस की विशेषताएं भी बदलते हैं। जिससे विकलांग बच्चों का जन्म होता है रेडियोधर्मी प्रदूषण का प्रभाव पड़ता है। 




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WRITER BY- ROShANI KUSHWaH









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