CG Board Assignment- 06 class-12th Hindi Full Paper solution January 2022
छत्तीसगढ़ बोर्ड असाइनमेंट- 06 हिंदी सम्पूर्ण पेपर सलूशन जनवरी 2022
CG Board Assignment -06 Class-12th Hindi Paper Full Solution
छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल, रायपुर
शैक्षणिक- सत्र 2021- 22 माह जनवरी
असाइनमेंट- 6
कक्षा -बारहवीं
विषय -हिंदी
पूर्णांक -20
निर्देश -दिए गए सभी प्रश्नों को निर्देश अनुसार हल कीजिए।
प्रश्न -1 रस का अक्षय पात्र, से कवि ने रचना कर्म की किन विशेषताओं की ओर इंगित किया है। ,छोटा मेरा खेत, कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - रस का अक्षय पत्र से कवि ने रचना कर्म की किन विशेषताओं की ओर इंगित किया है?
रस का अक्षय पात्र एक ऐसा पात्र जिसका रस कवि समाप्त ना होता हो। कभी नष्ट ना होने वाला रास अक्षय पात्र कभी खाली नहीं होता। रस जितना बंटा जाता है, उतना ही भरता है। कविता का रस चिरकाल तक आनंद देता है। यह रचनाकार्य की श्रद्धातता को दर्शाता है
इस कथन के माध्यम से कवि ने रचना कर्म की किन विशेषताओं की ओर इंगित किया है-
- साहित्य रचना का रस रस होता है।
-साहित्य का रस कभी झुकता नहीं है अर्थात समाप्त नहीं होता।
-साहित्य का रस- धारा असंख्य पाठकों को र रसानुभूति करती रहती है कम ना होकर बढ़ती है।
-उत्तम साहित्य कालजई होता है।
प्रश्न 2- सिंधु सभ्यता साधन संपन्न थी, पर उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था? कैसे समझा कर लिखिए।
उत्तर -इस लेख के आधार पर हम कह सकते हैं। सिंधु सभ्यता साधन संपन्न थे पर उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था इस बात के पीछे ठोस कारण है। मोहन जोदड़ो शहर का व्यवस्थित ढांचा और मकानों की बनावट आदि से पहली नजर में है बात सामने आ जाती है वहां की सड़कों की बनावट सीधी सादी थी।सड़के उचित रूप से चौड़ी और साथी मकान की बनावट बहुत ही भव्य नहीं थी। अधिकांश मकानों पर सामूहिक अधिकार था ,स्नानागार, पूजा स्थल, सामुदायिक भवनों आदि के आधार पर यह बात प्रमाणित होती है ,ताबे का उपयोग कपास का उपयोग खेती करने का प्रमाण दूसरे देशों से व्यापार आदि के माध्यम से हमें पता चलता है ,कि यह सभ्यता हर तरह से साधन संपन्न थी। हड़प्पा संस्कृत में भव्य राज्य परिषद या मंदिर जैसी चीजें नहीं मिलती हैं इसी के साथ वहां ना तो राजाओं से जुड़े कोई भव्य चिन्ह मिलते हैं। इसी के साथ वहां ना तो राजाओं से जुड़े कोई भव्य चिन्ह में मिलते हैं, और ना संतो महात्माओं की समाधिया। वहां मकान है तो उचित रूप में। अगर मूर्ति शिल्प है तो छोटे-छोटे इसी प्रकार औजार भी होते ही हैं। लेखक इन्हीं बातों के आधार पर कहता है कि मोहन जोदड़ो सिंधु सभ्यता का सबसे बड़ा शहर ही नहीं था बल्कि उसे साधनों और व्यवस्थाओं को देखते हुए सबसे स्मृद्धि माना गया है फिर भी उसकी संपन्नता की बात कम हुई है तो शायद इसलिए कि इसमें भव्यता का आडंबर नहीं है।
प्रश्न 3- बुगलों के पंख कविता के सौंदर्य पर प्रकाश डालिए?
उत्तर- बुगलों के पंख - यह कविता सुंदर दृश्य युक्त कविता है जो प्रकृति के सुंदर दृश्यों को हमारी आंखों के सामने सजीव रूप में प्रस्तुत करते हैं। सौंदर्य का अपेक्षित प्रभाव उत्पन्न करने के लिए कवियों ने कई युक्तियां अपनाई है जिनमें से सर्वाधिक प्रचलित युक्ति है। सुंदर के चित्रात्मक वर्णन के साथ अपने मन पर पडने वाले उसके प्रभाव का वर्णन।
कवि काले बादलों से भरे आकाश में पंक्ति बनाकर उड़ते सफेद मुगलों को देखता है, वह कजरारे बादलों के ऊपर तैरते सांज की श्वेत काया के सामान प्रतीत होते हैं। नयनाभिराम दृश्य में कवि सब कुछ भूल कर उस में खो जाता है वह इस माया से अपने को बचाने की गुहार लगाता है लेकिन वह स्वयं को इस से नहीं बचा पाता।
प्रश्न 4 नगर निगम अधिकारियों को पत्र लिखिए कि आपके क्षेत्र में सड़कों पर बहुत सा पानी जमा है जिससे डेंगू फैलने का भय है।
उत्तर - दंगल निगम के स्वास्थ्य अधिकारी को अपने मोहल्ले
मैं गंदगी के विषय में पत्र
सेवा में,
मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी,
नगर निगम,
दिनांक:
विषय मोहल्ले में व्याप्त गंदगी के विषय
में
मान्यवर,
दुख के साथ कहना पड़ता है कि पिछले कुछ दिनों से हमारे मोहल्ले मैं चारों ओर गंदगी का साम्राज्य फैला हुआ है। जिसके कारण मोहल्ले वासियों का जीना दूभर हो गया है।
मोहल्ले में जहां-तहां सड़कों गलियों में फेंके गए कूड़े कचरे के ढेर पर पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है चारों ओर फैली गंदगी के कारण पूरे मोहल्ले में मक्खियों और मच्छरों का साम्राज्य फैला है जिससे डेंगू मलेरिया तरह की बीमारियों के फैलने का डर बना रहता है।
अतः आपसे नम्र निवेदन है कि हमारे मोहल्ले में जल्द से जल्द सफाई करवाई जाए, जिससे मोहल्ले के लोगों को नर्क का जीवन गुजारने से मुक्ति मिल सके।
धन्यवाद
प्रश्न 5- सिंधु सभ्यता का सौंदर्य बोध समाज पोषित था। अतीत में दबे पांव की आधार पर समझा कर लिखिए।
उत्तर- सिंधु सभ्यता के लोगों का कला या सुरुचि का महत्व अधिक था। यहां प्राप्त नगर नियोजन धातु व पत्थर की मूर्तियां मृदभांड उन पर चित्रित मनुष्य वनस्पति व पशु पक्षियों की छवियां सुनिनिर्मित ,मुहरे , खिलौने आभूषण तथा शुगर अक्षरो का लिपि रूप आदि सबकुछ इसे तकनीक सिद्ध से अधिक कला सिद्ध जाहिर करता है। यहां से कोई हथियार नहीं मिला इस बात को लेकर विद्वानों का मानना है कि यहां अनुशासन जरूर था परंतु सैन्य सभ्यता का नहीं। यहां पर धर्म तंत्र या राजतंत्र की ताकत का प्रदर्शन करने वाली वस्तुएं महल उपासना स्थल आदि नहीं मिलती। यहां आम आदमी के काम आने वाली चीजों को सलीके से बनाया गया है इन सारी चीजों से उसका सौंद्र बोध उभरता है इसी आधार पर कहा जाता है कि सिंधु सभ्यता का सौंदर्य बोध समाज पोषित था।
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