वैष्णो देवी यात्रा से संबंधित जानकारी। Vaishno Devi Mata Yatra information in Hindi
वैष्णो देवी यात्रा से संबंधित जानकारी के द्वारा माता वैष्णो देवी के स्थान से जुड़े तथ्य और वहां पहुंचने से संबंधित जानकारी बताने का प्रयास किया गया है। मान्यता है कि जम्मू कश्मीर राज्य के कटरा शहर में त्रिकूट पर्वत पर विराजमान देवी वैष्णो देवी सबकी मनोकामना पूरी करती हैं।माता के दरबार में जो भी भक्त सच्चे दिल से जाता है वह कभी खाली हाथ नहीं लौटता। कहा जाता है कि जिस किसी भी व्यक्ति को माता का बुलावा आता है वह किसी ना किसी बहाने से माता के दरबार पहुंच ही जाता है।
माता वैष्णो देवी को लेकर कई कथाएं प्रचलित है कहा जाता है कि माता ने कई बार अपने होने की प्रमाणिकता सिद्द की है।इनमें से एक कथा जो मुख्यता प्रचलित है,वह उनके भक्त श्रीधर को लेकर है कहा जाता है ,कि एक बार माता के भक्त श्रीधर ने माता के लिए भंडारा रखा उसमें उन्होंने भैरव तथा उसने शिष्यों को भी आमंत्रित किया परंतु भैरव तथा उनके शिष्यों ने भंडारे में मांसाहार खाने का हट किया, और श्रीधर के मना करने पर भैरव को क्रोध आ गया उस वक्त अपने भक्तों की रक्षा के लिए माता स्वयं कन्या का रूप लेकर भंडारे में आए तथा भैरव के साथ लड़ते-लड़ते माता त्रिकूट पर्वत पर चढ़ गई। उस वक्त माता की रक्षा के लिए हनुमान जी भी उनके साथ थे माता ने भैरो से लड़ने के लिए 9 महीने तक की तपस्या की तपस्या के वक्त माता ने हनुमान जी से कहा कि भैरव को अपने साथ व्यस्त रखें इसी तरह 9 महीने तक माता ने एक गुफा में रहकर तपस्या की थी इस गुफा को अर्ध कुमारी के नाम से जाना जाता है।
इस गुफा की गर्भाजून के नाम से भी जाना जाता है।आज भी यहां माता के चरणों के चिह्न विद्यमान है ।जब 9 महीने बाद माता गुफा से बाहर आए तथा भैरव के साथ युद्ध करके उन्हें हरा दिया। परंतु वह रोके माफी मांगने पर माता ने उन्हें अपने से ऊंचा स्थान दिया तथा यह वरदान भी दिया कि जो भी व्यक्ति माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए जाएगा भैरव के दर्शन के बिना उसकी यात्रा पूरी नहीं होगी कहा यह भी जाता है। कि इस त्रिकूट पर्वत पर हनुमान जी को प्यास लगने पर माता ने धनुष मारकर एक जल धारा प्रवाहित की थी। तथा इसी धारा में माता ने अपने केस धोए थे यह जलधारा बाणगंगा नाम से जानी जाती है।वैष्णो देवी की यात्रा के समय इस बार गंगा में स्नान का भी अपना अलग महत्व है कहा जाता है कि माता के दर्शन के बाद इस जलधारा में स्नान करने पर व्यक्ति को थकान महसूस नहीं होती।
माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए जो भी जाता उसने यह देखा होगा कि वहां माता पिंडी रूप में विद्वान है। माता वैष्णो देवी के रूप में माता की तीन पींडिया विद्यमान है। कहा जाता है कि इन तीन पिंडिया में दाएं में काली मां, बीच में सरस्वती मां तथा मध्य में लक्ष्मी मां विद्यमान है। यह तीनों देवियां मिलकर ही मां वैष्णो देवी के दर्शन होते हैं।
हमारे आर्टिकल वैष्णो देवी यात्रा डीटेल्स इन हिंदी में मंदिर में पहुंचाने से संबंधित सारी जानकारी दी गई है।
मां वैष्णो देवी दरबार तक कैसे पहुंचे:
वैष्णो देवी दर्शन के लिए प्रमुख पढाव जम्मू है ।आप अपने निवास से जम्मू तक ट्रेन बस टैक्सी और हवाई जहाज जिससे चाहे पहुंच सकते हैं। जम्मू में ब्रांड गैज होने के कारण यहां तक कई ट्रेन जाती है। तथा गर्मी में दर्शन करने वाले यात्रियों की संख्या ज्यादा होने के कारण कई स्पेशल ट्रेनें भी यहां के लिए चलाई जाती है
ताकि दर्शनार्थियों को कोई तकलीफ ना हो क्योंकि जम्मू राजमार्ग पर स्थित है। तो यहां तक अगर आप चाहे तो कार्य टैक्सी में से भी पहुंच सकते हैं जम्मू के लिए किसी भी शहर से आसानी से टैक्सी मिल जाती है।
वैष्णो देवी यात्रा की शुरुआत:
वैष्णो देवी यात्रा की शुरुआत कटरा से होती है।अधिकतर लोग कटरा में विश्राम करके अपनी यात्रा की शुरुआत करते हैं। माता के दर्शन के लिए यात्री 24 घंटे में कभी भी चढ़ाई स्टार्ट कर सकते हैं।कटरा में ही यात्री अपनी यात्रा की शुरुआत के पहले दर्शन के लिए मुफ्त पर्ची प्राप्त कर सकते हैं। परंतु पर्ची कटवाने के 6 घंटे के अंदर यात्री को प्रथम चेक-इन पॉइंट पर अपनी एंट्री करनी पड़ती है यह प्रथम check in point बाणगंगा पर स्थित है।
कटरा से 14 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई के बाद माता के दर्शन प्राप्त होते हैं। तथा यहां से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर भैरव का मंदिर है। यात्री अगर चाहे तो अपनी यात्रा घोड़े पालकी या हेलीकॉप्टर से भी कर सकता है। कुछ समय पहले तक हेलीकॉप्टर की बुकिंग कर पहले से करनी पड़ती है।परंतु अब यात्रा तुरंत भी दूसरे दिन की बुकिंग प्राप्त कर सकता है। तथा अपनी यात्रा तुरंत कर सकते हैं कटरा से वैष्णो देवी के लिए घोड़े का अधिकतम किराया ₹900 पालकी का किराया ₹500 तथा हेलीकॉप्टर का किराया ₹1039 रुपए है।
यात्रा के समय यात्री यह ध्यान रखें कि वह अर्धकुमारी के दर्शन करना चाहते हैं तो उन्हें चढ़ाई चढ़ते वक्त ही अर्धक्वांरी पर अपना नंबर लगा देना चाहिए ताकि उतरते वक्त अर्धकुमारी में दर्शन तुरंत हो जाए और उन्हें इंतजार ना करना पड़े।
अगर आप अपनी यात्रा पैदल कर रहे हैं तो यह ध्यान रखें कि आप अर्धक्वांरी से अपना रास्ता बदल लेते हैं तो आप अपनी पैदल चलने की दूरी कम करके कम समय में माता के दरबार तक पहुंच सकते हैं। जब आप अपनी पढ़ाई पूरी कर लेते हैं तो आपको लास्ट चेक इन काउंटर पर अपने स्लिप पर सील लगवानी पड़ती है तथा यह सील लगी हुई स्लिप दिखाकर ही माता के दर्शन कर सकते हैं।
कटरा में भक्तों की रुकने की व्यवस्था:
कटरा में भक्तों के रुकने के लिए वैष्णो देवी ट्रस्ट की धर्मशालाएं तथा कई होटल है।इन धर्मशाला या होटल में चढ़ाई के पहले तथा बाद में यात्री विश्राम कर सकता है। परंतु असुविधा से बचने के लिए यात्री को अपनी बुकिंग पहले से ही ऑनलाइन करा लेनी चाहिए यात्री चाहे तो प्राइवेट होटल्स में भी रुक सकता है।
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