UP Board Class 12 Hindi Model Paper 2023 download PDF / यूपी बोर्ड कक्षा 12 हिंदी मॉडल पेपर
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class 12th hindi model paper 2023 up board / यूपी बोर्ड कक्षा 12 हिंदी मॉडल पेपर
प्री बोर्ड परीक्षा 2022-23
विषय- सामान्य हिन्दी
कक्षा- 12
समय-3 घण्टे पूर्णांक - 100
नोट :- (1) सभी प्रश्नों को निर्देशानुसार हल कीजिए। (2) सभी प्रश्नों के निर्धारित अंक उनके सम्मुख निर्दिष्ट हैं।
खण्ड (क)
प्रश्न 1. निम्न प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर अपनी उत्तर-पुस्तिका पर लिखिए- 1x5=5
(क) वारिस कहानी-संग्रह है-
अ) कल्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' का
ब) प्रो० जी० सुन्दर रेड्डी का
स) मोहन राकेश का
द) अज्ञेय का
उत्तर- स) मोहन राकेश का
(ख) 'पुनर्नवा ' कृति की विधा है-
अ) नाटक
ब) आत्मकथा
स) निबन्ध
द) उपन्यास
उत्तर- द) उपन्यास
(ग) प्रेमचन्द्र का उपन्यास है-
अ) चन्द्रकान्ता
ब) गोदान
स) परीक्षा गुरू
द) नौका डूबी
उत्तर- ब) गोदान
(घ) 'राबर्ट नर्सिंग होम में 'की रचना विधा है-
अ) कहानी
ब) नाटक
स) रेखाचित्र
द) रिपोर्ताज
उत्तर- द) रिपोर्ताज
(ड़) 'ब्राम्हण' पत्र के सम्पादक है-
अ) बालकृष्ण भट्ट
ब) प्रतापनारायण मिश्र
स) किशोरीलाल गोस्वामी
द) राधाचरण गोस्वामी
उत्तर- ब) प्रतापनारायण मिश्र
प्रश्न 2. (क) सन्धिनी गीत संग्रह है- 1x5=5
अ) पन्त का
ब) निराला का
स) प्रसाद का
द) महादेवी वर्मा का
उत्तर-द) महादेवी वर्मा का
(ख) रसमंजरी के रचनाकार है-
अ) कुम्भनदास
ब) अग्रदास
स) नन्ददास
द) हृदयरास
उत्तर-स) नन्ददास
(ग) प्रेमचन्द की अध्यक्षता में 'प्रगतिशील लेखक संघ' की स्थापना हुई-
अ) सन् 1933 में
ब) सन् 1934 में
स) सन् 1935 में
द) सन् 1936 में
उत्तर- द) सन् 1936 में
(घ) रीतिकाल का अन्य नाम है-
अ) स्वर्णकाल
ब) उद्भवकाल
स) श्रंगारकाल
द) संक्रान्तिकाल
उत्तर- स) श्रंगारकाल
(ड.) 'कीर्तिलता' के रचनाकार है-
अ) शारंगधर
ब) दलपति
स) जगनिक
द) विद्यापति
उत्तर- द) विद्यापति
प्रश्न 3. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 5x2=10
(क) यदि यह नवीनीकरण सिर्फ कुछ पंण्डितो की व आचार्यो की दिमागी कसरत ही बनी रहे तो भाषा गतिशील नहीं होती ।भाषा का सीधा सम्बन्ध प्रयोग से है और जनता से है। यदि नए शब्द अपने उद्गम स्थान में ही अड़े रहे और कहीं भी उनका प्रयोग किया नहीं जाए तो उसके पीछे से उद्देश्य पर ही कुठारा घात होगा।
(अ) पाठ का शीर्षक व लेखक का नाम लिखिए।
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(स) भाषा का सीधा सम्बन्ध किससे है ?
(द) नए शब्दों के प्रयोग न किए जाने पर परिणाम होगा?
(य) 'कुठाराघात' का क्या आशय है?
(अथवा)
(ख) पृथ्वी और आकाश के अन्तराल में जो कुछ भी सामग्री भरी है। पृथ्वी के चारों ओर फैले हुए गंभीर सागर में जो जलचर एवं रत्नों की राशियों है उन सब के प्रति चेतना और स्वागत नए भाव में राष्ट्र में फैलने चाहिए। राष्ट्र के नव युवकों के हृदय में उन सब के प्रति जिज्ञासा की नयी किरणें जब तक नहीं फूटती तब तक हम सोये हुए के सामान है।
अ) इस गद्यांश के पाठ व लेखक का नाम लिखिए।
ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
स) पृथ्वी के चारों ओर क्या फैला हुआ है? उसमें क्या-क्या मिलता है?
द) नवयुवकों के हृदय में उनके प्रति क्या-क्या भाव होने चाहिए?
य) हमारे युवक कब तक सोये हुए से है ?
प्रश्न 4. निम्न पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उसके नीचे लिखें प्रश्नों के उत्तर दीजिए- 2x5=10
यह सच है तो अब लौट चलो तुम घर करो,
चौकें सब सुनकर अटल कैकयी के स्वर को।
सबने रानी की ओर अचानक देखा,
वैधव्य - तुषाशवृता यथा विघु लेखा ।।
बैठी थी अचल तथापि असंख्यतरंगा,
वह सिहीं अब भी हहा! गोमुखी गंगा।
क) प्रस्तुत पद्यांश के पाठ और कवि का नाम लिखिए।
ख) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
ग) यह सच है तो अब लौट चलो तुम घर को यह कथन किसका है?
घ) कैकयी कौन थीं? उसकी ओर अचानक सबने क्यों देखा ?
ड़) विधवा कैकयी कैसी प्रतीत हो रही थी?
(अथवा )
शक्तिके विद्युत्कण जो व्यस्त विकल बिखरे हो, हैनिरूपाय ।समन्वय उसका करे समस्त विजयिनी मानवता हो जाए।
क) प्रस्तुत पद्यांश के पाठ व कवि का नाम लिखिए।
ख) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
ग) शक्ति के विद्युत्कणों का क्या हुआ ?
घ) निरूपाय कौन है?
ड़) मानवता को विजयिनी बनाने हेतु क्या किया जाए?
प्रश्न 5. (क) निम्नलिखित में से किसी एक लेखक का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए। लिखिए। 3+2=5
अ) वासुदेव शरण अग्रवाल
उत्तर - वासुदेव शरण अग्रवाल का जीवन परिचय
जन्म - सन 1904 ईस्वी में
मृत्यु - सन 1967 ईस्वी में
जन्मस्थान - मेरठ जनपद के खेड़ा ग्राम में
जीवन परिचय - डॉ. अग्रवाल का जन्म सन 1904 ईस्वी में मेरठ जनपद के खेड़ा ग्राम में हुआ था. इनके माता- पिता लखनऊ में रहते थे; अतः इनका बचपन लखनऊ में व्यतीत हुआ और यहीं इनकी प्रारम्भिक शिक्षा भी हुई. इन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से एम. ए. तथा लखनऊ विश्वविद्यालय से 'पाणिनिकालीन भारत' नामक शोध- प्रबन्ध पर डी. लिट्. की उपाधि प्राप्त की. डॉ. अग्रवाल ने पाली, संस्कृत एवं अंग्रेजी भाषाओँ; भारतीय संस्कृति और पुरातत्व का गहन अध्ययन करके उच्चकोटि के विद्वान के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त की और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में ' पुरातत्व एवं प्राचीन इतिहास विभाग' के अध्यक्ष और बाद में आचार्य पद को सुशोभित किया. डॉ. अग्रवाल ने लखनऊ तथा मथुरा के पुरातत्व संग्रहालयों में निरीक्षक पद पर, केन्द्रीय सरकार के पुरातत्व विभाग में संचालक पद पर तथा दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में अध्यक्ष तथा आचार्य पद पर भी कार्य किया. भारतीय संस्कृति और पुरातत्व का यह महान पण्डित एवं साहित्यकार सन 1967 ईस्वी में परलोक सिधार गया.
साहित्यिक योगदान - डॉ. अग्रवाल भारतीय संस्कृति, पुरातत्व और प्राचीन इतिहास के प्रकाण्ड पण्डित एवं अन्वेषक थे. इनके मन में भारतीय संस्कृति को वैज्ञानिक अनुसन्धान की दृष्टि से प्रकाश में लाने की उत्कृष्ट इच्छा थी. अतः इन्होंने उत्कृष्ट कोटि के अनुसन्धानात्मक निबन्धों की रचना की. इनके अधिकांश निबन्ध प्राचीन भारतीय इतिहास और संस्कृति से सम्बद्ध है. इन्होंने अपने निबन्धों में प्रागैतिहासिक, वैदिक एवं पौराणिक धर्म का उद्घाटन किया. निबन्ध के अतिरिक्त इन्होंने पालि, प्राकृत और संस्कृत के अनेक ग्रन्थों का सम्पादन और पाठ- शोधन का कार्य किया. जायसी के 'पद्मावत' पर इनकी टीका सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है. इन्होंने बाणभट्ट के 'हर्षचरित' का सांस्कृतिक अध्ययन प्रस्तुत किया और प्राचीन महापुरुषों - श्रीकृष्ण, वाल्मीकि, मनु आदि का आधुनिक दृष्टि से बुद्धिसम्मत चरित्र प्रस्तुत किया. हिन्दी- साहित्य के इतिहास में अपनी मौलिकता, विचारशीलता और विद्व्ता के लिए ये चिरस्मरणीय रहेंगे.
कृतियाँ- डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल ने निबन्ध, शोध एवं सम्पादन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया. इनकी प्रमुख रचनाओं का विवरण निम्नवत है-
1. निबन्ध - संग्रह - ' पृथिवी - पुत्र', 'कल्पलता', 'कला और संस्कृति', 'कल्पवृक्ष', 'भारत की एकता' ,'माता भूमि: पुत्रोहं पृथिव्या:', 'वाग्धारा' आदि इनके प्रसिद्ध निबन्ध- संग्रह हैं.
2. शोध- प्रबन्ध- 'पाणिनिकालीन भारतवर्ष'.
3. आलोचना- ग्रन्थ - 'पद्मावत की संजीवनी व्याख्या' तथा 'हर्षचरित का सांस्कृतिक अध्ययन'.
4. सम्पादन - पालि, प्राकृत और संस्कृत के एकाधिक ग्रन्थों का.
साहित्य में स्थान - भारतीय संस्कृति और पुरातत्व के विद्वान डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल का निबन्ध- साहित्य अत्यधिक संमृद्ध है. पुरातत्व और अनुसन्धान के क्षेत्र में उनकी समता कोई नहीं कर सकता. विचार - प्रधान निबन्धों के क्षेत्र में तो इनका योगदान सर्वथा अविस्मरणीय है. निश्चय ही हिन्दी साहित्य में इनका मूर्धन्य स्थान है.
ब) प्रो० जी० सुन्दर रेड्डी
(ख) निम्नलिखित में से किसी एक कवि का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए।3+2=5
अ) मैथिलीशरण गुप्त
ब) जयशंकर प्रसाद
उत्तर- जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय-
जीवन परिचय:- जयशंकर प्रसाद बहुमुखी प्रतिभा के धनी साहित्यकार थे। उनका जन्म 1890 ईसवी में काशी के 'सुंघनी साहू' नामक प्रसिद्ध वैश्य परिवार में हुआ था। उनके यहां तंबाकू का व्यापार होता था। उनके पिता देवी प्रसाद और पितामह शिवरत्न साहू थे। इनके पितामह परम शिवभक्त और दयालु थे। उनके पिता भी अत्यधिक उदार और साहित्य प्रेमी थे। प्रसाद जी का बचपन सुखमय था। बाल्यकाल में ही उन्होंने अपनी माता के साथ धारा क्षेत्र, ओंकारेश्वर, पुष्कर, उज्जैन और ब्रज आदि तीर्थों की यात्राएं की। यात्रा से लौटने के बाद पहले उनके पिता का और फिर 4 वर्ष पश्चात उनकी माता का निधन हो गया।
प्रसाद जी की शिक्षा दीक्षा और पालन-पोषण का प्रबंध उनके बड़े भाई संभू रत्न ने किया और क्वींस कॉलेज में उनका नाम लिखवाया, किंतु उनका मन वहां न लगा। उन्होंने अंग्रेजी और संस्कृत का अध्ययन स्वाध्याय से घर पर ही प्राप्त किया। उनमें बचपन से ही साहित्यानुराग था। वे साहित्यिक पुस्तकें पढ़ते और काव्य रचना करते रहे। पहले तो उनके भाई उनकी काव्य रचना में बाधा डालते रहे, परंतु जब उन्होंने देखा कि प्रसाद जी का मन काव्य रचना में अधिक लगता है, तब उन्होंने इसकी पूरी स्वतंत्रता उन्हें दे दी।
प्रसाद जी स्वतंत्र रूप से काव्य रचना के मार्ग पर बढ़ने लगे। इसी बीच उनके बड़े भाई शंभूरत्न जी का निधन हो जाने से घर की स्थिति खराब हो गई। व्यापार भी नष्ट हो गया। पैतृक संपत्ति बेचने से कर्ज से मुक्ति तो मिली, पर वे क्षय रोग का शिकार होकर मात्र 47 वर्ष की आयु में 15 नवंबर, 1937 को इस संसार से विदा हो गए।
रचनाएं:- जयशंकर प्रसाद हिंदी साहित्य के स्वनाम धन्य रत्न हैं। उन्होंने काव्य, कहानी, उपन्यास, नाटक आदि सभी विधाओं पर अपनी लेखनी चलाई है।
'कामायनी' जैसे विश्वस्तरीय महाकाव्य की रचना करके प्रसाद जी ने हिंदी साहित्य को अमर कर दिया। कहानी और उपन्यास के क्षेत्र में भी उन्होंने कई अद्वितीय रचनाओं का सृजन किया। नाटक के क्षेत्र में उनके अभिनव योगदान के फल स्वरुप नाटक विधा में 'प्रसाद युग' का सूत्रपात हुआ। विषय वस्तु एवं शिल्प की दृष्टि से उन्होंने नाटकों को नवीन दिशा दी। भारतीय संस्कृति, राष्ट्रीय भावना, भारत के अतीत कालीन गौरव आदि पर आधारित 'चंद्रगुप्त', 'स्कंद गुप्त', 'ध्रुवस्वामिनी' जैसे प्रसाद रचित नाटक विश्व स्तर के साहित्य में अपना बेजोड़ स्थान रखते हैं। काव्य के क्षेत्र में वे छायावादी काव्य धारा के प्रवर्तक कवि थे।
उनकी प्रमुख कृतियां निम्नलिखित हैं-
काव्य- आंसू, कामायनी, चित्राधार, लहर और झरना।
कहानी- आंधी, इंद्रजाल, छाया, प्रतिध्वनि आदि।
उपन्यास- तितली, कंकाल और इरावती।
नाटक- सज्जन, कल्याणी-परिणय, चंद्रगुप्त, स्कंद गुप्त, अजातशत्रु, प्रायश्चित, जन्मेजय का नाग यज्ञ, विशाखा और ध्रुवस्वामिनी आदि।
निबंध- काव्य कला एवं अन्य निबंध।
भाषा शैली- प्रसाद जी की भाषा में संस्कृत के तत्सम शब्दों की बहुलता है। भावमयता उनकी भाषा की प्रमुख विशेषता है। इनकी भाषा में मुहावरों, लोकोक्तियों तथा विदेशी शब्दों का प्रयोग ना के बराबर हुआ है। प्रसाद जी ने विचारात्मक, चित्रात्मक, भावात्मक, अनुसंधानात्मक तथा इतिवृत्तात्मक शैली का प्रयोग किया है।
हिंदी साहित्य में स्थान- युग प्रवर्तक साहित्यकार जयशंकर प्रसाद ने गद्य और काव्य दोनों ही विधाओं में रचना करके हिंदी साहित्य को अत्यंत समृद्ध किया है। 'कामायनी' महाकाव्य उनकी कालजयी कृति है, जो आधुनिक काल की सर्वश्रेष्ठ रचना कही जा सकती है।
अपनी अनुभूति और गहन चिंतन को उन्होंने साहित्य की विभिन्न विधाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया है। हिंदी साहित्य में जयशंकर प्रसाद का स्थान सर्वोपरि है।
प्रश्न 6. ध्रुवयात्रा अथवा 'पंचलाइट' कहानी का कथानक अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- 'पंचलाइट' की कथावस्तु या सारांश
'पंचलाइट' रेणु जी की आंचलिक कहानी है। कहानी में बिहार के एक पिछड़े गाँव के परिवेश का सुन्दर चित्रण प्रस्तुत किया गया है।
महतो टोली में अशिक्षित लोग हैं। उन्होंने रामनवमी के मेले से पेट्रोमेक्स खरीदा, जिसे वे 'पंचलैट' कहते हैं। 'पंचलाइट' को ये सीधे-सादे लोग सम्मान की चीज समझते हैं। पंचलाइट को देखने के लिए टोली के सभी बालक, औरतें और मर्द इकट्ठे हो जाते हैं। सरदार अपनी पत्नी को आदेश देता है कि शुभ कार्य को करने से पहले वह पूजा-पाठ का प्रबन्ध कर ले। सभी उत्साहित हैं, परन्तु समस्या उठती है कि 'पंचलैट' जलाएगा कौन? सीधे-सादे लोग पेट्रोमेक्स को जलाना भी नहीं जानते।
इस टोली में गोधन नाम का एक युवक है। वह गाँव की मुनरी नामक एक युवती से प्रेम करता है। मुनरी की माँ ने पंचों से गोधन की शिकायत की थी कि वह उसके घर के सामने से सिनेमा का गाना गाता हुआ निकलता है। इस कारण पंचों ने उसे बिरादरी से निकाल रखा है। मुनरी को पता है कि गोधन पंचलाइट जला सकता है। वह चतुराई से यह बात पंचों तक पहुँचा देती है। पंच गोधन को पुनः बिरादरी में ले लेते हैं। वह 'पंचलाइट' को जला देता है। मुनरी की माँ गुलरी काकी प्रसन्न होकर गोधन को शाम के भोजन का निमन्त्रण देती है। पंच भी अति उत्साहित होकर गोधन को कह देते हैं-"तुम्हारा सात खून माफ। खूब गाओ सलीमा का गाना।" पंचलाइट की रोशनी में लोग भजन-कीर्तन करते हैं तथा उत्सव मनाते हैं।
कहानी का कथानक सजीव है। सीधे-सादे अनपढ़ लोगों की संवेदनाओं को वाणी देने में रेणु जी समर्थ रहे हैं। इस कहानी में आंचलिक जीवन की सजीव झाँकी प्रस्तुत की गयी है।
पंचलाइट कहानी की समीक्षा, आलोचना विशेषताएं-
फणीश्वरनाथ रेणु जी हिन्दी जगत के सुप्रसिद्ध आंचलिक कथाकार हैं। अनेक जनआन्दोलनों से वे निकट से जुड़े रहे, इस कारण ग्रामीण अंचलों से उनका निकट का परिचय है। उन्होंने अपने पात्रों की कल्पना किसी कॉफी हाउस में बैठकर नहीं की, अपितु वे स्वयं अपने पात्रों के बीच रहे हैं। बिहार के अंचलों के सजीव चित्र इनकी कथाओं के अलंकार है। 'पंचलाइट' भी बिहार के आंचलिक परिवेश की कहानी है। कहानी कला की दृष्टि से इस कहानी की समीक्षा (विशेषताएं निम्नवत है
1. शीर्षक- कहानी का शीर्षक 'पंचलाइट'; एक सार्थक और कलात्मक शीर्षक है। यह शीर्षक संक्षिप्त और उत्सुकतापूर्ण है। शीर्षक को पढ़कर ही पाठक कहानी को पढ़ने के लिए उत्सुक हो जाता है। 'पंचलाइट' का अर्थ है 'पेट्रोमेक्स' अर्थात् 'गैस की लालटेन' शीर्षक ही कथा का केन्द्र बिन्दु है।
2. कथानक - महतो- टोली के सरपंच पेट्रोमेक्स खरीद लाये हैं, परन्तु इसे जलाने की विधि वहां कोई नहीं जानता। दूसरे टोले वाले इस बात का मजाक बनाते है। महतो टोले का एक व्यक्ति पंचलाइट जलाना जानता है। और वह है- 'गोधन' किन्तु वह बिरादरी से बहिष्कृत है। वह 'मुनरी' नाम की लड़की का प्रेमी है। उसकी ओर प्रेम की दृष्टि रखने और सिनेमा का गीत गाने के कारण ही पंच उसे बिरादरी से बहिष्कृत कर देते हैं। मुनरी इस बात की चर्चा करती है कि गोधन पंचलाइट जलाना जानता है। इस समय जाति की प्रतिष्ठा का प्रश्न है, अतः गोधन को पंचायत में बुलाया जाता है। वह पंचलाइट को स्पिरिट के अभाव में गरी के तेल से ही जला देता है। अब न केवल गोधन पर लगे सारे प्रतिबन्ध हट जाते हैं, वरन् उसे मनोनुकूल आचरण की भी छूट मिल जाती है। पंचलाइट की रोशनी में गाँव में उत्सव मनाया जाता है।
प्रस्तुत कहानी में कहानीकार ने यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि आवश्यकता किसी भी बुराई को अनदेखा कर देती है। कथानक संक्षिप्त, रोचक, सरल, मनोवैज्ञानिक, आंचलिक और यथार्थवादी है। कौतूहल और गतिशीलता के अलावा इसमें मुनरी तथा गोधन का प्रेम-प्रसंग बड़े स्वाभाविक ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
(अथवा )
'बहादुर' कहानी की कथावस्तु अपने शब्दों में लिखिए।
प्रश्न 7. स्वपठित खण्ड काव्य की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
(अथवा)
स्वपठित खण्डकाव्य के आधार पर नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
खण्ड 'ख'
प्रश्न 8. निम्नलिखित संस्कृत गद्यांशों में से किसी एक का संदर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए।
2+5=7
(क) महामना विद्वान वक्ता, धार्मिको नेता, पटुःपत्रकारश्चासीत्। परमस्य सर्वोच्चगुणः जनसेवैव आसीत् । यत्र कुत्रापि अयं जनान् दुःखितान् पीड्यमानाश्चपश्यत् तत्रैव सः शीघ्रमेव उपस्थितः सर्वविधं साहाम्यन्च अकरोत् ।प्राणिसेव अस्य स्वभाव खासीत्।
(अथवा )
महापुरूषाः लौकिक- प्रलोभनेषु बद्धाः नियतलक्ष्यान्न कदापि भ्रश्यन्ति ।देशसेवानुरक्तोऽयं युवा उच्चन्यायालयस्य उच्चन्यायालयस्य परिघौ स्यांतु नाशक्नोत् । पण्डित मोतीलाल नेहरू, लालालाजपतराय प्रभृतिभिः अन्यैः राष्ट्रनायकैः सह सोऽपि देशस्य स्वतन्त्रता संग्रामेऽवतीर्णः । देहल्यां त्रयोविशंतित में
कांग्रेसस्याधिवेशनेडयम् अध्यक्षपदमलंकृतवान् ।
(ख) निम्न संस्कृत पद्यांशों में से किसी एक की सन्दर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए। 2+5=7
परोक्षे कार्यहन्तारं प्रत्यक्षे प्रियवादिनम्।
वर्जयेत्तादृशं मित्रं विषकुम्भं पयोमुखम्।।
काव्य-शस्त्र-विनोदेन कालो गच्छति धीमताम् ।
व्यसनेन च मूर्खाणांम निद्रया कलहेन वा।।
(अथवा)
प्रश्न 9. निम्न मुहावरों और लोकोक्तियों में से किसी एक का अर्थ लिखकर अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए। 1+1=2
(क) खून सूख जाना ।
(ख) ठगा सा रहना ।
(ग) आँखे फेरना
(घ) दूर के ढोल सुहावने
प्रश्न 10. (क) निम्नलिखित शब्दों के सन्धि-विच्छेद के सही विकल्प का चयन कीजिए।
(अ) 'अद्यापि' का सन्धि-विच्छेद है-
1. आदि + अपि
2. आदि + आपि
3. अद्य + अपि
4. अद् + द्यापि
(ब) 'पवनः' का सन्धि विच्छेद है।
1. पव + नः
2. प + वनः
3. पो + अन
4. पौ + अन
(स) 'नाविकः ' का सन्धि विच्छेद है।
1. नाव + इकः
2. नौ + इकः
3. ना + विकः
4. न + आविकः
(ख) दिए गये निम्नलिखित शब्दों की 'विभक्ति' और वचन के अनुसार कीजिए। 2
(अ) 'नाम्ना' शब्द में विभक्ति और वचन है-
1. तृतीया विभक्ति, एकवचन
2. प्रथमा विभक्ति, द्विवचन
3. षष्ठी विभक्ति, वहुवचन
4. चतुर्थी विभक्ति ,एकवचन
(ब) 'आत्मनि' में विभक्ति और वचन बताइये-
1. द्वितीया एकवचन
2. तृतीया द्विवचन
3. सप्तमी एकवचन
4. पंचमी बहुवचन
प्रश्न 11. (क) निम्नलिखित शब्द युग्मों का सही अर्थ चुनकर लिखिए-2
अ) तरंग-तुरंग
1. घोड़ा और आनन्द
2. घोड़ा और लहर
3. लहर और घोड़ा
4. आनन्द और घोड़ा
ब) बात-वात
1. बातें और हवा
2. रोग और दवा
3. वायु और विकार
4. विचार और शिकार
(ख) निम्नलिखित शब्दों में से किसी एक शब्द के दो अर्थ लिखिए- 2
1. हेम
2. दाम
3. विभूति
(ग) निम्नलिखित में से किन्हीं एक वाक्यांश के लिए एक 'शब्द' का चयन करके लिखिए। 2
अ) सौ वर्ष का समय-
1. दशाब्दी
2. शताब्दी
3. आब्दी
4. सहस्त्राब्दी
ब) घृणा के योग्य-
1. घृणास्पद
2. घृणी
3. घृणित
4. निर्घृणी
(घ) निम्नलिखित में से किन्हीं दो वाक्यों
को शुद्ध करके लिखिए-2
1. वृक्षों पर कोयल बैठी है।
2. वह जल से स्नान कर रहा है।
3. वह कुर्सी में बैठा है।
4. मैने रो दिया।
प्रश्न 12. (क) वीर रस' अथवा 'करुण रस का स्थायी भाव के परिभाषा लिखिए। 2
(ख) 'रूपक' अथवा 'यमक अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए 2
(ग) 'दोहा' अथवा 'सोरठा' छन्द की परिभाषा एवं उदाहरण लिखिए।2
प्रश्न 13. अपना कुटीर उद्योग प्रारम्भ करने हेतु किसी बैंक के प्रबन्धक को ऋण प्रदान करने हेतु एक पत्र लिखिए।6
अथवा
बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध कराने हेतु आवेदन करिये।
प्रश्न 14. निम्न विषयों में से किसी एक विषय पर अपनी भाषा-शैली में निबन्ध लिखिए।9
1. दहेज प्रथाः अतीत और वर्तमान ।
2. विज्ञान के चमत्कार
3. वृक्षारोपण की उपयोगिता
4. जनसंख्या नियंत्रण
5. आतंकवाद : एक चुनौती
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