Class 9th hindi varshik paper 2023/ कक्षा 9वीं वार्षिक पेपर

Ticker

Class 9th hindi varshik paper 2023/ कक्षा 9वीं वार्षिक पेपर

Class 9th hindi varshik paper 2023/ कक्षा 9वीं वार्षिक पेपर





निर्देश :-


1. सभी प्रश्न हल करना अनिवार्य हैं।

2. प्रश्नों के लिए आवंटित अंक उनके सम्मुख अंकित है                                 

3. प्रश्न क्र. 1 से प्रश्न क्र. 5 तक वस्तुनिष्ठ प्रश्न है।

4. प्रश्न क्र. 6 से 23 तक प्रत्येक प्रश्न में आंतरिक

    विकल्प दिया गया है।


प्र. 1 सही विकल्प चुनिए।                      (1×6=6)


1. रसखान कहाँ जन्म लेना चाहतें हैं ?

    (अ) ब्रज भूमि में                 (ब) राजस्थान में

    (स) आयोध्या में                  (द) बुन्देल खण्ड


2. कबीर के अनुसार ईश्वर कहाँ रहता है ?

    (अ) मन्दिर में                (ब) हर प्राणी की श्वास में

    (स) मस्जिद में               (द) गुरूद्वारे में


3. वीर रस का स्थायी भाव हैं-

    (अ) उत्साह                   (ब) भय

    (स) क्रोध                      (द) रति


4. लेखिका मृदुला गर्ग की नानी के पति क्या थे ?

    (अ) जज                      (ब) बैरिस्टर

    (स) प्रोफेसर                  (द) मैनेजर


5. 'जगदीश' में कौन-सी सन्धि है । ?

    (अ) व्यंजन सन्धि           (ब) दिर्घ सन्धि

    (स) स्वर सन्धि              (द) विसर्ग सन्धि


6. 'रीढ़ की हड्डी' एकांकी किस समस्या पर आधारित है?

    (अ) राजनैतिक समस्या पर। (ब) विवाह समस्या पर

    (स) सम्प्रदायिक समस्या पर। (द) छात्र समस्या पर


प्र. 2 रिक्त स्थानों कि पूर्ति कीजिए -         (1×6=6 )


1. जिसके कारण स्थायी भाव जाग्रत हो वह……….. 

कहलाता है।

उत्तर- आलबंन 

2. 'पीपर पात सरिस मन डोला' में……… अलंकार हैं।

उत्तर- उपमा 

3. हिन्दी का प्रथम उपन्याय………. को माना गया है।

उत्तर- परीक्षागुरू

4. उमा ने……… की परीक्षा पास कर ली थी।

उत्तर- B.A

5. जूता………. . से हमेशा कीमती रहा है। 

उत्तर- टोपी

6. .... आए बड़े बन ठन के सँवर के ।

उत्तर- मेघ


प्रश्न. 3 सही जोड़ी बानइए-                        (1×6=6]


              (स)                                     (ब)

1. चारू - चन्द्र की चंचल किरणें  - अनुप्रास अलंकार

2. काव्य की आत्मा।                -  रस 

3. सालिम अली।                    - बर्ड वाचर

4. डाँडे।                               - तिब्बत

5. श्रीकृष्ण।                          - पिताम्बर

6. आदान।                            -  प्रदान


प्र.4 सत्य / असत्य लिखिए-।                  (1×6=6)


1. मेघ बन ठन के आये है । (सत्य)

2. समति अपने यजमानों में बहुत लोकप्रिय था । (सत्य)

3. कॉफी हाउस बन्द हो गया था। ‌‌               (सत्य)

4. श्रृंगार रस का स्थायी भाव हास है।          (असत्य)

5. प्रत्यय शब्द के पहले जुड़ते है ।  ‌‌            (असत्य)  

6. लेखिका मृदुला गर्ग की माँ परंपरागत बहू के दायित्वों को निभा नहीं पाती थी। (सत्य)



प्र.5 एक वाक्य में उत्तर लिखिए-             (1×6=6)


1. ज्ञान मार्गी भाक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि कोन है।

उत्तर- कबीरदास

2. रिपोर्ताज किस भाषा का शब्द है। 

उत्तर- फ्रेंच

3. 'सदाचार' का विलोम शब्द क्या है।

उत्तर- दुराचार 

4. उँचे कुल में जन्म लेकर क्या करना चाहिए।

उत्तर- अच्छे कर्म करने चाहिए।

5. कहानी के कितने तत्व माने गये है । 

उत्तर- छः

6. पर दादी ने आधा लोटा पानी किसे पिलाया।

उत्तर- चोख को


प्र. 6 ज्ञानमार्गी भक्ति शाखा की प्रमुख विशेषताऐं लिखिए ।

उत्तर- ज्ञानमार्गी भक्ति शाखा की प्रमुख विशेषताएं निम्न है -

(1) निराकार ब्रम्हा में विश्वास।

(1) गुरू के महत्व का बरवान।

(1) हिन्दु-मुस्लिम एकता पर बल।

                 ‌          अथवा 

     छाया वादी काव्य की दो विशेषताऐं लिखिएं ।


उत्तर-छायावादी काव्य की दो विशेषताए निम्न है -


(1) व्यक्तिवाद की प्रधानता।

(2) श्रृंगार की भावना।


प्र.7 कवि (सुमित्रानन्द पंत) ने गांव को 'हरता जन मन' क्यों कहा है ?

उत्तर- गाँव की शोभा मुस्कराती सी हरियाली रंग-बिरंगे फूल, नाना प्रकार के फल, सब्जिया आदि है। गाँव का मीठा जल, आदि खुब मिलते है। इस गांव की छटा को  मनमोहक है इसलिए आदमी का गाँव मोह लेता है

इसलिए सुमित्रानन्द पंत ने 'हरता जन मन कहाँ हैं

                             अथवा

इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है।


उत्तर-  इस संसार में सच्चा संत वह है जो पक्ष या विपक्ष के चक्कर में नही पडता है। वह निरपेक्ष भाव से परमात्मा का ध्यान रखता है।


प्र. 8 हास्य रस की परिभाषा लिखिए। उदाहरण सहित 


हास्य रस:-  अटपटे किया - कलाप, विचित्र वेश-भूषा तथा वचनो से उत्पन्न हास (हंसी) स्थायी भाव के परिपाक से हास्य रस की व्यजना होती है।


उदाहरण:- कहा बस बदरिया ने बदंर से, 

               चलो नहाए गंगा ।

               बच्चो को छोडो घर में, 

               होने दो हुडदंग।

                

अथवा 

सवैया छंद की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए ।


सवैया छन्द :- सवैया वार्णिक छन्द है। इसमे कुल 23 वर्ण होते है। सवैया छन्द 22 वर्णी से 26 वर्णो तक का हो सकता है ।


उदाहरण- मानुष हों, तो वही रसखान बसों ब्रज गोकुल गाँव के गवारन।

जो पशु हो तो कहा बस मेरो चरो नित नंद की छे धेनु मझास।


प्रश्न. 9 कबीर के काव्य के भाव सोन्दर्य की दो विशेषताएँ लिखिए।


उत्तर- कबीर के काव्य के भाव सोन्दर्य की दो विशेषता निम्न है


(‌‌1) दार्शनिकता→ कबीर के काव्य में दार्शनिक विचारधार। मिलती है।

(2) रहस्यवाद →अनेक स्थानो म पर इनके काव्य में रहस्याताक रहस्यात्मकता के दर्शन होते है।


प्र. 10  महाकाव्य किसे कहते है? हिन्दी के दो महाकाव्यो के नाम लिखिए |


महाकाव्य:- 

              महाकाप्य विस्तृत होता है इसमे प्रकृति का विषद् वर्णन होता है। जीवन के समग्र रूप का उल्लेख होता है तथा पत्तो की संख्या अधिक होती होती है।


हिन्दी के दो महाकाप्य के नाम-


(1) ‌‌ रामचरितमानस' ( तुलसीदास )

(2)  कामायनी' (जयशंकर प्रसाद)


                    अथवा 

जीवनी और आत्मकथा मे दो अन्तर बताइए ।


उत्तर- जीवनी और आत्मकथा में दो अन्तर

                             

जीवनी

आत्मकथा 

1 जीवनी मे लेखक किसी अन्य के जीवनव्रत को प्रस्तुत करता हैं

1 जीवनी मे लेखक किसी अन्य के जीवनव्रत को प्रस्तुत करता हैं

2 जीवनी प्रायः महापुरुषो की लिखि जाती है। ।

2'आत्मकथा कोई भी लिख सकता है।



प्रश्न. 11 आपने यह 'प्रेमचन्द्र के फटे जूते' व्यंग्य पढ़ा। इसे पढ़कर आपको लेखक की कौन-सी बातें आकर्षित करती हैं ?


उत्तर-प्रस्तुत व्यग्य अत्यन्त आकर्षक है इसकी कई बाते ध्यान रखीचती है


(1) लेखक गहन अनुभूति के धनी है इसलिए गहरी चोट करने वाले तथ्यो को उभारते है।


(2) तीरवी बात को भी सहजत: प्रस्तुत कसा लेखिका लेखकी कला का प्रमाण है।

                              अथवा

लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया ?


उत्तर- लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की निम्न विशेषताओ का उल्लेख किया -


(1) लेखिका की माँ ही उनके परिवार में हिन्दी लाई।

(2) उनको हिन्दी तथा संस्कृत का ज्ञान था ।

(2)   पूजा पाद मे उनका मन रमता था।

प्रश्न. 12 कहानी किसे कहते है? दो कहानीकारों के नाम लिखिए।


कहानी :-

             कहानी एक कलात्मक छोटी रचना है। यह किसी घटना, भाव, संवेदना आदि की मार्मिक व्यजना करती है। इसका आरम्भ और अन्त तथा बहुत कलात्मक तथा प्रभावपूर्ण होता है घटनाएँ परस्पर सम्बद्ध होती है। हर घटना लक्ष्य की और उन्मुख होती है।


दो कहानीकारों के नाम →

                               (1) मुंशी प्रेमचन्ड ('कफन')

                        (2) जयशंकर प्रसाद ('आकाशदीप)

              

                           अथवा

रेखाचित्र किसे कहते है ?

उत्तर- रेखाचित्र→

   ‌                     रेखाचित्र में शब्दों की कलात्मक रेखाओं द्वारा किसी व्यक्ति, वस्तु अथवा घटना के बाह्य और आन्तरिक स्वरूप अंकित किया जाता है | रेखाचित्र कहलाता है ।


प्र.13 किन घटनायो से पता चलता है कि हीरा और भो मोती में गहरी दोस्ती थी।


उत्तर- हीरा - और मोती आमने-सामने या पास - पास बैठकर - मूक भाषा में विचारो का आदान प्रदान करते थे एक चारा खाता था तो दुसरा भी खाने लगता : एक खाना बन्द देता । हल बन्द करने पर न दुसरा भी बन्द कर या गाडी में चलते समय हर एक चाहता था कि उस पर ज्यादा वजन आए । इस तरह अनेक घटनाएँ है जिनसे हीरा - मोती की गहरी दोस्ती का पता चलता है

                            अथवा 

अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन-किन कठिनाइयो का सामना करना पडता है?


उत्तर- अपनी यात्रा के दौरान लेखक को निम्न कठिनाइयो का सामना करना पड़ा।

( 1) उन्हे भिखमंगे के वेश में यात्रा पर निकलना पड़ा।

(2) रास्ता पहाडी था इसलिए ऊचाईया पर चढना।       

     कष्टकारक रहा।

(3) हर जगह घोडे नही मिले स इसलिए उन्हे पीठ पर वजन लादकर पैदल भी चलना पड़ा।


प्रश्न. 14 जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक सम्बन्धों को लेखिका ने आज के सन्दर्भ में स्वप्न जैसा क्यों कहा है?


उत्तर- लेखिका के परिवार और जबारा के नवाब के परिवार में बहुत गहरे सम्बन्ध थे। दोनों परिवारधु ल-मिलकर रहते थे। त्यौहारों को दोनों परिवार मिलकर मनाते थे। मुहर्रम के दिन दोनों परिवारों में हरे कपड़े पहने जाते थे। जाति, धर्म आदि का भेद नाममात्र को भी नहीं था लेखिका नवाब की बेगम साहिबा को ताई साहिबा कहती थीं और नवाब के बच्चे लेखिका की माँ को चचीजान कहते थे, परन्तु आज समाज में उस तरह के सम्बन्ध नहीं रह गए हैं। आज धर्म और जाति की कट्टरता बढ़ गई है। हिन्दू-मुस्लिम परिवारों में आत्मीय सम्बन्धों का अभाव है। इसीलिए आज के सन्दर्भ में लेखिका ने पुराने समय को स्वप्न जैसा कहा है 


  •  भाषा शैली-

      भाषा - श्यामाचरण दुबे ने सरल एवं सुबोध खड़ी बोली में साहित्य सृजन किया है। आपकी भाषा विषय

के अनुसार बदलती रहती आपने आवश्यकता के अनुरूप अंग्रेजी एवं उर्दू, आदि के शब्दों का प्रयोग

किया है? 

शैली– श्यामाचरण दुबे की शैली में गांभीर्य एवं चमत्कार का अनुठा मिश्रण हुआ है। आपकी प्रमुख शैलियाँ इस प्रकार हैं-

(1) गवेषणात्मक शैली 

(2) विश्लेषणात्मक

(3) भावात्मक शैली

(4) विचारात्मक शैली 


साहित्य में स्थान- समाज विज्ञानी दुबे जी ने मानव, समाज, संस्कृति एवं शिक्षा आदि विषयों का प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करके हिंदी साहित्य को सम्पन्न किया है। सामाजिक निबन्धकार के रूप में उनका महत्वपूर्ण स्थान है।


प्रश्न 15. 'मृत्यु का तरल दूत' किसे कहा गया है और क्यों ? 

 उत्तर - बाढ़ के तेज गति से आते घरों, आदमियों, पशुओं, पक्षियों को डुबाते-गिरते हुए पानी को मृत्यु का तरल दूत कहा गया है। बाढ़ के प्रवाह के कारण अनेक प्राणी मर रहे थे, जन-धन की अपार हानि हो रही थी। झोंपड़ी, बोर्ड, पोस्टर, दीवारें, भवन आदि डूब रहे थे, गिर रहे थे। यह पानी का प्रवाह आनंददायी न होकर दुखदायी था। इसीलिए उसे मृत्यु का तरल दूत कहा गया है।



प्रश्न 16. लेखिका मृदुला गर्ग की नानी की आजादी के आन्दोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही ?


उत्तर- लेखिका की नानी अनपढ़ तथा पारम्परिक स्वभाव की महिला थीं। उनके पति विलायत से - वैरिस्ट्री करके आए थे तथा विलायती ठाठ-बाट से रहते थे किन्तु उनकी नानी पर उनके विलायतीपन का कोई प्रभाव न था। उनके मन में आजादी के आन्दोलन के प्रति गहरा लगाव था। इसीलिए जब उनकी बेटी की शादी की बात आई तो उन्होंने अपनी बेटी के लिए किसी आजादी के दीवाने युवक को चुनने का निश्चय किया। इस तरह वे परोक्ष रूप से आजादी के आन्दोलन में भागीदार बनीं।


प्रश्न 17. या लकुटी अरु कामरिया पर राज तिहूँ पुर को तजि डारौं । आठहु सिद्धि नवौ निधि के सुख नंद की गाइ चराइ विसारौं । रसखान कब इन आँखिन सौं ब्रज के वन बाग तड़ाग निहारौं। कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं ॥


संदर्भ - पूर्ववत् ।


प्रसंग - श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त रसखान उनकी लाठी, कंबल तथा ब्रज के बाग, तालाब, वन, करील, गाय पर कुछ भी न्योछावर करने को तैयार हैं।


भावार्थ–कवि कहते हैं कि श्रीकृष्ण की लाठी और कंबल मुझे इतने प्रिय हैं कि यदि इनके बदले मुझे तीनों—पाताल, पृथ्वी और स्वर्ग लोकों का राज्य सिंहासन मिले तो मैं उसको त्याग दूँगा। नंद की गायों को चराने में मुझे जो आनंद मिलता है उसकी तुलना में आठों सिद्धियों तथा नौ निधियों के सुख को भुला दूँगा। रसखान की हार्दिक इच्छा है कि उनको कभी भी ब्रज के जंगल, तालाब, वाटिका आदि को अपनी आँखों से देखने का सौभाग्य प्राप्त हो जाए। वे ब्रज के करीलों की कुंजों में मिलने वाले आनन्द के ऊपर सोने-चाँदी के बने हुए करोड़ों महलों को न्योछावर करने को तैयार हैं।


काव्य सौन्दर्य– (1) श्रीकृष्ण तथा उनकी लीलाभूमि ब्रज की प्रत्येक वस्तु के प्रति रसखान का आकर्षण अंकित हुआ है।

                          अथवा

प्रश्न 18. कितना भयानक होता अगर ऐसा होता

      भयानक है लेकिन इससे भी ज्यादा यह 

      कि हैं सारी चीजें हस्बमामूल

      बच्चे, बहुत छोटे-छोटे बच्चे

      काम पर जा रहे हैं।


संदर्भ - पूर्ववत् ।

प्रसंग– यहाँ बताया है कि बच्चों के पढ़ने, खेलने के सभी साधन हैं, किन्तु फिर भी बच्चे काम पर

जा रहे हैं।

भावार्थ–कवि कहता है कि यदि बच्चों के खेलने तथा पढ़ने के सभी साधन नष्ट हो जाते तो यह बहुत डरावनी घटना होती, किन्तु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। बच्चों के खेलने तथा पढ़ने के सभी साधन ज्यों के त्यों हैं, सभी चीजें यथावत् हैं। इन सभी साधनों के होते हुए भी संसार की हजारों सड़कों पर चलते हुए बहुत छोटे-छोटे बच्चे, जिनकी उम्र खेलने, खाने की है, वे भी कल-कारखानों में काम करने जा रहे हैं। 

काव्य सौन्दर्य- (1) छोटी उम्र में बच्चों के काम पर जाने पर आपत्ति व्यक्त है। (2) अनुप्रास, पुनरुक्ति अलंकार। सरल, सुबोध भाषा।


प्रश्न 19. धीरे-धीरे सब कुछ बदल रहा है। एक नयी जीवन-शैली अपना वर्चस्व स्थापित कर रही है। उसके साथ आ रहा है एक नया जीवन दर्शन - उपभोक्तावाद का दर्शन। उत्पादन बढ़ाने पर जोर है चारों ओर। यह उत्पादन आपके लिए है; आपके भोग के लिए है, आपके सुख के लिए है । 'सुख' की व्याख्या बदल गई है। उपभोग ही सुख है।


संदर्भ - प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक के 'उपभोक्तावाद की संस्कृति' पाठ से लिया गया है। इसके लेखक — श्यामाचरण दुबे ' हैं। 4


प्रसंग- इसमें निरन्तर बदलते जा रहे जीवन के बारे में समझाया गया है।


व्याख्या-वर्तमान समय में प्रत्येक क्षेत्र में परिवर्तन हो रहा है। हमारी जीवन-शैली भी इससे अछूती नहीं है। उसमें भी लगातार नवीनता का प्रभाव दिखाई पड़ रहा है। इस नवीनता के साथ ही एक नवीन जीवन-दर्शन आ रहा है। उसे 'उपभोक्तावाद का दर्शन' कहते हैं। आज हर तरफ उत्पादन बढ़ाने पर बल दिया जा रहा है। नयी-नयी उत्पत्तियाँ की जा रही हैं। पैदा की जाने वाली ये सभी चीजें आपके उपभोग के लिए हैं। इनकी उत्पत्ति का लक्ष्य आपको सुख देना है। आज 'सुख' का आशय भी वस्तुओं के उपभोग से ही है। वस्तुओं के भोग से जो सुख मिलता है, आज उस सुख की ही महिमा है। वह सुख ही असली सुख हो गया है 

                     ‌‌      अथवा

मझे लगता है तुम किसी सख्त चीज को ठोकर मारते रहे हो। कोई चीज जो परत-पर-परत सदियों से जम गई है, उसे शायद तुमने ठोकर मार-मारकर अपना जूता फाड़ लिया। कोई टीला जो रास्ते पर खड़ा हो गया था, उस पर तुमने अपना जूता आजमाया।


संदर्भ - पूर्ववत् ।


प्रसंग–यहाँ पर प्रेमचंद द्वारा सामाजिक बुराइयों के दूर करने के प्रयासों की ओर संकेत किया गया है। व्याख्या-लेखक को लगता है कि प्रेमचंद के जूते किसी कड़ी चीज को ठोकर मारने के कारण फटे हैं। उन्होंने अपने साहित्य के द्वारा समाज में हो रहे शोषण, पाखंड, वर्ग-भेद जैसे वर्षों से चली आ रही बुराइयों को उखाड़ फेंकने का कार्य किया। परत-दर-परत जमी इन सामाजिक कमियों में उन्होंने अपने जूते की बार-बार ठोकर मारी इसी से जूते फट गए। ये बुराइयाँ समाज के विकास में टीला बनकर बाधक हो रही थीं। उसे तुमने अपने जूते से ठोकर मारी अर्थात् आपने इन बुराइयों को दूर करने के लगातार प्रयत्न किए। इस प्रयास में ही प्रेमचंद का यह हाल हो गया।


विशेष– (1) वर्षों से चली आ रही सामाजिक बुराइयों के टीले को प्रेमचंद ने उखाड़ फेंकने का जो प्रयत्न किया उसे बताया गया है।

(2) प्रेमचंद की कलम की ताकत का महत्व प्रतिपादित किया है।

(3) लाक्षणिक भाषा तथा विचारात्मक शैली को अपनाया गया है।

             

   प्रश्न 20.   राष्ट्रीय पर्व : 15 अगस्त (पिता तथा बेटे का संवाद)

अथवा- 

               स्वतन्त्रता दिवस पर संवाद–


बेटा - पिताजी, कल 15 अगस्त है, इस दिन क्या हुआ था ? 

पिता- बेटे, इस दिन हमारा देश स्वतन्त्र हुआ था।

बेटा - किससे स्वतन्त्र हुआ था ?

पिता - ब्रिटिश शासन की गुलामी से अंग्रेजी सत्ता की दासता से ।

बेटा - तब यह बहुत ही उल्लास का दिन है। उस दिन क्या होगा ?

पिता - इस दिन सारे देश में खुशियाँ मनाई जाती हैं, झंडा फहराते हैं, देशभक्तों को याद करते हैं।

बेटा - ये आयोजन कब से होते हैं ?

पिता- प्रातः जगते ही प्रभात फेरी लगाते हैं बलिदानियों की याद में नारे लगाते हैं।

बेटा - इसके बाद क्या होता है ?

पिता - इसके बाद विद्यालयों, पंचायतघरों, सरकारी कार्यालयों पर झण्डा फहराते हैं।

बेटा - भाषण कौन देते हैं ?

पिता - गुरुजन, नेता तथा महान व्यक्ति झंडारोहण के बाद भाषण देते हैं।

बेटा - और क्या-क्या होता है ?

पिता - स्कूलों में खेलकूद, कविता पाठ, नाटक, गीत संगीत के आयोजन होते हैं।

बेटा - इस तरह तो कल का दिन वास्तव में खुशी तथा उल्ला दिन होगा। मैं भी अपने विद्यालय के आयोजनों में भाग लूँगा।


प्रश्न 21.सावधान मनुष्य ! यदि विज्ञान है तलवार, 

तो इसे दो फेंक, तजकर मोह, स्मृति के सार ।

हो चुका है सिद्ध ! है तू शिशु अभी अज्ञान;

फूल काँटों की तुझे कुछ भी नहीं पहचान ।

खेल सकता तू नहीं ले हाथ में तलवार,

काट लेगा अंग, तीखी है, बड़ी ये धार ।


(1) उपर्युक्त पद्यांश का उपयुक्त (सटीक) शीर्षक 

     लिखिए

(2) उपर्युक्त पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए। (3) 'फूल और काँटों' से कवि का क्या तात्पर्य है ?

उत्तर- (1) उपयुक्त शीर्षक - विज्ञान के प्रति सावधान'।

(2) कवि का आशय यह है कि मनुष्य को विज्ञान से सावधान रहना चाहिए। इसका प्रयोग अज्ञानता नहीं कीजिए। मनुष्य ने अभी विज्ञान से होने वाली हानि और लाभ भी जानकारी नहीं ली है। अतः कहीं ऐसा न हो कि अज्ञानता के कारण यह विज्ञान मनुष्य को ही हानि पहुँचा दे।

(3) 'फूल और काँटों' से कवि का तात्पर्य है-लाभ और हानि।


प्रश्न 22.परीक्षा की तैयारी की जानकारी देते हुए पाँच सौ रुपये मँगवाने के लिए अपने पिता को एक पत्र लिखिए।

                           अथवा

वार्षिक परीक्षा की तैयारी के सम्बन्ध में अपने पिताजी को पत्र लिखिए ।



उत्तर-              पिताजी को पत्र


                       कक्ष सं. 105, गाँधी आश्रम हॉस्टल,

                             बन्नी पार्क, इन्दौर (म. प्र. ) 

                                   दिनांक 15.11.20........


पूज्य पिताजी,

           सादर चरण स्पर्श ।

           आपका पत्र मिला। पत्र पढ़कर प्रसन्नता हुई। मैं आजकल अपनी परीक्षाओं की तैयारी में लगा हुआ हूँ। प्रतिदिन छ: या सात घण्टे तक पढ़ाई करता हूँ। मैं अभी तक लगभग सभी विषयों का अध्ययन कर चुका हूँ। पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने दे रहा हूँ। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि पिछली कक्षाओं की तरह इस कक्षा में भी सर्वाधिक अंक प्राप्त कर सकूँगा।

           पिताजी आपसे निवेदन है कि मेरे पैसे समाप्त हो गए हैं, अतः पाँच सौ रुपये मनीऑर्डर से भेजने की कृपा करें। शेष कुशल हैं। आदरणीय माताजी को मेरा चरण स्पर्श कहना जी।

                                           आपका प्रिय पुत्र

आनन्द प्रताप सिंह

  

                                  अथवा                          ‌ ‌     

सचिव, माध्यमिक शिक्षा मण्डल, म. प्र., भोपाल को आवेदन-पत्र लिखकर अंकसूची

उत्तर-


सेवा में,

श्रीमान् सचिव,

मा. शि. म., भोपाल

    

विषय :-अंकसूची की द्वितीय प्रति हेतु आवेदन-पत्र |


महोदय,

          विनम्र निवेदन यह है कि मैंने दसवीं की बोर्ड परीक्षा 2023 में (अनुक्रमांक 27711) प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी। उपर्युक्त परीक्षा की अंकसूची खो गयी है। अतः मुझे द्वितीय प्रति भेजने का कष्ट करें। इसके लिए मैं ₹ 20 का बैंक ड्राफ्ट नं. 37701 आपके नाम भेज रहा हूँ।

कृपा करके मेरे घर के पते पर अंकसूची की द्वितीय प्रति भेजने का कष्ट करें। कष्ट के लिए क्षमा। दिनांक 8.7.20......

                     ‌                                भवदीय

                                                    राकेश कुमार


 प्रश्न 23. ्भारत की बढ़ती जनसंख्या


[ रूपरेखा - (1) प्रस्तावना, (2) जनसंख्या वृद्धि से 

उत्पन्न अन्य समस्याएँ, (3) अभाव की स्थिति, (4) जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव, (5) जनसंख्या वृद्धि की समस्या का समाधान, (6) उपसंहार। ]


प्रस्तावना- विश्व के विभिन्न देश अपनी-अपनी समस्याओं से घिरे हैं। उसी तरह भारतीय गणराज्य भी कई समस्याओं से घिरा हुआ है। जिनमें सर्वोपरि है भारत की बढ़ती जनसंख्या बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ ही अन्य अनेक समस्याएँ स्वतः ही उत्पन्न होती रहती हैं जिससे देश की तरक्की के विषय में जारी की गई योजनाएँ प्रभावित हो जाती हैं। भारत में जनसंख्या की वृद्धि एक गम्भीर समस्या है, लेकिन यहाँ के नागरिक उसके प्रति बिल्कुल भी गम्भीर नहीं हैं।


जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न अन्य समस्याएँ- जनसंख्या वृद्धि एक ऐसी समस्या है, जो अन्य अनेक समस्याओं को जन्म देती है। उन समस्याओं में सबसे बड़ी समस्या है-बढ़ते लोगों को रोटी देने की, उनके लिए वस्त्र आदि की व्यवस्था करने की तथा उन्हें आवास प्रदान करने की। इनकी समस्याओं के साथ ही, उनको उचित शिक्षा देने, उन लोगों की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं के सुलझाने की, स्वच्छ पानी देने, स्वच्छ वातावरण प्रदान करने सम्बन्धी विभिन्न समस्याएँ पैदा हो जाती हैं।


अभाव की स्थिति-देश ने आजादी प्राप्त की। इसके साथ ही विकास योजनाएँ प्रारम्भ हुईं। कृषि, उद्योग एवं व्यवसाय के क्षेत्रों में विकास तीव्र गति से बढ़ने लगा। खेती, कारखानों में उत्पादन शुरू हुआ। नई तकनीक अपनाई गई। कृषि आधारित उद्योग पनपने लगे। विकास तो अपनी तीव्र गति से होने लगा परन्तु बढ़ती जनसंख्या ने उसकी गति को प्रभावित कर दिया। विकास के कार्यों के लिए राष्ट्र हित में कर्ज लिया जाने लगा। देश जिस गति से आगे बढ़ता, उतनी गति विकास के क्षेत्र में नहीं पकड़ सका। इस जनसंख्या वृद्धि ने सभी क्षेत्र के विकास सम्बन्धी कार्यों को ठप्प कर दिया।


जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव - जनसंख्या की बढ़ोत्तरी ने अपना प्रभाव सभी क्षेत्रों में दिखाया है। शिक्षा का क्षेत्र भी प्रभावित हुआ, यातायात व्यवस्था-रेल परिवहन, सड़क परिवहन आदि का विकास रुक गया। भोजन, पानी, आवास व वस्त्र आदि की समस्या से ग्रसित भारतीय समाज फिर से अभावग्रस्त होने लगा। परन्तु भारतीय सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, कल-कारखानों और व्यवसाय के क्षेत्र में तीव्र विकास करना शुरू किया। बढ़ती जनसंख्या को रोजगार देने की दिशा में प्रभावकारी कदम उठाया। परन्तु इन सभी समस्याओं के के द्वारा जा समाधान के साथ ही साथ अन्य अनेक समस्याओं; जैसे- भ्रष्टाचार, स्वास्थ्य समस्याओं और प्रदूषण समस्याओं समय की ने देश को बुरी तरह जकड़ा हुआ है। साथ ही बेरोजगार लोगों की फौज प्रतिवर्ष बढ़ जाती है। इस दशा में तो विकास दर गिरती लग रही है। इस तरह इस जनसंख्या वृद्धि की समस्या ने अनेक ऐसी समस्याओं को जन्म दे दिया है जिनका समाधान शायद निकट भविष्य में होता दिखाई नहीं पड़ता ।


जनसंख्या वृद्धि की समस्या का समाधान - राष्ट्रीय समस्या बनी जनसंख्या वृद्धि के हल के लिए किए गए उपाय भी प्रभावहीन होते जा रहे हैं। लोगों में इस समस्या के निराकरण के लिए जागृति पैदा की जा रही है। उन्हें बताया जा रहा है कि जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण करें। नियोजित परिवार ही सुखी हो सकता है, - तरक्की कर सकता है, समृद्धि प्राप्त कर सकता है। सरकार की ओर से और व्यक्तिगत रूप से विविध संस्थानों द्वारा लोगों को इस समस्या के समाधान के उपाय बताए गए हैं। लोगों को उत्साहित किया जा रहा है कि वे शिक्षित बनें, अपनी सन्तान को, बालिकाओं और बालकों को शिक्षा ग्रहण करायें जिससे वे राष्ट्र हित की सोच सकें तथा स्वयं को राष्ट्रकल्याण के मार्ग से जोड़कर कार्य करें।


उपसंहार-देशवासियों को राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान के लिए निरन्तर कार्य करना चाहिए। उन्हें जन-जागृति पैदा करके अपने कर्त्तव्य का और उत्तरदायित्व का पालन करना चाहिए।

             

 प्रश्न 24. मेरा प्रिय खेल (बैडमिण्टन)


[रूपरेखा - (1) प्रस्तावना, (2) खेल के नियम, (3) बैडमिण्टन अन्तर्राष्ट्रीय खेल, (4) उपसंहार ।]

प्रस्तावना - स्वास्थ्य रक्षा के लिए खेल अत्यन्त आवश्यक हैं। विद्यार्थी जीवन में तो खेलकूद आवश्यक रूप से विद्यालय में कराए जाते हैं। लेकिन आम लोगों के लिए भी खेल स्वास्थ्य और मनोरंजन के लिए आवश्यक और प्रिय बन जाते हैं। खेल कई प्रकार के होते हैं, जैसे- हॉकी, फुटबॉल, क्रिकेट, बैडमिण्टन, शतरंज, ताश, कैरम आदि। मेरा प्रिय खेल बैडमिण्टन है जिसमें कम से कम दो और अधिक से अधिक चार खिलाड़ी खेल सकते हैं। यह खेल मेरे लिए सुविधाजनक और आसान है। इसके लिए न तो क्रीड़ा मैदान में जाना होता है और न ही टीम जुटानी पड़ती है। इसमें दो खिलाड़ी, दो रैकिट और एक शटल कॉक की आवश्यकता होती है।


खेल के नियम - यह खेल बच्चों, किशोरों, वयस्कों और वृद्धों सभी का स्वागत करता है। इस खेल को घर के लोग या पड़ोसी मिल कर खेल सकते हैं। इस खेल में पुरुष और महिला के अनुसार 5 वर्ग हो जाते हैं- पुरुष एकल, पुरुष डबल्स, महिला एकल, महिला डबल्स और मिक्स्ड डबल्स इस खेल के लिए 44 फीट लम्बा और 23 फीट चौड़ा समतल भूमि का टुकड़ा पर्याप्त है। क्षेत्र के बीच में एक नेट 5 फीट की ऊँचाई में दोनों ओर के लोहे के लट्ठों में बँधा रहता है। दोनों क्षेत्रीय भागों में साइड गैलरी (लम्बाई में) और पीछे की गैलरी चौड़ाई में होती है। टॉस जीतने वाला प्रायः सर्विस लेना पसन्द करता है। फिर रैकिट और शटल कॉक से खेल प्रारम्भ हो जाता है। पुरुषों के खेल में 15 मैच प्वॉइंट और महिलाओं में 10 मैच प्वॉइंट का होता है। मुझे अपने मित्र या पिताजी के साथ खेलने में बड़ा आनन्द आता है। यह खेल एकाग्रता का खेल है। इस खेल से स्वास्थ्य तो बढ़ता ही है साथ ही साथ एकाग्रता और फुर्तीलापन आता है।


बैडमिण्टन अन्तर्राष्ट्रीय खेल - यह एक अन्तर्राष्ट्रीय खेल है। जापान, चीन, भारत, इण्डोनेशिया, कोरिया,मलाया तथा यूरोपीय देश इस प्रतिस्पर्धा में भाग लेते हैं। बड़े ऊँचे हॉल इस खेल के लिए बनाए हुए हैं। दूरदर्शन पर हम इसका सीधा प्रसारण देख सकते हैं। प्रथम श्रेणी के अम्पायर नियमों के अनुसार अपने निर्णय देते हैं।


उपसंहार - यह खेल अन्य खेलों की तरह अधिक खर्चीला नहीं है। इसमें अधिक से अधिक मनोरंजन होता है। यह विश्व में अधिक लोकप्रिय हो रहा है। टेबिल टेनिस भी इसी वर्ग का खेल है। भारत के खेल मन्त्रालय को इस खेल को अधिक से अधिक प्रोत्साहन और सहायता देनी चाहिए। भारत में प्रतिभा की कमी नहीं है। क्रिकेट की भाँति यह खेल भी लोकप्रियता ग्रहण कर सकता है।



Post a Comment

और नया पुराने

inside

inside 2