रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय/Ramdhari singh dinkar ka jivan parichay

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रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय/Ramdhari singh dinkar ka jivan parichay

रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय/Ramdhari singh dinkar ka jivan parichay


रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय साहित्य परिचय रचनाएं एवं भाषा शैली


जन्म 30 सितंबर 1908 ईस्वी 


मृत्यु 24 अप्रैल 1974 ईस्वी


जन्म स्थान -जिला मुंगेर बिहार के सिमरिया नामक ग्राम में


रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय ,रामधारी सिंह दिनकर किस युग के कवि हैं, रामधारी सिंह दिनकर का जन्म कहां हुआ, था रामधारी सिंह दिनकर की पत्नी का नाम, रामधारी सिंह दिनकर पिता का नाम,  रामधारी सिंह दिनकर माता का नाम,


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रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय साहित्य परिचय रचनाएं एवं भाषा शैली


हेलो दोस्तों आज की इस पोस्ट पर आपका बहुत-बहुत स्वागत है आज की इस पोस्ट में आपको बताएंगे हिंदी साहित्य जगत में उर्वशी जैसे महाकाव्य की रचना करने वाले प्रमुख साहित्यकार माने जाने वाले रामधारी सिंह दिनकर की ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित महान कवि रामधारी सिंह दिनकर का नाम साहित्य जगत में बहुत ही आदर और सम्मान से लिया जाता है रामधारी सिंह दिनकर हिंदी साहित्य का एक चमकता सितारा जिन्हें हिंदी के श्रेष्ठतम लेखकों में गिना जाता है रामधारी सिंह दिनकर एक ऐसा नाम जिसने अपनी कलम से हिंदी साहित्य जगत में क्रांति ला दी रामधारी सिंह दिनकर एक ऐसा नाम जिसे हिंदी साहित्य में उर्वशी जैसे महाकाव्य की रचना के लिए जाना जाता है महान निबंध कार्य श्रेष्ठ साहित्यकार एवं कवि रामधारी सिंह दिनकर जी को यदि हिंदी साहित्य का महान साहित्यकार भी कहा जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी रामधारी सिंह दिनकर एक ऐसा नाम जिसने हिंदी साहित्य की दिशा और दशा को बदलने का कार्य किया यदि रामधारी सिंह दिनकर जी को हिंदी साहित्य का कोहिनूर हीरा भी कहा जाए तो इसमें कोई विवाद नहीं होगा क्योंकि उन्होंने हिंदी साहित्य के क्षेत्र में एक ऐसा नया कीर्तिमान स्थापित किया जिसे युगों युगों तक हिंदी साहित्य में याद रखा जाएगा रामधारी सिंह दिनकर जी ने हिंदी साहित्य के क्षेत्र में कुछ ऐसे नए मानदंड और आयाम स्थापित कर दिए हैं जिन्हें हिंदी साहित्य जगत में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा दोस्तों यद्यपि रामधारी सिंह दिनकर जी आज हम लोगों के बीच नहीं हैं लेकिन उनकी रचनाएं निबंध, नाटक ,कृतियां विश्व भर के साहित्य प्रेमियों के हृदय में हमेशा जीवंत रहेंगे तो दोस्तों ऐसे ही एक महान व्यक्तित्व के बारे में हम लोग आज जानेगे इनका साहित्यिक परिचय और उनकी रचनाएं|

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका एक और नए आर्टिकल में आज के इस पोस्ट में आप लोगों को बताएंगे रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय और उनके साहित्यिक परिचय एवं कृतियां आपको इस पोस्ट को पूरा पढ़ना और अगर आपको अच्छी लगे तो फिर दोस्तों में भी शेयर करें और साथ ही आप लोग कमेंट करके बता सकते हैं|


                जीवन परिचय 

             'रामधारी सिंह दिनकर'


 जीवन परिचय - 

नाम- रामधारी सिंह दिनकर 


जन्म -सन 1960 ईस्वी में 


जन्म स्थान -बिहार राज्य के सिमरिया मुंगेर जिले में 


शिक्षा- बैचलर ऑफ एजुकेशन


अवधी -आधुनिक काल 


मृत्यु -सन 1974 ईस्वी में

 

भाषा- शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली 


पिताजी का नाम -श्री रवि सिंह

 

माता जी का नाम -श्रीमती मनरूप देवी 


भाषा एवं शैली- विवेचनात्मक समीक्षात्मक एवं भावानात्मक

 

साहित्य में स्थान -रामधारी सिंह दिनकर जी का हिंदी साहित्य महत्वपूर्ण स्थान है|


जीवन परिचय- रामधारी सिंह दिनकर का जन्म सन 1908 ईस्वी में बिहार राज्य के मुंगेर जिले के सिमरिया ग्राम में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था बी.ए की परीक्षा पास करने के पश्चात उन्होंने कुछ दिनों के लिए उच्च माध्यमिक शिक्षा विद्यालय में प्रधानाध्यापक का कार्य संभाला उसके बाद यह सरकारी नौकरी में चले गए इनकी सरकारी सेवा अवर -निबंधक के रूप में प्रारंभ हुई बाद में यह उपनिदेशक प्रचार विभाग के पद पर स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद तक कार्य करते रहे तदंतर इन्होंने कुछ समय तक बिहार विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष पद पर कार्य किया सन 1952 ईस्वी में यह भारतीय संसद के सदस्य मनोनीत हुए कुछ समय यह भागलपुर विश्वविद्यालय के उप कुलपति भी रहे उसके पश्चात भारत सरकार के गृह विभाग में हिंदी सलाहकार के रूप में एक लंबे अरसे तक आदर्श चेतक हिंदी के संवर्धन एवं प्रचार प्रसार के लिए कार्यरत रहे इन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया सन 1959 ईस्वी में भारत सरकार ने इन्हें 'पदम भूषण' से सम्मानित किया तथा सन 1962 ईस्वी में भागलपुर विश्वविद्यालय ने डी. लिट् की उपाधि प्रदान की प्रतिनिधि लेखक व कवि के रूप में इन्होंने अनेक प्रतिनिधि मंडलों में रहकर विदेश यात्राएं की दिनकर जी की असामयिक मृत्यु सन 1974 ईस्वी में हो गई


साहित्यिक परिचय- इनकी प्रसिद्ध का मुख्य आधार कविता है तथा देश और विदेश में यह मुक्ता कवि रूप में प्रसिद्ध है लेकिन गध लेखन में भी ही आगे रहे और अनेक अनमोल ग्रंथ लिखकर हिंदी साहित्य की श्री वृद्धी की इसका ज्वलंत उदाहरण है संस्कृति के चार अध्याय जो साहित्य अकादमी से पुरस्कृत हैं इसमें इन्होंने प्रधान तथा शोध और अनुसीलन के आधार पर मानव सभ्यता के इतिहास को चार मंजिलों में बैठकर अध्ययन किया है इसके अतिरिक्त दिनकर के स्फुट समीक्षात्मक तथा विविध निबंधों के संग्रह हैं जो पठनीय है विशेषता इस कारण कि उनसे दिनकर की कविता को समझने परखने में यथेष्ट सहायता मिलती है इनके गद्य में विषयों की विविधता और शैली की प्राण्जलता के सर्वत्र दर्शन होते हैं भाषा की भूलों के बावजूद शैली की प्राण्जलता ही दिनकर के गध को आकर्षक बना देती है इनका गद्य साहित्य का काव्य की भांति ही  अत्यंत सजीव एवं स्फूर्तिमय है तथा भाषा ओर से ओत-प्रोत है इन्होंने काव्य ,संस्कृति ,समाज ,जीवन आदि विषयों पर बहुत ही उत्कृष्ट लेख लिखे हैं|


रचनाएं- रेणुका, हुन्कार, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी ,और परशुराम की प्रतीक्षा (काव्य) अर्धनारीश्वर, वट पीपल, उजली आग, संस्कृति के चार अध्याय (निबंध), देश -विदेश (यात्रा) आदि इनकी उल्लेखनीय कृतियां हैं|


भाषा शैली- दिनकर जी की भाषा शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली है इन्होंने तद्भव और देश शब्दों तथा मुहावरे और लोकोक्तियां का भी सहज स्वाभाविक प्रयोग किया है इनकी शैलियों में विवेचनात्मक समीक्षात्मक भावात्मक सूक्ति परख शैली प्रमुख रूप से है|


शिक्षा- संस्कृत के एक पंडित के पास अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्रारंभ करते हुए दिनकर जी ने गांव के प्राथमिक विद्यालय से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की| एवं निकटवर्ती बोरो नामक ग्राम में राष्ट्रीय मंडल स्कूल जो सरकारी शिक्षा व्यवस्था के विरोध में खोला गया था मे प्रवेश प्राप्त किया यहीं से इनके मानव मस्तिक में राष्ट्रीयता की भावना का विकास होने लगा था हाई स्कूल की शिक्षा इन्होंने मोकामाघाट हाई स्कूल से प्राप्त की इसी बीच इनका विवाह भी हो चुका था तथा यह एक पुत्र के पिता भी बन चुके थे 1928 ईस्वी में मैट्रिक के बाद दिनकर ने पटना विश्वविद्यालय से 1932 में इतिहास में बेस्ट ऑफ ऑनर्स किया|


पद- पटना विश्वविद्यालय से बीए ऑनर्स करने के बाद अगले ही वर्ष एक स्कूल में प्रधानाध्यापक नियुक्त हुए 1934 में बिहार सरकार के अधीन उन्होंने सब रजिस्टर का पर स्वीकार कर लिया लगभग 9 वर्षों तक वह इस पद पर रहे और उनका समूचा कार्यकाल बिहार के देहातों में बीता तथा जीवन का जो पीड़ित रूप उन्होंने बचपन से देखा था उसका और अधिकारी उसके मन को मथ गया|


फिर जो ज्वार उमरा और रेणुका हुंकार रसवंती और द्वंद गीत रची गई रेणुका और हुंकार की कुछ रचनाएं यहां वहां प्रकाश में आए अंग्रेज प्रशासकों को समझने देर न लगी कि वह एक गलत आदमी को अपने तंत्र का अंग बना बैठे हैं और दिनकर की फाइल तैयार होने लगी बार-बार पर कैफियत तलब होती और चेतावनी मिला करती थी 4 वर्ष में 22 बार उनका तबादला किया गया


रेणुका- मे अतीत के गौरव के प्रति कवि का सहज आदर और आकर्षण परिलक्षित होता है पर साथ ही वर्तमान परिवेश की नीरसता से त्रस्त मन की वेदना का परिचय भी मिलता है|


हुंकार-मे कभी अतीत के गौरव गान की अपेक्षा वर्तमान देश के प्रति आक्रोश प्रदर्शन की और अधिक उन्मुख जान पड़ता है|


रसवंती- मे कवि सौंदर्यन्वेशी व्रत्ति काव्य मयी हो जाती है पर यह अंधेरे में ध्येयसौदर्य का अन्वेषण नहीं, उजाले में सुंदर का आराधन है|


सामधेनी 1947-मे दिनकर की सामाजिक चेतना स्वदेश और परिचित प्रवेश की परिधि से बढ़कर भी संवेदना का अनुभव करते जान पड़ती है कवि के स्वर का रोज नए वेद से नए शिखर तक पहुंच जाता है|


काव्य रचना- एक मुक्त काव्य संग्रहो के अतिरिक्त दिन का ने अनेक प्रबंध काव्य की रचना भी की है जिसमें कुरुक्षेत्र (1946) रश्मिरथी (1952) उर्वशी (1961) प्रमुख है कुरुक्षेत्र में महाभारत के शांति पूर्व के मूल कथाकार का ढांचा लेकर दिन का नहीं युद्ध और शांति के विशाल गंभीर और महत्वपूर्ण विषय पर अपने विचार भीष्म और युधिष्ठिर के संलाप के रूप में प्रस्तुत किए हैं दिनकर के काव्य में विचार तक इस तरह उभर कर सामने पहले कभी नहीं आई थी कुरुक्षेत्र के बाद उनके नवीनतम कब उर्वशी में फिर हमें विचार तत्व की प्रधानता मिलती है साहस पूर्वक गांधीजी अहिंसा के आलोचना करने वाले कुरुक्षेत्र का हिंदी जगत में श्रेष्ठ आदर हुआ उर्वशी जिसे कवि ने स्वयं अध्याय की उपाधि प्रदान की है दिनकर की कविता को नए शिखर पर पहुंचा दिया है


1-खंडकाव्य -प्रणभंग और रश्मिरथी 


2-कविता संग्रह-1 रसवंती 2-द्वंद गीत 3-सामधेनी 4-बापू 5-इतिहास के आंसू 6- धूप और धुआं 7-नीम के पत्ते 8-नीलकुसुम  9-चक्रवाल 10-कवितश्री 11-सीपी और शंख 12-स्मृति तिलक हारे का हरि नाम आदि


3-बाल साहित्य धूप छांव, मिर्च का मजा, सूरज का ब्याह


रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय पूरा हुआ तो दोस्तों अगर आपको अच्छा लगा हो  शेयर करें और कमेंट करें पोस्ट पढ़ने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद


रामधारी सिंह दिनकर के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर


रामधारी सिंह दिनकर की प्रथम रचना कौन सी थी?


दिनकर जी की प्रथम रचना रेणुका 1935 में थी।


रामधारी सिंह दिनकर जी सब रजिस्टर के रूप में कब तक कार्यरत रहे?


बीए ऑनर्स की परीक्षा अध्ययन करने के पश्चात दिनकर ने पहले सब रजिस्टर के पद पर और फिर प्रचार विभाग के उप निर्देशक के रूप में कुछ वर्षों तक सरकारी नौकरी की वह लगभग 9 वर्षों तक इस पद पर रहे।


कुरुक्षेत्र का प्रकाशन कब हुआ था?


कुरुक्षेत्र का प्रकाशन राजपाल प्रकाशन ने किया था।


रामधारी सिंह दिनकर जी की महा विद्यालय शिक्षा कहां हुई थी?


दिनकर की प्रथम तीन काव्य संग्रह प्रमुख हैं-रेगुणा (1935), हुकांर (1938), और रसवंती (1939), उनके आरंभिक आत्ममंथन के युग की रचनाएं हैं।


रामधारी सिंह दिनकर की कविता संग्रह के नाम लिखिए?


रामधारी सिंह दिनकर की कविता संग्रह में उर्वशी परशुराम की प्रतीक्षा सपनों का घुआं, आत्ममंथन रशिमरथी एवं कुरुक्षेत्र है।


रामधारी सिंह दिनकर की कविता कुरुक्षेत्र का सारांश बताइए?


कुरुक्षेत्र छोटा सर्ग - कुरुक्षेत्र एक प्रबंध काव्य है। इसका प्रणयन और हिंसा के बीच अंत द्वंद के फल स्वरूप हुआ कुरुक्षेत्र की कथावस्तु का आधार महाभारत के युद् की घटना है, जिसमें वर्तमान युग की ज्वलंत युद्व समस्या का उल्लंघन है, दिनकर के  कुरुक्षेत्र प्रबंध काव्य की कथावस्तु 7 वर्गों में विभक्त है।


रामधारी सिंह दिनकर कहां के रहने वाले थे?


दिनकर जी का जन्म 24 दिसंबर 1960 को बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया गांव में हुआ था वह बिहार में रहने वाले थे।


रामधारी सिंह दिनकर किस युग के कवि थे?


रामधारी सिंह दिनकर का जन्म सन 1960 ई० में बिहार राज्य के मुंगेर जिले के सिमरिया ग्राम में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था।


रामधारी सिंह दिनकर का जन्म कब हुआ


रामधारी सिंह दिनकर का जन्म सन 1908 ई० में बिहार राज्य के मुंगेर जिले के सिमरिया ग्राम में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था।




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