मापन एवं मूल्यांकन// Measurement and Evaluation

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मापन एवं मूल्यांकन// Measurement and Evaluation

मापन एवं मूल्यांकन// Measurement and Evaluation

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मापन एवं मूल्यांकन // Measurement and Evaluation

Table of content-


1.मापन की संकल्पना

2.शैक्षिक मापन का अर्थ

3.मापन के तत्व अथवा अंग

4.मापन के प्रकार

5.मापन के स्तर

6.शैक्षिक मूल्यांकन की संकल्पना

7.शैक्षिक मूल्यांकन की परिभाषाएं

8.मूल्यांकन की शिक्षा में आवश्यकता तथा महत्व

9.शिक्षा में मूल्यांकन के उद्देश्य

10.मूल्यांकन के क्षेत्र



मापन एवं मूल्यांकन

(Measurement and Evaluation)


प्रश्न . मापन की संकल्पना को स्पष्ट कीजिए।


उत्तर- मापन व प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी वस्तु प्राणी अथवा क्रिया की किसी विशेषता को निश्चित मापदंडों के आधार पर देखा ,परखा और मापा जाता है और उसे मानक शब्दों , चिन्हों अथवा निश्चित इकाई अंकों में प्रकट किया जाता है।


प्रश्न. शैक्षिक मापन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।


उत्तर-शैक्षिक मापन का अर्थ (Meaning of Measurement)- मापन क्रिया में विभिन्न पक्षों के संबंध में साक्ष्यों (Evidence) का संकलन किया जाता है। मापन किसे वस्तु या उपलब्धि का संख्यात्मक मान है। उसका प्रत्यक्ष संबंध परिणाम अथवा मात्रा से होता है यह एक  परिमाणीकरण की प्रक्रिया है।


उदाहरण-

1.श्याम का वजन 55 किलोग्राम है।

2.मोहन की बुद्धिलब्धि 140 है।

3.शिवानी के गणित 90% अंक है।


दूसरे शब्दों में मापन में यह पता लगाया जा सकता है कि कोई वस्तु ,गुण या विशेषता में कितनी है? इस प्रकार मापन में अंक प्रदान किए जाते हैं तथा किसी गुण या विशेषता के प्रतीक निर्धारित किए जाते हैं जिससे परिणाम का सही ज्ञान हो सके। परीक्षक छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करके अपना निर्णय अंकों के रूप में देते हैं। यहां पर परीक्षक द्वारा छात्रों को दिए गए अंक बालक की उपलब्धि का प्रतीक है। अतः मापन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा विभिन्न योग्यताओं तथा गुणों को परिमाण के रूप में बताया जाता है, परंतु इतना ही पर्याप्त नहीं रहता, अध्यापक को यह भी ध्यान रखना चाहिए की मापन द्वारा प्राप्त अंकों का स्तर क्या है? अर्थात छात्रों के प्राप्तांक कितने अच्छे हैं? इसका निर्धारण करना मूल्यांकन के अंतर्गत आता है।


प्रश्न . मापन के तत्व अथवा अंग कितने होते हैं?


उत्तर- मापन के मुख्य तीन तत्व अथवा अंग होते हैं-


1.वह वस्तु, प्राणी अथवा क्रिया जिसकी किसी विशेषता का मापन होना है।


2.विशेषता को मापने के उपकरण अथवा विधियां।


3.वह व्यक्ति जो मापन करता है अर्थात मापनकर्ता ।


प्रश्न. मापन के प्रकार बताइए।


उत्तर- मापन मुख्यतः तीन प्रकार का होता है-


1.निरपेक्ष मापन (Absolute Measurement)

2.सामान्यीकृत मापन (Normative Measurement)

3.इप्सेक्टिव मापन (Ipsative Measurement)


प्रश्न. निरपेक्ष मापन किसे कहते हैं?


उत्तर- निरपेक्ष मापन वह है जिसमें परम शून्य (Absolute Zero) की स्थिति संभव होती है जिसका पैमाना शून्य से शुरू होता है। शून्य से अधिक होने पर धनात्मक (+) और शून्य से कम होने पर ऋणात्मक (-)मापन होता है। 


उदाहरण- किसी स्थान के तापमान को लीजिए वह शून्य भी हो सकता है। शून्य से अधिक भी हो सकता है और शून्य से कम भी हो सकता है। इस प्रकार का मापन भौतिक चरों में ही संभव होता है। शैक्षिक एवं मनोवैज्ञानिक चरों में नहीं, क्योंकि शैक्षिक एवं मनोवैज्ञानिक चरों में परम शून्य की संभावना नहीं होती। जैसे यदि किसी उपलब्धि परीक्षण में किसी छात्र को शून्य अंक प्राप्त भी होता है। तो इसका अर्थ यह कदापि नहीं होता कि उस विषय में छात्र की योग्यता शून्य है। इसका केवल इतना अर्थ होता है कि छात्र उपलब्धि परीक्षण के किसी भी प्रश्न को हल करने में असमर्थ रहा है।


प्रश्न. सामान्यीकृत मापन से क्या तात्पर्य है?


उत्तर- सामान्यीकृत मापन वह मापन है जिसमें प्राप्तांक एक- दूसरे से प्रभावित नहीं होते, वे स्वतंत्र रूप से प्राप्त होते हैं। इसकी दूसरी पहचान यह है कि इसमें परम शून्य की संभावना नहीं होती।


उदाहरण- यदि किसी विषय के उपलब्धि परीक्षण में कोई- कोई छात्र शून्य अंक प्राप्त करता है तो इसका अर्थ यह कदापि नहीं होता कि उस विषय में छात्र की योग्यता शून्य है। इसका केवल यह अर्थ होगा कि किसी भी प्रश्न को हल करने में वह छात्र असफल रहा है। समाजशास्त्रीय अध्ययन, मनोविज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में प्रयोग किए जाने वाले परीक्षणों से प्राप्त प्राप्तांक प्राय: सामान्यीकृत ही होते हैं।


प्रश्न . इप्सेक्टिव मापन का नामकरण किसने किया? इस विधि परिचय दीजिए।


उत्तर- मापन के अनेक उपकरण एवं विधियां हैं। इनमें एक उपकरण अथवा विधि ऐसी है जिसमें व्यक्ति अथवा छात्र को बाध्य चयन करना होता है। इस विधि द्वारा मापन करने को कैटल ने इप्सेक्टिव मापन (Ipsative Measurement) कहा है। इसमें व्यक्ति अथवा छात्र के सामने कुछ प्रश्न, कथन अथवा समस्याएं उपस्थित की जाती है छात्र को उन्हें वरीयता क्रम 1,2,3,4 प्रदान करने के लिए कहा जाता है। यदि छात्र किसी एक कथन को प्रथम वरीयता 1 अंक प्रदान करता है तो वह किसी दूसरे कथन को यह वरीयता या अंक प्रदान नहीं कर सकता। इस प्रकार के मापन उपकरण को बाध्य

 चयन प्रश्न कहा जाता है और इसके द्वारा मापन को इप्सेक्टिव मापन कहा जाता है। इस प्रकार के मापन में सभी छात्रों को 1,2,3,4 आदि अंक ही प्रदान करने होते हैं। इसलिए सभी छात्रों के मध्यमान और मानक विचलन समान होते हैं।


प्रश्न शैक्षिक मापन के स्तर कौन-कौन से हैं?


उत्तर- कोई भी मापन कितना शुद्ध है यह उसके स्तर से पता चलता है मुख्य रूप से मापन के चार स्तर होते हैं-


1.शाब्दिक अथवा नामित स्तर (Nominal Scale)

2.क्रमित स्तर (Ordinal scale)

3.अंतराल स्तर (Interval Scale)

4.अनुपात स्तर (Ratio Scale)


प्रश्न. शैक्षिक मूल्यांकन की संकल्पना स्पष्ट कीजिए।


उत्तर- मूल्यांकन शैक्षिक प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग है। मूल्यांकन न केवल शैक्षिक प्रक्रिया से जुड़ा है बल्कि जीवन के प्रत्येक पहलू से संबंधित हैं। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में किसी न किसी रूप में मूल्यांकन की अपेक्षा की जाती है।


उदाहरण- एक डॉक्टर अपनी औषधि की प्रभावशीलता का मूल्यांकन रोगी के स्वास्थ्य में सुधार के आधार पर करता है। बाग का माली अपने पौधे का मूल्यांकन उनकी सुंदरता के आधार पर करता है ठीक इसी प्रकार एक शिक्षक अपने प्रभावी शिक्षण का मूल्यांकन विद्यार्थी में हुए अपेक्षित व्यवहार परिवर्तन के आधार पर करता है। इस दृष्टिकोण से मूल्यांकन शिक्षा के उद्देश्यों पर आधारित है। मापन द्वारा गुणों, योग्यताओं तथा विशेषताओं के परिमाण के बारे में जानकारी प्राप्त होती है कि अमुक छात्र ने 50 में से 30 या 40 अंक प्राप्त किए हैं, परंतु 50 में से 30 या 40 अंक प्राप्त करना ही पर्याप्त नहीं होता है। अध्यापक को यह जानना आवश्यक है कि प्राप्तांक कितने अच्छे हैं? अतः मूल्यांकन के अंतर्गत किसी गुण,योग्यता या विशेषता का मूल्य निर्धारित किया जाता है अर्थात मूल्यांकन द्वारा परिमाणात्मक या गुणात्मक दोनों ही प्रकार की सूचनाएं प्राप्त होती हैं। इसके आधार पर छात्र की योग्यता एवं उपलब्धि दोनों का आकलन किया जाता है।


मूल्यांकन के शाब्दिक अर्थ को स्पष्ट करते हुए कहा जा सकता है कि मूल्यांकन दो शब्दों के मेल से बना है-


मूल्यांकन =     मूल्य + अंकन

(Evaluation)  (value) +(Assigning numbers)


इस प्रकार मूल्यांकन का आशय किसी वस्तु या व्यक्ति के मूल्य को आंकने कि वह प्रक्रिया है जिसमें माँपित मूल्य का अवलोकन कर उसकी उपयोगिता या मूल्य का निर्धारण किया जाता है।


प्रश्न. शैक्षिक मूल्यांकन की त्रिमुखी प्रक्रिया को चित्र सहित लिखिए।


उत्तर- ड्यूवी के अनुसार- "शैक्षिक मूल्यांकन एक त्रिमुखी प्रक्रिया है"।


According to Dewey ," Educational evaluation is a tripolar process.


शैक्षिक मूल्यांकन एक जटिल प्रक्रिया है। नवीन धारणा के अनुसार इस प्रक्रिया के तीन महत्वपूर्ण बिंदु है-


1.शिक्षण उद्देश्य(Instructional or Al Objectives)


2.अधिगम अनुभव (Learning Experiences)


3.मूल्यांकन के उपकरण या व्यवहार परिवर्तन (Tools of Evaluation or Behaviour Change)


ड्यूवी ने शैक्षिक मूल्यांकन के तीन बिंदु या अंग होने के कारण इसे त्रिमुखी प्रक्रिया कहा है। अतः तीनों अंग परस्पर घनिष्ठ रूप से संबंधित है जिसे निम्न चित्र में दर्शाया गया है-


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प्रश्न . डॉक्टर पटेल के अनुसार शैक्षिक मूल्यांकन की प्रक्रिया त्रिमुखी है अथवा चतुर्मुखी।


उत्तर- डॉक्टर पटेल के अनुसार ,"शैक्षिक मूल्यांकन की प्रक्रिया चतुर्मुखी है।"


4 बिंदु निम्न प्रकार हैं- 


1.विषय वस्तु (Content or Curriculum)

2.शैक्षिक उद्देश्य ( Educational Objectives)

3.अधिगम क्रियाएं (Learning Activities)

4.मूल्यांकन पद्धति( Evaluation Procedures)


प्रश्न. मूल्यांकन की शिक्षा में आवश्यकता तथा महत्व बताइए।


उत्तर- मापन और मूल्यांकन की शिक्षा में निम्न आवश्यकता एवं महत्व इस प्रकार है-


1.सीखने की प्रेरणा (Motivation of Learning)


2.शिक्षण में उन्नति (Progress in Teaching)


3.पाठ्यक्रम में परिवर्तन (Modification in Curriculum)


4.निर्देशन एवं परामर्श में सहायक (Helpful in Guidance and Counselling)


5.परीक्षा प्रणाली में सुधार ( Improvement in Examination system)


6.विद्यालयों में सुधार ( Improvement in Institutions)


प्रश्न . शिक्षा में मूल्यांकन के उद्देश्यों का संक्षिप्त में वर्णन कीजिए।


उत्तर- मापन एवं मूल्यांकन का अपने में न कोई उद्देश्य होता है और न कार्य, जिस क्षेत्र में इनका प्रयोग जिन उद्देश्यों से किया जाता है उस क्षेत्र में इनके वही उद्देश्य होते हैं और इन उद्देश्यों की पूर्ति करना इनके कार्य होते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में मापन एवं मूल्यांकन के उद्देश्य एवं कार्य निम्न हैं-


(1) चयन एवं वर्गीकरण में सहायक (Helpful in Selection and Classification) ।


(2) पूर्वकथन (Prediction) ।


(3) तुलना (Comparison)।


(4) परामर्श एवं निर्देशन (Guidance and Counselling)।


(5) निदान (Diagnosis) 


(6) अन्वेषण एवं शोध कार्य (Researches) 


(7) संशोधन (Modification)।


(8) अभिभावकों, प्रबन्धकों एवं प्रशासकों को छात्र की उपलब्धि के विषय में बताना (To tell the students achievement to their Parents, Guardian and management and administrators) I


प्रश्न . मूल्यांकन के क्षेत्र स्पष्ट कीजिए।


उत्तर - मूल्यांकन का क्षेत्र अत्यधिक व्यापक है-आर. एस. वर्मा के अनुसार,“मूल्यांकन के क्षेत्र से हमारा तात्पर्य उन क्षेत्रों से है, जिनमें व्यवहारगत परिवर्तन हो सकते हैं। दूसरे शब्दों में, किसका मूल्यांकन किया जाए प्रश्न का उत्तर ही मूल्यांकन का क्षेत्र निर्धारित करना है। मूल्यांकन द्वारा हम व्यक्तित्व के विभिन्न आयामों का पता लगाते हैं। ये आयाम संवेगात्मक, सामाजिक, नैतिक, शारीरिक तथा बौद्धिक क्षेत्रों से सम्बन्धित हो सकते हैं।" मूल्यांकन का सम्बन्ध केवल छात्र की बौद्धिक उपलब्धि से न होकर उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व से है-


रेमर्स तथा गेज के अनुसार, "मूल्यांकन की प्रक्रिया की व्यापकता छात्र के समस्त व्यक्तित्व पर अपने प्रसार का उल्लेख करती है न कि केवल उसकी बौद्धिक उपलब्धि पर।" मूल्यांकन के क्षेत्र के अन्तर्गत छात्र के व्यक्तित्व के अग्र अंग हैं-


1.ज्ञान (Knowledge)- मूल्यांकन में इस बात का अध्ययन किया जाता है कि छात्र ने विषय- वस्तु के सम्बन्ध में कितना ज्ञान अर्जित किया है।


2. कुशलताएं (Skills)-  कुशलताओं का सम्बन्ध पाठ्य विषय  से संबंधित कुशलताओं से है।


3. रुचियां (Interest)- इनका संबंध किसी वरिष्ठ विषयक रिया को पसंद करने या ना करने से है। अभिरुचि परीक्षणों का आयोजन इसी उद्देश्य से किया जाता है।


4. बोध या अवबोध (Comprehension)-  बोध से तात्पर्य है कि छात्र सीखी हुई सामग्री की कितने प्रकार से व्याख्या करने की क्षमता रखता है।


5.योग्यताएं (Abilities)- छात्रों की योग्यताओं का ज्ञान करना, योग्यताएं सामान्य तथा विशिष्ट दोनों प्रकार की होती हैं।


6. सूचना (Information)- छात्र ने ज्ञान के संबंध में कितनी सूचना का संकलन किया है।


7. बुद्धि (Intelligence)- यह ज्ञात करना कि कुछ छात्र क्यों भूल करते हैं तथा गलतियों की पुनरावृति क्यों करते हैं।


8.शारीरिक स्वास्थ्य (Physical health)- शारीरिक स्वास्थ्य का मापन करना मूल्यांकन के क्षेत्र के अंतर्गत आता है। इसके लिए 'प्रश्नावली' स्वास्थ्य इतिहास तथा निरीक्षण पद्धतियों का प्रयोग किया जाता है। वास्तव में शारीरिक, स्वास्थ्य भी एक महत्वपूर्ण तत्व है, जिसका मापन किए बिना कोई भी मूल्यांकन अधूरा रह जाएगा।


9. छात्रों की त्रुटियां (Mistakes of Students)- 


मूल्यांकन के द्वारा छात्र की जांच हो जाती है। कि वह त्रुटियां क्यों कर रहा है। त्रुटियों का ज्ञान हो जाने पर उनके निराकरण के प्रयास किए जाते हैं।


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