नैनीताल पर निबंध || Nainital essay in hindi

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नैनीताल पर निबंध || Nainital essay in hindi

नैनीताल पर निबंध || Nainital essay in hindi 

नमस्कार दोस्तों आज नैनीताल पर निबंध विषय पर निबंध जानेंगे। नैनीताल उत्तर प्रदेश का एक अत्यंत रमणीय, आकर्षक और आनंददायक पर्यटक और पर्यतीय स्थल है । 1938 मीटर ऊंचाई पर स्थित है इस  पर्यतीयस्थल की जीत ने प्रशंसा की जाय कम है ।


 नैनीताल पर निबंध || Nainital essay in hindi

Table of contents 

नैनीताल की सैर

नैनीताल कहां पर है।

नैनीताल में कई दर्शनीय स्थल है ।

प्रतिवर्ष हजारों देसी विदेशी पर्यटक यहां आनंद उठाने,


पन्ने की तरह चमचमाती नैनी जिले का मुख्य आकर्षण है

नैनीताल अन्य स्थानों से भी सड़क मार्ग

इस ग्रीष्म अवकाश में मुझे भी नैनीताल जाने का सौभाग्य मिला

नैनीताल की मशहूर चीज क्या है?

ब्रिटिश काल

इस विषय में मैंने कई पुस्तकों और पत्रिकाएं पड़ी 


प्रतिवर्ष हजारों देसी विदेशी पर्यटक यहां आनंद उठाने,


स्वास्थ्य लाभ करने और घूमने आते हैं । यह नगर एक विशाल झील के चारों ओर बसा हुआ है । झील पत्रे की तरह शोभायमान है जिसका नाम है नैनी झील ।झील और नगर दोनों का एक ही नाम है जो स्थानीय दैवी नैनी के नाम पर पड़ा है ।नैना देवी का यही एक भव्य मंदिर है ।


नैनीताल की सैर


नैनीताल एक रमणीक पर्यटक स्थल है | स्कद पुराण के  मानस बाद में नैनीताल एक ताल( झील ) जैसे त्री - ऋषि सरोवर कहा जाता था Iयातील विषयों की एक प्रसिद्ध कथा है यह ऋषि थे - आत्रि पलसत्य और पलह ।जब हो नैनीताल में कही जल नहीं मिला दोनों ने एक गड्ढा खोदा और उसे तिब्बत की मानसरोवर झील के जल से भरा । जनश्रद्धा के अनुसार जो भी मनुष्य नैनीताल की इस झील में डुबकी लगाता है उसे मानसरोवर के बराबर पुण्य लाभ मिलता है ।


ऐसा माना जाता है कि नहीं ताल 64 शक्तिपीठों में से एक है ।यह वह स्थान है जहां सती (पार्वती)की आंख गिरी थी जब भगवान से उनको जली हुई अवस्था में ले जा रहे थे इसलिए इस स्थान का नाम नैनीताल पड़ गया बाद में इसे नैनीताल कहा जाने लगा ।आज नैना देवी के मंदिर के मंदिर में देवी शक्ति पूजा होती है ।


ब्रिटिश काल


अंग्रेजों ने कमायू एवं गढ़वाल पर्सन 1815 में कब्जा किया । अंग्रेजो के अधिपत्य के पश्चात से ही गार्डन को 8 मई 1815 को कुमाऊं मंडल के आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया ।1817 में कुमायूं के दूसरे आयुक्त श्री जी. जे .ट्रेल ने कुमायूं यह दूसरे राजस्व निपटान का संचालन किया था ।सीरी ट्रेल नैनीताल की यात्रा करने वाले पहले यूरोपीय थे,लेकिन उन्होंने इस जगह की धार्मिक पवित्रता को देखते हुए अपनी यात्रा को ज्यादा प्रचारित नहीं किया ।


सन 1829 ई.मैं एक अंग्रेज व्यापारी पी.बैरन थे ।वह रोजा जिला शाहजहांपुर मैं चीनी का व्यापार करते थे । इसी पी . बैरन नाम के अंग्रेज को पर्वतीय अंचन में घूमने का अत्यंत शौक था ।केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा करने के बाद है उत्साही युवक अंग्रेज क कुमाऊं मखमली धरती की ओर बढ़ता चला गया |एक बार खैरना नाम के स्थान पर अंग्रेज युवक अपने मित्र कैप्टन टेलर के साथ ठहरा हुआ था ।प्राकृतिक दृश्यो को देखने का इन्हें बहुत शौक था ।उन्होंने एक स्थानीय पेप्सी से जब शेर का झंडा इलाके की जानकारी प्राप्त की तो उन्हें बताया गया कि सामने जो पर्वत है उसको ही शेर का झंडा कहते हैं और वही पर्वत के पीछे एक सुंदर ताल भी है । बैरान ने उस व्यक्ति से ताल तक पहुंचने का रास्ता पूछा परंतु घनघोर जंगल होने के कारण और जंगली पशुओं के डर से वह व्यक्ति तैयार न हुआ ।परंतु बिकट पर्वतारोही बैरन पीछे हटने वाले व्यक्ति नहीं थे ।गांव के कुछ लोगों की सहायता से पी. बैरान ने शेर का झंडा (2360 मी.)को पार कर नैनीताल की झील तक पहुंचने का सफल प्रयास किया ।इस क्षेत्र में पहुंचकर और यहां के सुंदरता देखकर पी. बैरान मन्त्रुमुग्ध  हो गए Iउन्होंने उसी दिन तय कर डाला कि वे अब रोजा शाहजहांपुर की गर्मी को छोड़कर नैनीताल की इन आबादियों को ही अबाद करेंगे ।


इस ग्रीष्म अवकाश में मुझे भी नैनीताल जाने का सौभाग्य मिला |हम  काठगोदाम तक रेल से गए और फिर वहां से टैक्सी द्वारा नैनीताल ।काठगोदाम से नैनीताल केबल 35 किलोमीटर दूर है ।दोनों स्थान पक्की सड़क से जुड़े हुए हैं ।


नैनीताल अन्य स्थानों से भी सड़क मार्ग


 द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है ।यहां से अल्मोड़ा 68 किलोमीटर दिल्ली 322 किलोमीटर और रानीखेत 59 किलोमीटर है ।इन सभी शहरों से नैनीताल रोज बसे आती जाती है ।पतंनगर का फूलबाग हवाई अड्डा यहां से 71 किलोमीटर दूर है | मैं नैनीताल पूरी तैयारी के साथ गया था । इस पर्यटक स्थल के बारे में जितनी भी जानकारी हो सकती थी मैंने एकत्र कर रखी थी ।


 नैनीताल पर निबंध || Nainital essay in hindi

इस विषय में मैंने कई पुस्तकों और पत्रिकाएं पड़ी 


और अपने गुरु जैसे भी जानकारी ली ।वह कई बार यहां का भ्रमण  कर चुके थे ।इतनी सारी जानकारी के कारण मेरा आनंद और भी कई गुना बढ़ गया ।मेरे  माता - पिता मेरे इस ज्ञान से आश्चर्यचकित रह गए और मेर भूरी -भूरी प्रशंसा की जब हम नैनीताल पहुंचे तो रात हो चुकी थी ।आता हमने एक होटल में आश्रय मेंलिया खाना खाया और सो गए क्योंकि लंबी आता के कारण कुछ थके हुए भी थे ।अगले दिन से हमारी सुखद व भ्रमणकारी दिन चार्य काप्रारंभ हुआ जो 1 सप्ताह तक निर्वाध   चलता रहा Iकहा जाता है कि एक अंग्रेज पर्यटक औरनए नैनीताल को 1841 में खोज निकाला था उसका नाम बरो था Iहम सब उस व्यक्ति के सचमुच श्रेणी है |उसने अंग्रेजी प्रशासको  को इसे विकसित करने के लिए प्रेरित वाह उत्साहित किया और देखते ही देखते नैनीताल संयुक्त प्रान्तकी ग्रीष्मकालीन  राजधानी और प्रिया पर्यटक स्थल बन गया |प्रसिद्ध शिकारी और पर्यावरणविद जिम कोरबेट ने भी अपनी पुस्तक माई इंडिया में इसका विस्तार से जिक्र किया ।


पन्ने की तरह चमचमाती नैनी जिले का मुख्य आकर्षण है


 हमने इसमें नौका विहार का कई बार आनंद लिया ।हर बार हम एक नया और अविस्मरणीय अनुभव हुआ ।इसके चारों ओर विलो के सुंदर पेड़ है जिनकी पानी में परछाइयां दृश्य को मायावी बना देते हैं ।रात में शहर की रोशनी के जेल में झिलमिलाती अनगिनत प्रतिबिम्ब दृश्य को अलौकिक और चमत्कारी बना देते हैं ।परंतु दुख की बात है कि नैनी झील प्रदूषण का बुरी तरह शिकार हो रही है । नैनी जेल सर को मल्लीताल और तल्लीताल दो भागों में विभक्त करती है.


नैनीताल में कई दर्शनीय स्थल है ।


 सबसे पहले हम नैना चोटी गए इसे चाइना पीक भी कहते हैं 2 ,611 मीटर ऊंचा स्थान सैलानियों को बहुत आकर्षित करता है |हिमालय की हिमाच्छादित चोटिया के यहां से भलीभांति दर्शन किए जाते सकते हैं ।यहां से नैनीताल शहर और झील के दृश्य भी बड़े मनोरम दिखाई देते हैं ।लारिया कान्ता यहां की दूरी दूसरी सबसे ऊंची चोटी है



यहां से विचारों और के सुंदर नजारे देखे जा सकते हैं ।

हनुमानगढ़ी एक अन्य आकर्षक स्थल है ।हनुमान जी का मंदिर है जहां दर्शनार्थियो और पूजा पाठ बालों की भीड़ लगी रहती है ।स्टेट औवजरवेट्री डॉरोथी सीट और कीलबरी यहां के अन्य  दर्शनीय स्थान और चोटियां है ।


FAQ-question


प्रश्न-नैनीताल में कितने ताल हैं

उत्तर-सरोवर नगरी नैनीताल से करीब 22 किलोमीटर की दूरी पर साताल से स्थित है। यहां पहुंचने के लिए घने जंगलों से होकर गुजरना पड़ता है जंगल के बीच में यह सातताल मौजूद है।


प्रश्न-उत्तराखंड में कितनी ताल है।

उत्तर-कुमाऊं अंचल के सभी तालों मैं 7 तारीख को जो अनोखा और नर्सरी सौंद्र है वह किसी दूसरे ताल का नहीं है।


प्रश्न-नैनीताल कहां पर है।

उत्तर-नैनीताल भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित है।


प्रश्न-नैनीताल के बारे में बताइए।

उत्तर- नैनीताल भारत के उत्तराखण्ड राज्य के नैनीताल ज़िले में स्थित एक नगर और महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। कुमाऊँ क्षेत्र में नैनीताल का विशेष महत्व है। यह 'छखाता' परगने में आता है। 'छखाता' नाम 'षष्टिखात' से बना है। 'षष्टिखात' का तात्पर्य साठ तालों से है। इस अंचल में पहले साठ मनोरम ताल थे। इसीलिए इस क्षेत्र को 'षष्टिखात' कहा जाता था। आज इस अंचल को 'छखाता' नाम से अधिक जाना जाता है। इसे भारत का लेक डिस्ट्रिक्ट कहा जाता है, क्योंकि यह पूरी जगह झीलों से घिरी हुई है। 'नैनी' शब्द का अर्थ है आँखें और 'ताल' का अर्थ है झील। बर्फ़ से ढ़के पहाड़ों के बीच बसा यह स्‍थान झीलों से घिरा हुआ है। इनमें से सबसे प्रमुख झील नैनी झील है जिसके नाम पर इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा है। लंबाई– 1500 मीटर, चौड़ाई –510मीटर, गहराई –10से 156मीटर


प्रश्न-नैनीताल की मशहूर चीज क्या है?

उत्तर-


10 नैनीताल दर्शनीय स्थल


  1. इको केव गार्डन झूलते बगीचों एवं संगीतमय फव्वारों के लिए प्रसिद्ध यह गुफा 6 छोटी गुफाओं का मिश्रण है जिन्हें जानवरों के आकार में बनाया गया है। 

  2. नैनी झील 

  3. स्नो व्यू पॉइन्ट 

  4. टीफिन टॉप 

  5. नैना पीक 



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