Essay on my favourite subject math || मेरे पसंदीदा विषय गणित पर निबंध

Ticker

Essay on my favourite subject math || मेरे पसंदीदा विषय गणित पर निबंध

Essay on my favourite subject math || मेरे पसंदीदा विषय गणित पर निबंध

नमस्कार दोस्तों, आज की इस पोस्ट में हम आपको मेरे पसंदीदा विषय गणित पर निबंध लिखना बताएंगे। दोस्तों अगर आप जानना चाहते हैं कि गणित विषय का इतिहास क्या है और यह शब्द कहां से आया तो दोस्तों यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित हो सकती है तो इसलिए आपको इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ना है।


मेरा प्रिय विषय पर निबंध,my favourite subject essay in Hindi,मेरा प्रिय विषय गणित पर निबंध,मेरा पसंदीदा विषय पर निबंध, Mera Priye vishay ganit Hindi nibandh,गणित के मेरे पसंदीदा विषय पर अनुच्छेद हिंदी,10 lines on my favourite subject maths in Hindi,मेरा पसंदीदा विषय गणित पर 10 वाक्य, my favourite subject maths essay in Hindi,गणित का इतिहास पर निबंध, गणेश जी उत्पत्ति कैसे हुई


मेरी पसंदीदा विषय गणित पर निबंध हिंदी में,मेरे प्रिय विषय पर निबंध हिंदी में,गणित विषय में निबंध कैसे लिखें 200 शब्दों में,गणित विषय के जनक कौन हैं,गणित विषय की शुरुआत कब हुई,गणित विषय का इतिहास क्या है,गणित विषय की उत्पत्ति कब और कैसे हुई,गणित विषय का क्या अर्थ होता है,गणित विषय पर हिंदी निबंध

Table of contents –


गणित का अर्थ 

गणित की उत्पत्ति

गणित की प्रकृति

गणित का इतिहास

गणित का महत्व

भौतिकी में गणित का महत्व

गणित की प्रकृति के मुख्य बिंदु

प्रमुख गणितज्ञ

मेरे प्रिय विषय गणित पर 10 वाक्य

FAQ


गणित का अर्थ –


गणित का शब्द-भाव होता है - वह विद्या जिसमें गणनाओं की प्रमुखता हो। गणित अंक, शब्द, चिन्ह आदि सूक्ष्म संकेतों (मानकों) की वह विद्या है, जिसकी सहायता से परिणाम, दिशा तथा स्थान का ज्ञान होता है।


वास्तव में गणित, वह विद्या है, जिसे मानव कौशल को सत्य के अन्वेषण के लिए निर्मित किया गया है। गणित विषय का प्रारंभ गिनती से हुआ है और संख्या विधि इसका प्रमुख क्षेत्र है, जिसके उपयोग से गणित की अन्य विधाओं को उत्पन्न किया गया है।

            वैज्ञानिक प्रकृति को वर्तमान में गणितीय प्रकृति का पर्याय माना जाता है। सामाजिक, भौतिक तथा सांस्कृतिक विकास गणित से संभव है।


गणित की उत्पत्ति – 


'गणित' शब्द 'गण' धातु से बना है जिसका अर्थ होता है - 'गिनना'। गणित को अंग्रेजी में 'मैथमेटिक्स' कहते हैं। गणित के अंग्रेजी शब्द 'मैथमेटिक्स' शब्द की उत्पत्ति यूनानी शब्द 'मैथेमेटा' से हुई है, जिसका अर्थ है - 'वस्तुएं' (विषय) जिनका अध्ययन किया जाता है। वास्तव में गणित का शाब्दिक अर्थ है - 'वह शास्त्र जिसमें गणनाओं की प्रधानता होती है।' अंकगणित में वर्तमान में संख्या, परिमाण, राशि, दिशा संबंधी ज्ञान का विस्तृत विवेचन किया जाता है।


लॉक के अनुसार – "गणित वह पथ है, जिसके द्वारा मनमस्तिष्क में तर्क करने की प्रवृत्ति स्थापित होती है।"


मार्शल एच. स्टोन के अनुसार – "गणित एक ऐसी विद्या का ज्ञान है जो कि अमूर्त तत्वों से मिलकर बनी है। इन तत्वों को मूर्त रूप में परिभाषित किया गया है।"


रसैल के अनुसार – "गणित एक ऐसा विषय है, जिसमें यह कभी नहीं कहा जा सकता है कि, किस विषय में बातचीत हो रही है या जो कुछ कहा जा रहा है वह सत्य है।"


गैलीलियो के अनुसार – "गणित वह भाषा है, जिसमें परमेश्वर ने संपूर्ण जगत या ब्रह्मांड को लिख दिया है।"


आइंस्टीन के अनुसार – "गणित क्या है? यह उस मानव चिंतन का प्रतिफल है जो अनुभवों से स्वतंत्र है तथा सत्य के अनुरूप है।"


यंग के अनुसार – ''यदि विज्ञान की रीढ़ की हड्डी हटा दी जाए, तो संपूर्ण भौतिक सभ्यता नि:संदेह नष्ट हो जाएगी।"


प्लेटो के अनुसार – ''गणित एक ऐसा विषय है जो मानसिक शक्तियों को प्रशिक्षित करने का अवसर प्रदान करती है। एक सुषुप्त आत्मा में चेतन एवं नवीन जागृति उत्पन्न करने का कौशल गणित ही प्रदान कर सकता है।"


इस प्रकार उपयुक्त परिभाषाओं से निष्कर्ष निकलता है कि –


  • गणित सभी विज्ञानों की जननी है।

  • यह आगमनात्मक तथा प्रायोगिक विज्ञान है।

  • यह सभ्यता एवं संस्कृति का दर्पण है।

  • गणित में गणनाओं की प्रधानता होती है ‌

  • यह तार्किक विचारों का विज्ञान है।

  • गणित में संपूर्ण जगत विद्यमान है।

  • निश्चितता - गणित में अन्य विषयों की अपेक्षा परिणामों में निश्चितता अधिक होती है।

  • संक्षिप्तता - इससे निकाले गए निष्कर्ष संक्षिप्त होते हैं।

  • मौलिकता - इसकी प्रकृति प्रयोग केंद्रित एवं मौलिक होती है।

  • सरलता - केवल 4 आधारभूत गणनाओं तक ही इसकी सारी पाठ्यवस्तु सीमित है। यही एकमात्र ऐसा विषय है, जिसमें छात्रों को स्वयं ही सिद्धांतों का प्रयोग कर समस्या का समाधान का अवसर मिलता है।

  • शुद्धता - इसका सबसे महत्वपूर्ण आधार शुद्धता के प्रति उसकी प्रतिबद्धता है।

  • परिणाम का सत्यापन - चाहे कोई भी, कहीं भी और कभी भी गणना करे, यदि आंकड़े समान है तो परिणाम निश्चित रूप से समान ही आएगा।


गणित की प्रकृति –


गणित की दुनिया अमूर्त चीजों और उनके बीच संबंधों की दुनिया है। गणित विषय की प्रकृति विद्यालय में पढ़ाए जाने वाले विषयों से अलग है। एक अच्छा गणितज्ञ होने के लिए सभी अवधारणाओं को समझना, लागू करना और उनसे संबंध बनाना महत्वपूर्ण है।


क्षेत्रफल को अवधारणा से परिचित कराने के लिए शिक्षक हथेली पट्टे, नोटबुक आदि विभिन्न वस्तुओं की सहायता से किसी आकृति के क्षेत्रफल की तुलना करने से शुरुआत कर सकता है। यदि गणित का एक सिद्धांत स्पष्ट नहीं आया हो, तो इसके अन्य सिद्धांतों को स्पष्ट समझ पाना कठिन होता है, क्योंकि इसके विभिन्न भाग एक दूसरे को गहरे से अंतसंबंधित गणित की इस विशिष्ट प्रकृति को समझ सकते हैं।


गणित का इतिहास –


गणित की उत्पत्ति कैसे हुई, यह आज इतिहास के पन्नों में ही विस्मृत है। मगर हमें मालूम है कि आज के 4000 वर्ष पहले बेबीलोन तथा मिस्र सभ्यताएं गणित का इस्तेमाल पंचांग (कैलेंडर) बनाने के लिए किया करती थी जिससे उन्हें पूर्व जानकारी रहती थी कि कब फसल की बुआई की जानी चाहिए या कब नील नदी में बाढ़ आएगी, या फिर इसका प्रयोग वे वर्ग समीकरणों को हल करने के लिए किया करती थीं। उन्हें तो उस प्रमेय (थ्योरम) तक के बारे में जानकारी थी जिसका कि गलत श्रेय पाइथागोरस को दिया जाता था। उनकी संस्कृतियां कृषि पर आधारित थीं और उन्हें सितारों और ग्रहों के पथों के शुद्ध आलेखन और सर्वेक्षण के लिए सही तरीकों के ज्ञान की जरूरत थी। अंकगणित का प्रयोग व्यापार में रूपयों, पैसों और वस्तुओं के विनिमय या हिसाब किताब रखने के लिए पिया जाता था। ज्यामिति का इस्तेमाल खेतों के चारों तरफ की सीमाओं के निर्धारण तथा पिरामिड जैसे स्मारकों के निर्माण में होता था।

भारत के लिए यह गौरव की बात है कि 12 वीं सदी तक गणित की संपूर्ण विकास यात्रा में उसके उन्नयन के लिए किए गए सारे महत्वपूर्ण प्रयास अधिकांशतया भारतीय गणितज्ञों की खोजो पर ही आधारित थे।


गणित का महत्व –


पुरातन काल से ही सभी प्रकार के ज्ञान विज्ञान में गणित का स्थान सर्वोपरि रहा है-

यथा शिखा मयूराणां नागानां मणये यथा।

तथा वेदांग शास्त्राणां गणितं मूर्धिन स्थितम्।।

(जिस प्रकार मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे ऊपर है, उसी प्रकार सभी वेदांग और शास्त्रों में गणित का स्थान सबसे ऊपर है)


महान गणितज्ञ गाउस ने कहा था कि गणित सभी विज्ञानों की रानी है। गणित, विज्ञान और प्रौद्योगिकी का ऐप महत्वपूर्ण उपकरण है। भौतिकी, रसायन विज्ञान, खगोल विज्ञान आदि गणित के बिना नहीं समझे जा सकते‌। ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो वास्तव में गणित की अनेक शाखाओं का विकास ही इसलिए किया गया कि प्राकृतिक विज्ञान में इसकी आवश्यकता आ पड़ी थी।

       कुछ हद तक हम सब के सब गणितज्ञ हैं। अपने दैनिक जीवन में रोजाना ही हम गणित का इस्तेमाल करते हैं-उस वक्त जब समय जानने के लिए हम घड़ी देखते हैं, अपने खरीदे गए सामान या खरीदारी के बाद बचने वाली रेजगारी का हिसाब जोड़ते हैं या फिर फुटबॉल टेनिस या क्रिकेट खेलते समय बनने वाले स्कूल का लेखा-जोखा रखते हैं।

उच्च गति वाले संगणकों द्वारा गणनाओं को दूसरी विधियों द्वारा की गई गणनाओं की अपेक्षा एक अंश मात्र समय के अंदर ही संपन्न किया जा सकता है। इस तरह कंप्यूटरों के आविष्कार ने उन सभी प्रकार की गणनाओं में क्रांति ला दी है जहां गणित उपयोगी हो सकता है। जैसे-जैसे खगोलीय तथा काल मापन संबंधी गणनाओं की प्रामाणिकता में वृद्धि होती गई,वैसे-वैसे नौसंचालन भी आसान होता गया तथा क्रिस्टोफर कोलंबस और उसके परावर्ती काल से मानव सुदूरगामी नए प्रदेशों की खोज से घर से निकल पड़ा। साथ ही, आगे के मार्ग का नक्शा भी वह बनाता गया। गणित का उपयोग बेहतर किस्म के समुद्री जहाज, रेल के इंजन, मोटर कारों से लेकर हवाई जहाजों के निर्माण तक में हुआ है। रडार प्रणालियों की अभिकल्पना तथा चांद और ग्रहों आदि तक राकेट यान भेजने में भी गणित से काम लिया गया है।


भौतिकी में गणित का महत्व –


विद्युत चुंबकीय सिद्धांत समझने एवं उसका उपयोग करने के लिए सदिश विश्लेषण बहुत महत्वपूर्ण है।

ग्रुप सिद्धांत, स्पेक्ट्रोस्कॉपी, क्वांटम यांत्रिकी, ठोस अवस्था भौतिकी तथा नाभिकीय भौतिकी के लिए बहुत उपयोगी है।

भौतिकी में सभी तरह के रेखीय संकायों के विश्लेषण के लिए फुरिअर की युक्तियां उपयोगी हैं।

क्वांटम यांत्रिकी को समझने के लिए मैट्रिक्स विश्लेषण जरूरी है।

विद्युत चुंबकीय तरंगों का वर्णन करने एवं क्वांटम यांत्रिकी के लिए समिश्र संख्याओं का उपयोग होता है।


Essay on my favourite subject math || मेरे पसंदीदा विषय गणित पर निबंध

गणित की प्रकृति के मुख्य बिंदु –


1. गणित की भाषा अंतरराष्ट्रीय है। गणितीय भाषा का तात्पर्य गणितीय पद, गणितीय प्रत्यय, सूत्र, सिद्धांत तथा संकेतों से है। गणित में सामान्यीकरण, आगमन, निगमन, अमूर्तन आदि मानसिक क्रियाओं की सहायता से सिद्धांतों प्रक्रियाओं सूत्रों आदि को गणितीय भाषा में प्रकट किया जाता है।

2. गणित के ज्ञान से बालकों में प्रश्नात्मक दृष्टिकोण तथा भावना का विकास होता है। गणित का ज्ञान यथार्थ, क्रमबद्ध, तार्किक तथा अधिक स्पष्ट होता है, जिससे उसे एक बार ग्रहण करके आसानी से भुलाया नहीं जा सकता। गणित से बालकों में स्वस्थ तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होता है़। गणित के अध्ययन से प्रत्येक ज्ञान तथा सूचना स्पष्ट होती है। गणित के अध्ययन से बालकों में आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता का विकास होता है।

3. गणित आंशिक सत्य को भी स्वीकार नहीं करता, कभी भी गणना करें यदि आंकड़े समान है तो परिणाम सत्य ही होगा।

4. आंकड़े, स्थान, माप आदि गणित के स्तंभ हैं, इसमें वस्तुओं के संबंध तथा संख्यात्मक परिणाम निकाले जाते हैं।

5. गणित के कौशल का उपयोग अन्य विषयों में किया जाता है। भौतिक, रसायन विज्ञान सांख्यिकी तो गणित के भाग हैं, इसके अलावा भूगोल, वाणिज्य, जीव विज्ञान तथा प्रत्येक विषय में होता है।

6. गणित में अनेक गणितीय पद, प्रत्यय, सूत्र, सिद्धांत तथा संकेत होते हैं।

7. गणित का बोध संदर्भ, क्रमबद्ध, तार्किक तथा स्पष्ट होता है।

8. गणित की अपनी भाषा होती है, उन्हें संकेत, चित्र तथा लिपि के माध्यम से जाना जाता है।

9. गणित में अमूर्त प्रत्ययों को मूर्त रूप में परिवर्तित किया जाता है एवं इसकी व्याख्या की जाती है।

10. गणित के माध्यम से जो परिणाम निकाले जाते हैं तथा उनके आधार पर जो पूर्वानुमान लगाया जाता है वे हमारे लक्ष्यों को पूर्ण करने में सार्थक होते हैं।

11. गणित तथा वातावरण में उपलब्ध वस्तुओं, तथ्यों के बीच तुलना करने, संबंध देखने तथा सामान्यीकरण करने की योग्यता उत्पन्न होती है।

12. गणित विषय के बोध का स्तंभ, हमारी इंद्रियां होती हैं, जिन पर विश्वास किया जा सकता है।

13. गणित में सामान्यानुमान का क्षेत्र विस्तृत होता है, उसमें आगमन व निगमन भी सम्मिलित होता है।

14. गणित पूर्णतया नियमों, सिद्धांतों तथा सूत्रों में बंधा हुआ है, यह हमारी सभ्यता का आधार है।

15. गणित के अध्ययन से छात्रों में आत्मविश्वास उत्पन्न होता है।


श्री सी.वी भीमसंकरण के अनुसार – गणित की प्रकृति निम्न है-


यह परिणामात्मक एवं प्रतिरूपों का अध्ययन है।

यह सामान्यीकरण का विज्ञान है।

यह एक जीवंत और क्रम तथा माप की भाषा है।

यह भविष्य में आने वाली समस्याओं को हल करने में सक्षम है।

गणित के नए आविष्कार ने विभिन्न शाखाओं के एकीकरण में अपूर्व योगदान दिया है।

गणित की एक विशेष विधि होती है।

गणित में स्वयंसिद्धियां एवं अपरिभाषित शब्द आदि को चुनने की पूर्ण स्वतंत्रता है।


प्रमुख गणितज्ञ –


प्रमुख गणितज्ञों के नाम निम्नलिखित हैं–


अल् ख्वारिज्मी

डी एलम्बर्ट

आर्कीमीडीज

जॉर्ज बूल

जार्ज कैण्टर

कउची

रिचर्ड दडकिंद

रेने देकार्तीज

पियरे डी फर्मा

गलोई

कार्ल फ्रेडरिक गाउस

गोडेल्

हैमिल्टन

हिलबर्ट

हिपाशिया

ओमर खैयाम

जैकोबी

फेलिक्स क्लीन

कोल्मो गोरोव

पियरे साइमन लाप्लास

लैब्नीज

लाग्रेंस

लेबेस्क

जॉन फॉन न्युमान

जॉन नैश

आइज़क न्यूटन

एमी नोथर

पास्कल

पियानो

पाइथागोरस

पो आनकारे

पोटरी आजिन

श्रीनिवास रामानुजन

रेमैन

बट्रॉण्ड रसेल

जैकब श्टाइनर

वेल

जरमेलो


मेरे प्रिय विषय गणित पर 10 वाक्य –


1. मैं 12वीं कक्षा का छात्र हूं।

2. मुझे शुरू से ही गणित विषय में काफी दिलचस्पी है।

3. मुझे गणित विषय पढ़ना व दूसरों को पढ़ाना काफी पसंद है।

4. जब भी मुझे खाली समय मिलता है, तो मैं गणित के प्रश्नों को हल करता हूं।

5. मुझे गणित के इन प्रश्नों के हल निकालने में काफी मजा आता है।

6. पहले मुझे भी गणित विषय इतना अच्छा नहीं लगता था, लेकिन मैंने इसमें लगातार मेहनत की।

7. मैंने गणित विषय में दसवीं कक्षा में भी अच्छे अंक प्राप्त किए।

8. मैं अपने साथियों को भी गणित विषय पढ़ाता हूं।

9. मैं अपने से छोटी कक्षा के विद्यार्थियों को गणित पढ़ाता हूं।

10. मैं भविष्य में गणित का अध्यापक बनना चाहता हूं।


Frequently asked questions (FAQ)-


प्रश्न - गणित शब्द की उत्पत्ति कब हुई?

उत्तर - यह प्राचीन हिंदू शब्द 'गणिता' से लिया गया है। यह गणित शब्द से बना है। यह ग्रीक शब्द मैथेमा से बना है।

प्रश्न - गणित शब्द की शुरुआत कब हुई?

उत्तर - एक प्रदर्शनकारी अनुशासन के रूप में गणित का अध्ययन 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में पाइथागोरस के साथ शुरू हुआ, जिन्होंने प्राचीन ग्रीक (गणित) से ''गणित' शब्द गढ़ा, जिसका अर्थ है ''निर्देश का विषय"।


प्रश्न - गणित की खोज किसने की?

उत्तर - आर्कमिडीज ने गणित की खोज की।


प्रश्न - गणित का जनक कौन है?

उत्तर - आर्कमिडीज को गणित का जनक माना जाता है। आर्यभट्ट को भारतीय गणित के जनक के रूप में जाना जाता है।


प्रश्न - गणित में कुल कितने सूत्र होते हैं?

उत्तर - वैदिक गणित, जगद्गुरु स्वामी भारती कृष्ण द्वारा सन् 1964 में विरचित एक पुस्तक है जिसमें अंकगणितीय गणना की वैकल्पिक एवं संक्षिप्त विधियां दी गई हैं। इसमें 16 मूल सूत्र तथा 13 उपसूत्र दिए गए हैं।


प्रश्न - गणित की खोज कब और किसने की?

उत्तर - माना जाता है कि विश्व में सबसे पहले गणित की खोज मिलेटस निवासी थेल्स द्वारा की गई थी, जिन्हें विश्व का सबसे पहला गणितज्ञ भी कहा जाता है। Thales of Miletus यूनान के महान दार्शनिक थे। इन्होंने ही गणित भूगोल के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था।


आशा करता हूं दोस्तों कि आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी और हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए बहुत ही उपयोगी साबित हुई होगी।

अगर आपको इस पोस्ट से कोई भी जानकारी पसंद आई हो तो पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर कर दीजिएगा।

Reference –

hi.m..wikipedia.org

यह Blog एक सामान्य जानकारी के लिए है इसका उद्देश्य सामान्य जानकारी प्राप्त कराना है। इसका किसी भी वेबसाइट या Blog से कोई संबंध नहीं है यदि संबंध पाया गया तो यह एक संयोग समझा जाएगा।

Post a Comment

और नया पुराने

inside

inside 2