उज्जैन का संपूर्ण पौराणिक इतिहास और वर्तमान || history of temple of Ujjain
आज के आर्टिकल में हम आपको जैन सर में घूमने वाली मशहूर जगहो (ujjain tourist places in Hindi) के बारे में बताएंगे। चूंकि उज्जैन एक धार्मिक नगरी है, इसलिए यहां देखने के लिए बहुत से मंदिर है। जिसमें महाकालेश्वर और काल भैरव मंदिर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। तो चलिए आज के इस आर्टिकल के जरिए हम आपको ले चलते हैं धार्मिक नगरी उज्जैन की यात्रा पर।
उज्जैन का संपूर्ण पौराणिक इतिहास और वर्तमान || history of temple of Ujjain |
Table of contents
प्रस्तावना-
ऐतिहासिक दृष्टि से उज्जैन के प्राचीन अतीत वर्णन श्रृखलाबाद नहीं है तथापि वैदिक काल में अवन्तिका नाम मिलता है ।ब्राह्मण ग्रंथों और उपनिषदों में भी उल्लेख है |महाभारत काल मैं तो ब विंद और अनुविद का राज्य यहां रहा है । इसी प्रकार भागवत आदि अठारह पुराणों में उज्जैन की बहूभावपूर्वक सर्व तीर्थो से श्रेष्ठता और महात्मा तथा अनेक पौराणिक घटनाओं का विस्तारपूर्वक रोचक वर्णन किया हुआ है ।पौराणिक भद्रसेन गंद गधवर्सन
रति देव इंद्र घुम्न के नाम को उज्जैन से संबंधित होना कौननहीं ?इसके अनंतर - मगधवशीय प्रद्योत का राज यहां था वह भगवान बुध के सामकालीन थे।उस समय उज्जैन का महत्व बहुत बढ़ा हुआ था |
उज्जैन का प्रसिद्ध मंदिर महाकालेश्वर मंदिर
मध्य प्रदेश राज्य में रुद्र सागर झील के किनारे प्राची उज्जैन में स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र और उत्कृष्ट तीर्थ स्थानों में से एक है। महाकालेश्वर मंदिर परिसर मराठा, भूमिका और चालुक्य शैलियों से प्रभावित है। उसमें एक विशाल प्रांगण है जो विशाल दीवारों से घिरा हुआ है। मंदिर के अंदर पांच स्तर है और स्तरों मैं से एक भूमिगत स्थित है। दक्षिणामूर्ति महाकालेश्वर की मूर्ति को दिया और गया नाम है और देवता दक्षिण की ओर मुख किए हुए हैं। इसे भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों मे से एक माना जाता है। इस मंदिर में मूर्ति ओकारेश्वर शिव की है और महाकाल मंदिर के ठीक ऊपर गर्भ ग्रह में देवता प्रतिष्ठित हैं। यहां हर साल कई धार्मिक त्यौहार और उत्सव भी मनाए जाते हैं। महाशिवरात्रि के शुभ दिन मंदिर परिसर में एक विशाल मेला लगता है। इनके अलावा मंदिर की भस्म- आरती भी देखने लायक होती है। आरती सुबह 4:00 बजे होती है। इस आरती को देखने के लिए भक्तों को कई तरह के नियमों का पालन करना होता है। मंदिर सुबह 4:00 बजे से रात 11:00 बजे तक भक्तों के लिए खुला रहता है।
उज्जैन के राम मंदिर घाट घूमने जरूर आएं -Ujjain mein Ram Mandir Ghat ghumne jarur jaen ine Hindi
राम मंदिर घाट हिंदुओं के लिए बहुत बड़ा धार्मिक महत्व है क्योंकि यह 4 स्थानों में से एक है जहां कुंभ मेला हर 12 साल में होता है। इसे कुंभ समारोह के सिलसिले में सबसे पुराने स्नान घाटों में से एक माना जाता है। मेगा कुंभ पर्व के दौरान लाखों लोग इस स्थान पर आते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यहां एक डुबकी लगाने से आपके सभी पाप धुल सकते हैं। राम मंदिर घाट से सूर्यास्त देखना अपने अनुभव का सबसे मनमोहक दृश्य होगा।
पूजन में लगने वाला कुंभ मेला एक हिंदू तीर्थ है जिसमें हिंदू और दुनिया भर के लोग इस पवित्र नदी में स्नान करने के लिए एक साथ इकट्ठा होते हैं। यह महिला प्रत्येक 12 वर्ष में केवल बाहर दिनों के लिए एक बार लगता है हरिद्वार में गंगा नदी का तट , नासिक में गोदावरी नदी इलाहाबाद में गंगा यमुना और सरस्वती का संगम और उज्जैन में क्षिप्रा नदी इस विशाल कार्निवल के लिए मुख्य स्थान है ।हरिद्वार ,इलाहाबाद ,नासिक और उज्जैन चार शहरों में से एक में हर 3 साल में कुंभ आयोजित होता है ।आखरी कुंभ मेला 2016 में उज्जैन में आयोजित किया गया था ।अगला कुंभ मेला 2028 में उज्जैन में आयोजित किया जाएगा ।यह माना जाता है कि इन नदियों में एक पवित्र डुबकी व्यक्तियों की आत्मा को साफ करती है और उन्हें उनके सभी पापों से मुक्त करती है ।
मंगलनाथ मंदिर
भगवान शंकर के अंश से मंगल ग्रह का जन्म इसी स्थान पर हुआ था । कर्क रेखा इसी मंदिर से होकर जाती है |मंगल ग्रह का मनुष्य जीवन पर बहुत असर होता है मंगल ग्रह की शांति के लिए यहां विशेष पूजा होती है ।यहां चावल से मंगल ग्रह की पिंड का विशेष अभिषेक व पूजन किया जाता है ।यह मंदिर अति प्राचीन है ।यहां दर्शन कर श्रद्धालु अपने कष्टों से मुक्ति पाते हैं तथा मंगलम भविष्य की कामना करते हैं |खेड़ मंदिर महाकालेश्वर मंदिर से लगभग 5
किमी की दूरी पर स्थित है
चिंतामन गणेश मंदिर
प्रथम पूजनीय श्री गणपति जी का मंदिर सब चिंताओं को दूर करने वाला Iभगवान भोले शंकर ने गणेश जी को वरदान दिया कि किसी भी शुभ कार्य कारण इनके पूजन के बिना नहीं होगा Iहर शुभ कार्य से पहले इनका आशीर्वाद लेना जरूरी है Iउज्जैन के लोग सब मांगलिक कार्यों का शुभारंभ चिंतामन गणेश के मंदिर से ही करते हैं ।शादी-विवाह का प्रथम निमंत्रण भी चिंतामन गणेश के चरणों में शादी कार्ड रखकर किया जाता है | श्रद्धालु यहां सुखी वैवाहिक जीवन की कामनाएं मांगते हैं तथा आशीर्वाद प्राप्त करते हैं Iलोग यहां मंत्रण के धागे बांधते हैं तथा मनोकामना पूर्ण होने पर फिर से यहां दर्शन करने आते हैं और पूजा करते हैं
उज्जैन में हरसिद्धी मंदिर harsiddhi temple ujjain in Hindi
हरसिद्धी मंदिर देवी हरसिद्धि के सम्मान में बनाया गया था। और शिप्रा नदी के पास स्थित देश भर में क्या 1 शक्तिपीठों में से एक हरी सिद्ध मंदिर में मां सरस्वती और महालक्ष्मी की मूर्तियां के बीच गहरे लाल रंग में चित्रित अन्नपूर्णा की एक मूर्ति है। ऐसा कहा जाए ताकि जब भगवान शिव सती के चलते शरीर को ले जाते समय तांडव कर रहे थे तब विष्णु ने अपना चक्र छोड़ा जिसमें उनका शरीर 51 भागों में विभाजित हो गया। इस मंदिर में आने वाले भक्तों का मानना है कि देवी की कोहनी उज्जैन में गिरी थी जहां इस मंदिर का निर्माण प्रसिद्ध राजा विक्रमादित्य ने करवाया था। यह मंदिर सुबह 5:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक खुला रहता है।
उज्जैन में काल भैरव मंदिर-Kaal Bhairav temple in Ujjain in Hindi
भैरव भगवान शिव का एक उग्र रूप है, और भैरवो मे काल भैरव सबसे महत्वपूर्ण है। प्राचीन शास्त्रों की मानें तो काल भैरव मंदिर को तंत्र मंथ से जोड़ा जाता है जो एक गुप्त धार्मिक संप्रदाय है जो काले जादू पर आधारित था। इस मंदिर में एक शिवलिंग है जो मांस रात्रि के दौरान इस धार्मिक स्थल पर हजारों श्रद्धालु को आकर्षित करता है। आप इस मंदिर के आस पास राख से सनी शरीर और लंबे उलझे वालों बाले कई साधुओं को भी देख सकते हैं। इस मंदिर के दर्शन सुबह 6:00 से रात के 8:30 बजे के बीच कर सकते हैं।
FAQ-question
प्रश्न- उज्जैन की कहानी क्या है?
उत्तर-शिव पुराण की कथा के अनुसार, उज्जयिनी में चंद्रसेन नाम का राजा शासन करता था, जो शिव भक्त था. भगवान शिव के गणों में से एक मणिभद्र से उसकी मित्रता थी. एक दिन मणिभद्र ने राजा को एक अमूल्य चिंतामणि प्रदान की, जिसको धारण करने से चंद्रसेन का प्रभुत्व बढ़ने लगा. यश और कीर्ति दूर दूर तक फैलने लगी.
प्रश्न-उज्जैन में बाबा महाकाल कैसे प्रकट हुए।
उत्तर- मंदिर का निर्माण 6वीं शताब्दी में उज्जैन के पूर्व राजा चंद्रप्रद्योत के पुत्र कुमारसेन ने करवाया था। राजा उदयादित्य और राजा नरवर्मन के अधीन 12वीं शताब्दी ईस्वी में इसका पुनर्निर्माण किया गया था। बाद में पेशवा बाजीराव-प्रथम के अधीन मराठा सेनापति रानोजी शिंदे ने 18वीं शताब्दी ईस्वी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।
प्रश्न-उज्जैन का संस्थापक कौन था?
उत्तर- सम्राट विक्रमादित्य गर्दभिल्ल वंश के शासक थे , उनके पिता राजा गर्दभिल्ल थे , भारत में शकों को बुलाने का श्रेय कलकाचार्य नामक साधु को है , शकों ने उज्जैन के शासक गर्दभिल्ल को युद्ध में हराकर उज्जैन पर अधिकार जमा लिया , तब राजा गर्दभिल्ल के पुत्र विक्रमादित्य ने शकों कर खिलाफ युद्ध किया , विक्रमादित्य ने शकों को प्रास्त।
प्रश्न-उज्जैन में बाबा महाकाल कैसे प्रकट हुए।
उत्तर- राक्षस के अत्याचारों से पीड़ित होकर प्रजा ने भगवान शिव का आह्वान किया, तब उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव धरती फाड़कर महाकाल के रूप में प्रकट हुए और राक्षस का वध किया. कहते हैं प्रजा की भक्ति और उनके अनुरोध को देखते हुए भगवान शिव हमेशा के लिए ज्योतिर्लिंग के रूप में उज्जैन में विराजमान हो गए।
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