MP Tet Varg 2 Math Pedagogy 2023 || (एमपी टीईटी वर्ग 2 गणित शिक्षाशास्त्र)

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MP Tet Varg 2 Math Pedagogy 2023 || (एमपी टीईटी वर्ग 2 गणित शिक्षाशास्त्र)

MP Tet Varg 2 Math Pedagogy 2023 || (एमपी टीईटी वर्ग 2 गणित शिक्षाशास्त्र)

नमस्कार दोस्तो , Welcome To Our Website

दोस्तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको गणित शिक्षण मतलब Maths Pedagogy की महत्वपूर्ण जानकारी देंगे। जो कि आपको टीचिंग से संबंधित महत्वपूर्ण Exams जैसे कि CTET, UPTET, MPTET Vyapam Exams HTET, REET व अन्य सभी State TET Exams जिनमें कि Maths Pedagogy से संबंधित प्रश्न पूंछे जाते हैं उनके लिये बहुत उपयोगी सिद्द होंगी !




MP Tet Varg 2 Math Pedagogy 2023 || (गणित शिक्षाशास्त्र)


गणित की प्रकृति एवं तर्कशक्ति, पाठ्यक्रम में गणित की महत्ता


गणित मनुष्य की प्रकृति का भाग है। इस इकाई में गणित शिक्षण को ध्यान में रखते हुए गणित के इतिहास की चर्चा की गयी है। गणित के स्वरूप को बोधगम्य बनाने हेतु गणित के विभिन्न बिन्दुओं जैसे अपरिभाषित पद, परिभाषित पद, साध्य, अभिगृहीत, उपपत्तियां इत्यादि की विस्तार से चर्चा की गयी है।



Table of content


MP Tet varg 2 गणित शिक्षाशास्त्र (Maths Pedagogy)

गणित का अर्थ 


गणित की उत्पत्ति


इस प्रकार उपर्युक्त परिभाषाओं से निष्कर्ष निकलता है कि

गणित की प्रकृति

गणित की प्रकृति के मुख्य बिन्दु

श्री सी.वी. भीमसंकरण के अनुसार, गणित की प्रकृति निम्न है :-

गणित का अर्थ

गणित की उत्पत्ति

Math Pedagogy Revision MCQ



गणित का अर्थ 


गणित का शब्द-भाव होता है वह विद्या जिसमें गणनाओं की प्रमुखता हो । गणित अंक, शब्द, चिन्ह आदि सूक्ष्म संकेतों (मानकों) की वह विद्या है, जिसकी सहायता से परिणाम, दिशा तथा स्थान का ज्ञान होता है ।


वास्तव में गणित, वह विद्या है, जिसे मानव कौशल को सत्य के अन्वेषण के लिए निर्मित किया गया है । गणित विषय का प्रारम्भ गिनती से हुआ है और संख्या विधि इसका प्रमुख क्षेत्र है, जिसके उपयोग से गणित की अन्य विद्याओं को उत्पन्न किया गया है ।


वैज्ञानिक प्रकृति को वर्तमान में गणितीय प्रकृति का पर्याय माना जाता है । सामाजिक, भौतिक तथा सांस्कृतिक विकास गणित से संभव है ।


गणित की उत्पत्ति


'गणित' शब्द 'गण' धातु से बना है जिसका अर्थ होता है - 'गिनना' । गणित को अंग्रेजी' में 'मेथेमैटिक्स' कहते हैं । गणित के अंग्रेजी शब्द 'मैथेमैटिक्स' शब्द की उत्पत्ति यूनानी शब्द 'मैथेमेटा' से हुई है, जिसका अर्थ है 'वस्तुएँ' (विषय) जिनका अध्ययन किया जाता है । वास्तव में गणित का शाब्दिक अर्थ है - 'वह शास्त्र जिसमें गणनाओं की प्रधानता होती है ।' अंकगणित में वर्तमान में संख्या, परिमाण, राशि, दिशा संबंधी ज्ञान का विस्तृत विवेचन किया जाता है ।


लॉक के अनुसार – "गणित वह पथ है, जिसके द्वारा मनमस्तिष्क में तर्क करने की प्रवृत्ति स्थापित होती है ।"


मार्शल एच. स्टोन के अनुसार - "गणित एक ऐसी विद्या का ज्ञान है जो कि अमूर्त तत्वों से मिलकर बनी है । इन तत्वों को मूर्त रूप में परिभाषित किया गया है ।"


रसैल के अनुसार - "गणित एक ऐसा विषय है, जिसमें यह कभी नहीं कहा जा सकता है कि, किस विषय में बातचीत हो रही है या जो कुछ कहा जा रहा है वह सत्य है


काण्ट के अनुसार - "प्राकृतिक विज्ञान केवल तब तक ही विज्ञान है, जब तक कि वह गणितीय है ।"


थॉर्नडाइक का मत, “विश्लेषण मन का सर्वोत्तम बौद्धिक प्रदर्शन है ।"

लेबनीज का मत, "संगीत मनुष्य के अस्थिर मन का अंकगणित की संख्याओं से संबंधित एक आधुनिक सुप्त व्यायाम है ।"


बनार्ड शॉ के अनुसार, "तार्किक चिंतन के लिए गणित एक शक्तिशाली साधन है ।"


वेदांग ज्योति के अनुसार, "जिस रूप में मयूरो के सिर पर मुकुट शोभामान होते हैं तथा सर्पों के सिर पर मणियाँ, वही सर्वोच्च स्थान वेदांग नाम से परिचित विज्ञानों में गणित का है ।"


पियर्स के अनुसार, "गणित एक विज्ञान है, जिसकी सहायता से

आवश्यक निष्कर्ष निकाले जाते हैं ।"


रोजर बैकन के अनुसार, "गणित समस्त विज्ञानों का सिर द्वार एवं कुंजी हैं ।"


गैलीलियों के अनुसार, "गणित वह भाषा है, जिसमें परमेश्वर ने सम्पूर्ण जगत या ब्रम्हाण्ड को लिख दिया है ।"


हॉगवैन के अनुसार, "गणित सभ्यता एवं संस्कृति का दर्पण है।"


आइन्सटीन "गणित क्या है ? यह उस मानव चिंतन का प्रतिफल है जो अनुभवों से स्वतंत्र है तथा सत्य के अनुरूप है ।"


हार्वर्ड कमेटी – “गणित को अमूर्त स्वरूप के विज्ञान के रूप में

परिभाषित किया जा सकता है ।"


गॉस के अनुसार, "गणित, विज्ञान की रानी है ।


जे. बिलार्ड गिब्स के अनुसार, 'गणित एक भाषा है ।'


यंग के अनुसार, 'यदि विज्ञान की रीढ़ की हड्डी हटा दी जाये, तो सम्पूर्ण भौतिक सभ्यता निःसंदेह नष्ट हो जायेगी ।"


लिन्डसे "गणित भौतिक विज्ञानों की भाषा है और निश्चित ही मा मस्तिष्क में उत्पन्न इससे उत्तम अन्य कोई भाषा नहीं है ।'


प्लेटो –"गणित एक ऐसा विषय है जो मानसिक शक्तियों को प्रशिक्षित करने का अवसर प्रदान करती है । एक सुषुप्त आत्मा में चेतन एवं नवीन जागृति उत्पन्न करने का कौशल गणित ही प्रदान कर सकता है ।"


बर्थलॉट - "गणित भौतिक अनुसंधान का एक आवश्यक उपकरण है।"


बेन्जामिन वीयर्स - "गणित एक ऐसा विज्ञान है, जो आवश्यक निष्कर्ष पर पहुँचता है ।


इस प्रकार उपर्युक्त परिभाषाओं से निष्कर्ष निकलता है कि


1.गणित सभी विज्ञानों की जननी है ।


2. यह आगमनात्मक तथा प्रायोगिक विज्ञान है ।


3. यह सभ्यता एवं संस्कृति का दर्पण है ।


4. गणित में गणनाओं की प्रधानता होती है ।


5. यह तार्किक विचारों का विज्ञान है ।


6. गणित में संपूर्ण जगत विद्यमान हैं


7. निश्चितता – गणित में अन्य विषयों की अपेक्षा परिणामों में निश्चितता अधिक होती है ।


8. संक्षिप्तता -- इससे निकाले गये निष्कर्ष संक्षिप्त होते हैं ।


9. मौलिकता - इसकी प्रकृति प्रयोग केन्द्रित एवं मौलिक होती है ।

10. सरलता –  केवल चार आधारभूत गणनाओं तक ही इसकी सारी पाठ्य वस्तु सीमित है । यही एकमात्र ऐसा विषय है, जिसमें छात्रों को स्वयं ही सिद्धांतों का प्रयोग कर समस्या का समाधान का अवसर मिलता है ।


11. शुद्धता - इसका सबसे महत्त्वपूर्ण आधार शुद्धता के प्रति उसकी प्रतिबद्धता है ।


12. परिणाम का सत्यापन चाहे कोई भी, कहीं भी और कभी भी

गणना करे, यदि आँकड़े समान हैं तो परिणाम निश्चित रूप से समान ही आयेगा ।


गणित की प्रकृति


गणित की दुनिया अमूर्त चीजों और उनके बीच संबंधों की दुनिया है। गणित विषय की प्रकृति विद्यालय में पढ़ाये जाने वाले विषयों से अलग है। एक अच्छा गणितज्ञ होने के लिए सभी अवधारणाओं को समझना, लागू करना और उनसे संबंध बनाना महत्वपूर्ण है ।


क्षेत्रफल को अवधारणा से परिचित कराने के लिए शिक्षक हथेली, पट्टे, नोटबुक आदि विभिन्न वस्तुओं की सहायता से किसी आकृति के क्षेत्रफल की तुलना करने से शुरूआत कर सकता है । यदि गणित का एक सिद्धान्त स्पष्ट नहीं आया हो, तो इसके अन्य सिद्धांतों की स्पष्ट समझ पाना कठिन होता है, क्योंकि इसके विभिन्न भाग एक-दूसरे को गहरे से अंतर्संबंधित गणित की इस विशिष्ट प्रकृति को समझ सकते हैं।


गणित की प्रकृति के मुख्य बिन्दु


1. गणित की भाषा अन्तर्राष्ट्रीय है । गणितीय भाषा का तात्पर्य गणितीय पद, गणितीय प्रत्यय, सूत्र, सिद्धान्त तथा संकेतों से है । गणित में सामान्यीकरण, आगमन, निगमन, अमूर्तन आदि मानसिक क्रियाओं की सहायता से सिद्धांतों प्रक्रियाओं सूत्रों आदि को गणितीय भाषा में प्रकट किया जाता है ।


2. गणित के ज्ञान से बालकों में प्रश्नात्मक दृष्टिकोण तथा भावना विकास होता है । गणित का ज्ञान यथार्थ, क्रमबद्ध, तार्किक अधिक स्पष्ट होता है, जिससे उसे एक बार ग्रहण करके आसानी से भुलाया नहीं जा सकता । गणित से बालकों में स्वस्थ तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होता है । गणित के अध्ययन से प्रत्येक ज्ञान तथा सूचना स्पष्ट होती है । गणित के अध्ययन से बालकों में आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता का विकास होता है ।


3. गणित आंशिक सत्य को भी स्वीकार नहीं करता, कभी भी गणना करे यदि आँकड़े समान हैं तो परिणाम सत्य ही होगा |


4. आँकड़े, स्थान, माप आदि गणित के स्तम्भ हैं, इसमें वस्तुओं के सम्बन्ध तथा संख्यात्मक परिणाम निकाले जाते हैं । 


5. गणित के कौशल का उपयोग अन्य विषयों में किया जाता है । भौतिक, रसायन विज्ञान सांख्यिकी तो गणित के भाग हैं, इसके अलावा भूगोल, वाणिज्य, जीवविज्ञान तथा प्रत्येक विषय में होता है।


6. गणित में अनेक गणितीय पद, प्रत्यय, सूत्र, सिद्धान्त तथा संकेत होते हैं । 


7. गणित का बोध संदर्भ, क्रमबद्ध, तार्किक तथा स्पष्ट होता है ।


9. गणित में अमूर्त प्रत्ययों को मूर्त रूप में परिवर्तित किया जाता है एवं इसकी व्याख्या की जाती है ।


10. गणित के माध्यम से जो परिणाम निकाले जाते हैं तथा उनके आधार पर जो पूर्वानुमान लगाया जाता है वे हमारे लक्ष्यों को पूर्ण करने में सार्थक होते हैं।


11. गणित तथा वातावरण में उपलब्ध वस्तुओं, तथ्यों के बीच तुल करने, संबंध देखने तथा सामान्यीकरण करने की योग्यता उत्पन्न होती है ।


12. गणित विषय के बोध का स्तम्भ, हमारी इन्द्रियाँ होती हैं, जिन पर विश्वास किया जा सकता है ।


13. गणित में सामान्यानुमान का क्षेत्र विस्तृत होता है, उसमें आगमन व निगमन भी सम्मिलित होता है ।


14. गणित पूर्णतया नियमों, सिद्धान्तों तथा सूत्रों में बंधा हुआ है, यह हमारी सभ्यता का आधार है । होता है ।


15. गणित के अध्ययन से छात्रों में आत्म-विश्वास उत्पन्न


16. छात्रों में आधुनिक व स्पष्ट दृष्टिकोण उत्पन्न होता है ।


17. गणित की प्रकृति का विश्लेषण शुद्धता, मौलिकता, सरलता परिणामों का सत्यापन तथा संक्षिप्तता के आधार पर होता है ।


18. गणित एक गतिशील एवं बौद्धिक उद्यम है । 


19. गणित का आधार कार्य कारक संबंध होता है ।


20. गणित एक यथार्थ विज्ञान है ।


21. गणित की प्रकृति तार्किक होती है ।


श्री सी.वी. भीमसंकरण के अनुसार, गणित की प्रकृति निम्न है :-


• यह परिणामात्मक एवं प्रतिरूपों का अध्ययन


• यह सामान्यीकरण का विज्ञान है ।


• यह एक जीवन्त और क्रम तथा माप की भाषा है ।


• यह भविष्य में आने वाली समस्याओं को हल करने में सक्षम है ।


• गणित के नये आविष्कार ने विभिन्न शाखाओं के एकीकरण में अपूर्व योगदान दिया है ।


गणित की एक विशेष विधि होती है


• गणित में स्वयंसिद्धियाँ एवं अपरिभाषित शब्दों आदि को चुनने की पूर्ण स्वतंत्रता है ।


गणित की प्रकृति एवं तर्कशक्ति, 

पाठ्यक्रम में गणित की महत्ता


गणित का अर्थ


गणित का शब्द-भाव होता है - वह विद्या जिसमें गणनाओं की प्रमुखता हो । गणित अंक, शब्द, चिन्ह आदि सूक्ष्म संकेतों (मानकों) की वह विद्या है, जिसकी सहायता से परिणाम, दिशा तथा स्थान का ज्ञान होता है।


वास्तव में गणित, वह विद्या है, जिसे मानव कौशल को सत्य के अन्वेषण के लिए निर्मित किया गया है । गणित विषय का प्रारम्भ गिनती से हुआ है और संख्या विधि इसका प्रमुख क्षेत्र है, जिसके उपयोग से गणित की अन्य विद्याओं को उत्पन्न किया गया है ।


वैज्ञानिक प्रकृति को वर्तमान में गणितीय प्रकृति का पर्याय माना जाता


है । सामाजिक, भौतिक तथा सांस्कृतिक विकास गणित से संभव है ।


गणित की उत्पत्ति


'गणित' शब्द 'गण' धातु से बना है जिसका अर्थ होता है - 'गिनना' । गणित को अंग्रेजी' में 'मेथेमैटिक्स' कहते हैं । गणित के अंग्रेजी शब्द 'मैथेमैटिक्स' शब्द की उत्पत्ति यूनानी शब्द 'मैथेमेटा' से हुई है, जिसका अर्थ है 'वस्तुएँ' (विषय) जिनका अध्ययन किया जाता है । वास्तव में - गणित का शाब्दिक अर्थ है - 'वह शास्त्र जिसमें गणनाओं की प्रधानता होती है ।' अंकगणित में वर्तमान में संख्या, परिमाण, राशि, दिशा संबंधी ज्ञान का विस्तृत विवेचन किया जाता है ।


लॉक के अनुसार - "गणित वह पथ है, जिसके द्वारा मनमस्तिष्क में तर्क करने की प्रवृत्ति स्थापित होती है ।"


Math Pedagogy Revision MCQ


Q. भिन्नों का योग पढ़ाते समय शिक्षक को नीचे दी हुई एक त्रुटि ज्ञात हुई- 1/1+1/3=2/5


इस स्थिति में शिक्षक को उपचारात्मक कार्य के रूप में क्या करना चाहिए –


(a) प्रत्येक भिन्न के परिमाण को समझने में बच्ची की सहायता करें।


(b) लघुतम समापवर्त्य (ल.स.) की अवधारणा को समझने में बच्ची की सहायता करें।


(c) बच्ची से कहें कि वह अधिक से अधिक अभ्यास करें।


(d) इसमें अधिक हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, क्योंकि बच्ची जैसे ही बड़ी होगी, वह समझ जाएगी।


Ans- (b)


Q. एक छात्र फर्श पर अपनी पुस्तक रखकर उसके चारों ओर पेन्सिल से लाइन खींचता है। खींची गई लाइनों की लम्बाईयों का योगफल है-


(a) किताब का क्षेत्रफल


(b) फर्श का क्षेत्रफल


(c) फर्श का परिमाप


(d) किताब का परिमाप


Ans- (d)


Q. एक विद्यार्थी गिलास में भरे हुए पानी को गिलास का आयतन बताता है। छात्र को स्पष्ट है-


(a) आयतन की अवधारणा


(b) आयतन की माप


(c) आयनत का सूत्र


(d) आयतन की इकाई


Ans- (a)


Q. कक्षा VI में शिक्षिका प्रत्येक बच्चे को एक सेन्टीमीटर ग्रिड, पेपर और कैंची देती है। वह उनसे चाहती है कि वे बताएं कि द्वि-आयामी आकृतियों को त्रि-आयामी वस्तुओं के रूप में किसे मोड़ा जा सकता है। विद्यार्थी निम्नलिखित में से कौनसी संकल्पना खोज रहे हैं?


(a) परावर्तन


(b)  पाश


(c) दशमलव


(d) घूर्णन 


Ans- (b)


Q. कक्षा में अधिगम की गतिविधि आयोजित करने में अत्यंत प्रभावशाली कारक निम्नलिखित में से कौन है?


(a) अभिप्रेरण


(b) अनुशासन


(c) पाठ्य विवरण


(d) श्रव्यदृश्य सहायक सामग्री


Ans- (a)


Q. गणित शिक्षण का मुख्य उद्देश्य है ।


(a) सवाल हल करने की क्षमता का विकास करना।


(b) सूत्र याद करने की क्षमता का विकास करना। 


(c) तार्किक ढंग से सोचने की क्षमता का विकास करना । 


(d) समस्याओं के हल करने की क्षमता का विकास करना ।


Ans- (c)


Q. आपकी समझ से एक अध्यापक के लिए कौनसा कौशल आवश्यक होता है-


(a) बच्चों को ज्ञान की खोज के लिए प्रोत्साहित करना।


(b) बच्चों के लिए सभी सूचना रखना।


(c) बच्चों से विषम वस्तु का स्मरण कराने की योग्यता ।


(d) बच्चो को परीक्षा में अच्छे प्रदर्शन के योग्य बनाना।


Ans- (a)


Q. निम्नलिखित में से कौनसा परियोजना विधि का सिद्धांत नहीं है?


(a) करके सीखना


(b) जीवन से सीखना


(c) विद्यार्थियों के सहयोग एवं साहचर्य से सीखना


(d) रटकर याद करना


Ans- (d)


Q. गणित करने की युक्ति के रूप में ‘सवाल हल करना’ में शामिल है?


(a) क्रियाकलाप आधारित उपागम


(b) अनुमान लगाना


(c) व्यापक अभ्यास


(d) हल पर पहुँचने के लिए संकेतों का प्रयोग


Ans- (a)


Q. जब राजन के सामने शाब्दिक समस्याएँ आती हैं, तो वह प्रायः पूछता है “मैं जमा करूँ या घटा?” “मैं गुणा करूँ या भाग?”। इस तरह के प्रश्न बताते है कि


(a) राजन संख्या-संक्रियाओं को नहीं समझता 


(b) राजन जोड़ और गुणा नहीं कर सकता


(c) राजन कक्षा में बाधा डालने के लिए अवसर खोजता है।


(d) राजन को भाषा समझने में कठिनाई होती है।


Ans- (a)


Q. बीजगणितीय सूत्र का अधिगम है-


(a) विशिष्टीकरण


(b) व्यापीकरण


(c) अमूर्तकरण


(d) इनमें से कोई नहीं


Ans- (b)


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Q. प्रमाण से प्रत्यक्ष की ओर किस शिक्षण विधि से संबंधित है?


(a) समस्या समाधान विधि


(a) आगमन विधि


(b) निगमन विधि


(c) प्रयोगशाला विधि


(d) विश्लेषण विधि


Ans- (b)

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