वाराणसी पर निबंध || (Varanasi Essay in Hindi)

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वाराणसी पर निबंध || (Varanasi Essay in Hindi)

 वाराणसी पर निबंध || (Varanasi Essay in Hindi)

वाराणसी पर निबंध (Varanasi Essay in Hindi)


वाराणसी भारत का एक प्रमुख धार्मिक केंद्र है। यह नगरी कवि, लेखक, भारतीय दार्शनिक तथा संगीतकारों आदि की जननी के रूप में भी जानी जाती है। धर्म शिक्षा तथा संगीत का केंद्र होने के कारण यह नगरी आगंतुकों को एक अति मनमोहनीय अनुभव प्रदान करती है, पत्थरो के ऊँची सीढ़ियों से घाटों का नजारा, मंदिर के घंटों  निकलती ध्वनि, गंगा घाट पर चमकती वो सूरज की किरणे तथा मंदिरों में होने वाले मंत्रों उच्चारण इंसान को न चाहते हुए भी भक्ति के सागर में गोते लगाने को मजबुर कर देते हैं। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार वाराणसी की भूमी पर मरने वाले लोगों को जन्म मरण के बंधन से छुटकारा मिल जाता है, लोगों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। असल में वाराणसी कला और शिल्प का केंद्र होने के साथ साथ एक ऐसा स्थान भी है जहाँ मन को शांती तथा परम आनंद की अनुभूति भी होती है।


वाराणसी इतिहास | जिला वाराणसी , उत्तर प्रदेश सरकार |   India – Varanasi 


वाराणसी संसार के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक और भारत का प्राचीनतम बसा शहर है। भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का प्रसिद्ध नगर है। इसे ‘बनारस’ और ‘काशी’ भी कहते हैं। हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र नगरों में से एक माना जाता है और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी इसे पवित्र माना जाता है।वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी, श्री कशी विश्वनाथ मन्दिर एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है।


वाराणसी को प्रायः ‘मंदिरों का शहर’, ‘भारत की धार्मिक राजधानी’, ‘भगवान शिव की नगरी’, ‘दीपों का शहर’, ‘ज्ञान नगरी’ आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है।


प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: “बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।”


हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था।


वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़ और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका भोजपुरी बोलते हैं, जो हिन्दी की ही एक बोली है।


वाराणसी पर छोटे एवं बड़े निबंध (Short and Long Essays on Varanasi in Hindi, Varanasi par Nibandh Hindi mein)


मित्रों आज मैं निबंध के माध्यम से आप लोगों को वाराणसी के बारे में कुछ जानकारिया दुंगा, मुझे उम्मीद है कि इस माध्यम द्वारा साझा की गई जानकारियां आप सभी के लिए उपयोगी होंगी तथा आपके स्कूल आदि कार्यों में भी आपकी मदद करेंगी।


वाराणसी पर छोटा निबंध – 300 शब्द


प्रस्तावना


संसार के प्राचीनतम शहरों में से एक वाराणसी भारत के हिंदूओं का एक प्रमुख धार्मिक केंद्र है, उत्तर प्रदेश में बसने वाला यह शहर काशी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म के अलावा जैन तथा बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी यह एक पवित्र स्थल है। गंगा नदी के किनारे बसी इस नगरी पर गंगा संस्कृति तथा काशी विश्वनाथ मंदिर का भी रंग चढ़ा हुआ दिखता  है। ये शहर सैकड़ो वर्षों से भारतीय संस्कृति को संजो कर उत्तर भारत का प्रमुख धार्मिक एवं सांस्कृतिक केंद्र बना हुआ है।


वाराणसी की स्थिति


गंगा नदी के किनारे बसा यह शहर, उत्तर प्रदेश राज्य के दक्षिण-पूर्व में 200 मील (320 किलोमीटर) के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह शहर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 320 किलोमीटर तथा भारत की राजधानी से लगभग 900 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।  


वाराणसी कॉरिडोर


13 दिसम्बर साल 2021 को पीएम मोदी ने वाराणसी में वाराणसी कॉरिडोर का उद्घाटन किया जिसने काशी की सुंदरता तथा प्रसिद्धि में चार चाँद लगा दिए। पीएम ने इस कॉरिडोर की नीव 8 मार्च साल 2019 में यहाँ की सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित रखने तथा भक्तों को उचित सुविधा प्रदान करने दृष्टि से रखा था। इस परियोजना में लगभग 700 करोड़ रुपये का खर्च आया है। वैसै तो अपने धार्मिक महत्व के कारण वाराणसी हमेशा वैश्विक पटल पर चर्चा में रहता है, मगर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर नें काशी को तमाम चर्चाओं के केंद्र में लाकर खड़ा कर दिया था। इस कॉरिडोर के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नें बाबा काशी विश्वनाथ कें मंदिर परिसर को एकभव्य रूप प्रदान किया है, 30000 वर्ग फुट के क्षेत्रपल में फैले बाबा विश्वनाथ के प्रागंण को मोदी जी ने 5 लाख वर्ग फुट के प्रांगण का तोहफा दे दिया है। इस कॉरिडोर क द्वारा माँ गंगा को सीधे बाबा विश्वनाथ से जोड़ दिया गया है।


इस परियोजना की परिकल्पना तीर्थयात्रियों के लिये आसानी से सुलभ मार्ग स्थापित करने हेतु की गई थी, जिन्हें गंगा में डुबकी लगाने और मंदिर में पवित्र नदी का पानी चढ़ाने के लिये भीड़भाड़ वाली सड़कों से गुजरना पड़ता था। परियोजना पर काम के दौरान 40 से अधिक प्राचीन मंदिरों को फिर से खोजा गया।


काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है. करीब सवा 5 लाख स्क्वायर फीट में बना काशी विश्वनाथ धाम बनकर पूरी तरह तैयार है. इस भव्य कॉरिडोर में छोटी-बड़ी 23 इमारतें और 27 मंदिर हैं. इस पूरे कॉरिडोर को लगभग 50,000 वर्ग मीटर के एक बड़े परिसर में बनाया गया है.


काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनाने में कितने मंदिर टूटे?


40 इमारतें कर चुके हैं ध्वस्त


काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर को विकसित करने के लिए 296 इमारतों की पहचान की गई, जिनका अधिग्रहण करके ध्वस्तीकरण किया जाएगा। अब तक 182 भवनों को खरीदने के साथ 40 इमारतों को ध्वस्त कर दिया गया है।


भारत का सबसे बड़ा कॉरिडोर कौन सा है?


श्री महाकाल लोक देश का सबसे बड़ा और भव्य मंदिर कॉरिडोर Mahakal Corridor है. इसके बन जाने से महाकाल मंदिर परिसर में करीब 20 गुना विस्तार हुआ है.


कॉरिडोर का मतलब क्या होता है?


उदाहरण : दो इमारतों के बीच का या पीछे का संकरा गलियारा।


विश्व का सबसे बड़ा कॉरिडोर कौन सा है?


इस रामेश्वरम मंदिर का कॉरिडोर ( गलियारा ) भारत ही नहीं बल्कि विश्व का सबसे लंबा गलियारा भी है। यह उत्तर-दक्षिण में 197 मी. एवं पूर्व-पश्चिम 133 मी. है।


कॉरिडोर अमेरिकन है या इंग्लिश?


गलियारा | अमेरिकन डिक्शनरी


एक इमारत, जहाज, या ट्रेन, esp में एक लंबा मार्ग। एक या दोनों तरफ कमरे के साथ: गलियारे के अंत में बाथरूम है।


कॉरिडोर शब्द की उत्पत्ति कहां से हुई है?


व्युत्पत्ति। फ्रांसीसी कॉरिडोर से उधार लिया गया, इतालवी कॉरिडोर ("लंबा मार्ग") (= कॉरिडोयो) से, कोरेरे ("रन") से।


कॉरिडोर और पैसेज में क्या अंतर है?


जब इसे एक कनेक्टिंग जगह या एक जगह से दूसरे स्थान से जोड़ने वाले क्षेत्र की भावना का जिक्र किया जाता है, तो शब्द मार्ग और गलियारे का परस्पर उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, एक मार्ग एक इमारत के अंदर एक फैंसी जगह का भी उल्लेख कर सकता है, जबकि गलियारा का अर्थ है एक अस्पताल में एक नीरस कमरा दालान।


कॉरिडोर कितने प्रकार के होते हैं?


वाराणसी पर निबंध (Varanasi Essay in Hindi)


कॉरिडोर दो अलग-अलग क्षेत्रों में बनाए जा सकते हैं- या तो पानी या जमीन । जल गलियारों को रिपेरियन रिबन कहा जाता है और ये आमतौर पर नदियों और नालों के रूप में आते हैं। लैंड कॉरिडोर बड़े वुडलैंड क्षेत्रों को जोड़ने वाली लकड़ी की पट्टियों के रूप में बड़े पैमाने पर आते हैं।


कॉरिडोर का दूसरा शब्द क्या है?


गलियारा के समानार्थक शब्द


इस पेज पर आपको 23 पर्यायवाची, विलोम शब्द और कॉरिडोर से संबंधित शब्द मिलेंगे, जैसे: आइल, फ़ोयर, हॉल, लॉबी, पैसेज और पैसेज।


कॉरिडोर का दूसरा शब्द क्या है?


गलियारा के समानार्थक शब्द


इस पेज पर आपको 23 पर्यायवाची, विलोम शब्द और कॉरिडोर से संबंधित शब्द मिलेंगे, जैसे: आइल, फ़ोयर, हॉल, लॉबी, पैसेज और पैसेज।


ग्रीन फील्ड कॉरिडोर क्या होता है?


ग्रीन कॉरिडोर एक तरह का रूट होता है, जो किसी भी मेडिकल इमरजेंसी परिस्थिति के बनाया जाता है. इससे माध्यम से किसी भी एम्बुलेंस या जरूरी चिकित्सा से जुड़े किसी भी मेडिकल वाहन को स्पेशल रूट उपलब्ध करवाया जाता है.


कॉरिडोर की स्पेलिंग क्या है?

corridor noun [C] (PASSAGE)


ग्रीन कॉरिडोर के क्या फायदे हैं?


ग्रीन कॉरिडोर के लाभ


शहरी वातावरण में अधिक हरित क्षेत्र होने से जैव विविधता में वृद्धि हुई है । गैर-प्रदूषणकारी गतिशीलता का प्रचार: साइकिल या स्कूटर, उदाहरण के लिए। शहर में वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण में कमी आई है। तापमान को प्रभावी रूप से कम करने, गर्मी द्वीपों को बनने से रोकने में मदद करना।


भारत में पहला ग्रीन कॉरिडोर कहाँ बनाया गया था?


सही उत्‍तर तमिलनाडु है। भारतीय रेलवे ने 24 जुलाई 2016 को तमिलनाडु में रामेश्वरम-मनमदुरै के बीच देश का पहला हरित रेल कॉरिडोर लॉन्च किया। 114 किलोमीटर लंबी रामेश्वरम-मनमदुरै रेलवे लाइन पर ट्रेनें बायो-टॉयलेट से युक्त होंगी।


भारत का सबसे बड़ा कॉरिडोर कौन सा है?


श्री महाकाल लोक देश का सबसे बड़ा और भव्य मंदिर कॉरिडोर Mahakal Corridor है. इसके बन जाने से महाकाल मंदिर परिसर में करीब 20 गुना विस्तार हुआ है.


निष्कर्ष


वाराणसी एक प्राचीन पवित्र शहर है माँ गंगा जिसका अभिषेक करती है, यह भारत के प्राचीन धार्मिक केंद्रों में से एक है, भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी में भी विराजमान है। मंदिरों के शहर के नाम से प्रसिद्ध बाबा विश्वनाथ का यह धाम जैन तथा बौद्ध धर्म का भी प्रमुख केंद्र है। पूरे विश्व में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाला यह शहर भारत के प्रमुख पर्यटन केंद्रों में से भी एक है। वाराणसी अपनी रेशमी कारोबार के लिए भी दुनिया में जाना जाने वाला एक प्रसिद्ध शहर है।


वाराणसी पर बड़ा निबंध – 600 शब्द


प्रस्तावना


काशी हिंदू धर्म के 7 पवित्र शहरो में से एक है, वाराणसी मूल रूप से घाटों मंदिरों तथा संगीत के लिए जाना जाता है। काशी का एक नाम वाराणसी भी है जो यहां की दो नदियों वरुणा तथा असी के नाम पर है, ये नदियां क्रमशः उत्तर एवं दक्षिण से आकर गंगा नदी में मिलती है। ऋग्वेद में इस शहर को काशी के नाम से संबोधित किया गया है।


वाराणसी के अन्य नाम


इस ऐतिहासिक धार्मिक नगरी को वाराणसी तथा काशी के अलावा अन्य नामों से भी जाना जाता है जिसमें से कुछ निम्नलिखित है-


  • मंदिरो को शहर

  • भारत की धार्मिक राजधानी

  • भगवान शिव की नगरी

  • दीपों का शहर

  • ज्ञान की नगरी

  • विमितका

  • आनंदकाना

  • महासासाना

  • सुरंधन

  • ब्रह्मा वर्धा

  • सुदर्शन आदि


वाराणसी की मशहूर चीजे


दोस्तों अगर आप बनारस घुमने गए और वहाँ शॉपिंग नहीं की, वहां के फूड नहीं खाए तो यकिन मानिए आपकी यात्रा अधूरी रह गई। बनारस जितना अपने धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है उतना ही प्रसिद्ध वह अपने मार्केट में बिकने वाली चीजों के लिए भी है। बनारस के बाजारों के कुछ विश्व प्रसिद्ध चीजों को हम नीचे सुची बद्ध कर रहे है आप जब कभी भी वाराणसी जाइएगा इनको लेना और चखना न भूलिएगा।


  • बनारसी रेशमी साड़ी


  • ब्रोक्रेड


  • बनारसी पान


  • मलाई पूड़ी


  • बनारसी ठंडई


  • चाय


  • नायाब लस्सी


  • कचौड़ी और जलेबी


  • मलाई मिठाई


  • बाटी चोखा आदि


वाराणसी का इतिहास


हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शंकर ने काशी नगरी कि स्थापना आज से लगभग 5000 वर्ष पूर्व की थी, भगवान शिव द्वारा इस नगरी का निर्माण होने के कारण इसे शिव की नगरी के नाम से भी जाना जाता है तथा आज यह हिंदू धर्म का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, ये हिंदू धर्म की प्रमुख सात पुरियों में से एक है। सामान्यतः देखा जाए तो वाराणसी नगर का विकास 3000 साल पुराना लगता है मगर हिंदू परम्पराओं के अनुसार इसे और भी प्राचीन शहर माना जाता है।


महात्मा बुद्ध के समय में बनारस काशी राज्य की राजधानी हुआ करती थी, यह नगर रेशमी कपड़े, हाथी दांत, मलमल, तथा इत्र एवं शिल्प कला का प्रमुख व्यापारिक केंद्र था।


वाराणसी के प्रमुख मंदिर


काशी या वाराणसी एक ऐसा धार्मिक शहर है जिसे मंदिरों के नगर के नाम से भी जाना जाता है, यहां लगभग हर गली के चौराहे पर एक मंदिर तो मिल ही जाता है। यहां लगभग कुल छोटे बड़े मंदिरों को मिलाकर 2300 के आस पास मंदिर स्थित है। इनमें से कुछ प्रमुख मंदिर निम्लिखित है-


1) काशी विश्वनाथ मंदिर


इसे स्वर्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, इसके वर्तमान स्वरूप का निर्माण अहिल्या बाई होल्कर द्वारा 1780 में करवाया गया था। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक इसी मंदिर में विराजमान है।


2) दुर्गा माता मंदिर


इस मंदिर के आस पास बंदरों की अधिक उपस्थिति के कारण इसे मंकी टेम्पल के नाम से भी जाना जाता है, इस मंदिर का निर्माण 18 वीं सदी के आसपास का माना जाता है। वर्तमान में ऐसी मान्याता है कि माँ दुर्गा इस मंदिर में स्वयं से प्रकट हुई थी। इस मंदिर का निर्माण नागर शैली में हुआ था।


3) संकट मोचन मदिर


प्रभु श्री राम के भक्त हनुमान को समर्पित यह मंदिर स्थानीय लोगों में बहुत ही लोकप्रिय है, यहां अनेक प्रकार के धार्मिक तथा संस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन वार्षिक रूप में किया जाता है। 7 मार्च 2006 को इसी मंदिर परिसर में आतंकवादियों द्वारा तीन विस्फोट किया गया था।


4) व्यास मंदिर


रामनगर में स्थित इस मंदिर के पीछे एक दंत कथा है। एक बार व्यास जी को इस नगर में घुमते घुमते काफी समय हो गया मगर उनको कहीं भी किसी भी प्रकार का दान दक्षिणा नहीं मिला, इस बात से कृद्ध ब्यास जी पूरे नगर को श्राप देने जा रहे थे, तभी भगवान शिव तथा पार्वती माता ने एक दम्पत्ति के वेष में आकर उनको खुब दान दिया तब ब्यास जी श्राप की बात भुल गए। इसके बाद भगवान शिव ने ब्यास जी का इस नहरी में प्रवेश वर्जित कर दिया, इस बात के समाधान के लिए ब्यास जी ने गंगा के दूसरी ओर वास किया जहां रामनगर में अभी भी उनका मंदिर है।


5) मणि मंदिर


करपात्री महाराज की तपोस्थली धर्मसंघ परिसर में स्थित मणि मंदिर 28 फरवरी 1940 को श्रद्धालुओं को समर्पित किया गया था। शैव तथा वैष्णव की एकता का प्रतीक यह मंदिर सभी धर्मों के लोगों के लिए खुला रहता है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह कि यहां 151 नर्मदेश्वर शिवलिंगों की कतार है।


काशी विश्नाथ मंदिर का इतिहास


भारत देश के उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी शहर में स्थित बाबा भोलेनाथ का यह भव्य मंदिर हिंदू धर्म के अति प्राचीन मंदिरों में एक है। गंगा नदी के पश्चिमी घाट पर बसे इस नगर को हिंदू धर्म के लोग मोक्ष का द्वार मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह स्थान भगवान शिव तथा आदि शक्ति माता पार्वती का आदि स्थान है।


इस मंदिर का राजा हरिश्चंद्र ने 11 वीं सदी में जिर्णोद्धार करवाया था उसके बाद मुहम्मद गोरी ने इसे सन 1194 में तुड़वा दिया था। इसके बाद इसे एक बार फिर बनवाया गया मगर पुनः जौनपुर के सुल्तान महमुद शाह ने इसे 1447 में तुड़वा दिया। फिर पंडित नारायण भट्ट ने इसे टोडरमल की सहायता से साल 1585 में बनवाया, फिर शाहजहां ने इसे 1632 में तुड़वाने के लिए सेना भेज दी मगर हिंदूओं के कड़े प्रतिरोध के कारण वो इस कार्य में सफल नहीं हो पाया। इसके उपरान्त औरंगजेब ने 18 अप्रैल 1669 में ब्राह्मणों को मुसलमान बनाने तथा मंदिर को तुड़वाने का आदेश जारी कर दिया। इसके बाद के समय में मंदिर पर ईस्ट इंडिया कम्पनी का अधिकार हो गया, तब कंम्पनी ने मंदिर के निर्माण कार्य को रोक दिया। फिर एक लम्बे समय बाद सन 1780 में अहिल्याबाई होल्कर द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनरोद्धार करवाया गया।


वाराणसी के अन्य ऐतिहासिक स्थल


  • बनारस हिंदू विश्वविद्यालय

  • महात्मा काशी विद्यापीठ

  • संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय

  • सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज

  • हिंदू धर्म स्थल

  • बौद्ध धर्म स्थल

  • जैन धर्म स्थल

  • संत रविदास मंदिर तथा अन्य


काशी में गंगा घाटों की संख्या


गंगा नदी के किनारे बसे इस वाराणसी शहर में लगभग 100 के आस पास घाटों की कुल संख्या है, जिनमें से कुछ निम्नलिखित है-


  1. अस्सी घाट,

  2. प्रह्मलाद घाट

  3. रानी घाट

  4. भैंसासुर घाट

  5. राजघाट

  6. चौकी घाट

  7. पाण्डेय घाट

  8. दिगपतिया घाट

  9. दरभंगा घाट

  10. मुंशी घाट

  11. नाला घाट

  12. नया घाट

  13. चौसट्टी घाट

  14. राणा महल घाट

  15. गंगामहल घाट

  16. रीवां घाट

  17. तुलसी घाट

  18. भदैनी घाट

  19. जानकी घाट

  20. माता आनंदमयी घाट

  21. जैन घाट

  22. पंचकोट घाट

  23. प्रभु घाट

  24. चेतसिंह घाट

  25. अखाड़ा घाट

  26. निरंजनी घाट

  27. निर्वाणी घाट

  28. शिवाला घाट

  29. गुलरिया घाट

  30. दण्डी घाट

  31. हनुमान घाट

  32. प्राचीन हनुमान घाट

  33. क्षेमेश्वर घाट

  34. मानसरोवर घाट

  35. नारद घाट

  36. राजा घाट

  37. गंगा महल घाट

  38. मैसूर घाट

  39. हरिश्चंद्र घाट

  40. लाली घाट

  41. विजयानरम् घाट

  42. केदार घाट

  43. अहिल्याबाई घाट

  44. शीतला घाट

  45. प्रयाग घाट

  46. दशाश्वमेघ घाट

  47. राजेन्द्र प्रसाद घाट

  48. मानमंदिर घाट

  49. भोंसलो घाट

  50. गणेश घाट

  51. रामघाट घाट

  52. जटार घाट

  53. ग्वालियर घाट

  54. बालाजी घाट

  55. पंचगंगा घाट

  56. दुर्गा घाट

  57. ब्रह्मा घाट

  58. बूँदी परकोटा घाट

  59. शीतला घाट

  60. लाल घाट

  61. गाय घाट

  62. बद्री नारायण घाट

  63. त्रिलोचन घाट

  64. त्रिपुरा भैरवी घाट

  65. मीरघाट घाट

  66. ललिता घाट

  67. मणिकर्णिका घाट

  68. सिंधिया घाट

  69. संकठा घाट

  70. गंगामहल घाट

  71. नंदेश्वर घाट

  72. तेलियानाला घाट

  73. आदिकेशव या वरुणा संगम घाट, इत्यादि


वाराणसी की विभूतियां




वाराणसी की इस पावन नगरी ने समय पर अनेक विभूतियों को अपनी कोख से जना है और भारत माता के सेवा में अर्पित किया है, उनमें से कुछ मुख्य विभूतियों के नाम निम्नलिखित है-


  1. मदन मोहन मालवीय (बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक)


  1. जय शंकर प्रसाद (हिंदी साहित्यकार)


  1. प्रेमचंद  (हिंदी साहित्यकार)

  2. लाल बहादुर शास्त्री  (भारत के पूर्व प्रधान मंत्री)


  1. कृष्ण महाराज (पद्म विभूषण प्राप्त तबला वादक)


  1. रवि शंकर (भारत रत्न प्राप्त सितारवादक)


  1. भारतेंदु हरिश्चंद्र  (हिंदी साहित्यकार)


  1. बिस्मिल्लाह खां (भारत रत्न प्राप्त शहनाईवादक)


  1. नैना देवी (खयाल गायिका)


  1. भगवान दास ( भारत रत्न)


  1. सिद्धेश्वरी देवी ( खयालगायिका)


  1. विकाश महाराज (सरोद के महारथी)


  1. समता प्रसाद (गुदई महाराज) [पद्मश्री प्राप्त तबला वादक] , इत्यादि


बनारस में परिवहन के साधन


वाराणसी एक ऐसा शहर है जो बड़े तथा मुख्य शहरों (जैसे- जयपुर, मुंबई, कोलकाता, पुणे, ग्वालियर, अहमदाबाद, इंदौर, चेन्नई, भोपाल, जबलपुर, उज्जैन और नई दिल्ली आदि) से वायु मार्ग, रेल मार्ग तथा सड़क मार्ग से भलिभांति जुड़ा हुआ है।


वायु परिवहन


वाराणसी से लगभग 25 किलोमीटर दूर बाबतपुर में एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा) है, जो देश के बड़े शहरों के साथ साथ विदेशों को भी वाराणसी से जोड़ता है।


  • रेल परिवहन


बनारस में उत्तर रेलवे के अधीन वाराणसी जंक्शन तथा पूर्व मध्य रेलवे के आधीन दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन तथा सीटी के मध्य में बनारस रेलवे स्टेशन (मंडुआडीह रेलवे स्टेशन) स्थित है जिनके माध्यम से वाराणसी पूरे भारत से रेलवे मार्ग से जुड़ा हुआ है।


  • सड़क परिवहन


दिल्ली कोलकाता मार्ग (NH2) वाराणसी नगर से होकर निकलता है। इसके अलावा भारत का सबसे लम्बा राजमार्ग एन.एच-7 वाराणसी को जबलपुर, नागपुर, हैदराबाद, बंगलुरु, मदुरई तथा कन्याकुमारी से जोड़ता है।


  • सार्वजनिक यातायात


वाराणसी की सड़को पर भ्रमण करने के लिए ऑटो रिक्शा, साइकिल रिक्शा, तथा मिनी बस आदि सुविधाएं उपलब्ध रहती है तथा माँ गंगा की शीतल धारा का लुफ्त उठाने के लिए छोटी नावों एवं स्टीमर का प्रयोग किया जाता है।


बनारस के व्यापार एवं उद्योग


काशी एक महत्वपूर्ण अद्यौगिक केंद्र भी है यहां के निवासी तमाम प्रकार के अलग अलग काम धंधों में निपुण है जिनमें से कुछ निम्नलिखित है-


  • वाराणसी मुस्लिन(मलमल)


  • रेशम के कपड़े


  • बनारसी इत्र


  • हाथी दांत का कार्य


  • मूर्ति कला


  • सिल्क और ब्रोकैड्स


  • सोने और चाँदी के थ्रेडवर्क


  • जरी की कारीगरी


  • कालीन बुनाई, रेशम बुनाई


  • कालिन शिल्प एवं पर्यटन


  • बनारस रेल इंजन कारखाना


  • भारत हेवी इलेक्ट्रिक्ल्स, इत्यादि


निष्कर्ष


उपरोक्त बातें ये स्पष्ट कर देती है कि प्राचीन काल के बनारस और आज के बनारस में ज्यादा परिवर्तन नहीं हुआ है। आज भी लोग इसे बाबा विश्वनाथ की नगरी के नाम से जानते हैं, आज भी शाम और सुबह मंदिरों में तथा गंगा घाटों पर आरती एवं पूजन अर्चन का कार्य किया जाता है। बनारस की ख्याति पहले के अपेक्षा बढ़ती ही जा रही है, इसके सम्मान स्वाभिमान तथा अस्तित्व पर आज तक श्रद्धालुओं ने कोई आंच नहीं आने दिया। वाराणसी किसी एक धर्म का स्थल नहीं है बल्कि यह तमामा धर्मों का संगम स्थल है जैन, बौद्ध, हिंदु, सिक्ख, ईसाई तथा संत रविदास से लेकर लगभग सभी बड़े धर्मों के तीर्थ स्थल यहाँ मौजूद। हमारा बनारस अनेकता में एकता का एक सच्चा उदाहरण है। देश के प्रधानमंत्री का बनारस से सांसद होना तथा यहां वाराणसी कॉरिडोर की स्थापना कराना इसके चमक में एक चाँद और जोड़ देता है।


मैं आशा करता हूँ कि वाराणसी पर यह निबंध आप को पसंद आया होगा तथा यह आपके स्कूल एवं कॉलेज के दृष्टि से भी आपको महत्वपूर्ण लगा होगा।


धन्यवाद!


वाराणसी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions on Varanasi)


प्रश्न.1 वाराणसी किस राज्य में स्थित है

उत्तर- वाराणसी उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है।


प्रश्न.2 वाराणसी के बारे में सबसे प्रसिद्ध बातें क्या हैं?


उत्तर- आयुर्वेद और योग के उपदेशक महर्षि पतंजलि भी पवित्र शहर वाराणसी से जुड़े थे। वाराणसी शुरुआती दिनों से अपने व्यापार और वाणिज्य के लिए भी प्रसिद्ध है, विशेष रूप से बेहतरीन रेशम और सोने और चांदी के ब्रोकेड के लिए।



वाराणसी के बारे में सबसे प्रसिद्ध 


प्रश्न.3 बनारस का असली नाम क्या है?


उत्तर- वाराणसी का मूल नगर काशी था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, काशी नगर की स्थापना हिन्दू भगवान शिव ने लगभग ५००० वर्ष पूर्व की थी, जिस कारण ये आज एक महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। ये हिन्दुओं की पवित्र सप्तपुरियों में से एक है। स्कंद पुराण, रामायण एवं महाभारत सहित प्राचीनतम ऋग्वेद सहित कई हिन्दू ग्रन्थों में नगर का उल्लेख आता है।


प्रश्न.4 वाराणसी में कुल कितने घाट है?


उत्तर- वाराणसी में घाट नदी के किनारे कदम हैं जो गंगा नदी के किनारे जाते हैं। शहर में 88 घाट हैं। अधिकांश घाट स्नान और पूजा समारोह घाट हैं, जबकि दो घाटों का उपयोग विशेष रूप से श्मशान स्थलों के रूप में किया जाता हैं। 1700 ईस्वी के बाद अधिकांश वाराणसी घाटों का पुनर्निर्माण किया गया था, जब शहर मराठा साम्राज्य का हिस्सा था।


प्रश्न.5 बनारस की मशहूर चीज़ क्या है?


उत्तर- काशी और बनारस के नाम से भी दुनिया भर में मशहूर वाराणसी वैसे को अपनी गलियों, गंगा घाट, साड़ी और विश्वनाथ मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। बनारस शायद देश का इकलौता शहर है जहां पर्यटक और तीर्थयात्री दोनों का बराबर आना जाना लगा रहता। विदेशी भी वाराणसी को उतना ही पसंद करते हैं जितना शिव और गंगा के भक्तों की इस शहर में आस्था है।


प्रश्न.6 बनारस की मशहूर मिठाई कौन सी है?


उत्तर- मलइयो इकलौती ऐसी मिठाई है जो पूरी दुनिया में केवल बनारस में ही बनती है। वाराणसी वैसे तो कई वजहों से पूरी दुनिया में मशहूर है। काशी अपनी गलियों, बनारसी साड़ी, गंगा घाट और तरह-तरह की मिठाइयों के लिए जानी जाती है। इन मिठाइयों में मलइयो का खास स्थान है।


प्रश्न.7 वाराणसी नाम क्यों पड़ा?


उत्तर- इस शहर के एक ओर वरुणा नदी है, जो उत्तर में गंगा में मिल जाती है और दूसरी ओर असि नदी. लिहाजा इन नदियों के बीच होने के कारण इसका नाम वाराणसी कहलाया.


प्रश्न.8 वाराणसी में कुल कितने रेलवे स्टेशन है?


उत्तर- बता दें कि शहर में चार प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं। इसमें वाराणसी जंक्शन कैंट, वाराणसी सिटी स्टेशन, काशी रेलवे स्टेशन और मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन है।


प्रश्न.9 बनारस की भाषा क्या है?


उत्तर- बनारस की बोली को 'काशिका' कहा गया है। भाषाई परिवार के अनुसार काशिका एक भारतीय आर्य भाषा है जो कि वाराणसी एवं उसके आस पास के क्षेत्र में बोली जाती है। अपनी शब्दाबली के लिए यह मुख्यतः हिंदी, उर्दू एवं भोजपुरी पर निर्भर करती है।


प्रश्न.10 काशी में कौन सी नदी बहती है?


उत्तर- काशी में पांच नदियों का संगम पंच गंगा घाट पर है। गंगा ,जमुना ,सरस्वती ,किरणा और धूतपापा।


प्रश्न.11 वाराणसी में सबसे सुंदर घाट कौन सा है?


उत्तर- दशाश्वमेध घाट विश्वनाथ मंदिर के करीब स्थित है, और शायद सबसे शानदार घाट है।


प्रश्न.12 वाराणसी में कुल कितने मंदिर हैं?


उत्तर- में प्रिन्सेप ने गणना करायी थी जिससे पता चला था कि काशी में एक हजार मंदिर विद्यमान थे। शेकिंरग ने लिखा है कि उसके समय में चौदह सौ पंचावन मंदिर थे। हैवेल का कथन है कि उसकी गणना के अनुसार उस समय लगभग ३५०० मंदिर थे।


प्रश्न.13 काशी का नाम वाराणसी कब पड़ा?


उत्तर- 24 मई 1956 को अधिकारिक तौर पर काशी का नाम वाराणसी कर दिया गया।


प्रश्न.14 काशी विश्नाथ कॉरिडोर का उद्घाटन कब ओर किसने किया था?


उत्तर- काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन पीएम मोदी द्वारा 13 दिसम्बर साल 2021 में किया गया।


प्रश्न.15 वाराणसी में कुल मंदिरों कि संख्या कितनी है?

उत्तर- वाराणसी में कुल लगभग 2300 मंदिर स्थित है।



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