भगवान श्री कृष्ण पर निबंध//Essay on Lord Krishna in Hindi
नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आप लोगों को बताएंगे भगवान श्री कृष्ण पर निबंध, भगवान श्री कृष्ण का जीवन परिचय, सभी की जानकारी इस आर्टिकल के माध्यम से दी जाएगी। तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें और अपने दोस्तों में ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।
भगवान श्री कृष्ण पर निबंध//Essay on Lord Krishna in Hindi |
Table of contents
सोलह कलाओं में निपुण भगवान श्री कृष्ण को लीलाधर भी कहते है। सभी देवताओं में सबसे श्रेष्ठ श्री कृष्ण की लीलाएँ दुनिया भर में विख्यात है। उनके जैसा अन्य कोई नहीं। उन्होंने जन्म ही लीलाओं के साथ लिया था। इनके जैसी मनमोहक और अनुपम जीवन लीला और किसी भी देवता की नहीं। श्री विष्णु के दस अवतारो में से आँठवा अवतार श्री कृष्ण का था। उनके सभी दस अवतार (मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, गौतम बुध्द और कल्कि) में से सर्वाधिक अनुपम और अद्वितीय श्री कृष्णावतार है।
हिंदू श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। हिंदू इस त्योहार को भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाते हैं। भगवान कृष्ण भगवान विष्णु के सबसे शक्तिशाली अवतार हैं। यह पर्व प्रायः अगस्त (ग्रिगोरियन कैलेंडर) महिने में पड़ता है। यह हिंदुओं के लिए एक खुशी का त्यौहार है। इसके अलावा, हिंदू भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए व्रत आदि जैसे विभिन्न अनुष्ठान करते हैं।
सबसे बड़ी मित्रता
श्रीकृष्ण के लिए सबसे बड़ी मित्रता थी। जब उनके परम मित्र सुदामा उनसे मिलने द्वारका पहुंचे तो सुदामा अपनी दरिद्रता के कारण द्वारकाधीश श्रीकृष्ण से मिलने से झिझक रहे थे, लेकिन श्रीकृष्ण का अपने मित्र के प्रति प्रेम देखकर भावविभोर हो गए। और ऐसा कहा जाता है कि प्रभु ने स्वयं अपने अश्रुओं से उनके पैर पखारे (धोए) थे।
सोलह कलाओं में निपुण भगवान श्री कृष्ण को लीलाधर भी कहते है। सभी देवताओं में सबसे श्रेष्ठ श्री कृष्ण की लीलाएँ दुनिया भर में विख्यात है। उनके जैसा अन्य कोई नहीं। उन्होंने जन्म ही लीलाओं के साथ लिया था। इनके जैसी मनमोहक और अनुपम जीवन लीला और किसी भी देवता की नहीं। श्री विष्णु के दस अवतारो में से आँठवा अवतार श्री कृष्ण का था। उनके सभी दस अवतार (मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, गौतम बुध्द और कल्कि) में से सर्वाधिक अनुपम और अद्वितीय श्री कृष्णावतार है।
भगवान श्री कृष्ण पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Lord Krishna in Hindi, Bhagwan Krishna par Nibandh Hindi mein)
श्रीकृष्ण और जन्माष्टमी – निबंध 1 (300 शब्द)
परिचय
हिंदू श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। हिंदू इस त्योहार को भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाते हैं। भगवान कृष्ण भगवान विष्णु के सबसे शक्तिशाली अवतार हैं। यह पर्व प्रायः अगस्त (ग्रिगोरियन कैलेंडर) महिने में पड़ता है। यह हिंदुओं के लिए एक खुशी का त्यौहार है। इसके अलावा, हिंदू भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए व्रत आदि जैसे विभिन्न अनुष्ठान करते हैं।
सबसे बड़ी मित्रता
श्रीकृष्ण के लिए सबसे बड़ी मित्रता थी। जब उनके परम मित्र सुदामा उनसे मिलने द्वारका पहुंचे तो सुदामा अपनी दरिद्रता के कारण द्वारकाधीश श्रीकृष्ण से मिलने से झिझक रहे थे, लेकिन श्रीकृष्ण का अपने मित्र के प्रति प्रेम देखकर भावविभोर हो गए। और ऐसा कहा जाता है कि प्रभु ने स्वयं अपने अश्रुओं से उनके पैर पखारे (धोए) थे।
भगवान श्री कृष्ण पर निबंध//Essay on Lord Krishna in Hindi |
जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है?
लोग मध्य रात्रि में जन्माष्टमी मनाते हैं। क्योंकि भगवान कृष्ण अंधेरे में पैदा हुए थे। चूँकि श्री कृष्ण को माखन खाने का बहुत शौक था, इसलिए लोग इस मौके पर दही-हांडी जैसे खेल का आयोजन करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ
अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ अर्थात इस्कॉन (International Society for Krishna Consciousness – ISKCON) का आरंभ 1966 में न्यूयार्क में आचार्य भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने किया था। देश-विदेश के जन-जन तक कृष्णा को पहुँचाने का श्रेय प्रभु को ही जाता है।
इसे “हरे कृष्णा आन्दोलन” की भी उपमा दी जाती है। यह एक धार्मिक संगठन है, जिसका उद्देश्य धार्मिक संचेतना और आध्यात्म को जन-जन तक पहुँचाना है। इसकी पूरे विश्व में 850 से ज्यादा शाखाएं है। इसके देश भर में अनेक मंदिर और विद्यालय स्थित हैं। इसका मुख्यालय पश्चिम बंगाल (भारत) के मायापुर में है।
निष्कर्ष
उत्सव का माहौल घरों में भी दिखाई देता है। लोग अपने घरों को बाहर से रोशनी से सजाते हैं। मंदिर आदि लोगों से भर जाते हैं। वे मंदिरों और घरो के अंदर विभिन्न अनुष्ठान करते हैं। परिणामस्वरूप, हम पूरे दिन घंटियों और मंत्रों की आवाज सुनते हैं। इसके अतिरिक्त, लोग विभिन्न धार्मिक गीतों पर नृत्य करते हैं। अंत में, यह हिंदू धर्म में सबसे सुखद त्योहारों में से एक है।
कृष्ण का पालन-पोषण
कृष्ण का पालन-पोषण एक ग्वाल परिवार में हुआ था और वह अपना समय गोपियों के साथ खेलने, उन्हें सताने, परेशान करने, बाँसुरी बजाने आदि में बिताते थे, कृष्ण बहुत ज्यादा शरारती थे। लेकिन वो इतने अधिक मनमोहक थे कि अगर कोई भी माँ यशोदा से उनकी शिकायत करता तो मैया यशोदा विश्वास ही नहीं करती थी। उनका भोला और सुंदर रुप देखकर हर कोई पिघल जाता था।
राधा-कृष्ण का आलौकिक प्रेम
बचपन में राधा के साथ कृष्ण का जुड़ाव अत्यंत दिव्य और आलौकिक था, जो हमारी संस्कृति में बहुत सम्मानित है। राधारानी देवी लक्ष्मी की अवतार थीं।
गोपियो के संग रास
राधा-कृष्ण वृंदावन में रास करते थे। कहते है आज भी वृंदावन के निधी वन में उनकी उपस्थिति महसूस की जा सकती है। कोई भी कृष्ण के दिव्य आकर्षण और अनुग्रह से बच नहीं सकता था। ऐसा कहा जाता है कि एक चांदनी रात में, कृष्ण ने उन सभी गोपियो के साथ नृत्य करने के लिए अपने शरीर को कई गुणा कर लिया था, जो भगवान कृष्ण के साथ रहना और नृत्य करना चाहती थी। यह वास्तविकता और भ्रम के बीच
महाभारत का युध्द
कृष्ण अपने मामा कंस को मारने के बाद राजा बने। कुरुक्षेत्र की लड़ाई के दौरान कृष्ण ने सबसे महत्वपूर्ण किरदार निभाया और अर्जुन के सारथी बने। कृष्ण पांडवों की तरफ से थे। कृष्ण ने युद्ध के मैदान में अर्जुन के दोस्त, दार्शनिक और मार्गदर्शक के रूप में अनवरत काम किया। अर्जुन पीछे हट रहे थे क्योंकि उन्हें अपने भाइयों को मारना था और अपने गुरुओं के खिलाफ लड़ना था।
श्रीमद्भागवत गीता का सार
“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥”
महाभारत के युध्द में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को भक्ति योग का पाठ दिया जिसका अर्थ है परिणामों की अपेक्षा से स्वयं को अलग करना। उन्होंने “श्रीमद्भागवत गीता” के रूप में समस्त संसार को ज्ञान दिया, जो कि 700 श्लोकों के साथ 18 अध्यायों की एक ग्रंथ है। यह मानव जीवन से संबंधित है। यह दर्शन की एक महान और अपराजेय पुस्तक है जिसे हम भारतीयों ने अपनी अनमोल विरासत के रूप में ग्रहण किया है।
FAQ
1-प्रश्न क्या खाते थे?
उत्तर-कृष्ण का बचपन का भोजन माखन मिश्री खाते थे।
2-गीता के अनुसार सबसे बड़ा पाप क्या है?
उत्तर-जीव हत्या सबसे बड़ा पाप है अनावश्यक हरे पेड़ों को काटना भी पाप है।
3-कृष्ण को कौन हरा सकता था?
उत्तर-राजा कालयवन को प्राप्त वरदान की वजह से उसे ना तो कोई हथियार से ही मार सकता था और ना ही कोई अपने बल से हरा सकता था वह खुद को अज्ञेय अमर समझने लगा था।
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