पृथ्वी पर निबंध//essay on earth in Hindi
नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आप लोगों को बताएंगे पृथ्वी के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे क्योंकि हम पृथ्वी पर ही रहते हैं धरती पर केवल इंसान ही नहीं और भी कई प्रजातियां रहती हैं आज के इस आर्टिकल में हम पृथ्वी पर निबंध पर जानकारी आप तक पहुंचाने वाले हैं तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें और अपने दोस्तों में ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।
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पृथ्वी पर निबंध//essay on earth in Hindi |
पृथ्वी पर रहने वाला प्रत्येक प्राणी हमारे जीवन में पृथ्वी के महत्व को जानता है पृथ्वी के बिना हम जीने की कल्पना भी नहीं कर सकते क्या आपने कभी सोचा है कि अगर पृथ्वी नहीं होगी तो हम कैसे चलेंगे पीने के लिए पानी नहीं होगा यह जानवर नहीं रहेंगे पृथ्वी पर निबंध और निश्चित रूप से खेती नहीं होगी इसलिए खाने के लिए भोजन नहीं होगा कहने का तात्पर्य है कि पृथ्वी के बिना मनुष्य के साथ-साथ अन्य जीवो के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
Table of contents
Short essay on earth in Hindi-पृथ्वी पर निबंध
हमारी पृथ्वी एक विशाल पारिस्थितिकी तंत्र है जिनमें दो प्रकार के प्रमुख घटक शामिल है जैविक और अजैविक जय मंडल का निर्माण भूमि गगन अनिल वायु अग्नि जल नामक पंचतत्वों से होता है जिनमें हम छोटे बड़े एवं जैव-अजैव विविधताओं के बीच रहते हैं, इसमें पेड़ पौधे एवं प्राणियों का निश्चित सामंजस्य और सह अहस्तित्व है जिसे समन्वयात्मक रूप से पर्यावरण के विभिन्न अवयव कहलाते हैं पर्यावरण शब्द परि और आवरण इन दो शब्दों की योग से बना है।
परी और आवरण का सम्यक अर्थ है वह आवरण जो हमें चारों ओर से ढके हुए हैं आवृत किए हुए हैं प्रकृति और मानव के बीच का मधुर सामंजस्य बढ़ती जनसंख्या एवं उपयोगी प्रवृत्ति के कारण घोर संकट में है यह असंतुलन प्रकृति के विरुद्ध तीसरे विश्वयुद्ध के समान है। विश्व भर में वनों का विनाश अवैध एवं असंगत उत्खनन कोयला पेट्रोल डीजल के उपयोग में अप्रत्याशित अभिवृद्धि और कल कारखानों के विकास के नाम पर विस्तार ने मानव सभ्यता को महाविनाश की कगार पर लाकर खड़ा किया है।
विश्व की प्रसिद्ध नदियां जैसे गंगा, यमुना, नर्मदा रायन,टेम्स, मांस आदि भयानक रूप से प्रदूषित हो चुकी है इसके निकट बसे लोगों का जीवन दुर्बर हो गया है। पृथ्वी के ऊपर वायुमंडल के स्ट्रेटोस्फियर में ओजोन गैस की मोटी परत है यह धरती के जीवन की रक्षा कवच है जिसमें सूर्य से आने वाली हानिकारक किरणे रोक लेती हैं। किंतु पृथ्वी के ऊपर जहरीली गैसों के बादल बढ़ते जाने के कारण सूर्य की अनावश्यक किरणें ब्राह्म अंतरिक्ष में परिवर्तित नहीं हो पाती हैं। जिसके कारण पृथ्वी का तापमान ग्लोबल वार्मिंग बढ़ता जा रहा है।
इससे छोटे बड़े सभी दीप समूह एवं महाद्वीपों के 30 क्षेत्रों के डूब जाने का खतरा बढ़ गया है। इसे ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं यही स्थिति रही तो मुंबई जैसे महानगर प्रलय की गोद में समा सकते हैं। पृथ्वी पर बढ़ते तापमान के कारण विश्व सभ्यता को अमृत एवं पोषक जल प्रदान करने वाले ग्लेशियर या तो लुप्त हो गए है या लुप्त होने की कगार पर है।
अमृतवाहिनी गंगा अपने उद्गम गंगोत्री के मूल स्थान से कई किलोमीटर पीछे खिसक चुकी है। प्राकृतिक आपदाओं में बढ़ोतरी के कारण लाखों लोग शरणार्थी बन चुके हैं विशेषकर अपने भारत में ही बाधाओं कारखानों हाइड्रो पावर स्टेशनों के बनने के कारण लाखों वनवासी भाई बहन बेघर होकर शरणार्थी बने हैं।
पर्यावरण के प्रति गहरी आस्था संवेदनशीलता प्राचीन काल से बनती है अर्थव वेद में लिखा है-माता भूमि पुत्रों प्रथ्विया अर्थात भूमि माता है हम पृथ्वी के पुत्र हैं एक जगह पर यह भी विनय किया गया है की है पवित्र करने वाली भूमि हम कोई ऐसा कार्य ना करें जिससे तेरे हृदय को आघात पहुंचे यहां हृदय को आघात पहुंचाने का अर्थ है पृथ्वी की पारिस्थितिकी तंत्रों अर्थात पर्यावरण के साथ क्रूर छेड़छाड़ करना हमें प्राकृतिक संसाधनों के प्राकृतिक एवं बेतहाशा दोहन से बचना होगा।
आज आवश्यकता इस बात की है कि विश्व के तमाम राष्ट्र जलवायु परिवर्तन के गंभीर खतरे को लेकर आपसी मतभेद भुला दें। और अपनी अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी पूर्वक निभाए ताकि समय रहते हुए सर्वनाश से उभरा जा सके विश्व विनाश से निपटने के लिए सामूहिक एवं व्यक्तिगत प्रयासों की जरूरत है प्रकृति बचाओ अभियान में कई आंदोलन चल रहे है। अरण्य रोधन के बदले अरण्य संरक्षण की बात हो रही है सचमुच हमें आत्मरक्षा के लिए पृथ्वी को बचाना होगा भूमि माता है और हम उसकी संतान इस कथन की चरितार्थ करना होगा।
पृथ्वी को बचाने के उपाय
आमजन बढ़ रहे प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग की समस्याओं से अवगत कराएं।
सभी देश आपसी भेदभाव को भूलकर प्रति बचाने की दिशा में सार्थक कदम उठाएं।
पृथ्वी और पर्यावरण बचाने बाबत आयोजन कार्यक्रमों को विश्व के सभी देशों में आयोजन किया जाए वृक्षों की कटाई पर पूर्ण रोकथाम लगाकर पौधारोपण को बढ़ावा देने के प्रयत्न किए जाने चाहिए।
प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग पर सीमाएं लगाना जरूरी है।
3r यानी पुनर्निर्माण उपयोग और उससे अपशिष्ट के भी उपयोग की व्यवस्था अपनाई जाए।
अधिक वायु प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों और कारखानों पर पूर्णता रोक।
कम प्रदूषण फैलाने और कम इधर के उपयोगी वाहनों को बढ़ावा दिया जाए।
विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में पृथ्वी के बारे जागरूकता फैलाने के निबंध पाठ्यक्रम स्थान मिले।
कोयले से बिजली उत्पादन की बजाय सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जाए।
FAQ
1-पृथ्वी पर निबंध कैसे लिखें?
उत्तर-पृथ्वी हमारे सौरमंडल का एकमात्र ऐसा ग्रह है जहां जीवन पाया जाता है हल्के जलवायु ठोस तरल और गैस एवं पानी इस ग्रह पर उपलब्ध हैं यह सूर्य से तीसरा ग्रह है ग्रह पृथ्वी के चारों ओर एक चंद्रमा है और इसका व्यास 79,21 मील है जो 12756 किलोमीटर है.
2-पृथ्वी का जन्म कब हुआ था?
उत्तर-इस ग्रह की रचना 1% अनिश्चितता की सीमा के भीतर लगभग 4.54 बिलियन वर्ष पूर्व हुई और इसका अधिकांश भाग 10 से 20 मिलियन वर्षों के भीतर पूरा हुआ.
3-पृथ्वी का निर्माण कैसे हुआ?
उत्तर कालांतर गैस और धूल कण फिर आस पास आने वाले गृह निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गई जल्दी ही यह गैस और धूल के कण मिलकर एक बड़ा आकार लेने लगे जबकि गैस और धूल के कण अभी सूर्य का चक्कर लगा रहे थे इन पिंडो से धूल और गैस के कण और ज्यादा मात्रा में जुड़ने लगी और उनमें से एक फ्रेंड आगे चलकर हमारी पृथ्वी बन गई।
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