ध्वनि प्रदूषण पर निबंध (Essay on Noise pollution in Hindi)

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ध्वनि प्रदूषण पर निबंध (Essay on Noise pollution in Hindi)

ध्वनि प्रदूषण पर निबंध (Essay on Noise pollution in Hindi)


प्रस्तावना


ध्वनि प्रदूषण तब होता है जब शोर का स्तर सामान्य स्तर से अधिक बढ़ जाता है। जब सोर की मात्रा अधिक हो जाती है, तो यह जीवित प्राणियों के लिए खतरनाक हो जाता है। इसके अलावा यह अपनी आवाज एक गई गड़बड़ी पैदा करती। और पर्यावरण में असंतुलन पैदा करती हैं। दूसरे शब्दों में उच्च मात्रा का सोच आसमान है।


ध्वनि प्रदूषण पर निबंध (Essay on Noise pollution in Hindi)


जब हम किसी व्यक्ति से बात करते हैं, तू हमें जो उसकी आवाज सुनाई देती है वह ध्वनि है। इस संसार की प्रत्येक वस्तु से किसी ना किसी प्रकार की दुनिया अवश्य निकलती है।


एस धोनी के कारण ही हम एक दूसरों की बातें समझ पाते हैं ध्वनि हमारे विचारों के आदान-प्रदान को काफी सरल बना देती है।


कुछ ध्वनियां ऐसी होती है, जो हमारे कानों को काफी अच्छी लगती है। लेकिन, कुछ ध्वनियां ऐसी होती है, जो हमारे कानों को अच्छी नहीं लगती है, इन्हीं ध्वनियों को ध्वनि प्रदूषण कहते है।


आज इस विकास के दौर में ध्वनि प्रदूषण बढ़ता ही चला जा रहा है। लोग बिना जरूरत के ही हॉर्न का प्रयोग करते रहते है, जिससे ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।


Table of contents 

ध्वनि प्रदूषण पर निबंध (Essay on Noise pollution in Hindi)

प्रस्तावना

ध्वनि प्रदूषण क्या है?

ध्वनि प्रदूषण की परिभाषा

ध्वनि प्रदूषण के कारण:

ध्वनि प्रदूषण के कारण:

ध्वनि प्रदूषण पर निबंध 100 शब्द

ध्वनि प्रदूषण पर निबंध कैसे लिखें?

प्रदूषण से कौन सी बीमारी होती हैं?

ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण क्या है?

ध्वनि प्रदूषण से बचाव कैसे करें?

People also questions

निष्कर्ष


ध्वनि प्रदूषण पर निबंध 100 शब्द


ध्वनि प्रदूषण उन प्रदूषण में से एक है जिसका हम प्रतिदिन सामना करते हैं। वायु प्रदूषण जल प्रदूषण मृदा प्रदूषण और अन्य पत्रकारों की तरह ध्वनि प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। वायुमंडलीय प्रदूषण ही एकमात्र ऐसा प्रदूषण नहीं है जिससे हम गुजरते हैं बल्कि ध्वनि प्रदूषण हमारे जीवन में विनाश ला सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ध्वनि प्रदूषण एक खतरनाक स्वस्थ समस्या है। यूरोपीय पर्यावरण ( ईईए ) का कहना है।


लगातार ध्वनि प्रदूषण का सामना करने वाला व्यक्ति स्वस्थ संबंधी समस्याओं का समाधान करना शुरू कर सकता है और दीर्घ अवधि में खतरनाक हो सकता है लेकिन कई अपूर्व क्रशर जीवन में बाद में समस्याएं ला सकते हैं।कुछ ध्वनियां ऐसी होती है, जो हमारे कानों को काफी अच्छी लगती है। लेकिन, कुछ ध्वनियां ऐसी होती है, जो हमारे कानों को अच्छी नहीं लगती है, इन्हीं ध्वनियों को ध्वनि प्रदूषण कहते है।


आज इस विकास के दौर में ध्वनि प्रदूषण बढ़ता ही चला जा रहा है। लोग बिना जरूरत के ही हॉर्न का प्रयोग करते रहते है, जिससे ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।


ध्वनि प्रदूषण क्या है?


ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) वह स्थिति होती है जिस समय हमारे आसपास या पर्यावरण में आवाज़ या शोर का स्तर सामान्य स्तर से बहुत अधिक हो। हमारे वातावरण में ज़रूरत से ज़्यादा शोर होने पर मनुष्य, पशु-पक्षियों आदि सभी को हानि पहुँचती है। तेज आवाज़ से प्रकृति का संतुलन भी बिगड़ जाता है। किसी भी चीज़ की तेज आवाज़ या ध्वनि बाक़ी दूसरी आवाज़ों को दबा देती है और उसमें बाधा डालती है। आज के इस आधुनिक युग में तेज ध्वनि का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है।


ध्वनि या आवाज को हम अलग-अलग रूप में बांट सकते हैं, जैसे- मनुष्य के बोलने या बातचीत करते समय निकलने वाली आवाज़, पशु-पक्षियों की निकलने वाली अलग-अलग प्रकार की आवाज़, बहते हुए पानी की आवाज़, जंगल में शेर के दहाड़ने की आवाज़, बादलों के गरजने की आवाज़, तूफान की आवाज़, ज्वालामुखी के विस्फोट होने की आवाज़, समुद्री लहरों के तट से टकराने की आवाज़ आदि। ध्वनियाँ प्राकृतिक भी होती हैं और मानव द्वारा निर्मित भी। प्राकृतिक ध्वनियों के मुकाबले मानव द्वारा विकसित की गई ध्वनियों का खतरा अधिक होता है। सच्चाई यह ही है कि जिस ध्वनि निर्माण मानव ने किया है, वो पृथ्वी के लिए गंभीर खतरे पैदा कर रही है। हल्के, मीठे और मधुर संगीत की आवाज़ भी ध्वनि है लेकिन अगर वही ध्वनि जब शोर में बदल जाए, तो ध्वनि प्रदूषण की वजह बनती है।


ध्वनि प्रदूषण की परिभाषा


वो आवाज़ या ध्वनि जो हमारे कानों को कष्ट पहुँचाए, जिसका हमारे दिमाग पर बुरा प्रभाव पड़ता हो उसे ही ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है। दुनिया में जैसे-जैसे टेलीविजन, साउंड स्पीकर, यातायात के साधन, मशीनें आदि बढ़ रही हैं, उसके साथ इनसे होने वाला शोर भी बढ़ रहा है, जो ध्वनि प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है। शोर ध्वनि ऊर्जा का वो प्रकार है जिसे किसी भी जीवधारी का सहन कर पाना बहुत मुश्किल है। कोई भी ध्वनि जब ज़रूरत से ज़्यादा हो, तो वह शोर की श्रेणी में आ जाती है।


ध्वनि प्रदूषण के कारण:


ध्वनि प्रदूषण के सभी प्रमुख कारण निम्नलिखित है:-


  1. लोग सडकों पर वाहन चलाते समय बिना मतलब या बिना आवश्यकता के वाहन का हॉर्न बजाते रहते है, जो ध्वनि प्रदूषण बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है।

  2. कईं बार शादियों एवं त्योहारों में लोग तेज आवाज में गाने बजाते रहते है, जिससे ध्वनि प्रदूषण होता है।

  3. लोगों द्वारा उपयोग किये जाने वाले लाउडस्पीकर से भी ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।

  4. आज मनुष्यों द्वारा कल-कारखानों में ऐसी मशीनों का प्रयोग किया जाता है, जो काफी तेज आवाजें करती है, जिनसे भी ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।

  5. कईं बार प्राकृतिक रूप से भी ध्वनि प्रदूषण होता है। 

  6. जैसे:- बादलों के गरजने, सुनामी, ज्वालामुखी फटने, तूफान आने या भयंकर बाढ़ आने से, आदि।

  7. जब चुनाव होते है, तो हर पक्षकार द्वारा चुनाव के लिए रैलियां निकाली जाती है। उन रैलियों में काफी शोर-शराबा होता है, इससे भी ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।


ध्वनि प्रदूषण रोकने के उपाय


यदि हम चाहते हैं कि पृथ्वी से ध्वनि प्रदूषण की समस्या पूरी तरह से खत्म हो, तो हम सभी को अपनी-अपनी जिम्मेदारी समझते हुए नीचे बताए गए उपायों का पालन करना होगा। जब हम सब मिलकर छोटे-छोटे प्रयास करेंगे, तो ही ध्वनि प्रदूषण या प्रदूषण जैसी बड़ी समस्या को दूर कर पाएंगे। ध्वनि प्रदूषण को रोकने के उपाय निम्नलिखित हैं-


  1. सबसे पहले लोगों को ध्वनि प्रदूषण के बारे में जागरूक करना होगा।

  2. जगह-जगह शांतिपूर्ण तरीके से प्रचार-प्रसार करना होगा।

  3. सड़कों की चौड़ाई बढ़ाई होगी जिससे जाम ना लगे और शोर कम पैदा हो।

  4. हरियाली को बढ़ाना होगा।

  5. औद्योगिक क्षेत्रों को आबादी क्षेत्रों से दूर रखना होगा।

  6. प्रेशर वाले हॉर्न का उपयोग बंद करना होगा।

  7. हवाई अड्डों को आबादी वाले क्षेत्रों से दूर रखना होगा।

  8. बड़े-बड़े वाहनों का भीड़-भाड़ वाले इलाके में प्रवेश कम करना होगा।

  9. शादी, त्यौहार, उत्सव, मेला, पार्टियों, सभा स्थल आदि कार्यक्रमों में लाउडस्पीकर को काम में नहीं लेना होगा।

  10. रेलगाड़ी और उनकी पटरियों की मरम्मत समय-समय पर करनी होगी, जिससे कि ध्वनि प्रदूषण कम हो।

  11. पुराने वाहनों के चलाने पर रोक लगानी होगी।

  12. सार्वजनिक स्थलों के आसपास लाउडस्पीकर और हॉर्न बजाने पर रोक लगानी होगी।

  13. उद्योगों से निकलने वाले शोर को कम करना होगा।

  14. आबादी वाले क्षेत्र से अवैध उद्योगों को हटाना होगा।

  15. रात के समय लाउडस्पीकर बजाने पर रोक लगानी होगी।


निष्कर्ष


ध्वनि प्रदूषण मनुष्यों द्वारा सामना की जाने वाली सबसे आम समस्या है, विभिन्न कारणों से जो कई लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करने के लिए प्रेरित करते हैं। निम्नलिखित मानक उपाय मानव और पर्यावरण दोनों के लिए दीर्घावधि में सहायक हो सकते हैं। अंतिम उद्देश्य बेहतर पर्यावरण के लिए ध्वनि प्रदूषण को कम करना है।


People also questions


प्रश्न-ध्वनि प्रदूषण पर निबंध कैसे लिखें?

उत्तर- ध्वनि प्रदूषण वो प्रदूषण है जो पर्यावरण में अवांछित ध्वनि के कारण उत्पन्न होता है। यह स्वास्थ्य के लिये बहुत बड़ा जोखिम और बातचीत के समय समस्या का कारण बनता है। उच्च स्तर का ध्वनि प्रदूषण बहुत से मनुष्यों के व्यवहार में चिडचिड़पन लाता है विशेषरुप से रोगियों, वृद्धों और गर्भवति महिलाओं के व्यवहार में।


प्रश्न-ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण क्या है?

उत्तर- ध्वनि प्रदूषण के स्रोत

बढ़ता शहरीकरण, परिवहन (रेल, वायु, सड़क) व खनन के कारण शोर की समस्या गंभीर रूप लेती जा रही है। विवाह, धार्मिक आयोजनों, मेलों, पार्टियों में लाउड स्पीकर का प्रयोग और डीजे के चलन भी ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण है।


प्रश्न-ध्वनि प्रदूषण से बचाव कैसे करें?

उत्तर- (i) ऐसे उपकरणों का निर्माण करना जो शोर या ध्वनि की तीव्रता को कम करे।

 (ii) ध्वनि अवशोषको का प्रयोग करना चाहिए। 

(iii) मशीनों के साथ काम करने वाले व्यक्तियों को ध्वनि अवशोषक वस्त्रो को देना चाहिए।

 (iv) पौधों को लगाकर की ध्वनि प्रदूषण को कम किया जा सकता है।


प्रश्न- प्रदूषण से कौन सी बीमारी होती हैं?

उत्तर- अगर आप ध्वनि प्रदूषण को नजरअंदाज कर रहे हैं तो सावधान हो जाइये इससे न केवल आप बहरे हो सकते हैं बल्कि याददाश्त एवं एकाग्रता में कमी, चिड़चिड़ापन, अवसाद जैसी बीमारियों के अलावा नपुंसकता और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों की चपेट में भी आ सकते हैं।


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