केदारनाथ मंदिर पर निबंध || Essay on Kedarnath temple in Hindi

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केदारनाथ मंदिर पर निबंध || Essay on Kedarnath temple in Hindi

केदारनाथ मंदिर पर निबंध || Essay on Kedarnath temple in Hindi

केदारनाथ मंदिर पर निबंध || Essay on Kedarnath temple in Hindi

Table of contents

1. केदारनाथ मंदिर का इतिहास अवस्थिति

2. केदारनाथ मंदिर की महिमा का इतिहास

3. केदारनाथ यात्रा, दर्शन और समय

4. केदारनाथ मंदिर कैसे पहुंचे?

5. केदारनाथ मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?

6. केदारनाथ मंदिर की विशेषता क्या है?

7. केदारनाथ की घटना कैसे हुई थी?

8. केदारनाथ किसका नाम था?

9.केदारनाथ धाम की एक कहानी

10.केदारनाथ की घटना कैसे हुई थी?


देवों के देव महादेव के धाम कैलाश पर्वत के बाद केदारनाथ मुख्य मंदिर है। सदियों का रहस्य और इतिहास इस मंदिर में समाया हुआ है। सफेद बर्फ से ढके मंदिर के दर्शन के लिए हर कोई ललायित रहता है। इस निबंध में हम केदारनाथ धाम के बारे में विस्तार से जानेंगे।


केदारनाथ मंदिर का इतिहास अवस्थिति


हिंदू धर्म के महान 12 ज्योतिर्लिंग चारों धाम और पंच केदार में से एक है उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में अवस्थित लोकप्रिय केदारनाथ धाम।


अगर शब्द विन्यास की बात की जाए तो केदारनाथ दो संस्कृत शब्दों के युग्म से बनता है केदार जिसका आशय है। क्षेत्र अथवा भूखंड तथा दूसरे शब्द नाथ का अर्थ स्वामी से है। इस केदारनाथ शब्द का शाब्दिक अर्थ क्षेत्र का स्वामी या नाथ होता है।


हिमालय की केदार चोटी पर बनाया है। मंदिर समुद्र तल से करीब 11657 फीट की ऊंचाई पर है। दाम और इसके साथ बना 3 मंदिरों का समूह चारों तरफ पहाड़ों से घिरा है।


महीनों तक बर्फ की चादर से ढका रहने वाले इस धाम के द्वार दिवाली के दूसरे दिन ही बंद कर दिए जाते हैं।अगले 6 माह तक मन्दिर में अखंड ज्योति प्रज्वलित रहती हैं।


श्री केदारनाथ जी में अचानक बाढ़, भूस्खलन आम बात हैं सर्दियों के मौसम में बर्फ की मार के बीच सदियों से खड़े मंदिर पर सबसे अधिक प्रभाव जून 2013 में आई बाढ़ से पड़ा।


इस आकस्मिक बाढ़ ने मुख्य प्रवेश द्वार और आस पास के क्षेत्र को बर्बाद कर दिया, हालांकि मंदिर का मुख्य भाग और प्राचीन गुबंद आज भी सुरक्षित हैं।


महिमा व इतिहास Kedarnath Temple History in Hindi


मं‍दाकिनी, मधुगंगा, क्षीरगंगा, सरस्वती और स्वर्णगौरी नदियों के संगम पर बने केदारनाथ जी का धाम 85 फुट ऊंचा, 187 फुट लंबा और 80 फुट चौड़ा है। गर्भगृह मंदिर का सबसे प्राचीन हिस्सा हैं।


मंदिर के बारे में कई तथ्य ऐसे है जिन्हें जानकर दांतों तले अंगुली दबा लेगे, धरातल से हजारो फीट की ऊंचाई पर 6 फिट के चबूतरे पर 12 फीट मोटी दीवारों को भारी पत्थरों से बनाया गया हैं।


मंदिर में उपयोग में लिए गए पत्थरों को तराशना, इंटरलॉकिंग पत्थर को दूसरे पत्थर से जोड़ना और खंभों पर बनी विशालकाय छत हैरत करने वाली है इसकी मजबूती ही सैकड़ों वर्षो से नदी के जल के बीच खड़े रखने में सफल हुई है।


इस ज्योतिर्लिंग धाम के महत्व के बारे में हिन्दुओं के कई धर्म ग्रंथों में लिखा हुआ हैं. स्कन्द पुराण में भोलेनाथ पार्वती से कहते है यह धाम उतना ही प्राचीन है जितना कि में ब्रहमांड की रचना से लेकर मेरा यहाँ निवास रहा हैं। पृथ्वी लोक में यह धाम भू स्वर्ग के तुल्य बताया गया हैं।


केदारखंड में लिखा है भगवान केदारनाथ के दर्शन के बगैर बद्रीनाथ की यात्रा निष्फल हो जाती हैं इसी मान्यता के चलते श्रद्धालु बदरीधाम की यात्रा से पूर्व केदार धाम की यात्रा कर भोलेनाथ के दर्शन करते हैं।


पुराणों में वर्णित एक प्रसंग के मुताबिक़ केदार पर्वत पर नर व नारायण नाम दो तपस्वियों ने कठोर तपस्या की, उनकी कठोर तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए और दर्शन देकर वर के अनुसार केदार ज्योतिर्लिंग में चिर आवास का वरदान दिया।


केदारनाथ धाम की एक कहानी पांडवों से जुड़ी हैं. जिसके अनुसार महाभारत युद्ध के पश्चात पांडव अपने भाईयों की हत्या के पाप का प्रायश्चित करना चाहते थे. भगवान शिव के दर्शन के लिए गये मगर शिव पांडवों के कृत्य से नाराज होकर अंतर्ध्यान हो गये तथा केदार श्रंग जाकर बस गये।


पांडव भी चलते चलते उनके पीछे केदार जा पहुंचे, शिवजी उनसे मिलना नही चाहते थे। अतः वे अपना रूप बार बार बदल रहे थे. इस बार शिवजी ने भैसे का वेश अपनाया. उधर भीम ने अपने शरीर का विराट रूप करते हुए दो पहाड़ों पर अपने पाँव फैला दिए।


केदारनाथ यात्रा और दर्शन समय


हिंदुओं के पवित्र चार धाम की यात्रा में एक अहम धाम केदारनाथ है हर साल धाम की यात्रा का आयोजन किया जाता है। इस चार धाम यात्रा में बद्रीनाथ गंगोत्री और यमुनोत्री मुख्य हैं।


प्रतीक साल मंदिर के पास खोलने की तिथि का ऐलान किए जाने के पश्चात ही यात्रा आरंभ की जाती है। मंदिर खोलने की तिथि की गणना उखीमठ में स्थित ओमकारेश्वर मंदिर के पंडित द्वारा निर्धारित की जाती है।


इसका सार्वजनिक ऐलान अक्षय तृतीया और महाशिवरात्रि के अवसर पर किया जाता है शीत ऋतु के आगमन से ही पूर्व मंदिर द्वार बंद कर दिए जाते हैं।


केदारनाथ जी के मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए सवेरे 6:00 बजे खोल दिया जाता है दोपहर के 3:00 बजे से 5:00 बजे तक की अवधि में विशेष पूजा के पश्चात मंदिर बंद होकर सुनना 5:00 बजे खुलता है।


रात्रि में 7:30 से 8:30 के मध्य नियमित आरती के पश्चात मंदिर के द्वार बंद कर दिए जाते थे सर्दी के मौसम में केदारघाटी बर्फ से ढक जाती है मंदिर खुलने और बंद करने के लिए मुहूर्त निकलवाया जाता है श्रद्धालुओं द्वारा मंदिर में दान देकर रसीद भी प्राप्त करते हैं।


केदारनाथ मंदिर कैसे पहुँचे ?


केदारनाथ उत्तराखण्ड राज्य में स्थित है। आप गौरीकुंड से सडक द्वारा केदारनाथ पहुँच सकते है। आज हम आपको बताएंगे कि आप केदारनाथ कैसे पहुँच सकते है।


हवाई जहाज


केदारनाथ से निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है जो कि 238 किमी की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे से गौरीकुंड के लिए बसें और टैक्सी आसानी से उपलब्ध होती है। गौरीकुंड से  केदारनाथ सिर्फ 14 किलोमीटर दूर है।


रेलवे द्वारा


अगर आप रेल द्वारा केदारनाथ जा रहे है तो आप ऋषिकेश रेलवे स्टेशन तक ही जा सकते है। इसके आगे आपको टैक्सी लेकर गौरीकुंड तक पहुँच सकते है। ऋषिकेश से केदारनाथ 216 किमी दूर है।


सडक द्वारा


गौरीकुंड केदारनाथ के सबसे निकट स्थित क्षेत्र है। यहाँ से इंटर और इंट्रा स्टेट बस सेवाएं उपलब्ध हैं। यह बसें चमोली, श्रीनगर, तेहरी, पौरी, ऋषिकेश, देहरादून, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, हरिद्वार और कई अन्य स्थानों के साथ जोड़ती हैं।


FAQ questions-


1.केदारनाथ क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर-इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना का इतिहास संक्षिप्त में है कि हिमालय के केदार श्रंग पर भगवान विष्णु के अवतार महत्वपूर्ण नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शंकर प्रकट हुए और उनके प्रार्थना अनुसार ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वर प्रदान किया।


2.केदारनाथ की विशेषता क्या है?

उत्तर- पत्थरों को एक दूसरे से जोड़ने के लिए इंटरलॉकिंग तरीके का इस्तेमाल किया गया है इस मजबूती के कारण ही मंदिर आज भी अपनी उसी स्वरूप में खड़ा है यह मंदिर तीनों तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है और यहां पांच नदियों का भी संगम होता है उनके नाम मंदाकिनी, मधु गंगा, क्षीरगंगा, सरस्वती और स्वर्ण गौरी आदि है।


3.केदारनाथ की घटना कैसे हुई थी?

उत्तर -2013 में केदारनाथ में बादल फटने के कारण अचानक बाढ़ आ गई थी इस बाढ़ से पूरे उत्तराखंड में 4190 लोगों की मौत हुई थी आपदा की वजह से केदारनाथ मंदिर से कुछ किलोमीटर ऊपर बनी चोराबाड़ी झील थी झील में 16 जून 2013 की रात ग्लेशियर से हिमस्खलन हुआ था।


4.केदारनाथ किसका नाम है?

उत्तर- जिस स्थान पर शिवलिंग प्रकट हुआ वहां पर केदार नामक राजा का सुशासन था और भूमि का यह हिस्सा केदारखंड कहलाता था तो इस प्रकार से भगवान शिव के इस ज्योतिर्लिंग को केदारनाथ कहा गया।


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