ज्वार भाटा किसे कहते हैं,ज्वार-भाटा के प्रकार
ज्वार भाटा किसे कहते हैं,ज्वार-भाटा के प्रकार |
Table of contents
1.ज्वार भाटा किसे कहते हैं?
2.ज्वार भाटा क्यों आता है?
3.ज्वार-भाटा की उत्पत्ति के कारण
4.ज्वार-भाटा के प्रकार
5.मानव जीवन में ज्वार भाटा का महत्व
6.ज्वार भाटा से हानि
7.ज्वार भाटा क्या है ?
8.ज्वार-भाटा आने का मुख्य कारण क्या है?
9.विश्व में सबसे ऊँचा ज्वार कहाँ आता है ?
10. FAQS
ज्वार भाटा किसे कहते हैं?
परिभाषा- ज्वार भाटा समुद्र में आता है अर्थात जब समुद्र का पानी अपनी औसत से ऊपर उठता है तो उसे हम ज्वार कहते हैं और जब वह अपनी औसत सतह से नीचे चला जाता है तो उसे हम भाटा कहते हैं। समुद्र का पानी सामान्य सतह से 24 घंटे में दो बार ऊपर उठ जाता है और 2 बार नीचे चला जाता है।
पानी के ऊपर और नीचे जाने की प्रक्रिया को ही हम ज्वार भाटा कहते हैं। ज्वार भाटा कहीं ज्यादा और कहीं कम आता हैं अर्थात किसी संकीर्ण खाड़ी के नजदीक ज्वार भाटा बहुत ही तेज और ऊपर तक उठ जाता हैं, क्योंकि संकीर्ण खाड़ी में इसी पर्याप्त जगह नहीं मिलती, जिसके चलते समुद्र का पानी बहुत ऊपर तक उठ जाता हैं।
ज्वार भाटा क्यों आता है (Why Tides Occur)
दोस्तों समुद्र में ज्वार भाटा आने का कारण चन्द्रमा और सूर्य की आर्कषण शक्ति हैं। किसी भी वस्तु में अगर द्रव्यमान हैं, तो उसमें एक आकर्षण भी होता हैं। जितनी अधिक वस्तु उतना ज्यादा द्रव्यमान और उतना ही ज्यादा आर्कषण होता हैं। चन्द्रमा पृथ्वी के नजदीक 2.84 हजार किलो मीटर और चंद्रमा के छोटे होते हुए भी चंद्रमा पृथ्वी पर अपने आकर्षण शक्ति अधिक लगाता है।
सूर्य बड़ा तो हैं लेकिन पृथ्वी से बहुत दूर 14.98 करोड़ किलो मीटर हैं। यहीं कारण हैं, कि ज्वार भाटा में मुख्य आकर्षण शक्ति की होती हैं, अर्थात भूमिका चन्द्रमा के चन्द्रमा अपनी आर्कषण के द्वारा पृथ्वी से वस्तुओं को अपनी तरफ खींचना चाहता हैं।
इसी प्रकार जल अपने आकार को बहुत ही आसानी से बदल देता हैं तथा ठोस नहीं बदल पाता। जिसके चलते पृथ्वी का जल चंद्रमा की आर्कषण शक्ति की वजह से उसकी तरफ खींच जाता हैं।
ज्वार-भाटा की उत्पत्ति के कारण
कभी आपने सोचा है कि ज्वार-भाटा क्यों उत्पन्न होता है, हमारी पृथ्वी पर दो तिहाई भाग जल है इस महासागरीय जल पर जब सूर्य और चंद्रमा का आकर्षण बल लगता है तब ज्वार की उत्पत्ति होती है।
जब चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में होते है तो चंद्रमा के सामने स्थित भाग पर चंद्रमा का आकर्षण बल सबसे अधिक होता है। और उसके पीछे वाले भाग पर चंद्रमा का आकर्षण सबसे कम होता है। इसलिए पृथ्वी का जो भाग चंद्रमा के ठीक सामने होता है। वहां का सागरीय जल चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ऊपर उठ जाता है जिस कारण इस क्षेत्र में उच्च ज्वार आता है। इसके विपरीत पृथ्वी का वह हिस्सा जो चंदमा के विपरीतदिशा में होता है। वहां पर निम्न ज्वार आता है।
इस प्रकार 24 घंटे में प्रत्येक स्थान पर दो बार ज्वार का अनुभव किया जाता है।
जब सूर्य तथा चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं तो दोनों की आकर्षण शक्ति एक साथ लगती है इसलिए पृथ्वी के विभिन्न हिस्सों पर उच्च ज्वार का अनुभव किया जाता है यह स्थिति पूर्णमासी या अमावस्या के दिन होती है।
जब सूर्य, पृथ्वी तथा चंद्रमा मिलकर समकोण बनाते हैं है तो सूर्य और चंद्रमा की आकर्षण शक्ति एक दुसरे के विपरीत लगती है जिसके कारण निम्न ज्वार का अनुभव किया जाता है, यह स्थिति प्रत्येक कृष्ण पक्ष और शुक्ल
पक्ष की अष्टमी को होती है।
ज्वार-भाटा के प्रकार Types of Jawar Bhata in hindi-
सागरीय जल में ज्वार का सीधा सम्बन्ध चंद्रमा और सूर्य की आकर्षण शक्तियों से हैं। जैसे जैसे पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होता है वैसे ही ज्वारिय तरंगो में भी परिवर्तन देखने को मिलता है और इसी आधार पर ज्वार को कई भागो में विभक्त किया जाता है।
1. पूर्ण ज्वार या दीर्घ ज्वार (Spring Tide)
2. लघु ज्वार (Neap Tide )
3. भूमध्यरेखीय ज्वार (Equatorial Tide )
4. अपभू तथा उपभु ज्वार (Apogean & Perigean Tide)
5. दैनिक ज्वार (Daily Tide)
6. अदैनिक ज्वार (Semi Daily
Tide)
7. मिश्रित ज्वार (mixed Tide)
मानव जीवन में ज्वार भाटा का महत्व-
ज्वार भाटा आने से समुद्र का जल स्तर समान रहता है और उसकी गहराई बना रहता है जिससे समुद्री यात्रा मे कोई परेशानी नहीं होता है।
इसके कारण समुद्र के जल मे खारापन बना रहता है।
ज्वार भाटा के नियमित रूप से आने से समुद्री जलवायु संतुलित रहता है जिससे उसके अंदर रहने वाले जीव जन्तु जीवन जी पाते है।
इसके कारण पृथ्वी का तापमान भी समान बना रहता है।
ज्वार भाटा से हानि-
ज्वारीय तरंगें समुद्र की लहरें होती हैं जो समय-समय पर होती हैं और पृथ्वी और चंद्रमा की सापेक्ष स्थिति पर निर्भर करती हैं। यही कारण है कि हर दिन ज्वार का आगमन अलग-अलग होता है। ज्वार की लहर की ऊंचाई चंद्रमा द्वारा लगाए गए गुरुत्वाकर्षण बल से निर्धारित होती है; इसलिए यह चंद्रमा के नए और पूर्ण चरणों के दौरान उच्चतम और चंद्रमा के चौथाई चरणों के दौरान सबसे कम है। तटीय क्षेत्रों में प्रतिदिन दो उच्च और दो निम्न ज्वार का अनुभव होता है।
ज्वार की लहरें सूर्य और चंद्रमा दोनों के कारण होती हैं, लेकिन पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी के कारण, ज्वार की लहरों पर चंद्रमा का प्रभाव सूर्य की तुलना में बहुत अधिक होता है।
FAQS-
ज्वार भाटा क्या है ?
सागरीय जल के ऊपर उठने को ज्वार तथा उस सागरीय जल के नीचे गिरने को भाटा कहा जाता है।
ज्वार-भाटा आने का मुख्य कारण क्या है?
ज्वार भाटा आने का मुख्य कारण पृथ्वी, चन्द्रमा तथा सूर्य की पारस्परिक गुरुत्वाकर्षण शक्ति की क्रियाशीलता एवं परस्परता है
विश्व में सबसे ऊँचा ज्वार कहाँ आता है ?
विश्व में सबसे ऊँचा ज्वार फंडी की खाड़ी में आता है। फंडी की खाड़ी कनाडा के पूर्वी तट के आसपास स्थित है।
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