कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध || Essay On Janmashtami 2023

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कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध || Essay On Janmashtami 2023

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर हिन्दी में निबंध || Krishna Janmashtami per nibandh 2023










हेलो नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी लोगों का इस लेख में हम आपको बताने वाले हैं श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर हिन्दी में निबंध || Krishna Janmashtami per nibandh 2023 अगर यह पोस्ट आप लोग अंत तक पढ़ लेते हैं तो बहुत कुछ सीखने को मिल जाएगा और यह आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़िए गा और ज्यादा से ज्यादा अपने मित्रों में शेयर करें ताकि यह जानकारी उन्हें भी मिल सके और वह भी पढ़ सकें


जन्माष्टमी पर्व, हिन्दू धर्म के एक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण की जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भारत में धूमधाम से मनाया जाता है और विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का हिस्सा बनता है।


जन्माष्टमी का पर्व हिन्दू पंचांग के भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की आष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन लोग भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं, उनके गुणों का गुणगान करते हैं और उनके बाल लीलाओं का आयोजन करते हैं। मंदिरों में भक्तों की भीड़ जुटती है और विशेष भजन-कीर्तन कार्यक्रम आयोजित होते हैं।


जन्माष्टमी के दिन लोग व्रत रखकर नियमित रूप से उपवास करते हैं और रात्रि में जन्मस्थल पर जाकर पूजा अर्चना करते हैं। मनाये जाने वाले खास प्रसाद में मक्खन, पांडवी, पेड़ा, मिठाई आदि शामिल होते हैं।


इस पर्व का महत्व उसकी धार्मिक महत्वता के साथ-साथ सांस्कृतिक और कला संस्कृति में भी है, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण की अनेक रूपरेखाओं का प्रदर्शन इस पर्व के दौरान होता है।


ऐसे में, जन्माष्टमी पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और कला संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा भी है।




प्रस्तावना 


जन्माष्टमी का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु जी ने कृष्ण रूप लेकर धरती पर अवतार लिया था। इसलिए कृष्ण जी के जन्म के उपलक्ष में जन्माष्टमी का दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। भारत के सभी छोटे बड़े मंदिरों यहां तक की घर – घर में भगवान कृष्ण जी पालकी सजा कर उन्हें झूला दिया जाता है। वहीं राधा कृष्ण मंदिरों की रौनक देखते ही बनती है. मंदिरों में तो विशेष प्रकार की साज – सज्जा देखने को मिलती है। और विभिन्न जगह दही हांडी प्रतियोगिता रखी जाती है.



मंदिरों में मुख्य रूप से माखन मिश्री का प्रसाद बांटा जाता है। बरसाने, मथुरा में तो ऐसा उत्सव का माहौल रहता है कि लोग हरी कीर्तन करते हैं और रंग – गुलाल भी खेलते हैं। जन्माष्टमी के दिन लोग व्रत पूजन करते हैं और मध्य रात्रि के बाद भगवान की पूजा के बाद ही अपना उपवास खोलते हैं। 



कृष्ण जन्माष्टमी पर क्या लिखें? || Krishna Janmashtami per kya likhen 


कृष्ण जन्माष्टमी एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जो भगवान श्रीकृष्ण की जयंती के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व भगवान के आवतारित होने की स्मृति में मनाया जाता है और इस दिन उनके बाल लीलाओं, गुणों और महत्वपूर्ण घटनाओं का स्मरण किया जाता है।


जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर में भक्तों की भीड़ जुटती है और पूजा, भजन-कीर्तन और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। रात्रि को मंदिरों में जन्मस्थल पर भगवान के प्रतिमा के साथ विशेष पूजा अर्चना की जाती है।


इस दिन लोग व्रत रखते हैं और उपवास करते हैं, जिसका पालन उनकी श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक होता है। धार्मिक कथाओं और पुराणों के अनुसार, श्रीकृष्ण का जन्म मिधुन मास की श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की आष्टमी तिथि को हुआ था।


जन्माष्टमी के अलावा, बाल गोपाल लीला, माखन चोरी, गोपियों के साथ रासलीला जैसी कई महत्वपूर्ण कथाएं भी इस त्योहार के साथ जुड़ी हैं। यह त्योहार धार्मिक आदर्शों के साथ-साथ एकता, प्रेम और श्रद्धा की भावना को भी प्रकट करता है।


यह श्री कृष्ण जन्माष्टमी, धर्म की पुनर्स्थापना के लिए अपने भीतर के कंस को समाप्त करें। केवल अच्छाई ही प्रबल हो । यहां आपको और आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।



जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है 


जन्माष्टमी हिंदू परंपरा के अनुसार तब मनाई जाती है जब माना जाता है कि कृष्ण का जन्म मथुरा में भाद्रपद महीने के आठवें दिन (ग्रेगोरियन कैलेंडर में अगस्त और सितंबर के साथ अधिव्यपित) की आधी रात को हुआ था। कृष्ण का जन्म अराजकता के क्षेत्र में हुआ था।


जन्माष्टमी का उद्देश्य भगवान श्रीकृष्ण की जयंती के रूप में मनाना है। भगवान श्रीकृष्ण, हिन्दू धर्म में विष्णु भगवान के आवतार माने जाते हैं और उन्हें पूजनीय और दिव्य माना जाता है।


भगवान श्रीकृष्ण का जन्म माखन मट्टी के घर में हुआ था और उनकी माता यशोदा जी के यहाँ गोकुल में हुआ था। इसी दिन को मनाकर लोग उनके आविर्भाव की स्मृति में आत्मा को पवित्र करते हैं और उनकी लीलाओं, गुणों और महत्वपूर्ण कार्यों का स्मरण करते हैं।


जन्माष्टमी के दिन भगवान की पूजा, भजन-कीर्तन, सत्संग और धार्मिक अध्ययन के माध्यम से लोग उनके मार्गदर्शन में आने का प्रयास करते हैं। इसके अलावा, जन्माष्टमी का महत्व उनकी बाल लीलाओं, गोपियों के साथ रासलीला और माखन चोरी जैसी कथाओं को याद करने में भी है।


इस पर्व के माध्यम से लोग भगवान श्रीकृष्ण के प्रेम, भक्ति, धैर्य और नैतिकता के संदेश को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करते हैं और उनकी दिव्यता का समर्थन करते हैं।



जन्माष्टमी पर मटकी क्यों फोड़ते हैं


मटकी फोड़ना जन्माष्टमी का एक प्रसिद्ध परंपरागत खेल है जो भगवान श्रीकृष्ण के बचपन की लीला को याद करने के लिए किया जाता है। इसमें एक ऊँची स्थान पर लट्ठ, बारीकी से बाँधी जाती है और उस पर मटकी लगाई जाती है।


मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण बचपन में अपने पड़ोसियों के घर की हांडी तोड़कर उनमें से दूध, दहीं और माखन खाते थे. इसलिए दही-हांडी उत्सव में हांडी यानि मटकी को फोड़ने की परंपरा है.


यह खेल भगवान श्रीकृष्ण के बाल दिनों की यादें ताजगी और रसभरी होती हैं, जब वे यशोदा माता के घर के मटकी को चोरी करके माखन चुराते थे। गोपियाँ और गोपबाल उनके साथ इस खेल को खेलकर मजा करते थे। जन्माष्टमी पर इस खेल के माध्यम से लोग भगवान श्रीकृष्ण की अनुयायियों के साथ एकता, खुशी, और खेलने की भावना को प्रकट करते हैं।



जन्माष्टमी की बधाई कैसे दी जाती है


जन्माष्टमी की बधाई देने के लिए आप निम्नलिखित तरीकों से आगाज कर सकते हैं:


1.शुभकामनाएं संदेश के साथ: आप एक शुभकामना संदेश लिखकर उसे अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों को भेज सकते हैं। उसमें आप उन्हें जन्माष्टमी की बधाई देने की कामना कर सकते हैं और उनके जीवन में सुख, शांति और आनंद की कामना कर सकते हैं।


2.वॉयस कॉल या वीडियो कॉल: आप अपने परिवार और दोस्तों को वॉयस कॉल या वीडियो कॉल करके बधाई दे सकते हैं। यह उन्हें आपकी खासी चिंता और प्रेम का संकेत देगा।


3.ई-कार्ड: आप ऑनलाइन ई-कार्ड बना सकते हैं और उसे ईमेल या सोशल मीडिया के माध्यम से भेज सकते हैं। इसके लिए विभिन्न वेबसाइट्स और ऐप्स उपलब्ध हैं जो आपको बनाने और भेजने में मदद कर सकते हैं।


4.सोशल मीडिया पोस्ट: आप अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर भी जन्माष्टमी की बधाई पोस्ट कर सकते हैं। इसमें आप छवियों, उद्धरणों या कुछ खास शब्दों का उपयोग कर सकते हैं।


5.व्यक्तिगत संदेश: आप व्यक्तिगत संदेश लिखकर उनके मोबाइल नंबर पर भेज सकते हैं। इसमें आप उनके जीवन के सफलता और खुशियों की कामना कर सकते हैं।


जन्माष्टमी की बधाई देते समय आपकी भावनाओं को सादगी और संवेदनशीलता के साथ प्रकट करना महत्वपूर्ण है।



जन्माष्टमी का संदेश क्या है


जन्माष्टमी का संदेश भगवान श्रीकृष्ण की जीवन और उनके संदेशों से जुड़ा होता है। यह त्योहार हमें निम्नलिखित महत्वपूर्ण संदेश प्रदान करता है:


1.भक्ति की महत्व: भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में जीवन की महत्वपूर्णता को समझाया जाता है। उनकी प्रेम भक्ति और आदर्शों का पालन करने की महत्वपूर्णता को यह त्योहार सिखाता है।


2.कर्म और धर्म: भगवान श्रीकृष्ण ने 'भगवद गीता' के माध्यम से कर्म और धर्म के महत्व को समझाया। जन्माष्टमी हमें सही कार्य करने और धार्मिक नैतिकता का पालन करने की महत्वपूर्णता को याद दिलाता है।


3.परम प्रेम: भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला और गोपियों के साथ खेलने की कथाएं हमें परम प्रेम और आत्मा के साथ अद्भुत संबंध की महत्वपूर्णता को दिखाती हैं।


4.सहानुभूति: भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी विश्वरूप दर्शन के माध्यम से दिखाया कि वे सभी में हैं और हम सभी एक ही परमात्मा के अंश हैं। इससे हमें सभी मानवों के प्रति सहानुभूति और भाईचारे की महत्वपूर्णता समझाई जाती है।


इस प्रकार, जन्माष्टमी हमें प्रेम, भक्ति, धर्म, कर्म और एकता के महत्वपूर्ण संदेश प्रदान करता है और हमें उन आदर्शों की ओर आग्रह करता है जिन्हें भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में दिखाया।



भगवान श्री कृष्ण का सबसे अच्छा संदेश क्या है


भगवान कृष्ण का सबसे अच्छा संदेश 'भगवद गीता' में प्रस्तुत है। उनके द्वारा गीता में दिए गए संदेशों में से एक मुख्य संदेश है:


1. अपना धर्म निभाना, भले ही अपूर्ण हो, दूसरे का धर्म करने, भले ही पूर्णता से करने से बेहतर है। अपने जन्मजात कर्तव्यों का पालन करने से व्यक्ति को पाप नहीं लगता है।


कर्मयोग और समर्पण: भगवान कृष्ण ने गीता में कर्मयोग का महत्व बताया, जिसका अर्थ है कार्य करने में लगे रहना और फल की चिंता छोड़ देना। वे कहते हैं कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन करते रहना चाहिए बिना चिंता के कि परिणाम क्या होगा। यह संदेश हमें समर्पण और सच्चे कर्म का मार्ग दिखाता है।


भगवद गीता में भगवान कृष्ण ने और भी अनेक महत्वपूर्ण संदेश दिए हैं जैसे कि जीवन का अर्थ, धर्म का पालन, समय का महत्व, आत्मा का ज्ञान आदि। इन संदेशों के माध्यम से वे हमें सच्चे जीवन के मार्ग की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं।



भगवान श्री कृष्ण का जन्म क्यों हुआ?


हिन्दू धर्म के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म धरती से पापों का बोझ नष्ट करने के लिए जन्म लिया था।

माखन मट्टी के घर में हुआ था और यह उनके आवतार की एक महत्वपूर्ण घटना है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म विष्णु भगवान के आवतार के रूप में हुआ था ताकि वे धरती पर आकर अधर्म की हानि करके धर्म की स्थापना कर सकें।


भगवान श्रीकृष्ण का जन्म गोकुल नामक गांव में हुआ था, जिसका संचार बहुत ही खास तरीके से हुआ था। उनकी माता यशोदा जी के यहाँ वे उनके पालक माता-पिता के रूप में जन्म लेने के लिए आए थे। उनका जन्म बृहस्पतिवार (गुरुवार) को हुआ था, जिसे हम जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं।


भगवान श्रीकृष्ण का आवतार, उनके लीलाओं और उनके संदेशों का प्रचार करने के लिए हुआ था। वे गीता के माध्यम से अर्जुन को मानव जीवन के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को समझाते हैं और मानवता के लिए सच्चे धर्म की ओर मार्गदर्शन करते हैं।



जन्माष्टमी को सरल शब्दों में क्या कहते हैं


जन्माष्टमी, भाद्रपद (अगस्त-सितंबर) महीने के अंधेरे पखवाड़े के आठवें (अष्टमी) दिन भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाने वाला हिंदू त्योहार ।


जन्माष्टमी एक हिन्दू त्योहार है जिसमें भगवान श्रीकृष्ण की जन्म की खुशी के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग उनके मंदिरों में जाकर पूजा आराधना करते हैं, भजन कीर्तन करते हैं और उनके बालक लीलाओं का स्मरण करते हैं। यह एक धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है जिसमें भगवान के संदेशों का मानवता के लिए मार्गदर्शन भी किया जाता है।



जन्माष्टमी वाले दिन क्या हुआ था


भगवान श्री कृष्ण के जन्म के उपलक्ष में आयोजित श्री कृष्ण जन्माष्टमी के त्यौहार को हमारे देश में बड़ी श्रद्धा व धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी पर मंदिरों को बहुत खूबसूरती से सजाया जाता है और वहां झांकियां सजाई जाती हैं और बड़ी रौनक होती है। इस त्यौहार के दिन लोग व्रत रखते हैं यह व्रत रात्रि 12:00 बजे तक रहता है।


जन्माष्टमी के दिन रात के 12:00 बजे श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. इस दिन डंठल और हल्की सी पत्तियों वाले खीरे को कान्हा की पूजा में उपयोग करें. रात के 12 बजते ही खीरे के डंठल को किसी सिक्के से काटकर कान्हा का जन्म कराएं. इसके बाद शंक बजाकर बाल गोपाल के आने की खुशियां मनाएं और फिर विधिवत बांके बिहारी की पूजा करें.


जन्माष्टमी वाले दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म माखन मट्टी के घर में हुआ था, जोकि गोकुल नामक गांव में था। उनकी माता यशोदा जी के यहाँ उन्होंने आवतार ग्रहण किया था। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म बृहस्पतिवार (गुरुवार) को हुआ था और यही तिथि हम जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इस दिन भक्तों के द्वारा उनके मंदिरों में पूजा-आराधना की जाती है, भजन-कीर्तन किया जाता है और उनकी बालक लीलाओं का स्मरण किया जाता है।



जन्माष्टमी के दिन किसका जन्म हुआ था?


जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।



जन्माष्टमी पर किसकी पूजा की जाती है?


जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। भगवान श्रीकृष्ण के आवतार की खुशी में इस दिन उनकी पूजा, आराधना, भजन-कीर्तन और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भक्तों के द्वारा मंदिरों में उनकी विशेष पूजा की जाती है। और उनके अवतार और लीलाओं का स्मरण किया जाता है।



जन्माष्टमी करने से क्या फल मिलता है?


मान्यता है कि जन्माष्टमी का व्रत बेहद ही फलदायी होता है। और इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को 100 पापों से मुक्ति मिलती है. कहते हैं कि जो व्यक्ति कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करता है उसके सभी कष्ट दूर होते हैं और भगवान कृष्ण का आशीर्वाद मिलता है.


जन्माष्टमी का त्योहार मनाने से आपको निम्नलिखित फल मिल सकते हैं:


1.आध्यात्मिक विकास: जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में आराधना करके आपका आध्यात्मिक विकास होता है। इसके माध्यम से आप उनके संदेशों का अध्ययन करके अपने मानवता के साथ के रिश्तों को मजबूती देते हैं।


2.शुभकामनाएं और आशीर्वाद: भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से आप उनके आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और आपकी जीवन में खुशियों और सफलता की बढ़ोतरी हो सकती है।


3.धार्मिक अनुष्ठान: जन्माष्टमी का त्योहार धार्मिक अनुष्ठान की भावना को बढ़ावा देता है। इसके माध्यम से आप अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करके आध्यात्मिक मार्ग पर चल सकते हैं।


4.समर्पण और भक्ति: जन्माष्टमी के दिन भगवान की भक्ति और समर्पण का महत्वपूर्ण संदेश होता है। यह संदेश आपको अपने कर्मों में निष्ठा और आत्मा के साथ समर्पण की भावना दिलाता है।


5.सांस्कृतिक महत्व: जन्माष्टमी का त्योहार हिन्दू सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराओं का हिस्सा है। इसके माध्यम से आप अपनी सांस्कृतिक रूचि को बढ़ावा देते हैं और अपनी संस्कृति को महत्वपूर्ण मानते हैं।


यदि आप जन्माष्टमी को श्रद्धापूर्वक मनाते हैं तो यह आपके आध्यात्मिक और मानवता के विकास में मदद कर सकता है।



जन्माष्टमी पर क्या-क्या प्रसाद मिलता है


जन्माष्टमी में विभिन्न प्रकार के प्रसाद बनाए जाते हैं जो भगवान श्रीकृष्ण के आवतार और उनके प्रिय भोजनों का प्रतीक होते हैं। कुछ प्रसिद्ध प्रसाद निम्नलिखित होते हैं:


1.माखन-मिश्ठाई: भगवान श्रीकृष्ण को माखन (बटर) और मिठाई बहुत पसंद थी। इसलिए जन्माष्टमी पर माखन, मिष्ठाई और मिठासे भरे प्रसाद बनाए जाते हैं, जैसे कि माखन सिंघाड़े, माखन मिश्री, पेड़ा, बर्फी आदि।


2.पंजिरी: यह एक प्रकार की खास प्रसाद होती है जिसमें गुड़ और मिश्री के साथ खजूर, मूंगफली, ग्राम फ्लोर आदि का मिश्रण होता है।


3.अत्ता लड्डू: जन्माष्टमी पर अत्ता और गुड़ से बने लड्डू भी बनाए जाते हैं, जो भगवान के प्रिय भोजनों में से एक होते हैं।


4.क्षीर (मिल्क) बेसन: कुछ स्थानों पर जन्माष्टमी पर क्षीर बेसन या मिल्क पूड़िङ्ग भी प्रसाद के रूप में बनाया जाता है।


5.फल: फल भी जन्माष्टमी पर प्रसाद के रूप में बनाया जाता है, जैसे कि केले, अनार, अमरूद आदि।


ये कुछ उदाहरण हैं, लेकिन वास्तविकता में जन्माष्टमी पर विभिन्न प्रकार के प्रसाद बनाए जाते हैं जो आपके आध्यात्मिक उत्सव में रस और रूचि देते हैं।



जन्माष्टमी स्मार्ट का मतलब क्या होता है


"जन्माष्टमी स्मार्ट" शब्द का उपयोग आमतौर पर जन्माष्टमी त्योहार की खास रूपरेखा को व्यक्त करने के लिए किया जाता है, जिसमें अद्भुत, आकर्षक और आधुनिक तरीके से त्योहार का आयोजन किया जाता है। इसका मतलब होता है कि लोग नए-नए और विशेष तरीकों से जन्माष्टमी का आयोजन करते हैं जो आकर्षक और मनोरंजक होते हैं।


इसके तहत, लोग मोबाइल ऐप्स या ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करके भगवान के भजन, कथा, लीला, आदि का आयोजन करते हैं, जिन्हें देखने और सुनने का मौका लोगों को मिलता है। इसके अलावा, सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रसाद वितरण, रासलीला प्रदर्शन आदि का भी आयोजन किया जाता है जो त्योहार को और भी विशेष बनाता है।


इस प्रकार के "स्मार्ट" त्योहार का मुख्य उद्देश्य आधुनिकता और रोचकता को त्योहार के परंपरागत माध्यमों में मिलाना होता है, जिससे लोगों का रुचिकरण बढ़ता है और वे त्योहार को उत्साह से मनाने के प्रेरित होते हैं।



श्री कृष्ण के परम भक्त कौन थे?


जिसमें भागवत भूषण स्वामी नित्यानंद गिरी जी महाराज, स्वामी रामानंद गिरी जी महाराज द्वारा अपनी मधुर वाणी से वर्णन करते 7वें दिन बताया कि श्री सुदामा जी भगवन श्री कृष्ण के परम मित्र तथा भक्त थे


भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त बहुत सारे थे, लेकिन कुछ प्रमुख परम भक्तों के नाम निम्नलिखित हैं:


1.मीरा बाई: मीरा बाई, राजपुताना क्षेत्र की रानी, भगवान श्रीकृष्ण की आदिरात्रि और उनकी उच्च प्रेमिका थी। उन्होंने भगवान के प्रति अपने अत्यंत प्रेम का अभिव्यक्त किया और उनके लीलाओं के गानों की रचना की।


2.सुदामा: सुदामा एक ब्राह्मण थे और भगवान श्रीकृष्ण के दीवाने भक्त थे। उन्होंने अपने मित्रता के भाव से भगवान के पास एक मोती की खीर का भेंट दी थी, जिसके बदले में भगवान ने उन्हें अत्यधिक धन और सुख प्रदान किया।


3.यशोदा: भगवान श्रीकृष्ण की माता यशोदा उनके परम भक्तों में से एक थी। उनका प्रेम और आदर अपने पुत्र श्रीकृष्ण के प्रति अत्यधिक था।


4.अर्जुन: अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण के मित्र और भक्त थे, जिन्होंने उनसे भगवद गीता के माध्यम से अद्वितीय उपदेश प्राप्त किया था।


5.रुक्मिणी: रुक्मिणी भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी और परम भक्त थी। उन्होंने भगवान के प्रति अपने अत्यंत प्रेम का प्रमाण दिया और उनके साथ आत्मर्पण की उदाहरणीय प्रेमकथा है।


ये केवल कुछ उदाहरण हैं, भगवान श्रीकृष्ण के अनेक परम भक्त थे जिन्होंने उनके प्रति अपने आदर और प्रेम का प्रकटीकरण किया।



कृष्ण जी का असली नाम क्या है?


भगवान श्रीकृष्ण का असली नाम 'कृष्ण' है। वे हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान विष्णु के आवतार माने जाते हैं और उनका यह नाम उनके अद्वितीय व्यक्तिगतता, लीलाओं और धार्मिक संदेश के लिए प्रसिद्ध है।



कृष्ण को नंदलाल क्यों कहा जाता है?


"नंदलाला" भगवान श्रीकृष्ण का एक प्रिय उपनाम है जो उनके नाना नंद और नानी यशोदा के नाम से जुड़ा होता है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म गोकुल नामक गांव में हुआ था और उनके आवतार के समय उनके पालक माता-पिता नंद और यशोदा ने उनकी देखभाल की थी।


"नंदलाला" का अर्थ होता है "नंद की लाल" या "नंद की प्रिय उपलब्धि"। इस नाम से भगवान की नन्नी यशोदा की लगाव और प्यारी व्यवहारिक रिश्ता को दर्शाया जाता है। यह उपनाम भगवान के बचपन के खुशीयों और प्रिय यादों का संकेत होता है।



कृष्ण कितने वर्ष जीवित रहे?


हिन्दू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में हुआ था और उनका वनवास और महाभारत की घटनाओं में भाग लिया था। उनकी जीवनकाल की अवधि की गणना विभिन्न पौराणिक ग्रंथों में अलग-अलग तरीकों से की गई है।


विभिन्न पौराणिक कथाओं और ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु की वय वर्षों तक बताई गई है। कुछ ग्रंथों में उनकी मृत्यु की वय 125 वर्ष तक बताई गई है, जबकि कुछ में यह 85 वर्ष तक दिखाया गया है। 125 वर्ष, 08 महीने और ' 07 दिन जीवित रहे। 9 ) मृत्यु तिथि : 18 फरवरी 3102 ईसा पूर्व । 10) जब कृष्ण 89 वर्ष के थे; मेगा युद्ध (कुरुक्षेत्र युद्ध हुआ । 11) कुरुक्षेत्र युद्ध के 36 साल बाद उनकी मृत्यु हो गई।


यह विभिन्न पौराणिक कथाओं और ग्रंथों के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकता है, लेकिन एक सामान्य अनुमान यह है कि भगवान श्रीकृष्ण का जीवनकाल लगभग 100 वर्ष के आस-पास रहा होगा।



जन्माष्टमी की शुरुआत कैसे हुई?


जन्माष्टमी की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के दिन के अवसर पर होती है। शुरुआत सबसे पहले गोकुल में हुई जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जिसकी तिथि भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि होती है।


भगवान श्रीकृष्ण का जन्म गोकुल नामक गांव में हुआ था, जिसे यशोदा माता के घर में आवतार ग्रहण करने के लिए चुना गया था। उनका जन्म बृहस्पतिवार (गुरुवार) को हुआ था और यही तिथि हम जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इस दिन भगवती यशोदा जी के घर में उनके आवतार की खुशी में उनकी पूजा, आराधना, भजन-कीर्तन, रासलीला आदि किये जाते हैं।


यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी और प्रेम की यादों को मनाने का अवसर होता है और लोग उनके आदर्शों का पालन करते हुए इसे धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मनाते हैं।



श्री कृष्ण का जन्म कितने बजे हुआ था?


उन्हें बस एक तारीख चाहिए। और 21 जुलाई, 3228 ईसा पूर्व, बंसल के अनुसार, कृष्ण के जन्म के दौरान वर्णित हर शर्त को पूरा करता है। कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में, भाद्रपद के हिंदू महीने में, आधी रात को घटते चंद्रमा के 8वें दिन हुआ था ।


भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। उनका जन्म रात्रि के समय हुआ था और उनका जन्मस्थल गोकुल नामक गांव में था। पारंपरिक रूप से मान्यता है कि श्रीकृष्ण का जन्म मिधन रात्रि के लगभग 12 बजे हुआ था। इस अवसर पर भगवान के प्रिय भक्त और साथी ने उनके आवतार की खुशी में भजन-कीर्तन किया और उनकी लीलाओं का स्मरण किया।



जन्माष्टमी पर क्या नहीं करना चाहिए?


जन्माष्टमी के दिन कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए दूध से बनी चीजें सख्त वर्जित हैं ताकि आप इस पवित्र त्योहार को सम्मानपूर्वक मना सकें। निम्नलिखित कुछ बातों को न करना चाहिए:


1.नौनिहाल (खट्टी) चीजें न खाना: भगवान के प्रिय भोजन में से एक होती है नौनिहाल चीजें जैसे कि माखन, छाछ, दही आदि। इसलिए जन्माष्टमी के दिन इन्हें नहीं खाना चाहिए।


2.अन्यायपूर्वक खेलना या जगड़ना: जन्माष्टमी एक आध्यात्मिक और धार्मिक त्योहार है, इसलिए इस दिन अन्यायपूर्वक किसी से जगड़ना या आपसी विवादों में पड़ना नहीं चाहिए।


3.अनैतिक कार्य: इस दिन अनैतिक और अनाचारिक कार्यों से बचना चाहिए, जैसे कि शराब पीना, विशेष रूप से मांसाहारी आहार खाना, आदि।


4.आलस्य या आविष्कार में रहना: जन्माष्टमी का महत्वपूर्ण हिस्सा उत्सव की तैयारियों में भी होता है, इसलिए आलस्य में रहकर या कुछ आविष्कार में रहकर इस महत्वपूर्ण दिन का महत्व कम नहीं करना चाहिए।


5.दुष्कर्मों का पालन: जन्माष्टमी के दिन धार्मिक और सत्कर्मों का पालन करना चाहिए और दुष्कर्मों से बचने की कोशिश करनी चाहिए।


यदि आप जन्माष्टमी को सावधानीपूर्वक मनाएंगे और इन बातों का पालन करेंगे, तो आप इस पवित्र त्योहार को सम्मानपूर्वक मना सकेंगे।



भगवान कृष्ण के लिए प्रार्थना कैसे करें?


भगवान कृष्ण के लिए प्रार्थना करने के लिए आप निम्नलिखित तरीकों का पालन कर सकते हैं:


1.भगवान कृष्ण की आराधना: आप पूजा के समय उनकी मूर्ति, चित्र या मंदिर की ओर दिल से मन के साथ दृष्टि स्थापित करके उनकी आराधना कर सकते हैं।


2.भजन-कीर्तन: भगवान कृष्ण के भजन और कीर्तन गाकर उनकी महिमा का गुणगान करें।


3.मन्त्र जप: "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" या "हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे" जैसे मन्त्रों का जप करने से आप भगवान कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण दिखा सकते हैं।


4.आरती: भगवान कृष्ण की आरती गाकर उनकी प्रासादी आत्मा को विशेष रूप से पवित्र और शुद्ध बना सकते हैं।


5.समर्पण और आदर: अपनी प्रार्थना के समय भगवान कृष्ण के सामने अपनी आदर और समर्पण भावना को प्रकट करें, और उनके प्रति अपनी श्रद्धा को व्यक्त करें।


6.अपनी इच्छाओं का अर्पण: आप अपनी प्रार्थना में भगवान कृष्ण से अपनी आत्मिक और आध्यात्मिक इच्छाओं का अर्पण कर सकते हैं।


7.सेवा और दान: जन्माष्टमी के दिन भगवान के नाम पर सेवा और दान करके उनके प्रति आदर और प्रेम प्रकट करें।


यदि आप इन तरीकों का पालन करके प्रार्थना करेंगे, तो आप भगवान कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण को व्यक्त कर सकेंगे।



कृष्ण जन्माष्टमी 2 दिन क्यों बनाई जाती है


जन्माष्टमी 2 दिन क्यों मनाई जाती है? उ. चूंकि भगवान कृष्ण का जन्म आधी रात के दौरान हुआ था, इसलिए उनकी जयंती दो दिनों तक मनाई जाती है।


कृष्ण जन्माष्टमी को दो दिनों तक मनाने का कारण है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात्रि को हुआ था और उनका जन्मस्थल गोकुल नामक गांव में था। इसलिए, जन्माष्टमी के दिन उनकी जन्मतिथि के अनुसार पूजा-अर्चना की जाती है जो की रात्रि को आरंभ होती है।


परंतु, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म समय के साथ बदल जाता है, जिसका कारण आदर्श्य नक्षत्र और दिन के संबंध में है। इसलिए, ज्योतिषशास्त्र में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को दो दिनों तक मनाने की शिफारिश की गई है।


विभिन्न संगठनों और पंडितों के अनुसार, जन्माष्टमी की शुभ मुहूर्त के आधार पर एक दिन को आस्थाई जन्माष्टमी और दूसरे दिन को परम जन्माष्टमी के नाम से मनाया जाता है। इस तरीके से दो दिनों तक के उत्सव में भगवान कृष्ण की पूजा और आराधना की जाती है, जिससे उनके प्रेम और भक्ति की महत्वपूर्ण घटनाओं का आदर किया जा सकता है।



जन्माष्टमी पर पूछे जाने वाले प्रश्न उत्तर


जब जन्माष्टमी के अवसर पर लोग सामूहिक रूप से उपवास, पूजा और आराधना करते हैं, तो कई बार यहाँ उल्लिखित प्रश्न उनके मन में उठते हैं, और उनके जवाब निम्नलिखित रूपों में हो सकते हैं:


1.कृष्ण जन्माष्टमी क्या है?

   

उत्तर- कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के दिन के रूप में मनाया जाने वाला हिन्दू धर्मिक त्योहार है। यह त्योहार भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।


2.जन्माष्टमी की पूजा कैसे की जाती है?

   

उत्तर- जन्माष्टमी पर पूजा करने के लिए भगवान कृष्ण की मूर्ति या चित्र के सामने पूजा स्थल स्थापित किया जाता है। पूजा में दही-माखन, फल, मिष्ठान, पानी, फूल, गंध, दीप, धूप, आरती, भजन-कीर्तन आदि शामिल होते हैं।


3.क्यों मटकी फोड़ते हैं जन्माष्टमी पर?

   

उत्तर- मटकी फोड़ना एक पौराणिक कथा से जुड़ा है। बचपन में, श्रीकृष्ण अपने ब्रह्मबंधु (यार) और सखाओं के साथ यशोदा माता के घरों में जाकर माखन चुराते थे। उनके साथी खोली बनाते थे जिनमें माखन रखा जाता था। भगवान कृष्ण को इन खोलियों में पहुँचकर माखन का स्वाद लेना बड़ा पसंद था।


4.कृष्ण का संदेश क्या है?

   

उत्तर- भगवान श्रीकृष्ण का संदेश धर्म का पालन करने, सत्य का पुनर्निर्माण करने, भक्ति और प्रेम की महत्वपूर्णता को सिखाने, और अधर्म का नाश करने के लिए है।


5.कृष्ण जी के अवतार की कहानी क्या है?

   

उत्तर- कृष्ण जी का अवतार महाभारत काल में हुआ था। उनका जन्म गोकुल नामक गांव में यशोदा माता के घर में हुआ था। उनके बचपन की लीलाएं, गोपियों के साथ रासलीला, और उनके मित्र अर्जुन के साथ भगवद गीता की बातचीत उनके अवतार के महत्वपूर्ण हिस्से हैं।


ये प्रश्न आपके समर्थ उत्तरों की मदद से जन्माष्टमी के महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने में मदद कर सकते हैं।



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