Up board live class- 10th hindi solution पद्य खंड पाठ -6 हिमालय से वर्षा सुंदरी के प्रति ( महादेवी वर्मा)
पद्द खंड-
लेखक संबंधी प्रश्न-
(1)-महादेवी वर्मा जी का जीवन परिचय लिखिए|
(2) - महादेवी जी का जीवन परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए|
(3) -महादेवी वर्मा जी की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए
महादेवी वर्मा की रचना शैली की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए|
(4) -महादेवी वर्मा का साहित्यिक परिचय दीजिए|
(5) -महादेवी वर्मा की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए|
(6) -महादेवी वर्मा का जीवन परिचय देते हुए उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए|
जीवन परिचय-
हिंदी साहित्य में आधुनिक मीरा के नाम से प्रसिद्ध कवित्री एवं लेखिका महादेवी वर्मा का जन्म सन 1907 ई० में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद शहर में हुआ था| इनके पिता गोविंद सहाय वर्मा भागलपुर के एक कालेज में प्रधानाचार्य थे माता है| मेरा ने साधारण कवित्री थे श्री कृष्ण में अटूट श्रद्धा रखते थे इनके नाना जी को भी ब्रज भाषा में कविता करने की रुचि थी| नाना एवं माता के गुणों का महादेवी पर गहरा प्रभाव पड़ा| इनकी प्रारंभिक शिक्षा इंदौर में और उच्च शिक्षा प्रयाग में हुई थी 9 वर्ष की अल्पायु में ही इनका विवाह हुआ किंतु इनकी माता का स्वर्गवास हो गया\ ऐसी विकट स्थिति में भी इन्होंने अपना अध्ययन जारी रखा अत्यधिक परिश्रम के शुरू से लेकर एंड तक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तरण के 1933 ईस्वी में इन्होंने प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्रधानाचार्य पद को सुशोभित किया इन्होंने लड़कियों की शिक्षा के लिए काफी प्रयास किया साथ ही नारी की स्वतंत्रता के लिए यह सदैव संघर्ष करते रहे जीवन में महात्मा गांधी का तथा कला साहित्य साधना पर रविंद्र नाथ टैगोर का प्रभाव पड़ा|
साहित्यिक परिचय-
महादेवी जी शाहिद और संगीत के अलावा चित्रकला में भी रुचि रखते थे सर्वप्रथम इनकी रचनाएं चांद नामक पत्रिका में प्रकाशित हुए गीत चांद पत्रिका के संपादक भी रहे इनकी साहित्य साधना के लिए भारत सरकार ने इन्हें पदम भूषण की उपाधि से अलंकृत किया इन्हें शीघ्र श्रिया तथा मंगला प्रसाद पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया 1983 ईस्वी में उत्तर प्रदेश हिंदी संसाधन द्वारा इन्हें एक लाख इन्हें भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ यह जीवन पर्यंत प्रयाग में ही रहकर साहित्य साधना करते रहे आधुनिक काव्य के साथ सिंगार में निकाली योगदान है इनके काव्य में उपस्थित विरह वेदना अपनी भावात्मक गहनता के लिए अमूल्य मारी जाती है इसी कारण इन्हें आधुनिक युग की मीरा भी कहा जाता है करना और भावुकता उनके काव्य की पहचान है 11 सितंबर 1987 को यह मान कवित्री में विलीन हो गई|
कृतियां-
महादेव जी ने पद एवं गद्य दोनों ही विधाओं पर समान अधिकार से अपनी लेखनी चलाई इनकी कृतियां निम्नलिखित है|
1. निहार- यह है महादेव जी का प्रथम काव्य संग्रह है इनकी इस गांव में 47 वा बातम्या स्थित संकलित है और वेदना का स्वर मुखर हुआ है|
2. रश्मि- इस काव्य संग्रह में आत्मा परमात्मा के मधुर संबंधों पर आधारित 35 कविताएं संकलित है|
3. नीरजा- इस संकलन में 58 गीत संकलित है जिनमें से अधिकांश विरह वेदना से परिपूर्ण है कुछ गीतों में प्रकृति का मनोरम चित्र अंकित किया गया है|
4. चांद गीत- 58 दिनों के इस संग्रह में परमात्मा से मिलन का चित्रण किया गया है|
5. दीपशिखा- इसमें रहस्य भावना वैधानिक किया उन गीतों का संग्रह किया गया है|
6. अन्य रचनाएं- अतीत के चलचित्र ,समिति की रेखाएं ,श्रृंखला की कड़ियां ,पथ के साथी ,छड ,साहित्यकार की आस्था तथा अन्य निबंध, संकल्पिता मेरा परिवार, चिंतन के छात्र ,परिषद खत रचनाएं हैं इनमें अतिरिक्त- सत्र ,वरामासनी आधुनिक, सभी नाम, लोकगीतों के संग प्रकार से हो चुके हैं|
भाषा शैली-
महादेवी जी ने अपने गीतों से गंध और सरल तत्सम प्रधान खड़ी बोली का प्रयोग किया है| इनकी रचनाओं में उपमा और रूपक शैलेश मानवीकरण आदिल अंगारों की छटा देखने को मिली है\ इन्होंने ,भावात्मक शैली का प्रयोग किया जो संकेत एवं लाक्षणिक उनकी शैली में लक्ष्मी प्रयोग एवं व्यंजना के प्रयोग के कारण अस्पष्टता व दृढ़ता दिखाई देती है|
साहित्य में स्थान
महादेवी जी की कविताओं में नारी हृदय की कोमलता और सरलता का बड़ा ही मार्मिक चित्रण हुआ है, इनकी कविताएं संगीत की मधुरता से पूर्व परिपूर्ण है इनकी कविताओं में एकाकीपन की भी झलक देखने को मिलती है|
हिंदी साहित्य में पत्र लेखन के साथ-साथ अपने गद्य लेखन द्वारा 'हिंदी भाषा को सजाने समानता का अर्थ गंभीर प्रदान करने का जो उन्होंने किया है, वह प्रशंसा के योग्य है हिंदी के रहस्यवादी कवियों में स्थान सर्वोपरि है|
-मेरे जीवन का आज मूक
तेरी छाया से हो मिलाप:
तनु तेरे साधकका छूले,
मन लेकर आना गीता थाह नाप|
उड़ में पावस दृग में विहान||
संदर्भ- प्रस्तुत काव्य पंक्तियां हिंदी की महान कवित्री श्रीमती महादेवी वर्मा द्वारा रचित 'चांद गीत' नामक ग्रंथ से हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी के काव्य खंड में संकलित 'हिमालय से' शीर्षक कविता से अवतरित है|
प्प्रसंग- इन पंक्तियों में कवित्री हिमालय की महानता का वर्णन करती हुई अपने जीवन को हिमालय के सामान डालना चाहते हैं|
व्याख्या- महादेवी जी अपने जीवन को हिमालय की छाया में मिला देना चाहते हैं तात्पर्य है कि हिमालय के सद्गुरु को अपने आचरण में उतारना चाहते हैं इसलिए भी हमारे से कहती हैं कि मेरी कामना है कि मेरा शरीर भी तुम्हारी तरह कठोर साधना शक्ति से भरपूर हो और हृदय में तुम्हारी जैसी करना का सागर भर जाए मेरे हृदय में तुम्हारे जैसे करना के बरसात के कारण सदा बनी रहे परंतु आंखों में ज्ञान की ज्योति जगमगाती रहे
काव्यगत सुंदर-(1) महादेवी जी अपने तन मन को हिमालय के समान साधना शब्द और करुणा से भर देना चाहते हैं| (2) शैली- भावात्मक गीत (3) भाषा- साहित्य खड़ी बोली! (4) रस- शांत (5) गुण- माधुरी| (6) भावसामय- सुभद्रा कुमारी चौहान भी करना से आकुल तान बनकर अपने फ्री के प्राणों में बस जाना चाहते हैं|
Writer Name- roshani kushwaha
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