UP board live class -10th Hindi solution पाठ -8 युवा जंगल ,वाला एकमात्र अनंत ( अशोक बाजपेयी)
पद्द - खंड-
पाठ -8 युवा जंगल ,वाला एकमात्र अनंत (अशोक बाजपेयी)
लेखक संबंधी प्रश्न-
1.अशोक बाजपेई जी का जीवन परिचय देते हुए उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए|
(2) -अशोक बाजपेई जी का जीवन परिचय देते हुए उनकी सातवें विशेषता और कृतियों पर प्रकाश डालिए||
(3) -अशोक बाजपेई का जीवन परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए|
(4) -अशोक बाजपेई जी का साहित्य परिचय लिखिए|
(5) -अशोक बाजपेई की भाषा शैली की विशेषताएं लिखिए|
जीवन परिचय-
आधुनिक कवि अशोक वाजपेई का जन्म 16 जनवरी 1941 ईस्वी में मध्य प्रदेश में स्थित दुर्ग नामक स्थान पर हुआ था! इन्होंने सागर विश्वविद्यालय से बीए तथा सेंट स्टीफेंस कॉलेज दिल्ली से अंग्रेजी विषय में m.a. की शिक्षा प्राप्त की इसके बाद इन्होंने दयाल सिंह कॉलेज में अंग्रेजी विषय का अध्ययन किया इसी बीच इनका चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा में हो गया इसलिए उन्होंने अध्यापन कार्य छोड़ दिया|
इन्होंने मध्य प्रदेश में कला साहित्य और संस्कृत की सेवा की तथा जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय और बिरला फाउंडेशन में भी जुड़े रहे भोपाल में इन्होंने बल्लू आयामी कला केंद्र भारत भवन की स्थापना की बाजपेई जी वर्धा स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति भी रह चुके हैं|
साहित्यिक परिचय-
अशोक बाजपेई का रचनात्मक व्यक्तित्व बहुआयामी वे आधुनिक कवि आलोचक संपादक और संस्कृत कवि थे! इन्होंने समवेत पहचान पूर्व गृह समास और बहुवचन आदि पत्रिकाओं का संपादन किया तथा कुमारगंज वर्ल्ड निर्मल वर्मा सृजनात्मक आलोचना आदि का संचयन मुक्तिबोध और शमशेर बहादुर सिंह की चुनी हुई कविताओं का संपादन भी किया है||
इनेप्ट पोलैंड के राष्ट्रपति द्वारा द ऑफिशल अकाउंट ऑफ मेरिट ऑफ द रिपब्लिक ऑफ सोलर कुकर फ्रांसीसी सरकार द्वारा ऑफ द डे एक आदमी के अध्यक्ष हैं तथा साहित्य साधना में संगठन है|
कृतियां-
1. कविता संग्रह- बाजपेई की 15 का पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है|- जिनमें प्रमुख शहर अभी संभावना है ,उम्मीद का दूसरा नाम, कहीं नहीं ,वही कुछ रफू कुछ हिजड़े पुरखों की पर्ची में, धूप ,अदरक ,अमरूद की तरह पृथ्वी ,एक खिड़की एक बार जो कितने दिन और बचे हैं ,कोई नहीं सुनता ,घोड़े अंधेरे में ,जबर, जोत, पहला चुंबन ,बच्चे एक दिन मौत की ट्रेन में दिया, वह कैसे कहेगी ,वह नहीं कहती ,विश्वास करना चाहता हूं ,सड़क पर एक आदमी ,समय से अनुरोध, सूर्य!
(2)आलोचना- साहित्य और आलोचना से संबंधित उनके साथ कृतियां प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें प्रमुख हैं फिलहाल कुछ पूर्व रह समझ से बाहर कब तक आ गए और सिद्धियां शुरू हो गई हैं|
भाषा शैली -
अशोक बाजपेई ने जीता और आत्मीयता के कवि हैं सर्वा जनता के नहीं वह शब्द की और पवित्रा में विश्वास रखते हैं इन्होंने साहित्य खड़ी बोली का प्रयोग किया है जिससे अन्य दुकानों व छंद मुक्त है|
इनकी कविताओं के मुख्य केंद्र बिंदु मनुष्य मनुष्य की जिजीविषा उसका रहस्य उसका हर्ष विषाद रहे हैं| इनके काव्य ने माता-पिता प्रेमिका बालसखा बेटी बेटा बहू के संबंधों को अपने संसार में समेटा है जिसमें साहित्य खड़ी बोली बचन मुक्त दुकान है! शैली अत्यंत सटीक रूप में विकसित हुई है|
साहित्य में स्थान -
आधुनिक कवि अशोक बाजपेई ने वर्तमान समय कृषक को कविताओं के रूप में वर्णित किया है! उन्होंने स्वयं को नारेबाजी से बचाकर प्राचीन परंपरा से सख्त वर्जित कर अपने काम को निकाला है! इसलिए आधुनिक कवियों में इन्हें महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है|
पद्यांश की संदर्भ प्रसंग सहित व्याख्या एवं उनका काव्य सौंदर्य-
फूल झरता है|
फूल शब्द नहीं!
बच्चा गेंद उछलता है|
नदियों के पार,
लोकती है उसे एक बच्ची!
संदर्भ- प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्य पुस्तक' हिन्दी' के कवि काव्य खंड में संकलित विविधा शीर्ष के अंतर्गत भाषा एकमात्र अनंत है ,शीर्षक कविता से उद्धृत है इन पंक्तियों के रचयिता श्री अशोक बाजपेई जी है|
प्रसंग - प्रस्तुत कविता पंक्तियों में कभी भाषा की विशेषता का वर्णन कर रहा है उसका कहना है कि सब कुछ समाप्त हो सकता है लेकिन भाषा का अस्तित्व सदैव विद्यमान रहेगा
व्याख्या - कवि का कहना है ,कि भाषा एकमात्र अनंत है अर्थात जिसका अंत नहीं है! फुल ब्रिज से ढूंढ कर पृथ्वी पर रहते हैं उसे पंखनिया टूट कर बिखर जाते हैं और अनंत फूल मिट्टी में ही विलीन हो जाता है !वह प्रकृति से जन्मा है और अंत में प्रकृति में ही लीन हो जाता है! फूल भी इस तरह शब्द में विलीन नहीं होते भाषा जो शब्दों से बनती है वह कभी समाप्त नहीं होती सदियों के पश्चात भी भाषा का अस्तित्व बना रहता है यह दूसरी बात है कि कितने बेशर्म में समय अंतराल में भाषा के स्वरूप में परिवर्तन अवश्य हो जाता है,लेकिन वह समाप्त नहीं होती यह है! उसी प्रकार है जैसे एक बालक गेंद को उछाल देता है! और दूसरा उसे पकड़कर पनहा उछाल देता है! आज किसी ने कोई बात कहीं सैकड़ों वर्षो बाद परिवर्तित स्वरूप में कोई दूसरा व्यक्ति भी उसी बात को कह देता है! आता निश्चित है की भाषा ही एकमात्र अनंत है! जिसका कोई अंत नहीं है|
काव्यगत सौंद्रय (1) - भाषा की विशेषता का वर्णन है, की भाषा अनंत है| ( 2) - सदियों पूर्व की घटनाओं को हमारे समक्ष प्रस्तुत करने का एकमात्र साधन भाषा है! (3) - भाषा को अनंत कहकर उसे ईश्वर के समतुल्य सिद्ध किया गया है!
(4) - भाषा- देशज शब्दों से युक्त सहज और सरल खड़ी खड़ी बोली (5) - शैली -शक्ति आबिदा और लक्षण (6) -छन्द अतुकांत और मुक्त (8) - शब्द अर्थात ध्वनि अमर है एक बार उत्पन्न होने के बाद उसका परिचय नहीं होता इस तथ्य को वैज्ञानिक भी स्वीकार करते हैं इसलिए ध्वनि को शब्द भी कहा जाता है इसी तथ्य को कविता ने वह धारा द्वारा व्यक्त किया गया है|
Writer sandhya kushwaha
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