Up board live class 10th hindi solution पद्य खंड पाठ- 8 पुष्प की अभिलाषा जवानी (माखनलाल चतुर्वेदी)

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Up board live class 10th hindi solution पद्य खंड पाठ- 8 पुष्प की अभिलाषा जवानी (माखनलाल चतुर्वेदी)

 Up board live class 10th hindi solution द्य खंड पाठ- 8 पुष्प की अभिलाषा जवानी (माखनलाल चतुर्वेदी


पद्य खंड


पाठ- 8 पुष्प की अभिलाषा जवानी (माखनलाल चतुर्वेदी) 



लेखक संबंधी प्रश्न-


(1)-माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय देते हुए उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए|


(2)-माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषता और कृतित्व पर प्रकाश डालिए|


(3)-माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय साहित्य परिचय लिखिए|


(4) -माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय देते हुए उनकी भाषा शैली पर प्रकाश डालिए|


(5)-माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय लिखिए|


जीवन परिचय- माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 1889ई० में मध्य प्रदेश के बावई नामक गाँव में हुआ था | इनके पिता का नाम पंडित नंदलाल चतुर्वेदी था| वे एक अध्यापक थे| प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने घर पर ही संस्कृत बांग्ला गुजराती और अंग्रेजी भाषा का अध्ययन किया कुछ समय तक उन्होंने अध्यापन कार्य भी किया इसके पश्चात उन्होंने खंडवा से कर्मवीर नामक साप्ताहिक पत्र निकालना शुरू किया| 1913 ई०में इन्हें प्रसिद्ध मासिक पत्रिका का प्रभा का संपादक नियुक्त किया गया |चतुर्वेदी एक भारतीय आत्मा नाम से लेख और कविताएं लिखते रहे| इनकी कविताएं देश प्रेमी युवकों को प्रेरित करते थी|श्री गणेश शंकर विद्यार्थी ने इन्हें राष्ट्रीय आंदोलनों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया पहले कई बार जेल भी जाना पड़ा जेल से बाहर निकलने पर वर्ष 1943 में इन हिंदी साहित्य सम्मेलन का अध्यक्ष बनाया गया| उनके सम्मान में हरिद्वार में महतं शान्तानन्द ने चांदी के रुपयों से इनका तुलना दान किया |इनकी हिंदी सेवाओं के लिए सागर विश्वविद्यालय ने इन्हें डी लिट की उपाधि तथा भारत सरकार ने पदम विभूषण की उपाधि से विभूषित किया इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश की सरकार ने भी इन्हें पुरस्कृत किया |79 वर्ष की आयु में 30 जनवरी 1968 में क्रांति का यह महान कवि पंचतत्व में विलीन हो गया|


साहित्यिक परिचय - चतुर्वेदी जी के मन में देश के प्रति अगाध प्रेम था| इन्होंने अपने मन के अंतर्द्वंद को कविताओं के माध्यम से व्यक्त किया |उन्होंने अपना साहित्यिक जीवन पत्रकारिता से शुरू किया| इन्होंने अपने काव्य कोकिल बोली शीर्षक कविता में अपने बंदी जीवन के समय प्राप्त यात्राओं का बडां ही मर्मस्पर्शी चित्रण प्रस्तुत किया है |इनके साहित्यिक जीवन का आधार राष्ट्रीय विचार धाराएं हैं| इनकी  काव्य रचनाएं राष्ट्रीय भावनाओं पर आधारित हैं| जिनमें त्याग बलिदान करतब भावना और संपर्क के भाव विद्यमान हैं |ब्रिटिश साम्राज्यवाद से उत्पन्न अत्याचारों को देखकर इनका अंत मन दुखी होता था |अपनी कविताओं में प्रेरणा हुंकार प्रताड़ना उद्बोधन और मनुहार के भावों को भरकर ये भारतीयों की सुप्त चेतना की जगाते रहे |इनके काव्य का मूल स्वर राष्ट्रवाद है |देश के लिए त्याग और बलिदान का संदेश सुनाना तथा त्रस्त मानवता के प्रति करुणा जागना ही इनका लक्ष्य था|


कृतियां - चतुर्वेदी जी की  काव्य का मूल स्वर राष्ट्रीयता वादी है इनके काव्य का शरीर यदि राष्ट्रीयता है तो भक्ति और रहस्यवाद उसकी आत्मा है| उनकी कृतियों का संक्षिप्त परिचय निम्नलिखित है|


1- काव्य संग्रह युग चरण समर्पण हिमकिरीटनी वेणु लो गूजें धरा|


2- स्मृतियां संतोष बंधन सुख इनमें गणेश शंकर विद्यार्थी की मधुर स्मृतियां है|


3- कहानी संग्रह कला का अनुवाद इनकी कहानियों का संग्रह है|


4- निबंध संग्रह साहित्य देवता यह चतुर्वेदी जी के भावात्मक निबंधों का संग्रह|


5- नाट्य रचना कृष्णा र्जुन युद्ध यह अपने समय की प्रसिद्ध रचना रही है इस पुस्तक में पौराणिक नाटक को भारतीय नाट्य परंपरा के अनुसार प्रस्तुत किया गया है| अभिनय की दृष्टि से यह अत्यंत सशक्त रचना है|


6- हिमत रंगिनी इस रचना पर ही माखनलाल जी को साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया|


भाषा शैली - चतुर्वेदी जी की भाषा ओजपूर्ण है जिसमें उन्होंने खड़ी बोली का अधिकाधिक प्रयोग किया उनकी भाषाओं में बोलचाल में प्रयुक्त शब्दों के साथ-साथ उर्दू फारसी के शब्दों का भी प्रयोग हुआ है| इनकी भाषा में एक विचित्र प्रकार की सरलता और मिठास है इन्होंने गति शैली और अभिधा शाक्ति का अधिकाधिक प्रयोग अपने  में किया है वीर और श्रृंगार रस की छटा इन के काव्य में देखने को मिलती है| उन्होंने अपनी रचनाओं में गेय छंदों का प्रयोग किया है| साथ ही उपमा रूपक उत्प्रेक्षा आदि अलंकारों का भी अधिकाधिक प्रयोग किया है| आतः काव्य रचनाएं कलात्मक भाव से परिपूर्ण है|


साहित्य में स्थान - यह देश के उत्थान की कामना हेतु अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय प्रेमी कवि थे इनका नाम उन कवियों में अमर है जिन्होंने राष्ट्रहित को ही अपना परम लक्ष्य माना था|



           (माखनलाल चतुर्वेदी) 


चाह नहीं ,मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं, 

चाह नहीं प्रेमी माला में विद प्यारी को ललचाऊं, 

चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊं, 

चाह नहीं देवों के सिर पर चढ़ भाग पर इट लाऊं, 

                                मुझे तोड़ लेना वनमाली, 

                                उस पथ पर देना तुम फेंक||

                                 मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, |

                                 जिस पर जावे वीर अनेक||



 संदर्भ- प्रस्तुत कविता मारी पाठ्य पुस्तक हिंदी विकास खंड में संकलित और माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित पुष्प की अभिलाषा  शीर्षक कविता से अवतरित है यह कविता चतुर्वेदी जी के युग चरण नामक काव्य संग्रह से संग्रहित हैं|



प्रसंग -इन पंक्तियों में कवि ने पुष्प के माध्यम से देश पर बलिदानों होने की प्रेरणा दी है



व्याख्या -कभी नहीं अपने देश प्रेम की भावना को पुष्प की अभिलाषा के रूप में व्यक्त करते हुए कहता है कि मेरी इच्छा किसी देव बाला के आभूषणों में होते जाने की नहीं है मेरी इच्छा यह है भी नहीं है कि मैं प्रेमियों को प्रसन्न करने के लिए देनी द्वारा बनाई गई माला में पिरोया जाऊं और प्रेमिका के मन को आकर्षित करो हे प्रभु ना ही मेरी इच्छा है कि मैं बड़े-बड़े राजाओं के शवों पर चढ़कर सम्मान प्राप्त करो मेरी है कामना भी नहीं है कि मैं देवताओं के सिर पर चढ़कर अपने भाग पर अभिमान करूं यह है कि इस प्रकार के किसी भी सम्मान को पुष्ट अपने लिए समर्थक समझता है


पुष्प उपवन के माली से प्रार्थना करता है कि है मालिक तुम मुझे छोड़ कर उस मार्ग से डाल देना जिस मार्ग से होकर आने दो राष्ट्रभक्त वीर मातृभूमि पर अपने प्राणों का वर्णन करने के लिए जा रहे है फिर उन वीरों की चैनल का स्पर्श पाकर भी अपने को धन्य मानेगा क्योंकि उनके चरणों पर चढ़ना है देश के बलिदानी वीरों के लिए उसकी सच्ची श्रद्धांजलि है



काव्यगत सौंद्रय (1) कवि ने फूल के माध्यम से अपने देश प्रेम की भावना को व्यक्त किया है| (2) - कभी किसी राजनेता की भारतीय सम्मान प्राप्ति की अपेक्षा देश की रक्षा के लिए निस्वार्थ उत्सर्ग करने में गौरव मानता है| (3) भाषा- सरल खड़ीबोली||( 4) -शैली प्रतीकात्मक आत्मक तथा भावनात्मक (5) -रस- वीर (6) - शब्द शक्ति   आबिदा एवं लक्षणा|| (7) - अलंकार पद्द में सर्वत्र अनुप्रास और पुनरुक्ति प्रकाश



Writer -Roshni Kushwaha

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