UP Board solutions for class 12 Samanya Hindi कथा भारती

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Chapter-1

ध्रुवयात्रा


UP Board solutions for class 12th Samanya Hindi कथा भारती chapter 1 ध्रुवयात्रा (जैनेंद्र कुमार)


प्रश्न 1.

ध्रुव यात्रा कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर.

"ध्रुव यात्रा" एक मनोवैज्ञानिक कहानी है। यह कहानीकार जैनेंद्र की उत्कृष्ट कहानियों में से एक है। इसका सारांश इस प्रकार है-

राजा रिपुदमन बहादुर की उर्मिला नामक एक प्रेमिका है जिससे वह पहले विवाह के विषय में अपने लक्ष्य सिद्धि के कारण मना कर चुका था। उत्तरी ध्रुव की यात्रा के लिए जाने से पूर्व अपनी प्रेमिका से पति-पत्नीवत संबंध बना चुका था जिसके परिणाम स्वरूप उनका एक पुत्र भी उत्पन्न हो चुका था। उत्तरी ध्रुव की यात्रा तो उसने पूर्ण कर ली लेकिन उसका मन व्याकुल रहने लगा। वह भारत लौटा, उसके स्वागत की जोर- शोर से तैयारियां हुई। वह मुंबई से दिल्ली आ गया। यह सब समाचार उर्मिला समाचार पत्रों में पढ़ती रही। रिपुदमन को नींद कम आती थी, उसका मन पर काबू नहीं रहता था, अतः वह उपचारार्थ मारुति आचार्य के पास पहुंचा। मारुति ने उसे विजेता कहकर पुकारा तो उसने कहा कि मैं रोगी हूं, विजेता छल है। उसने रिपुदमन से अगले दिन 3:20 पर आने को कहा तथा डायरी में पूर्ण दिनचर्या एवं खर्चे लिखने को कहकर उसे विदा कर दिया। अगले दिन वह समय पर पहुंचा। आचार्य ने सब कुछ देख कर कहा, तुम्हें कोई रोग नहीं है। तुम्हें अच्छे संबंध मिल सकते हैं उन्हें चुन लो, विवाह अनिष्ट वस्तु नहीं, वह तो गृहस्थ आश्रम का द्वार है। लेकिन रिपुदमन ने कोई जवाब नहीं दिया। तब मारुति ने परसों मिलने की बात कही। अगले दिन बाद सिनेमा गया जहां उसकी भेंट उर्मिला से हो गई, वह बच्चे को लाई थी। रिपुदमन ने बच्चे को लेना चाहा लेकिन उर्मिला उसे अपने कंधे से चिपकाए जीने पर चढ़ती चली गई। उसने घंटी बजा कर एक आदमी को बॉक्स पर बुलाया और दो आइसक्रीम लाने का आदेश दिया। रिपुदमन ने उर्मिला से बच्चे के नाम के विषय में पूछा तो उसने मुस्कुराते हुए कहा कि अब नाम तुम्हीं रखोगे। उसने दो नाम सुझाए, लेकिन उर्मिला ने कहा, मैं इसे मधु कहती हूं। सिनेमा देखना बीच में छोड़कर दोनों ने बीती जिंदगी की चर्चा की। रिपुदमन ने कहा, उर्मिला तुम अभी भी मुझसे नाराज हो। उर्मिला बोली, मैं तुम्हारे पुत्र की मां हूं। तुम अपने भीतर के वेग को शिथिल ना करो,तीर की भांति लक्ष्य की ओर बढ़ो। याद रखना कि पीछे एक है जो इसी के लिए जीती है। राजा तुम्हें रुकना नहीं है, पथ अनंत हो, यही गति का आनंद है। राजा ने कहा, मैं आचार्य मारुति के यहां गया था और उसने विवाह का सुझाव दिया है। उर्मिला उसे ढोंगी कहती है तथा कहती है कि वह प्रगति शीलता में बाधक है, तेजस्विता का अपहर्ता है। रिपुदमन कहता है कि मुझे जाना ही होगा, तुम्हारा प्रेम दया नहीं जानता। इसके बाद वह दिए गए समयानुसार मारुति आचार्य से मिलने जाता है। उसके पूछने पर वह उर्मिला के विषय में बताता है। आचार्य कहता है, ठीक है-तुम उसी से शादी कर लो, वह धनंजयी की बेटी है। वह मेरी ही बेटी है, मैं उसे समझा दूंगा। उर्मिला आचार्य से मिलती है तो वह भी अनेक प्रकार से उसे समझाता है। फिर रिपुदमन उससे पूछता है कि तुम आचार्य से मिली, अब बताओ मुझे क्या करना है। वह कहती है कि तुम्हें अब दक्षिणी ध्रुव जाना है। वह शरलैंड द्वीप के लिए जहाज़ तय कर लेता है। तथा परसों जाने की बात कहता है। इस पर उर्मिला कहती है, "नहीं राजा, परसों नहीं जाओगे"। रिपुदमन कहता है,"मैं स्त्री की बात नहीं सुनूंगा, मुझे प्रेमिका के मंत्र का वरदान है।" यह खबर सर्वत्र फैल गई है कि रिपुदमन दक्षिणी ध्रुव की यात्रा पर जा रहा है। उर्मिला भी कल्पनाओं में खोई रहती है- "राष्ट्रपति की ओर से दिया गया भोज हो रहा होगा, सब राष्ट्रदूत होंगे, सब नायक, सब दलपति।" तीसरे दिन उसने अखबार में पढ़ा कि "राजा रिपुदमन सवेरे खून में सने पाए गए, गोली का कनपटी के आर-पार निशाना है।"अखबारों ने अपने विशेषांक में मृतक के तकिए के नीचे मिले पत्र को भी छापा था, उसमें यात्रा को निजी कारणों से किया जाना बताया गया था। कहा था कि इस बार मुझे वापस नहीं आना था, दक्षिणी ध्रुव के एकांत में मृत्यु सुखकर होती। उस पत्र की अंतिम पंक्ति थी-'मुझे संतोष है कि मैं किसी की परिपूर्णता में काम आ रहा हूं। मैं पूरे होश हवास में अपना काम तमाम कर रहा हूं। भगवान मेरे प्रिय के अर्थ मेरी आत्मा की रक्षा करें।'लक्ष्य के प्रति उड़ान भरी कहानी का करूणांत हो जाता है।


इस प्रकार हम देखते हैं कि कहानी 'ध्रुव यात्रा'एक मनोवैज्ञानिक कहानी है। इसमें लक्ष्य प्राप्ति की बात पर कथा नायक राजा रिपुदमन सिंह की अपनी प्रेमिका से खटक गई थी, प्रेमिका ने अपने प्रेमी की लक्ष्य निष्ठा पर शान चढ़ाई, जिसकी चरम परिणति नायक का करूणांत हुआ।


प्रश्न 2.

'ध्रुव यात्रा' कहानी का उद्देश्य लिखिए।


उत्तर-

'ध्रुव यात्रा' कहानी सोद्देश्य है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि प्रेयसी जब स्त्री अथवा पत्नी बनने के कगार पर हो और वह प्रेमी की संतति धारिणी हो तब उसके विवाह की विनय को नहीं ठुकराना चाहिए अन्यथा उसका परिणाम किसी भी रूप में अच्छा नहीं, जैसा की रिपुदमन के साथ हुआ वैसा हो सकता है। लेखक ने कहानी में कुमारी माता को ना अपनाने के परिणाम की ओर इंगित किया है, साथ ही अतिप्रेरकता के परिणाम की ओर भी पाठकों का ध्यान आकर्षित किया है। इस प्रकार कुल मिलाकर कहानी उच्च कोटि की है।


Writer- Nitya Kushwaha




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