Up board live class-12th शिक्षा शास्त्र पाठ- 5( स्वतंत्रता के पश्चात शैक्षिक प्रगति)

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Up board live class-12th शिक्षा शास्त्र पाठ- 5( स्वतंत्रता के पश्चात शैक्षिक प्रगति)

Up board live class-12th शिक्षा शास्त्र पाठ- 5( स्वतंत्रता के पश्चात शैक्षिक प्रगति)


कक्षा -12 (शिक्षा शास्त्र) 

पाठ -5 स्वतंत्रता के पश्चात शैक्षिक प्रगति


बहुविकल्पी प्रश्न


प्रश्न 1- कोठारी शिक्षा आयोग की स्थापना कब की गई। 

अथवा


कोठारी आयोग का गठन हुआ था।


(क) 1948

(ख) 1952

(ग) 1964

(घ) 1986

त्तर -1964


प्रश्न -2 किस वर्ष शिक्षा को समवर्ती सूची में सम्मिलित किया गया । 


(क) 1950

(ख) 1952

(ग) 1976

(घ) 1986

उत्तर 1976


प्रश्न- 3 किस आयोग ने ग्रामीण विश्वविद्यालय की स्थापना की सिफारिश की। 


(क) कोठारी आयोग

(ख) मुदालियर आयोग

(ग) राधा कृष्ण आयोग

(घ) सैंडलर आयोग

उत्तर राधा कृष्ण आयोग


प्रश्न 4 -राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय की स्थापना किस वर्ष हुई। 

(क) वर्ष 1986

(ख) वर्ष 1979

(ग) वर्ष 1950

(घ) वर्ष 2005

उत्तर 1969.


प्रश्न5- सर्व शिक्षा अभियान संबंधित है। 

(क) निम्न प्राथमिक शिक्षा से

(ख) उच्च प्राथमिक शिक्षा से

(ग) निम्न एवं उच्च प्राथमिक शिक्षा

(घ) निम्न माध्यमिक शिक्षा से


प्रश्न 6- ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड कब आरंभ हुआ । 

(क) 1965

(ख) 1986

(ग) 1919

(घ) 1948

उत्तर 1986


प्रश्न 7- व्यक्ति पर परोक्ष रूप से प्रभाव डालने वाले शिक्षा के अभिकरण को कहते हैं। 


(क) औपचारिक अभिकरण

(ख) महत्वपूर्ण अभिकरण

(ग) अनौपचारिक अभिकरण

(घ) आवश्यक अभिकरण

 उत्तर- अनौपचारिक अभिकरण


निश्चित उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय इग्नू का मुख्यालय कहां स्थित है। 

उत्तर इग्नू मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। 


प्रश्न -2 राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में प्रत्येक जिले में कौन से विद्यालय स्थापित करने की बात कही गई है। 

उत्तर नवोदय विद्यालय 


प्रश्न 3- शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अनुसार किस आयु वर्ग तक की शिक्षा को निशुल्क और अनिवार्य घोषित किया गया है। 

उत्तर 6 से 14 वर्ष तक। 


प्रश्न 4-  माध्यमिक शिक्षा आयोग ने शिक्षा के उद्देश्य के रूप में उत्पादन में वृद्धि व्यवसायिक कुशलता में वृद्धि की अनुशंसा की है। 


उत्तर -व्यवसायिक कुशलता में वृद्धि। 


प्रश्न 5- सर्व शिक्षा अभियान का लक्ष्य सब पढ़े सब बढ़े सब पढ़े लिखे हैं। 


उत्तर- सब पढ़े सब बढ़े। 


प्रश्न 6-  राष्ट्रीय साक्षरता मिशन किस आयु वर्ग के निरीक्षण के लिए चलाया गया। 


उत्तर राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के अंतर्गत 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को शिक्षा प्रदान की जाती है। 


प्रश्न 7- राष्ट्रीय शिक्षा आयोग का गठन कब हुआ था। 

उत्तर 1964 ईस्वी में। 


अति लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1- माध्यमिक शिक्षा आयोग द्वारा माध्यमिक स्तर की शिक्षा में सुधार हेतु दिए गए दो सुझाव को बताइए। 


उत्तर माध्यमिक शिक्षा आयोग ने माध्यमिक स्तर की शिक्षा में सुधार के लिए शिक्षा के पाठ्यक्रम में सुधार का सुझाव दिया था शिक्षा के लिए सक्रिय एवं विधियों को अपनाने का सुझाव दिया। 


प्रश्न 2- राष्ट्रीय ओपन स्कूल की स्थापना कब की गई थी। 

उत्तर राष्ट्रीय ओपन स्कूल की स्थापना 1969 ईस्वी में की गई थी। 


प्रश्न 3- भारत में निरक्षरता दूर करने के लिए किस प्रकार की शिक्षा की आवश्यकता है। 

उत्तर भारत में निर्धनता दूर करने के लिए अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा तथा प्रौढ़ शिक्षा की आवश्यकता है। 


प्रश्न 4- शिक्षा को बेरोजगारी के विरुद्ध एक बीमा होना चाहिए क्यों। 

उत्तर - शिक्षा केवल ज्ञान का माध्यम ही नहीं बल्कि रोजगार प्राप्त का साधन भी होना चाहिए इसलिए वर्तमान में तकनीकी शिक्षा एवं तकनीकी ज्ञान की महत्व बढ़ गई है कृषि में नवीन तकनीकी एवं कृषि उपकरणों के माध्यम में हरित क्रांति लाकर खाद्यान्न उत्पादन में व्यापक वृद्धि पर कृषि को लावर्जन का साधन बनाया गया है।।। 


प्रश्न 5-  शिक्षा किस प्रकार संस्कृति संरक्षण का माध्यम है। 


उत्तर शिक्षा के द्वारा लोगों को अपने संस्कृत का ज्ञान कराया जाता है लोगों को अपनी स्वयं की संस्कृति की अच्छाइयों से परिचित करा कर उसके संरक्षण का उपाय शिक्षा द्वारा बताया जाता है क्योंकि संस्कृति ही किसी व्यक्ति को उसकी वंसदा विशेषताओं एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से परिचित कराती है 


लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1- भारत के ब्रिटिश काल तथा वर्तमान काल की शिक्षा की विशेषताओं की तुलना कीजिए।

 

उत्तर - ब्रिटिश काल तथा वर्तमान काल की शिक्षा का तुलनात्मक विवरण


वर्तमान में भारत स्वतंत्र है। तथा देश की प्रजातांत्रिक सरकार देश की परिस्थितियों एवं आवश्यकता के अनुसार शिक्षा की नीति का निर्धारण करती है। तथा उसकी व्यवस्था करती है। भारत में ब्रिटिश शासन अपने हितों तथा अपने कार्यों के लिए देश में शिक्षा की व्यवस्था करता था। ब्रिटिश काल में शासन का प्रमुख उद्देश्य शासक वर्ग को आवश्यक कार्य में सहायता प्रदान करने वाले क्लर्क एवं कर्मचारी प्राप्त करना था। ब्रिटिश कालीन शिक्षा केवल समाज के सीमित वर्ग के लिए थी। वर्तमान भारत में संपूर्ण समाज के लिए शिक्षा की समुचित व्यवस्था करना ही प्रमुख देश है। ब्रिटिश शासन काल में शिक्षा का प्रमुख अंग्रेजी ही स्वीकार किया गया था जबकि वर्तमान भारत में हिंदी लगा छेत्री भाषाओं के माध्यम से शिक्षा की व्यवस्था की जा रही है। ब्रिटिश शासन काल में व्यवसायिक तथा तकनीकी शिक्षा को कोई महत्व नहीं दिया जाता था। जबकि वर्तमान भारत में व्यवसाय एवं तकनीकी शिक्षा को विशेष रूप से आवश्यक एवं महत्वपूर्ण बनाया जा रहा है। तथा इसके भरपूर विकास के प्रयास किए जा रहे हैं। ब्रिटिश काल में शिक्षा में भारतीय संस्कृति एवं राष्ट्रीय गौरव की शिक्षा को कोई स्थान नहीं दिया गया था। जबकि वर्तमान भारत में इन विषयों को शिक्षा का अंग माना जाता है। 


प्रश्न 2-  टिप्पणी लिखिए नवोदय विद्यालय। 

उत्तर नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 की एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। नवोदय विद्यालय नेगेटिव निर्धारक विद्यालय भी कहा गया है। नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति में नवोदय विद्यालय को प्रगति मूलक विद्यालय भी कहा गया है। । विशिष्ट प्रतिभाशाली बालकों की तीव्र गति से तू अच्छे से अच्छा बना आर्थिक भार के देने हेतु इन विद्यालयों की स्थापना की गई है। कार्यकारी योजनाओं के अंतर्गत प्रगति मूलक विद्यालय को नवोदय विद्यालय कहा गया है। इन विद्यालयों में ग्रामीण क्षेत्रों के प्रतिभाशाली बालकों को चयन प्रक्रिया के आधार पर प्रवेश दिया जाता है। नई शिक्षा नीति द्वारा सही अर्थों में व्यक्तियों का विकास करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी ने कहा था। शिक्षा से बुद्धि का विकास होना चाहिए व्यक्तित्व का विकास होना चाहिए व्यक्ति का विकास होना चाहिए गौशाला दुआ होना और पैसा कमाने की क्षमता है। वह स्वता ही अस्तित्व में आ जाएंगी मौलिकता नवीनता समानता इत्यादि विचारों से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में नवोदय विद्यालयों की स्थापना एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रयास है। 


प्रश्न 3-  आचार्य राममूर्ति समिति में क्या सुझाव दिए थे। 

उत्तर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 की समीक्षा के लिए 7 मई 1990 को अचार राममूर्ति की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था जिसे आचार्य राममूर्ति सीमित कहा जाता है। इस सीमित ने राष्ट्रीय शिक्षा प्राणी समानता के लिए विभिन्न स्तरों पर शैक्षिक पुनर्गठन तकनीकी शिक्षा पर कुछ सुझाव प्रस्तुत किए हैं। नौवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान राष्ट्रीय आय का 6% से अधिक कार्य करने का सुझाव था।


विस्तृत उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1- भारतीय शिक्षा की नवीन प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए। 


उत्तर शिक्षा के क्षेत्र में अनेक नवीन प्रवृत्तियों का उदय हुआ है उनका संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है। 


अनिवार्य निशुल्क शिक्षा की प्रवृत्ति - कक्षा 6 का के बालकों के लिए एवं कक्षा 10 तक बालिकाओं के लिए चले शुरू कर दी गई है कक्षा 1 से 5 तक की प्राथमिक शिक्षा सभी के लिए अनिवार्य कर दी गई है। 


राष्ट्रीय शिक्षा की अवधारणा -  कोठारी आयोग राष्ट्रीय शिक्षा आयोग के नाम से प्रसिद्ध है इसमें आधुनिक भारतीय परिस्थिति में राष्ट्र की आवश्यकता एवं मांग के अनुसार शिक्षा की योजना बनाई है प्राथमिक स्तर पर देसी शिक्षा योजना को सुधार कर स्वीकार किया और उसे माध्यमिक स्तर पर भी लाया गया जिसमें का अनुभव को आधार बनाया गया। 


शिक्षा को जीवन से जोड़ने की प्रवृत्ति - पूरे देश में हाई स्कूल कक्षा 1 तथा आगे में विज्ञान विषय के अनिवार्य रूप से पढ़ने के लिए कहा गया है। इस प्रकार का प्रयोग विज्ञान की शिक्षा आगे चलकर तकनीकी एवं व्यवसाय शिक्षा से जुड़ जाएंगे। 


पाठ्य पुस्तक को प्रकाशित एवं राष्ट्रीय कृत करने की प्रवृत्ति - 

केंद्रीय एवं राज्य सरकार ने और अनिवार्य विषयों की पाठ्य पुस्तकों को स्वयं या ठीक से प्रकाशित कर रही हैं। तथा इसका सर्वाधिक अपने हाथ में रखे हुए हैं। इस कारण से इनका राष्ट्रीयकरण हो गया है कुछ विदेशी पुस्तकों का भी प्रकाशन इसी प्रकार हो रहा है। 


सामाजिक शिक्षा के विकास की प्रवृत्ति - पूरे देश में इस समय भी बहुत से लोग निरक्षर हैं। इसलिए सरकार पर और या सामाजिक शिक्षा के विकास के लिए विदेशों हुआ संस्था की आर्थिक सहायता करने के प्रयास कर रही है। समानता सा रचयिता एवं व्यवसायिक औद्योगिक 

 के बहुत सी योजनाएं इस दिशा में लागू की जा रहे हैं। 


प्रश्न 2- विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग राधाकृष्णन आयोग 1948 के प्रमुख सुझावों का विवरण कीजिए। 


उत्तर भारतीय विश्वविद्यालयों के विकास तथा उच्च शिक्षा में आवश्यक सुधार करने के लिए भारत सरकार ने 4 नवंबर 1948 ईस्वी को एक विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग की नियुक्ति किया इस आयोग के अध्यक्ष डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे । उन्हीं के नाम पर इस आयोग को डॉक्टर राधाकृष्णन आयोग कहते हैं। विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग ने निम्नलिखित बिंदुओं पर अपने सुझाव 25 अगस्त 1949 ईस्वी को भारत सरकार के समक्ष प्रस्तुत किए। 


शिक्षा के उद्देश्य


1. विद्यार्थियों का विकास करना तथा जनतंत्र को सफल बनाने वाले नागरिकों का निर्माण करना। 


2. शिक्षक वर्ग की स्थिति सुधारने के लिए उनकी शैक्षणिक योग्यता आयु सीमा तथा अनेक सुविधाओं का प्रावधान। 


3. किस विद्यालयों के शिक्षण स्तर को सुधारने के लिए न्यूनतम कार्य दिवस अधिकतम छात्र संख्या परीक्षा प्राणी शिक्षण विधि तथा ट्यूटोरियल्स कक्षाओं की व्यवस्था का सुझाव दिया। 


4. विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम विस्तृत एवं रचना होना चाहिए तथा सामान्य एवं विशिष्ट शिक्षा में होना चाहिए। 


5. वेबसाइट शिक्षा के अंतर्गत कृषि वाणिज्य शिक्षण व्यवसाय चित्र सा इंजीनियरिंग विधि एवं तकनीकी पदों की की व्यवस्था एवं विकास के लिए कई सुझाव दिए। 


6. शिक्षा का माध्यम यथाशीघ्र अंग्रेजी के स्थान पर भारतीय भाषा का प्रयोग किया जाए माध्यमिक स्तर पर 3 भाषाओं का अध्ययन कराया जाए। 


अध्यापक कल्याण - अध्यापकों के महत्व को स्वीकार करते हुए आयोग ने अध्यापकों के वेतन मान सेवा शर्तों में सुधार करने तथा उन्हें भविष्य निधि जीवन बीमा पेंशन व आवास की सुविधा देने की सिफारिश की। 


उच्च शिक्षा का स्तर - उच्च शिक्षा के गिरते स्तर को सुधारने के लिए आयोग ने विश्वविद्यालयों व कालेजों में छात्रों की संख्या नियंत्रित करने विश्वविद्यालय शिक्षा से पूर्व 12 वर्ष की शिक्षा प्राप्त करने माध्यमिक शिक्षकों के लिए अभिनव पाठ्यक्रमों की व्यवस्था करने कम से कम 180 दिन कार्य दिवस रखने पर शिकारियों को इसमें ऐड करने प्रयोगशालाओं का 7% अंक बढ़ाने का सुझाव दिया। । 



अध्ययन पाठ्यक्रम- वैश्वीकरण की अति को दूर करने के लिए आयोग ने सामान्य शिक्षा के सिद्धांत को अविलंब अपनाने का सुझाव दिया। 


शिक्षा का माध्यम - आयोग ने शिक्षा के माध्यम के संबंध में सिफारिश की थी कि अंतरराष्ट्रीय भाषाओं के शब्दों को यथावत स्वीकार कर ले लेना चाहिए अंग्रेजी के स्थान पर किसी आधुनिक भारतीय भाषा को उचित शिक्षा का माध्यम बनाया जाना चाहिए तथा उच्च स्तर पर त्रिभाषा सूत्र के अंतर्गत भाषा की भाषा अंग्रेजी का अध्ययन कराया जाना चाहिए। 


परीक्षा प्रणाली - आयोग ने परीक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन करने तथा वस्तुनिष्ठ परीक्षा का योग करने की महत्वपूर्ण सिफारिश की थी आयोग ने कहा कि हम कम से कम 5 वर्ष का अनुभव प्राप्त शिक्षकों को परीक्षक नियुक्त किया जाए तथा प्रथम श्रेणी 70 %वर्ष द्वितीय श्रेणी 55% व तृतीय श्रेणी 40 परसेंट पर रखने तथा कृपाली बंद करने का सुझाव दिया। 


धार्मिक शिक्षा - आयोग ने सभी धर्मों की शिक्षा व महापुरुषों के जीवन वृतांत ओं को पाठ्यक्रम में स्थान देने का सुझाव दिया जिससे छात्रों में सभी धर्मों के प्रति आदर उत्पन्न हो सके। 


छात्र कल्याण - आयोग ने छात्रों के हितों का ध्यान रखने के लिए विश्वविद्यालय तथा कालेजों में छात्र कल्याण पर सदैव बनाने का सुझाव दिया। 


ग्रामीण विश्वविद्यालय - कृषि शिक्षा के विकास के लिए आयोग ने ग्रामीण विश्वविद्यालय स्थापित करने की सिफारिश की आयोग ने कहा कि इनमें भूमि सुधार ,अभियंत्रण यंत्र अभियंता ग्रामीण, उद्योग कल्याण ,ग्रामीण क्षेत्र, ग्राम समाजशास्त्र ,ग्राम प्रशासन, विकसित ग्राम ,प्रशासन विकसित ग्राम, नियोजन जैसे पाठ्यक्रम चलाए जाएं। 



नारी शिक्षा - आयोग ने नारी शिक्षा का विकास करने की सिफारिश की तथा कहा कि लड़कियों के लिए गृह अर्थशास्त्र नर्सिंग हुआ ललित कला जैसे विषयों की शिक्षा व्यवस्था की जानी चाहिए। 


विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग ने विश्वविद्यालय शिक्षा से संतुलित विकास की दृष्टि से इसके विभिन्न पक्षों का विस्तृत विवेचन करके अपने बहुमूल्य सुझाव स्वीकार कर लिए गए होते तो विश्वविद्यालय से रूपरेखा ही बदल गई होती परंतु उनके अनेक व्यावहारिक कारणों से आयोग की सिफारिशों से काम नहीं किया जा सका परंतु फिर भी इस आयोग की सिफारिश विद्यालय शिक्षा के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। 


प्रश्न 3 -  मुदालियर आयोग की प्रमुख शक्तियों का वर्णन कीजिए। 


उत्तर माध्यमिक शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन एवं सुधार करने के लिए केंद्र सरकार ने 23 सितंबर 1952 को एक माध्यमिक शिक्षा आयोग की स्थापना की इस आयोग के अध्यक्ष डॉ लक्ष्मणस्वामी मुंडाली गए थे जिनके नाम से यह आयोग मुदालियर आयोग कहा जाता है इस आयोग ने 29 अगस्त 1953 को अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार के समक्ष प्रस्तुत की मुदालियर आयोग ने शिक्षा के उद्देश्यों में उद्देश्य को भी सम्मिलित किया आयोग ने माध्यमिक शिक्षा की अवधि 7 वर्ष तथा पाठ्यक्रम 3 वर्ष का सुझाव दिया था और एक विदेशी भाषा को समृद्ध किया विभाजित किए। 


माध्यमिक शिक्षा आयोग ने शिक्षक प्रशिक्षण संस्थाओं की दशा व सुधार तथा प्रशासनिक समस्याओं के निराकरण के संबंध में आने सुझाव दिए केंद्र सरकार ने माध्यमिक शिक्षा आयोग की अधिकांश बसों को स्वीकार कर लिया और उनके कि रावण के लिए उचित प्रक्रिया प्रारंभ कर दी। 


प्रश्न 4- उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित माध्यमिक शिक्षा पर गठन सीमित आचार्य नरेंद्र देव समिति की सिफारिशों को स्पष्ट कीजिए। 


उत्तर माध्यमिक शिक्षा में परिवर्तन व सुधार करने के लिए सन 1948 में उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग ने एक क्रांति शिक्षा योजना प्रारंभ की थी परंतु माध्यमिक शिक्षा के तीर्थ विकास तथा आर्थिक कठिनाइयों की कार्ययोजना उचित ढंग से क्रियान्वित ना हो सके ऐसी स्थिति में उत्तरप्रदेश सरकार ने अपने राज्य में माध्यमिक शिक्षा की प्रगति से था सन 1948 की शिक्षा योजना केस की जांच करने के लिए अचार्य नरेंद्र देव की अध्यक्षता में एक माध्यमिक शिक्षा परिषद का गठन मार्च सन 1952 में किया अमित को आचार्य नरेंद्र देव समिति के नाम से जाना जाता है। कि स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व तत्कालीन संयुक्त वर्तमान में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के द्वारा लोकप्रिय मंत्रिमंडल का गठन हुआ था जिसमें प्रांत मैं सोचा कि सुचारू विकास के लिए प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा की स्थिति का अध्ययन करने के लिए आचार्य नरेंद्र देव की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्ति की थी। आचार्य आचार्य नरेंद्र देव सीमित प्रथम के नाम से भारतीय शिक्षा के इतिहास में जाना जाता है। सन 1952 में गठित आचार्य नरेंद्र देव सीमित द्वितीय उत्तर प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा की स्थिति का विस्तृत वर्णन करने के उपरांत मई 1953 में अपना प्रतिवेदन राज्य सरकार को प्रस्तुत कर दिया सीमित ने माध्यमिक शिक्षा के लिए विभिन्न पाठ्यक्रम तकनीकी शिक्षा परीक्षा प्राणी स्कूल प्रबंध आज के संबंध में अनेक महत्वपूर्ण सुझाव दिए कुछ प्रमुख सुझाव है। 


प्रश्न 5- राष्ट्रीय शिक्षा आयोग कोठारी आयोग 1964 की प्रमुख बातों का विस्तृत विवरण कीजिए। 


उत्तर पिछले दोनों आयोग शिक्षा के विभिन्न विभिन्न स्तरों में सुधार करने के लिए बनाए गए थे किंतु शिक्षा के सभी स्तरों पर व्यापक रूप से विचार नहीं किया गया था सरकार ने यह अनुभव किया कि संपूर्ण शिक्षा को एक इकाई मानकर उसका सूची में अध्ययन किया जाए इसका उद्देश्य को ध्यान रखते हुए केंद्र सरकार ने 14 जुलाई सन 1964 में शिक्षा आयोग की नियुक्ति की भारत सरकार की स्तुति की दौलत सिंह कोठारी कोठारी आयोग या कोठारी कमीशन कहते हैं कोठारी आयोग ने सभी बच्चों का अध्ययन किया और शिक्षा का एक पंचमुखी कार्यक्रम प्रस्तुत किया। 


कोठारी आयोग का भारतीय शिक्षा के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। इस आयोग ने स्वतंत्र भारत की परिवर्तित परिस्थितियों में शिक्षा का सभी स्तरों पर पक्षियों पर व्यापक रूप से प्रचार किया और अपने सुझाव प्रस्तुत किए इस आयोग के सुझावों ने शिक्षा के पर प्रकाश डाला है। शिक्षा द्वारा विकास पर जोर दिया शैक्षिक अवसरों की समानता पर बल देते हुए प्रौढ़ शिक्षा के लिए मार्गदर्शन किया है शिक्षकों की दशा में सुधार करने के लिए कट कोठारी आयोग ने अनेक उपाय सुझाए हैं।


कोठारी आयोग की अनुशंसा के आधार पर शिक्षा के सभी स्तरों पर सच्चे सुविधाओं का विकास हुआ है। पूरे देश में एक समान शिक्षा संरचना स्वीकार किए कर ली गई है। उच्च शिक्षा एवं अनुसाधन के लिए अनेक बच्चे अध्ययन केंद्रों की स्थापना हुई है। वेबसाइट शिक्षा के लिए उच्च माध्यमिक विद्यालय खोले गए हैं। शिक्षक परीक्षा के क्षेत्र में भी पर्याप्त सुधार हुआ है। इस आयोग के प्रयासों के फलस्वरूप बेसिक शिक्षा को स्वरूप समाप्त हो गया अंग्रेजी शिक्षा को बढ़ावा तथा संस्कृत अध्ययन की उपेक्षा की गई प्रारंभिक शिक्षा के आधार पर मजबूत बनाने का सार्थक प्रयास नहीं किया गया। 




Writer by sandhya kushwaha

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