Up board live class 12th Hindi निबंध प्रदूषण समस्या और समाधान
निबंध
प्रदूषण समस्या और समाधान (2014,15,18,20)
प्रस्तावना-विकास और व्यवस्थित जीवन क्रम के लिए जीव धारियों को संतुलित वातावरण की आवश्यकता होती है संतुलित वातावरण में प्रत्येक घटक एक निश्चित मात्रा में उपस्थित रहता है कभी-कभी वातावरण में एक अथवा अनेक घटकों की मात्रा कम अथवा अधिक हो जाया करती है अथवा वातावरण में बहुत से हानिकारक घटकों का प्रवेश हो जाता है परिणाम वातावरण दूषित हो जाता है जो जीव धारियों के लिए किसी ना किसी रूप में हानिकारक सिद्ध होता है इसे यह प्रदूषण कहते हैं।
विभिन्न प्रकार के प्रदूषण- विकसित और विकासशील सभी देशों में विभिन्न प्रकार के प्रदूषण विद्यमान हैं इनमें से प्रमुख प्रदूषण ओं का विवेचन निम्नलिखित है
1. वायु प्रदूषण-वायुमंडल में विद्यमान विभिन्न प्रकार की गैसे एक विशेष अनुपात में अपनी क्रिया द्वारा वायुमंडल में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का संतुलन बनाए रखती है। किंतु मनुष्य अपनी अज्ञानता के कारण तथा आवश्यकता के नाम पर संतुलन को बिगाड़ता रहता है।
अपनी आवश्यकता के लिए मनुष्य वनों को काटता है। परिणाम वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही है। मिलो की चिमनीओं से निकलने वाले धुंए के कारण वातावरण में विभिन्न प्रकार के हानिकारक गैसें बढ़ती चली जा रही है। कोयले और तेल के जलने से सल्फर डाइऑक्साइड गैस उत्पन्न होती है यह गैस वायु में पहुंचने पर बरसाया नवी के साथ खुलकर धरती पर पहुंचती है।और गंधक का अमल बनाते हैं याचिका में जलन पैदा करती है और फेफड़ों को प्रभावित करती है इतना ही नहीं ऐसे वस्त्र धातु और प्राचीन इमारतों को भी क्षति पहुंचाती है।
2. जल प्रदूषण- सभी जीव धारियों के लिए जल बहुत महत्वपूर्ण और आवश्यक है पौधे अपना भोजन जल में घुली हुई अवस्था में ही प्राप्त करते हैं। जल में अनेक प्रकार के खनिज तत्व कार्बनिक अकार्बनिक पदार्थ तथा कैसे गोली रहती हैं यदि जल में इन पदार्थों की मात्रा संतुलित हो जाती है तो जल प्रदूषित होकर हानिकारक हो जाता है देश के अनेक शहरों में पीने का पानी निकट बहने वाली नदियों से लिया जाता है दुर्भाग्य से हम इन्हीं नदियों में मीलों का कचरा मल मूत्र आदि प्रवाहित करते हैं इसके फलस्वरूप हमारे देश की अधिकांश नदियों का जल प्रदूषित होता जा रहा है।
3. रेडियोधर्मी प्रदूषण- परमाणु शक्ति उत्पादन केंद्रों और प्रमाणिक परीक्षण से ही जल वायु तथा पृथ्वी का प्रदूषण होता है ।जो आज की पीढ़ी के लिए नहीं वर्णन आने वाली पीढ़ियों के लिए भी हानिकारक है परमाणु विस्फोट से संबंधित स्थान का तापक्रम इतना अधिक हो जाता है कि धातु तक पिघल जाती है। विस्फोट के समय उत्पन्न रेडियोधर्मी परमाणु वायुमंडल की परतों में प्रवेश कर जाते हैं। जहां पर यह ठंडे होकर संगठित अवस्था में बूंदों का रूप ले लेते हैं और वायु के झोंकों के साथ समस्त संसार में फैल जाते हैं।
4.ध्वनि प्रदूषण- अनेक प्रकार के वाहनों तथा मोटर कार बस जेट विमान ट्रैक्टर आदि तथा लाउड स्पीकर बाजे कारखानों के सायरन और मशीनों से भी ध्वनि प्रदूषण होता है ध्वनि की तरंगे जीव धारियों की क्रियाओं को प्रभावित करती हैं अधिक तेज ध्वनि से मनुष्य की सुनने की शक्ति का हास होता है।तथा उसे नींद ठीक प्रकार से नहीं आती है। यहां तक की कभी-कभी पागलपन का रोग भी उत्पन्न हो जाता है।
प्रदूषण पर नियंत्रण- प्रदूषण को रोकने के लिए व्यक्तिगत और सरकारी दोनों ही स्तरों पर पूरे प्रयास आवश्यक हैं जल प्रदूषण के निवारण एवं नियंत्रण के लिए भारत सरकार ने सन 1974 ईस्वी में जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम लागू किया है इसके अंतर्गत एक केंद्रीय बोर्ड हुआ सभी प्रदेशों में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गठित किए गए हैं। इन बोर्डों ने प्रदूषण नियंत्रण की योजनाएं तैयार की हैं।औद्योगिक कचरे के लिए मानक निर्धारित किए गए हैं।उद्योगों के कारण उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। कि नए उद्योगों को लाइसेंस दिए जाने से पूर्व में औद्योगिक कचरे के निस्तारण की समुचित व्यवस्था करनी होगी। और इसकी पर्यावरण विशेषज्ञों से स्वीकृति प्राप्त करनी होगी। इसी प्रकार उन्हें धुएं तथा अन्य प्रदूषण के समुचित ढंग से निष्कासन और उसकी व्यवस्था का भी दायित्व लेना होगा बनो कि आने अंतरित कटाई को रोकने के लिए कठोर नियम बनाए गए हैं। इस बात के प्रयास किए जा रहे हैं । की नए-नए वन क्षेत्र बनाए जाएं और जन सामान्य को वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
उपसंहार-सरकार प्रदूषण की रोकथाम के लिए पर्याप्त सजग है।पर्यावरण के प्रति जागरूकता से ही हम भविष्य में और अधिक रक्षा एवं स्वस्थ जीवन जी सकेंगे। और आने वाली पीढ़ी को प्रदूषण के अभिशाप से मुक्त दिला सकेंगे। अतः सरकार के साथ साथ हम सभी का भी यह पुनीत कर्तव्य बन जाता है।कि हम प्रदूषण मुक्त पर्यावरण तैयार करने की दिशा में जागरूक रहें।
Writer Ritu kushwaha
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