Up board live solution class- 12th शिक्षा शास्त्र पाठ- 3 मध्यकालीन शिक्षा

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Up board live solution class- 12th शिक्षा शास्त्र पाठ- 3 मध्यकालीन शिक्षा

Up  board live solution class- 12th शिक्षा शास्त्र पाठ- 3 मध्यकालीन शिक्षा शास्त्र


कक्षा 12

शिक्षा शास्त्र


पाठ 3 मध्यकालीन शिक्षा


बहुविकल्पी प्रश्न 


प्रश्न- 1 मध्यकालीन प्राथमिक शिक्षा का प्रमुख स्थान था। 


(क)  मकतब

(ख) विद्यालय

(ग) मदरसा

(घ) शिशु मंदिर


उत्तर -मकतब


प्रश्न -2 मुस्लिम शिक्षा का माध्यम थी । 

(क) हिंदी

(ख) उर्दू

(ग)  फारसी

(घ) अरबी


उत्तर - फारसी


प्रश्न -2 मुस्लिम काल में  विश्वअल्लाह रस्म अदा की जाती थी जब बालक हो जाता था । 


(क)  3 वर्ष 3 माह दिन का

(ख) 4 वर्ष 4 माह 4 दिन का

(ग) 5 वर्ष 5 माह 5 दिन का

(घ) 6 वर्ष 6 माह 6 दिन का


उत्तर  -4 वर्ष 4 माह 4 दिन का


प्रश्न -5 विश्व में अल्लाह संस्कार का संबंध है । 

(क) वैदिक काल से

(ख) बौद्ध काल से

(ग) मुस्लिम काल से

(घ)  ब्रिटिश काल से


उत्तर मुस्लिम काल से


निश्चित उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1- मध्यकाल में उच्च शिक्षा की व्यवस्था किस शिक्षण संस्थाओं में होती थी ।

उत्तर -मध्यकाल में उच्च शिक्षा की व्यवस्था मदरसों में होती थी । 


प्रश्न -2 मुस्लिम काल में शिक्षा का आरंभ किस संस्कार से होता था। 

उत्तर मुस्लिम काल में शिक्षा का प्रारंभ अल्लाह संस्कार से होता था। 



प्रश्न 3-  मुगल कालीन शिक्षा के प्रमुख चार केंद्रों के नाम लिखिए। 

उत्तर मुस्लिम शिक्षा प्रमुख रूप से दो स्तरों में विभाजित थी। 


1. प्राथमिक शिक्षा तथा 

2. उच्च शिक्षा


प्रश्न 4-  मुस्लिम काल में प्राथमिक शिक्षा प्रारंभ करने की की आयु थी। 


उत्तर- 4 वर्ष 4 माह 4 दिन। 


प्रश्न -5 मुस्लिम काल में किताबों में किस स्तर की शिक्षा प्रदान की जाती थी। 

उत्तर  प्राथमिक शिक्षा। 



अति लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1- मध्यकालीन क्या के क्या उद्देश्य थे। 

उत्तर मध्यकालीन शिक्षा के निम्नलिखित देश थे। 


1. इस्लाम धर्म का प्रचार करना

2. ज्ञान अर्जन करना

3. भौतिक उन्नति करना

4. मुसलमानी राज्य को स्थायित्व प्रदान करना


प्रश्न 2- मध्यकालीन शिक्षा की चार विशेषताएं बताइए। 

उत्तर मध्यकालीन शिक्षा की चार विशेषताएं थी। 


1.शिक्षा राज्य के संरक्षण में थी

2.गुरु शिष्य के मध्य संबंध अच्छे थे। 

3.इस काल में शिक्षा में व्यापकता का अभाव था। 

4.मध्यकालीन शिक्षा कठोर अनुशासन से मुक्त थी। 


प्रश्न 3- मध्यकालीन शिक्षा के केंद्र के बारे में लिखिए। 


उत्तर - दिल्ली - सुल्तान हूं तथा मुगल बादशाहों की राजधानी रहने के कारण मुस्लिम शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र रहा सर्वप्रथम नसरुद्दीन ने यहां नसीम मदरसा की स्थापना की फिरोज तुगलक ने अनेक मदरसों यहां नसीम मदरसा की स्थापना की रोज तुगलक ने अनेक मदरसों का मुगल काल में भी इसकी महत्ता बनी रहे। 


आगरा - आगरा नगर की नींव सिकंदर लोदी ने डाली थी सिकंदर ने अपने प्रयास द्वारा आगरा में सैकड़ों मदर से निर्मित करवा कर ऐसी शिक्षा का प्रमुख केंद्र बना दिया यहां विदेशों तक से छात्र अध्ययन के लिए आने लगे। 


जौनपुर - सल्तनत काल में जौनपुर शिक्षा का प्रमुख केंद्र था फिरोज तुगलक ने यहां अनेक मदरसों का निर्माण करवाया था यहां साहित्य और कला की उच्च कोटि की शिक्षा प्रदान किए थे इस कारण ही है नगर सिराजे हिंद के नाम से पुकारा जाता था। 


प्रश्न 5-  मकतब का क्या अर्थ है। 

उत्तर मकतब मस्जिद से जुड़े होते थे जहां मध्यकालीन प्राथमिक शिक्षा दी जाती थी। 


लघु उत्तरीय प्रश्न 


प्रश्न -1 भारतीय शैक्षिक विकास के संदर्भ में प्राचीन तथा मध्यकालीन शिक्षा व्यवस्था में अंतर स्पष्ट कीजिए। 


उत्तर - प्राचीन तथा मध्यकालीन शिक्षा व्यवस्था में अंतर

भारतीय शैक्षिक विकास के इतिहास पर करते हुए प्राचीन तथा मध्यकालीन शैक्षिक व्यवस्था के निम्नलिखित मंत्रों का उल्लेख किया जा सकता है। 


1- प्राचीन कालीन भारतीय शिक्षा व्यवस्था का आधार हिंदू वैदिक धार्मिक एवं दार्शनिक सिद्धांत ही थे इससे भिन्न मध्यकालीन शिक्षा का विकास शुद्ध रूप से इस्लाम धर्म के सिद्धांतों के आधार पर हुआ था। 


2- प्राचीन कालीन भारतीय शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान की प्राप्ति तथा आध्यात्मिक विकास स्वीकार किया गया था इससे भिन्न मध्यकालीन शिक्षा के अंतर्गत भले ही ज्ञान प्राप्ति को समुचित महत्व प्रदान किया गया था परंतु इस काल में शिक्षा का एक प्रमुख मुख्य उद्देश्य , लौकिक जीवन को अधिक से अधिक, संपन्न इसमें एवं ,सुखी ,बनाना भी था। 


3- प्राचीन भारतीय शैक्षिक मान्यताओं के अनुसार शिक्षा ग्रहण करने के कारण छात्रों के लिए सादा एवं सरल जीवन व्यतीत करना नवाब था उन्हें सामान्य रूप से जीवन की समस्त सुख सुविधाओं से दूर रहना पड़ता था इससे भिन्न मध्यकालीन प्रचलन के अनुसार मदरसों में शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों को जीवन की समस्त सुख सुविधा उपलब्ध हुआ करते थे जिससे आराम का जीवन व्यतीत करते थे। 


विस्तृत उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1- मध्यकालीन शिक्षा के गुण दोषों की विवेचना कीजिए। 


अथवा

मध्यकालीन शिक्षा व्यवस्था में मकतब एवं मदरसा रूपी शिक्षण संस्थाओं की भूमिका का वर्णन कीजिए। 


उत्तर - मध्यकालीन शिक्षा की प्रमुख विशेषताएं


अनिवार्य शिक्षा - मोहम्मद साहब ने ज्ञानार्जन करना मनुष्य को कर्तव्य बताया था क्योंकि इसी के द्वारा ईश्वर की प्राप्ति होती है इसलिए सभी के लिए अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था थी लेकिन यह बालिकाओं के लिए नहीं थी। 


धार्मिक जगह सांसारिक भावना का समाचार - यद्यपि इस्लामी शिक्षा में धार्मिक भावनाओं को विभिन्न तरीकों से प्रोत्साहित किया जाता था किंतु मदरसों के छात्रावासों में सांसारिक सुख भोगने का भी अवसर दिया जाता था इस प्रकार छात्रों को सांसारिक सुख भोंकते हुए ईश्वर प्राप्ति की शिक्षा दी जाती थी


व्यवहारिक ज्ञान - मकतब में तो मात्र कुछ विषय घटा ही दिए जाते थे किंतु मदरसों में जो भी ज्ञान दिया जाता था वह ऐसा दिया जाता था जो व्यवहार इस तरह जीवन में उपयोगी अवश्य हो। 


चरित्र निर्माण - उस समय मकतब एवं मदरसों में चरित्र निर्माण पर बहुत जोर दिया जाता था उन्हें ऐसी शिक्षा दी जाती थी जो उन्हें आदर्श चरित्र का निर्माण करें। 


प्रश्न -4  प्राचीन एवं मध्यकालीन शिक्षा की तुलना और उस में अंतर बताइए। 


उत्तर  प्राचीन भारतीय और मध्यकालीन शिक्षा की तुलना - प्राचीन भारतीय शिक्षा से मध्यकालीन शिक्षा की तुलना करने के लिए आवश्यक है। कि वैदिक तथा बहुत दोनों ही शिक्षण पद्धतियों से तुलना की जाए अतः हम उन दोनों ही शिक्षा अपराधियों से मध्यकालीन शिक्षा की समानताएं तथा समानताएं देखेंगे। 


1. पाठ्यक्रम इन तीनों ही शिक्षा प्राणियों में धर्म प्रधानता धार्मिक विषयों के अतिरिक्त अज्ञानता व कलात्मक और विवादित शिक्षा की व्यवस्था भी थी। 


2. शिक्षण विधि इन तीनों ही कालों में मौखिक और व्यक्तिगत थी तथा कक्षा में विभाजित नहीं थी किसी वार्षिक और अंतिम परीक्षा की व्यवस्था भी नहीं थी। 


3. विद्यार्थी तीनों ही कालों में अनुशासित रहते थे अनुस आए हैं उनका जैसी कोई समस्या नहीं थी। 


4. गुरु शिष्य के मध्य संबंध तीनों ही कॉलोनी श्रद्धा और प्रेम पर आधारित है। 


5. वेबसाइट शिक्षा की तीनों ही कॉलोनी सुंदर व्यवस्था थी ललित कलाओं चिकित्सा व्यापार और अन्य उद्योगों की शिक्षा दी जाती थी। 


6. वैदिक बौद्ध और मुस्लिम तीनों ही शिक्षा प्राणी या धर्म प्रदान थी इन तीनों का ही विकास धर्म विशेष की शिक्षा देने के निर्मित हुआ था दान में गुरु ही शिक्षा गुरु होता है तथा धार्मिक प्रार्थना और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन शिक्षा का नवारंग था। 


7 - तीनों शिक्षा प्राणियों में धार्मिकता के विकास के साथ-साथ ज्ञान का प्रसार नैतिकता का विकास और संस्कृत का संरक्षण के उद्देश्य बनाए गए थे। 


8. वैदिक उपनयन और बौद्ध त्रिविद्या संस्कार के समान ही मुस्लिम शिक्षा में विशेष आरंभ के समय बिस्मिल्लाह संस्कार होता था। 


9. इस्लामी शिक्षा संस्थान बहुत शिक्षा संस्थाओं के नीचे सामान ही संगठित होती थी यह राजा और बैंकों द्वारा स्थापित की जाती थी और प्राथमिक उच्च शिक्षा के लिए प्रथक प्रथक शिक्षा संस्थाओं की व्यवस्था भी थी। 


10. बहुत अच्छा संस्थाओं के सामान मुस्लिम शिक्षा संस्थाओं में बड़े-बड़े छात्रावास होते थे। 



प्रश्न 3- मध्यकालीन शिक्षा की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए। 


मध्यकालीन शिक्षा की विशेषताएं - मुसलमानी शासन काल में शिक्षा प्रसार के लिए किए गए प्रयासों के आधार पर उस काल की शिक्षा की विशेषताएं निम्नलिखित हैं। 


1. इस्लाम धर्म का प्रचार करना - मुस्लिम शासकों ने प्रशिक्षण का धर्म प्रचार का साधन बनाया है इसलिए शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य इस्लामिक विचारधारा एवं इस्लाम धर्म का प्रचार माना गया मुस्लिम शिक्षा सुनने वाले लोग धरने की पृष्ठभूमि में बोलते व विचार करते थे। 


मुस्लिम संस्कृत का प्रचार करना - सामान्य इस समय की इस्लामिक शिक्षा प्राणी का दूसरा महत्वपूर्ण उद्देश्य शाम मुस्लिम संस्कृत का प्रचार करना और धर्म और संस्कृति एक दूसरे पर आश्रित है। खान-पान, रहन-सहन ,विवाह और, मृत्यु के संस्कार, इस्लामिक ,संस्कृत में ,हिंदू ,संस्कृति से भिन्न है। क्योंकि उनका विकास अरब की पृष्ठभूमि में हुआ था शिक्षा के द्वारा भारतीय मुसलमानों को इस संस्कृत के अनुसार ढालना प्रमुख उद्देश्य  था। 


भौतिक सुख प्राप्त करने के लिए तैयारी करना - इस्लाम धर्म में पुनर्जन्म एवं पर लोग में विश्वास नहीं किया जाता था इसलिए वर्तमान शिक्षा में सांसारिक वैभव तथा ऐश्वर्य प्राप्त का महत्व देते थे शिक्षा का उद्देश वर्तमान जीवन को अधिक से अधिक सुखी एवं समृद्ध बनाया हो गया आत्मवृत्ता को उन्होंने भ्रांति माना। 


राजनीतिक उद्देश्य - मुसलमान शासक शिक्षा के द्वारा अपने शासन को अधिक मजबूत करना चाहते थे वे शिक्षा के द्वारा ऐसे नागरिकता विकसित करना चाहते थे जो कि इस्लाम की विरोधी ना हो यही शिक्षा का राजनैतिक उद्देश्य था। 


प्रश्न 2- आधुनिक शिक्षा प्रणाली पर मुस्लिम शिक्षा का प्रभाव स्पष्ट कीजिए। 


आधुनिक शिक्षा प्रणाली पर

मुस्लिम क्या का प्रभाव

आधुनिक शिक्षा प्रणाली पर मुस्लिम शिक्षा का निम्नलिखित प्रभाव परिलक्षित होता है। 


भौतिक समृद्धि तथा समरसता का उद्देश्य - प्राचीन काल की शिक्षा व्यवस्था में त्याग तपस्या और सरलता और ग्रह आदि पर जोर दिया जाता था। माध्यमिक शिक्षा को इसमें दिखा भी एक आधार माना गया था वह आधुनिक ,शिक्षा के इसमें अधिक सुख ,सुविधा और संबंधों का एक शब्द और आधार मानी जाती है। 


विदेशी भाषा का प्रयोग - मध्ययुगीन शिक्षा व्यवस्था में शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषण दिया था अरबी और फारसी थे आधुनिक युग में अंग्रेजों ने वे विदेशी भाषा अंग्रेजी के प्रयोग को प्रकाशित किया। 


शिक्षा- व्यवस्था में राज्य के हस्तक्षेप की शुरुआत - प्राचीन भारत की शिक्षा व्यवस्था राज के नियंत्रण यार आज क्या सचिव में सर्वदा मुक्त थी किंतु मध्य युग की शिक्षा व्यवस्था पर राधिका पूरा नियंत्रण था अंग्रेजी शासनकाल में भी राज्य का शिक्षा व्यवस्था पर पूरा नियंत्रण था स्वाधीन भारत में भी शिक्षा पर राज्य का नियंत्रण और हस्तक्षेप बरकरार है। 


नियमित आर्थिक सहायता की शुरुआत - इसलिए में या मुस्लिम शिक्षा को मुस्लिम शासकों या राज्य के पूरा संरक्षण और आर्थिक सहायता मिलती थी मध्य काल के सुल्तान शासक और बाद दोनों कामों को देश इस्लामिक स्तर और संस्कृत का प्रसार करना था शिक्षण संस्थाएं इस कार्य के लिए सख्त साधन थे वे खुले हाथों से मुस्लिम शिक्षण संस्थाओं को आर्थिक सहायता देते कि मध्य युग के मुस्लिम शासकों की इस परंपरा को आधुनिक शासकों ने भी अपनाया उद्धार के लिए अंग्रेजों ने भारत की शिक्षा व्यवस्था को संगठित करने के लिए सन 18 से 54 में वोट हो जो घोषणा पत्र जारी किया था उसमें से 6 संस्थाओं को आर्थिक सहायता देने का आश्वासन दिया था।


निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था एवं छात्र व्यक्तियों का प्रावधान - मध्ययुगीन मुस्लिम शिक्षण संस्थाओं में शिक्षा की निशुल्क व्यवस्था थी ब्रिटिश काल में भी इस दिशा में सराहनीय प्रयास किए गए स्वाधीन भारत में भी प्राथमिक स्तर पर निशुल्क प्राथमिक शिक्षा का संकल्प लिया जाता है। किंतु देश की विशाल जनसंख्या को देखते हुए भी पूर्ण रूप से इस आदर्श को का रूप में पढ़ना संभव नहीं है। जहां तक छात्रवृत्ति यों का प्रश्न है। आधुनिक भारत में विभिन्न आधारों पर छात्रवृत्ति का प्रावधान किया गया। 


Writer by - sandhya kushwaha

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