UP Board live solution class 12th Hindi निबंध: "भारतीय कृषक की समस्या और समाधान"
अथवा"भारतीय किसान का जीवन"अथवा"भारतीय किसान : समस्याएं और समाधान"अथवा"कृषक जीवन की त्रासदी"
1.भारत में कृषि का महत्व-----
खेती भारत का मुख्य उद्योग है। यहां की 80% जनता खेती करती है। यह किसानों का देश है। यहां सभी उद्योग खेती पर ही निर्भर हैं। खेती और किसान की दशा ही भारत की दशा है। पर यह खेद की बात है कि भारत में किसान की जैसी शोचनीय दशा है वैसी किसी और की नहीं । अंग्रेजी राज्य में किसानों और खेती के बारे में कभी सोचा ही नहीं गया, सोचने की उन्हें आवश्यकता भी नहीं थी। 15 अगस्त सन 1947 को परतंत्रता के काले बादलों को चीरता हुआ स्वतंत्रता का सूर्य उदित हुआ, उसकी किरणों के प्रकाश में भारत के नेताओं ने भारत के किसानों को देखा और तब से निरंतर भारत की सरकार किसान और खेत की उन्नति के लिए प्रयत्नशील है लेकिन किसान आत्महत्या कर रहे हैं, उन्हें विकसित भारत की वैज्ञानिक तकनीक का इतना लाभ नहीं पहुंच रहा है जितना पहुंचना चाहिए था ।
2.कृषक की वर्तमान स्थिति---
पर हुआ क्या? एक लंबा समय बीत जाने पर आज भी किसानों की दशा संतोषजनक नहीं है। उसे भरपेट अन्न और शरीर ढकने को पर्याप्त वस्त्र भी नहीं मिलता है। यह तो नहीं कहा जा सकता कि उसकी दशा में कुछ अंतर नहीं हुआ, किंतु सुधार जितना होना चाहिए था, उतना हुआ नहीं । सबका अन्नदाता किसान आज भी अन्न को तरसता है । वह किसान, जिसके लिए कवि ने कहा है---
"कठिन जेठ की दोपहरी में एकचित हो मग्न ।
कृषक तपस्वी तप करता है श्रम से स्वेदित तन ।।"
जब कोई अपने दुधमुंहे बच्चे को आधा पेट खिलाकर और अपनी नवोढ़ा प्रियतमा को चिथड़ो मे लिपटी देख कर भी सांस लेता रहे, तो क्या यह जीवन है? स्वतंत्र भारत के अन्नदाता की यह दशा देखकर भला किसका हृदय टूक-टूक न हो जाएगा?
3.कृषक की कठिनाइयां---
पर दोष किसका है-- स्वयं किसान अपनी दशा सुधारना नहीं चाहता यह कहा नहीं जा सकता अपनी उन्नति भला कौन ना चाहेगा सरकार लाखों रुपए प्रति वर्ष खेती के विकास पर लगाती है। करोड़ों रुपए की योजनाएं खेत और किसान के लिए चल रही है फिर वही प्रश्न है कि दोषी कौन है कौन सी वादा है जो किसान का रास्ता रोकती है और उसे तेजी से आगे नहीं बढ़ने देती यदि विचार कर देखे तो कठिनाइयां साफ दिखाई पड़ती हैं किसान अविद्या के अंधकार में है अभी तक हमारे देश के अधिकतर के साथ अशिक्षित हैं किसानों के जो बच्चे पढ़ भी गए हैं या पढ़ रहे हैं वे खेती से दूर भागते हैं और नौकरी खोजते फिरते हैं यही भावना देश के लिए बहुत ही घातक है। इसका परिणाम यह है कि किसान आसिफ चित्र है इसलिए वह खेती के नए वैज्ञानिक तरीकों और साधनों से अवगत नहीं हो पाता है सरकारी सुविधाओं का किसान जानकारी ना होने के कारण लाभ नहीं उठा पाता है किसान की दूसरी घटना है उसकी आर्थिक स्थिति से संबंध रखती है अभी किसान को निम्न ब्याज की दर तथा आसान किस्तों पर ऋण नहीं मिल पाता है सरकार की ओर से सहकारी बैंकों की स्थापना करके उसकी इस कठिनाई को दूर करने का प्रयत्न हो रहा है पर एक तो यह बैंक अभी थोड़े हैं और फिर अशिक्षित होने के कारण किसान इनमें पूरा लाभ नहीं उठा पाते हैं कुछ स्वार्थी कर्मचारियों की धांधली वाली भी किसानों को लाभ से वंचित रखने पर विवश करती है सिंचाई के साधनों के विकास पर सरकार रुपया पानी की तरह बहा रही है परंतु जब भी बहुत से किसान ऐसे हैं जो सूखे से अतिवृष्टि की रोकथाम का भी अभी तक कोई उपाय नहीं हो पाया है अच्छी खाज और अच्छे बीज के अभाव से भी किसान की परेशानी बढ़ी हुई है इसके अतिरिक्त किसान के सामने एक यह भी कठिनाई है कि सरकार की दी हुई सुविधाओं से उसे जितना लाभ हो रहा है उतना ही टैक्सों का उस पर भार बढ़ता जा रहा है।
ये ही सब कठिनाई क्या है जिनके कारण किसानों और खेती का विकास नहीं हो पा रहा है इसके अतिरिक्त ऋण खाद्य बीज तथा वैज्ञानिक कृषि उपकरणों की सुलभता आदि की व्यवस्था में भी सुधार की आवश्यकता है।
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