Up board live class- 12th solution शिक्षा शास्त्र पाठ-7 भारतीय शिक्षक : महात्मा गांधी

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Up board live class- 12th solution शिक्षा शास्त्र पाठ-7 भारतीय शिक्षक : महात्मा गांधी

Up board live class- 12th  solution शिक्षा शास्त्र पाठ-7  भारतीय शिक्षक : महात्मा गांधी


पाठ -  7 भारतीय शिक्षक : महात्मा गांधी

बहुविकल्पी प्रश्न


प्रश्न-1 महात्मा गांधी का जन्म कब हुआ था?


(क) 1869 ई०

(ख) 1885 ई०

(ग) 1905 ई०

(घ) 1937 ई०

उत्तर - 1869 ई ०


प्रश्न-2 गांधी जी का जन्म कहां हुआ था? 


(क) पोरबंदर

(ख) दिल्ली

(ग) चंपारण

(घ) वर्धा

उत्तर - पोरबंदर


प्रश्न-3 बेसिक शिक्षा का प्रस्ताव गांधी जी ने किस 

सम्मेलन में किया? 


(क) लाहौर

(ख) वर्धा

(ग) कोलकाता

(घ) मुंबई

उत्तर - वर्धा


प्रश्न-4 गांधीजी के अनुसार प्राथमिक शिक्षा का माध्यम कौन सी भाषा होनी चाहिए? 


(क) अंग्रेजी

(ख) उर्दू

(ग)मातृभाषा

(घ) हिंदी

उत्तर - मातृभाषा


प्रश्न-5 बेसिक शिक्षा का केंद्र बिंदु क्या था? 


(क) हस्तशिल्प

(ख) गणित

(ग) विज्ञान

(घ) भाषा

उत्तर - हस्तशिल्प


निश्चित उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न - 1 गांधी जी की शिक्षा दर्शन पर आधारित शिक्षा प्रणाली किस नाम से जानी जाती है? 


उत्तर- गांधीजी के शिक्षा दर्शन पर आधारित शिक्षा प्रणाली है बेशक शिक्षा प्रणाली! 


प्रश्न - 2  बेसिक शिक्षा प्रणाली में शिक्षा का माध्यम क्या है? 

उत्तर- मातृभाषा! 


प्रश्न - 3 गांधी जी द्वारा प्रचलित शिक्षा का नाम बताइए? 

उत्तर- बेसिक शिक्षा का वर्धा योजना! 


प्रश्न - 4 बेसिक शिक्षा का केंद्र बिंदु क्या है? 

उत्तरउत्तर-  हस्त कौशल! 


अति लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न - 1 शिक्षा से मेरा अभिप्राय उन सर्वश्रेष्ठ गुणों का प्रदर्शन है, जो बालक और मनुष्य के शरीर मस्तिष्क और आत्मा में विद्यमान है,,यह कथन किसका है? 


उत्तर- महात्मा गांधी का! 


प्रश्न -2 गांधी जी द्वारा निर्धारित शिक्षा के चार क्षेत्र बताइए? 


उत्तर- गांधी जी द्वारा निर्धारित शिक्षा के चार क्षेत्र थे 

(क) जन शिक्षा

(ख) प्रौढ़ शिक्षा

(ग) स्त्री शिक्षा

(घ) धार्मिक शिक्षा! 


लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1-  गांधीजी शैक्षिक विचारधारा वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में कितनी प्रासंगिक है! 


उत्तर - गांधीजी ने अपनी शैक्षिक विचारधारा और समय प्रस्तुत की थी जब भारत में ब्रिटिश शासन तथा ब्रिटिश शासन की कुछ नहीं है! उद्देश्यों के लिए शिक्षा विस्तार की गई थी आज देश की परिस्थितियां काफी बदल दी है! इस स्थिति में गांधीजी की शैक्षिक विचारधारा क्षेत्रों में तो आज भी महत्वपूर्ण मानी जाती है! जबकि कुछ बच्चों का अब कोई व्यवहारिक महत्व नहीं है! सर्वप्रथम अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा की धारणा आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है! इसी प्रकार स्त्री शिक्षा को प्रोढ़ शिक्षा देने की बात भी समान रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है! गांधीजी के आत्मानुशासन की धारणा हर किसी को मान्य है! शिक्षा के माध्यम से बालक के सर्वा गीण विकास की मानता भी उचित है! इससे भिन्न गांधी जी द्वारा हस्तकलाओ को दी जाने वाली आर्थिक समानता आज की परिस्थितियों में प्रसिद्ध संगीत नहीं मानी जाती बेसिक शिक्षा प्राणी में शिक्षा के कार्य के लिए बालकों द्वारा निर्मित वस्तुओं की बिक्री की बात कही गई थी तथा अप्रासंगिक है! इसी प्रकार आज विज्ञान की शिक्षा की अत्यधिक आवश्यकता है जबकि गांधी जी की विचारधारा में यह मानता नहीं थी इस प्रकार स्पष्ट है कि वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में गांधीजी की सच्ची विचारधारा एक सीमित रूप में ही प्रासंगिक है! 


प्रश्न 2- गांधी जी द्वारा प्रतिपादित समवाय (सानुबंधित)       शिक्षण विधि क्या है? 


उत्तर - गांधी जी ने सीखने की प्रक्रिया में विषयों में समन्वय स्थापित करने पर विशेष बल दिया है! उनके अनुसार तो किसी महत्वपूर्ण हस्तकला के इदृ गिरद अन्य विषयों को सीखकर उसका अध्यापन करना चाहिए तथा दूसरे विभिन्न विषयों पर पारस्परिक संबंध स्थापित करते हुए उनका अध्ययन करना चाहिए ! गांधीजी की बेसिक शिक्षा में बुनियादी हस्तकला और अन्य विषयों को अध्यापन की व्यवस्था है! 


प्रश्न 3 - महात्मा गांधी की बेसिक शिक्षा के बारे में उनके विचारों को स्पष्ट कीजिए? 


उत्तर - महात्मा गांधी ने 22 अक्टूबर 1937 को नागपुर के वर्धा नामक स्थान पर शिक्षा सम्मेलन का आयोजन किया इस सम्मेलन में देश के कई शिक्षा शास्त्री एवं विचार एकदम सम्मिलित हुए और अपने अपने विचार रखे! महात्मा गांधी ने इस सम्मेलन में अपनी सच्चा संबंधी योजना प्रस्तुत की जिसे स्वीकार कर लिया गया इस योजना को वर्धा शिक्षा योजना का गया जो बाद में बुनियादी शिक्षा का बेसिक एजुकेशन के रूप में विकसित हुई प्रत्येक शिक्षा प्रणाली के प्रवर्तक का एक शिक्षा दर्शन होता है! जो कि उसके संपूर्ण विचारों को प्रतिनिधित्व करता है !इस संदर्भ में महात्मा गांधी की शिक्षा दर्शन के आधारभूत सिद्धांत इस प्रकार हैं! 


1 - 7 से 14 वर्ष तक के बालक बालिकाओं की शिक्षा निशुल्क एवं अनिवार्य होनी चाहिए! 


2 - शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी नहीं बल्कि मातृभाषा भाषा होनी चाहिए! 


3 - शिक्षा के द्वारा मानवीय गुणों का विकास होना चाहिए! 


4 - शिक्षा को शरीर में निर्देश तथा आत्मा का सामजस्यपूणृ विकास करना चाहिए! 


5 -  सभी प्रकार की शिक्षा लाभदायक हस्तकला  से प्रारंभ होनी चाहिए जिससे बालक अपनी आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकें! 


6 - शिक्षण विधि में क्रिया द्वारा शिक्षा का प्रयोग होना चाहिए! 


7 - सभी विषयों की शिक्षा किसी उत्पादक उद्योग एवं स्थानीय माध्यम के द्वारा दी जानी चाहिए! 


विस्तृत उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न - 1  निम्न बिंदुओं पर महात्मा गांधी की शैक्षिक विचारों को अभिव्यक्त कीजिए-

1 शिक्षा के उद्देश्य 2 पाठ्यक्रम 3 शिक्षण की विधि! 


अथवा


महात्मा गांधी के शैक्षिक विचारों की विवेचना निम्न बिंदुओं के आधार पर कीजिए : 1 शिक्षा के उद्देश्य 2 शिक्षण विधि 3 पाठ्यक्रम! 


अथवा


महात्मा गांधी की शैक्षिक विचारों का वर्णन कीजिए!

 

शिक्षा का अर्थ


शिक्षा की अर्थ अभिप्राय के संबंध में गांधी जी के विचार आधुनिक पाश्चात्य शिक्षा स्त्रियों के समान है उन्होंने स्पष्ट शब्दों में शिक्षा की परिभाषा दी है जो इस प्रकार है शिक्षा से मेरा तात्पर्य बालक और प्रौढ़ की शरीर, मन और आत्मा सभी के सर्वोत्तम अंशु को बाहर निकालने से है! 


शिक्षा के उद्देश्य -

गांधी जी की शिक्षा के उद्देश्यों को दो वर्गों में बांटा है। 


1. अंतिम उद्देश्य


2. तत्काल उद्देश्य। 


अंतिम उद्देश्य - गांधीजी ने अनेक पश्चात राज्य शिक्षा शास्त्रियों की भांति आत्मबोध को शिक्षा का अंतिम उद्देश्य माना है। हर व्यक्ति की शिक्षा को आत्म  बोध की स्थिति पर पहुंचना चाहिए आत्मबोध का तात्पर्य है। कि व्यक्ति अपनी और परमात्मा के संबंध की अनुभूति कर ले परमात्मा संपूर्ण देश में व्याप्त है। 


चरित्र विकास - बालक का भाषा में सिनेमा नेताओं की अनुकूल होना चाहिए था शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य होना चाहिए। ।कि व्यापारियों में ऐसी दीवार का निर्माण करें जिससे समाज पसंद करें बाल पंचायत के विकास के लिए में चावल स्वार्थी मिलता प्रेम सहयोग शांति सद्भाव आदि को बंद किया जाए इस संबंध में उन्होंने लिखा है। 


आदर्श नागरिकता का  विकास - शिक्षा का उद्देश्य से व्यक्ति तैयार करना है जो अपनी भलाई के साथ-साथ अपने समाज की भी भलाई करे शिक्षा और समाज दोनों का उत्थान का साधन एस के द्वारा हर व्यक्ति को उसके कर्तव्य का ज्ञान करना चाहिए। 


स्वभाव की पूर्णता - गांधीजी बालक के स्वभाव को पूर्ण बनाना चाय दे देवें उसे मस्त है और हाथियों के गुण और योग अदाओं का विकास करना चाहते थे इसका साधन उन्होंने क्षेत्र को माना तृषा को किसी सिल्क पर केंद्रित  सर के बालक में इन तीनों बच्चों को पूर्ण विकसित किया जा सकता था इस प्रकार उसमें स्वभाव की पूर्णता उत्पन्न की जा सकती थी। 


शिक्षा का पाठ्यक्रम


गांधीजी के समय में भारत में प्रचलित है क्या का पाठ्यक्रम एकांगी दीक्षित और संकीर्णता और भारतीयों को स्वावलंबी भी नहीं बनाती थी उसके स्थान पर गांधी जी ने अपनी शिक्षा योजनाओं में नए ढंग का पाठ्यक्रम प्रस्तुत किया इस नवीन पाठ्यक्रम के निर्माण में गांधी जी ने तक मनोवैज्ञानिक और 10 साल आधारों को प्रमुख स्थान दिया उन्होंने भारत की आवश्यकता की उपयोगिता के सिद्धांत से संबंधित सिद्धांत और सिद्धांतों को आधार बनाया। 


कार्यक्रम होने हस्त कौशल को सबसे महत्वपूर्ण स्थान दिया के बीच के द्वारा व्यक्ति और समाज की अनेक आवश्यकता पूरी होती है इसके अलावा अन्य विषयों को भी अपने दृष्टिकोण से उपयुक्त स्थान दिया उन्होंने अपनी शिक्षा योजना में पाठ्यक्रम का रूप रखा। 


शिक्षण विधि


गांधी जी ने अपने शिक्षा योजना में मनोवैज्ञानिक शिक्षण विधियों को स्थान दिया उनके द्वारा बताए हुए प्रमुख विधियां निम्नलिखित। 


क्रिया विधि - गांधीजी बालकों को केवल उसकी ज्ञान प्रदान करने के पक्ष में नहीं थे वे उनकी क्रियाशीलता को सदुपयोग करते हुए उन्हें सकरी रखकर शिक्षा प्रदान करना चाहते थे वे उनके हाथों और नंबर दोनों को एक साथ साथ बनाना चाहते थे इस विधि का कार्य था बालक को अधिक से अधिक रचनात्मक कार्य  मे लगाना। 


मौखिक विधि

क्योंकि उनके तत्वों के बालकों को नए सिरे से देना होता है । इसलिए मोदी जी का भी प्रयोग आवश्यक है। इसके अंतर्गत प्रश्नोत्तर विधि व्याख्यान का निवास बाद देश में देश आदि शामिल है। और योग करते समय व्यस्त की रोचकता को बराबर ध्यान में रखना चाहिए। 

 


संगीत विधि - अमीर विषयों की शिक्षा में विसर्जित का प्रयोग करने के पक्ष में विशेष रुप और हंसी कौशल  की शिक्षा में अंगों के संचालन को लेकर करने और क्रिया में बालकों की रुचि उत्पन्न करने के लिए तंत्र प्रयोग काफी उपयोगी  था। 


Writer by- sandhya kushwaha


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