Up board live solution for class-12th शिक्षा शास्त्र पाठ -12 सामाजिक शिक्षा
कक्षा 12 शिक्षा शास्त्र
पाठ- 12 सामाजिक शिक्षा
बहुविकल्पी प्रश्न
प्रश्न -1 प्रौढ़ शिक्षा का आरंभ भारत में कब हुआ।
क- 1910
ख- 1905
ग- 1914
घ- 1919
उत्तर- 1910
प्रश्न- 2 प्रौढ़ शिक्षा का संबंध किससे है।
क- शिशु से
ख- बालक से
ग- वयस्क
घ- बालिकाओं से
उत्तर- वयस्क से ।
प्रश्न- 3 - प्रौढ़ शिक्षा का नाम समाज शिक्षा कब से पड़ा।
क- 1956
ख- 1949
ग- 1947
घ- 1952
उत्तर -1949
प्रश्न 3 -सामाजिक शिक्षा का उद्देश्य है।
क- शिक्षा प्रमाण पत्र देना
ख- साक्षरता प्रदान करना
ग- जीवन उपयोगी ज्ञान देना
घ- मनोरंजन देना
उत्तर जीवन उपयोगी ज्ञान देना
प्रश्न 4- राष्ट्रीय प्रौढ़ शिक्षा संस्थान की स्थापना कब हुई।
क- 1951
ख- 1961
ग- 1981
घ- 1991
उत्तर- 1991
निश्चित उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 समाज शिक्षा के दो साधन लिखिए।
उत्तर - पत्र-पत्रिका ,चलचित्र!
प्रश्न 2 -सामाजिक दक्षता का शैक्षिक उद्देश्य किसने दिया है।
उत्तर- केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड ने।
प्रश्न 3 सामाजिक शिक्षा का प्रमुख कार्यक्रम क्या है।
उत्तर वयस्कों में साक्षरता का प्रचार करना
2. स्वस्थ विज्ञान के नियमों की शिक्षा देना।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 - प्रौढ़ शिक्षा के चार उद्देश्य बताइए।
अथवा
राष्ट्रीय प्रौढ़ शिक्षा संस्थान के मुख्य लक्षण क्या है।
उत्तर समाजिक की भावना विकसित करना
सामाजिकता की भावना विकसित करना
अधिकार और कर्तव्यों का ज्ञान करना
जिओ कारपोरेशन के योग्य बनाना
मनोरंजन का अवसर प्रदान करना।
प्रश्न 2 - सामाजिक शिक्षा की समस्याओं के समाधान हेतु किन्हीं दो सुझावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर प्रौढ़ शिक्षा का समुचित प्रबंध किया जाए।
प्रौढ़ शिक्षा का समुचित पाठ्यक्रम बनाया जाए।
प्रश्न 3- भारत में निरक्षरता दूर करने के लिए किस प्रकार की शिक्षा की आवश्यकता है।
उत्तर भारत में चढ़ता दूर करने के लिए प्रौढ़ शिक्षा की आवश्यकता है। इसके लिए निम्न सुझाव है।
देश के उन समस्त बच्चों के लिए 5 वर्ष की सार्वभौमिक शिक्षा व्यवस्था की जाए जिनकी आयु 6 से 11 वर्ष के बीच है उन समस्त निरीक्षण स्त्री पुरुषों के लिए अल्पकालीन एवं व्यवसायिक शिक्षा व्यवस्था की जानी चाहिए सभी गांवों में ग्राम सेविका नियुक्ति की जानी चाहिए उनका कार्यक्रम में स्त्रियों का सौरक्षण बनाना हो।
प्रश्न 6- सामाजिक शिक्षा की उपयोगिता की विवेचना कीजिए
उत्तर 1 आर्थिक उन्नति के लिए आशिंक्षित व्यक्ति प्रायः अकुशल कार्यकर्ता होता है! जिससे उसकी आर्थिक प्रगति ठीक ढंग से नहीं हो पाती है! समाज में जब इस प्रकार के अकुशल एवं निर्धन व्यक्तियों की संख्या अधिक होती है तो देश की भी आर्थिक उन्नति नहीं हो सकती!
2 अवकाश के समय का सदुपयोग करने के लिए व्यक्ति चाहे वह शिक्षित हो या अशिक्षित सभी के पास अवकाश के लिए समय होता है! यदि अवकाश के इस समय का सदुपयोग करने के लिए उसके पास मनोरंजन के साधन या अन्य कोई रुचि कर ना हो तो उनका मस्तिष्क खाली रहता है! और अनेक प्रकार के निर्धारक विचार उत्पन्न होते हैं! कहा गया है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है! प्रौढ़ शिक्षा खाली समय के सदुपयोग का एक अच्छा साधन एवं उपाय है!
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 भारत में सामाजिक शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालिए!
उत्तर भारत में सामाजिक शिक्षा अत्यधिक आवश्यक एवं महत्वपूर्ण मानी जाती है! सर्वप्रथम भारत में आज भी निरक्षरता की दर ऊंची है, इस स्थिति में निरीक्षण और स्त्री पुरुषों को साक्षर बनाने के लिए सामाजिक शिक्षा अत्यधिक आवश्यक एवं महत्वपूर्ण है! इसके अतिरिक्त जन स्वास्थ्य से संबंधित आवश्यक जानकारी प्रदान करने के लिए भी सामाजिक शिक्षा महत्वपूर्ण है प्रौढ़ व्यक्तियों को दैनिक जीवन के लिए आवश्यक ज्ञान एवं जानकारी प्रदान करने की दृष्टि गौर से भी सामाजिक शिक्षा महत्वपूर्ण है वर्तमान वैज्ञानिक एवं तकनीकी युग में प्रौढ़ व्यक्तियों को व्यवसायिक औद्योगिक एवं कृषि के क्षेत्र में होने वाले नित् नवीन आविष्कारों की जानकारी प्रदान करने के लिए भी सामाजिक शिक्षा आवश्यक है! वास्तव में शिक्षित माता-पिता ही अपने बच्चों को शिक्षित बनाने में अधिक रुचि लेते हैं तथा अवश्य प्रयास भी करते हैं! इस दृष्टिकोण से भी भारत में सामाजिक शिक्षा आवश्यक एवं महत्वपूर्ण है!
प्रश्न 2 - प्रौढ़ शिक्षा के मार्ग में क्या बाधाएं हैं उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है?
अथवा
भारतवर्ष में प्रौढों के लिए शिक्षा प्रसार में क्या-क्या बाधाएं हैं? बाधाओं को दूर करने के सुझाव दीजिए!
उत्तर सरकार प्रौढ़ शिक्षा के प्रसार के लिए सतत प्रयत्नशील है किंतु उसकी प्रगति में निम्नलिखित बाधाएं हैं
1 प्रशिक्षित अध्यापकों की कमी
2 आर्थिक संकट
3 नियमित अवकाश की कमी
4 प्रौढों में साहित्य की कमी
5 शारीरिक कार की अधिकता
6 साधनों की कमी
7 पाठ शालाओं का दूर होना
8 सरकारी कर्मचारियों की उदासीनता
9 मुकदमे बाजी
10 छुआछूत
कठिनाइयों का निराकरण
उपर्युक्त कठिनाइयों का निराकरण तभी हो सकता है जब निम्नलिखित उपाय अपनाए जाएं
1 एक बड़े पैमाने पर प्रौढ़ शिक्षा की व्यवस्था की जाए शिक्षित समाज का प्रत्येक व्यक्ति उस में भाग ले का सिद्धांत कार्य निवंत किया जाए!
2 गांव के निकट प्रौढ़ शिक्षा लियों की व्यवस्था की जाए!
3 प्रौढ़ शिक्षा के लिए प्रयुक्त पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाये
4 इसके लिए अध्यापकों को प्रशिक्षित करने का कार्य भी बड़े पैमाने पर किया जाए प्रशिक्षित केंद्र खोले जाएं और अधिक संख्या में अभ्यर्थी भर्ती किए जाएं
5 प्रयोग तो शिक्षण विधियों को अपनाया जाए!
इंसाफ उपायों द्वारा भारत में शिक्षा का प्रसार अधिक विस्तृत रूप से किया जा सकता है इसके लिए भारत के प्रत्येक शिक्षित और समझदार नागरिक को प्रयत्नशील हो जाना चाहिए!
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 - प्रौढ़ शिक्षा या सामाजिक शिक्षा से आप क्या समझते हैं? उसके उद्देश्य क्या क्या है!
अथवा
राष्ट्रीय प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए!
उत्तर स्वतंत्रता के पूर्व हमारी शिक्षा की व्यवस्था अंग्रेजों के स्वार्थ के अनुसार हुई थी! तब शिक्षा का उद्देश्य दि्भाषी से बालकों का उत्पादन करना था! अस्तू शिक्षा की व्यवस्था समाज के ऊपरी स्तर के लोगों के लिए ही थी देश की जनता शिक्षा के विचार से पूर्णरूपेण अपेक्षित रही!
समाज शिक्षा (प्रौढ़ शिक्षा) का अर्थ - 1949 ई० तक निरक्षर वास्को की शिक्षा प्राप्त शिक्षा के नाम से ही जानी जाती रही किंतु इस वर्ष जनवरी में इलाहाबाद में होने वाले केंद्रीय शिक्षा इलाहकार बोर्ड के 15 में अधिवेशन में पूर्ण शिक्षा के प्रति नवीन दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया और उसके स्थान पर समाज शिक्षा नाम का प्रयोग होना अधिक उचित समझा जाने लगा समाज शिक्षा की प्रमुख परिभाषा इस प्रकार हैं
मौलाना आजाद के शब्दों में समाज से अच्छा वह है जो प्रौढों को ना केवल अक्षर ज्ञान सिखाती है वरन उनकी पूर्ण विकास पर लक्ष्य करती है!
प्रौढ़ शिक्षा (सामाजिक - शिक्षा) के उद्देश्य
समाज शिक्षा केंद्र में निम्नलिखित तो देश माने गए हैं
1 सामाजिकता की भावना का विकास - हार मनुष्य समाज का अंग है! वह समाज में भली-भांति तभी रह सकता है! जब वह समाज के विभिन्न अंगों से संबंधित स्थापित कर ले समाज शिक्षा द्वारा प्रौढों में सामूहिक रूप से कार्य करने की भावना उत्पन्न की जाती है! उनमें एक दूसरे के प्रति प्रेम अनुभूति श्रद्धा आदर के भाव उत्पन्न करना तथा सहयोग से रहने और कार्य करने का प्रशिक्षण देना समाज शिक्षा का अंग है!
2 देश विदेश से परिचय करनाकरना - विभिन्न देशों के समाचार समाज शिक्षा द्वारा लोगों को मिलते रहते हैं इस प्रकार अन्य देशों के लोगों से संबंधित समस्याओं की जानकारी इन्हें कराई जाती है!
3 राष्ट्रीय साधनों का सदुपयोग - समाज शिक्षा का उद्देश्य भारत वासियों में देश के प्रति प्रेम उत्पन्न करना तथा उन्हें भारत के सीमित संसाधनों का भली-भांति उपयोग करना सिखाना है!
4 अपने हेयर आयल का ज्ञान करना - समाज शिक्षा द्वारा भारतीय नागरिकों को एक संयोग बनाना है! कि वे अपना हित अहित समझने लगे और उसी के अनुसार कार्य करें!
5 अधिकार और कर्तव्यों का ज्ञान कराना - इस शिक्षा द्वारा लोगों को अपने अधिकारों और कर्तव्यों का ज्ञान हो जाता है और वे आदर्श नागरिक बनते हैं!
6 ज्ञान प्रसार - नागरिकों को पढ़ने लिखने व समान्य कोटि का आवश्यक ज्ञान कराकर दैनिक जीवन की सामान्य समस्याओं को हल करने के योग बनाना!
7 संस्कृति के प्रति गौरव की भावना जागृत करना देशवासियों को अपने इतिहास भूगोल व संस्कृति का ज्ञान कराकर देश के सांस्कृतिक गौरव के प्रति उनके हृदय में आदर के भाव उत्पन्न करना भी समाज शिक्षा का उपदेश है!
सामाजिक शिक्षा की आवश्यकता
भारत में जहां 73.0% जनता साक्षर है वहां सामाजिक शिक्षा की बहुत जरूरत है निम्नलिखित दृष्टियो से इसकी आवश्यकता बताई जाती है!
1 सामाजिक और राष्ट्रीय भावना के विकास के लिए!
2 सामान्य और तकनीकी ज्ञान के विस्तार के लिए!
3 समय के सदुपयोग और अधिक धन कमाने के लिए!
4 स्व नागरिकता के विकास के विचार से!
5 संस्कृति के नैतिक और मनोरंजन कारी क्रियाओं को करने
के विचार से!
प्रश्न 2 - सामाजिक शिक्षा या प्रौढ़ शिक्षा के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए?
उत्तर भारत सरकार ने समाज शिक्षा के संबंध में निम्नलिखित कार्यक्रम प्रस्तुत किया है-
1 वास्को में साक्षरता का प्रसार - समाज शिक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत पहली बात है वयस्कों में साक्षरता का प्रसार करना अर्थात अधिक से अधिक वयस्कों को पढ़ने और लिखने के योग बनाने का प्रयत्न करना!
2 स्वास्थ्य विज्ञान के नियमों की शिक्षा - वयस्कों के स्वास्थ्य के संबंध में अनेक बातें बताई जाए उन्हें शरीर विज्ञान का ज्ञान कराया जाए और बीमारी के फैलने के कारण और रोकने के उपाय भी बताए जाए इस प्रकार जनसाधारण के स्वास्थ्य में उन्नति की जा सकती है!
3 व्यवसायिक व औद्योगिक शिक्षा की व्यवस्था - समाज शिक्षा के कार्यक्रम में तीसरी बात है भारत के निर्धन नागरिकों को इस योग्य बनाना कि वे अधिक धन कमा सकें और अपनी आर्थिक स्थिति मैं सुधार ला सके और इसके लिए उन्हें व्यवसायिक और औद्योगिक शिक्षा देने की व्यवस्था की गई है!
4 नागरिकता की भावना का विकास करना - समाज शिक्षा द्वारा देशवासियों में आदर्श नागरिकता की भावना का विकास करने का प्रयत्न किया जा रहा है! उन्हें अपने अधिकारों और कर्तव्यों का ज्ञान कराकर अपने स्वार्थ से ऊपर उठने की प्रेरणा दी जाती है! और उनमें अपने पड़ोसियों और अपने देशवासियों के प्रति भातृत्व किया जाता है!
5 मनोरंजन के साधनों की व्यवस्था साथ ही प्रमाणों को अवकाश के समय को उचित ढंग से बताने की भी शिक्षा दी जाती है! उनके लिए मनोरंजन के अनेक साधनों का प्रबंध किया जाताl
Writer by - sandhya kushwaha
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