UP board live solution class 10th social science unit 3 लोकतांत्रिक राजनीति-2 (नागरिक शास्त्र) chapter- 5 जन- संघर्ष और आंदोलन
UP board class 10th social science full solution
इकाई 3 लोकतांत्रिक राजनीति -2 (नागरिक शास्त्र)
अध्याय 5 जन- संघर्ष और आंदोलन
बहुविकल्पीय प्रश्न-
प्रश्न -1 लोकतंत्र की जड़ें किस प्रकार मजबूत होती हैं?
(क) परस्पर सामंजस्य द्वारा
(ख) जन- विरोधी गतिविधियों द्वारा
(ग) जन- आंदोलन द्वारा
(घ) धरना प्रदर्शन द्वारा
उत्तर- (ग) जन- आंदोलनों द्वारा
प्रश्न -2 नर्मदा बचाओ आंदोलन किससे संबंधित है?
(क) सतलुज बांध
(ख) हीराकुंड बांध
(ग) नागार्जुन बांध
(घ) सरदार सरोवर बांध
उत्तर- (घ) सरदार सरोवर बांध
प्रश्न-3 नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना हुई-
(क) 2005 में
(ख) 2006 में
(ग) 2008 में
(घ) 2015 में
उत्तर-(ग) 2008 में
प्रश्न- 4 आंदोलन जनता की --------- भागीदारी पर निर्भर होते हैं।
(क) दबाव- समूह
(ख) बंद हड़ताल
(ग) विरोध
(घ) स्वत: स्फूर्त
उत्तर-(क) दबाव- समूह
प्रश्न-5 दबाव- समूह सरकारी नीतियों को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
(क) संगठन द्वारा
(ख) एकजुटता द्वारा
(ग) नियंत्रण द्वारा
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (ख) एकजुटता द्वारा
अति लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न-1 नेपाल की राजधानी कौन -सी है?
उत्तर- नेपाल की राजधानी काठमांडू है।
प्रश्न-2 बहुराष्ट्रीय कंपनी ने जल मूल्य कितना बढ़ा दिया?
उत्तर- बहुराष्ट्रीय कंपनी ने जल मूल में 4 गुना वृद्धि कर दी।
प्रश्न-3 सन् 2006 में बोलिविया में किसे सत्ता प्राप्त हुई?
उत्तर- सन 2006 में बोलिविया में "सोशलिस्ट पार्टी" को सत्ता प्राप्त हुई।
प्रश्न-4 भारत के 2 पड़ोसी देशों के नाम बताइए।
उत्तर- श्रीलंका और नेपाल
प्रश्न-5 एस. पी. ए. से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- संसद की सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने मिलकर एक सप्तदलीय गठबंधन एस.पी.ए. तैयार किया। एस.पी.ए.( सेवेन पार्टी अलायंस) सप्तदलीय गठबंधन है।
लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न-1 "नर्मदा बचाओ" आंदोलन क्या है?
उत्तर- भारत में नर्मदा बचाओ आंदोलन एक विशिष्ट मुद्दे को लेकर किया गया आंदोलन है। इस आंदोलन का उद्देश्य नर्मदा नदी पर बांध बनाने को रोकना था। शनै: शनै: इस आंदोलन का रूप व्यापक होता गया।
प्रश्न-2 वर्ग विशेषी हित -समूह क्या है?
उत्तर- किसी एक वर्ग के विशेष वर्ग के हित में दबाव बनाने वाले समूह को वर्ग विशेष की हित समूह कहते हैं। वर्ग विशेषी हित समूह भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं का निर्वाह करते हैं।
प्रश्न-3 समान नागरिक संहिता में किस प्रकार की भागीदारी करते हैं?
उत्तर- समान नागरिक विवेकपूर्ण निर्णय लेकर मतदान कर सत्ता में जागरूक भागीदारी कर सकते हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न-1 नेपाल का लोकतंत्र के लिए दूसरा आंदोलन क्या था?
या
नेपाल में लोकतंत्र शासन कैसे प्रारंभ हुआ संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर- नेपाल भारत के उत्तर में बसा एक छोटा देश है। यहां पर 1990 के दशक में लोकतंत्र की स्थापना हुई। किंतु नेपाल नरेश पूर्व की भांति ही राज्य का मुखिया बना रहा, जब सत्ता संचालन जन प्रतिनिधियों द्वारा ही हो रहा था। इस प्रकार की प्रक्रिया जो अत्यधिक राजतंत्र से संवैधानिक राजतंत्र के उक्त संक्रमण परिस्थितियों को तत्कालीन राजा वीरेंद्र ने स्वीकार कर लिया था, किंतु इस शाही परिवार के एक रहस्यमय हत्याकांड के अंतर्गत राजा वीरेंद्र की हत्या कर दी गई। नेपाल के नए नरेश ज्ञानेंद्र लोकतांत्रिक शासन के विरुद्ध थे। उन्होंने लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार की अलोकप्रियता का लाभ उठाया। उन्होंने फरवरी 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री को अपदस्थ करके जनता द्वारा निर्वाचित सरकार को भंग कर दिया। यह संवैधानिक प्रक्रिया के विरोध में अप्रैल 2006 में एक व्यापक जन आंदोलन हुआ, जिसका उद्देश्य सत्ता शासन राजा के हाथ से जनता को हस्तांतरित करना था। संसद की सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने मिलकर एक सप्तदलीय गठबंधन (सेवन पार्टी अलायंस) तैयार किया। अनेक सामाजिक राजनीति संगठन भी इनके साथ जुड़ गए। इसके अतिरिक्त बागी माओवादियों का भी इस आंदोलन को पूर्ण समर्थन प्राप्त हुआ। जनता कर्फ्यू का उल्लंघन कर सड़कों पर उतर आई। इतने बड़े जन विरोध के समक्ष सुरक्षाबलों ने घुटने टेक दिए। नेपाल नरेश ने कुछ सुविधाएं देने का वादा किया, किंतु आंदोलनकारी अपनी संविधान सभा तथा इस प्रकार संसद को पुनर्जीवित करने की मांग पर अडिग रहें। अंततः 24 अप्रैल 2006 को नेपाल नरेश ने तीनों भागों को जैन बाधित होकर मान लिया। एस पी ए ने गिरिराज प्रसाद कोइराला को अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री के रूप में चयन किया। इस प्रकार संसद का स्वरूप पुनः लोकतांत्रिक हो गया। तत्पश्चात s.p.a. तथा माओवादियों के मध्य आम सहमति से में संविधान सभा का निर्माण हुआ। 2008 में राजतंत्र को समाप्त करने पर संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया।
प्रश्न-2 दबाव -समूह और आंदोलन राजनीति को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
उत्तर- मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, हमारी प्रत्येक गतिविधियों का समाज पर प्रभाव पड़ता है। हमारे द्वारा किए गए सामूहिक क्रियाकलाप यदि एक संगठन अथवा गतिविधि का रूप लेते हैं, तो उनका व्यापक रूप आंदोलन अथवा दबाव -समूह बन जाता है। इस प्रकार के समूह राजनीति को अनेक प्रकार से प्रभावित करते हैं-
1- आंदोलन तथा दबाव समूह अपने लक्ष्य प्राप्ति एवं संबंधित गतिविधियों के लिए जनमानस का समर्थन तथा सहानुभूति प्राप्त करने हेतु भरसक प्रयत्न करते हैं। इस प्रकार के समूह जनसंचार माध्यमों को भी प्रभावित करने की चेष्टा करते हैं, जिससे कि संचार माध्यमों द्वारा उनके आंदोलनों को अधिक लोकप्रियता प्राप्त हो सके।
2- दबाव समूह अधिकतर हड़ताल ,धरना ,प्रदर्शन तथा सरकारी कार्यों को बाधित करने के प्रयासों का आश्रय लेते हैं।
3- व्यापारी वर्ग अधिकृत व्यवसायिक "लाबिस्ट" नियुक्त करते हैं अथवा बहुमूल्य विज्ञापनों को प्रायोजित करते हैं। दबाव समूह अथवा आंदोलनकारी समूह के कुछ व्यक्ति प्रशासन के परामर्श समितियों तथा अधिकारी निकायों में प्रतिभाग ता करते हैं।
4- यद्यपि दबाव -समूह तथा जन- आंदोलन दलीय राजनीति में प्रत्यक्ष रूप से प्रतिभागी नहीं होते किंतु राजनीतिक दलों को वह प्रभावित करना चाहते हैं। किस प्रकार के समूह किसी राजनीतिक दल से संबंधित नहीं होते, किंतु उनका भी एक राजनीतिक पक्ष नहीं होता, एक विचारधारा होती है। आता है अनेक रूपों में दबाव- समूह तथा राजनीति एक- दूसरे को प्रभावित करते हैं।
5- अनेक कारणों से तो दबाव समूह का जन्म ही राजनीतिक दलों द्वारा होता है तथा कुछ दबाव समूह राजनीतिक दल की एक शाखा के रूप में ही कार्यरत हैं।
प्रश्न- 3 आंदोलन तथा दबाव समूह के प्रभाव किस प्रकार सकारात्मक होते हैं?
उत्तर- जन -आंदोलन के विषय अधिक सकारात्मक होते हैं। प्रथम दृष्टव्य के आधार पर तो ऐसा आभास होता है कि किसी एक वर्ग के हितों की रक्षा करने वाले दबाव समूह लोकतंत्र के लिए हितकर हैं। लोकतंत्र के अंतर्गत किसी एक वर्ग की नहीं अपितु सभी हितों की सुरक्षा होनी चाहिए अथवा ऐसा भी प्रतीत हो सकता है कि इस प्रकार के लोग सत्ता का उपयोग तो करना चाहते हैं, किंतु उत्तरदायित्व की भावना से बचना भी चाहते हैं। चुनावी काल में सभी राजनीतिक दलों को जनता का सामना करना पड़ता है लेकिन इस प्रकार के समूह जनता के प्रति उत्तरदाई नहीं होते। संभव है कि दबाव समूह को जनसमर्थन तथा धन अर्जन की सुविधा प्राप्त ना हो लेकिन यह समूह अपने प्रभावपूर्ण विचारों के बल पर सत्तारूढ़ दल का तथा जनमानस का दृष्टिकोण परिवर्तित करने में सफल हो जाते हैं, किंतु यदि कुछ संतुलित दृष्टिकोण अपनाएं तो स्पष्ट होगा कि जड़े और अधिक सुदृढ़ हुई है। प्रशासन के ऊपर दबाव डालना कोई गतिविधि नहीं अपितु लोकतांत्रिक प्रक्रिया के आधार पर एक सर्वमान्य अधिकार है। सामान्यता प्रशासन धनिक वर्ग तथा शक्तिशाली वर्ग के प्रभाव में आ जाता है। ऐसी स्थिति में जनसाधारण के हितों से संबंधित आंदोलन, दबाव समूह इस अनुचित दबाव के प्रतिकार में उपयोगी भूमिका का निर्वाह करते हैं तथा जनसाधारण की समस्याओं तथा आवश्यकताओं से सरकार को परिचित कराते हैं। इस प्रकार उनकी भूमिका सकारात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है।
Written by- Bandana Kushwaha
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