CG Board August assignment 2021 class 12 व्यवसाय अध्ययन

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CG Board August assignment 2021 class 12 व्यवसाय अध्ययन

CG Board August assignment 2021 class 12 व्यवसाय अध्ययन |cgbse 12th व्यवसाय अध्ययन  Assignment 2021 answer


छत्तीसगढ़ बोर्ड असाइनमेंट कक्षा बारहवीं व्यवसाय अध्ययन फुल सलूशन सितंबर माह 2021-22

नमस्कार दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम आपको बताने वाले हैं। छत्तीसगढ़ बोर्ड माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा कक्षा 10वीं और 12वीं के असाइनमेंट जारी कर दिए गए हैं तो दोस्तों उसमें से कक्षा बारहवीं व्यवसाय अध्ययन का फुल सलूशन इस पोस्ट में हम आपको बताने वाले हैं

छत्तीसगढ़ बोर्ड असाइनमेंट कक्षा बारहवीं व्यवसाय अध्ययन फुल सलूशन सितंबर माह 2021-22

छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल


कक्षा- बारहवीं असाइनमेंट

विषय -व्यवसायिक अध्ययन


प्रश्न क्रमांक 1 का उत्तर

1. नियोजन= प्रबंध का सबसे महत्वपूर्ण व प्राथमिक कार्य नियोजन करना है नियोजन के अंतर्गत किसी कार्य को किस प्रकार किस व्यक्ति से कहां पर किस विधि से कितने दिन में पूरा करता है इसकी रूपरेखा तैयार कर ली जाती है ताकि निर्धारित अवधि में लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके इस हेतु पूर्ण अनुमान लगाया जाता है।


2. संगठन-प्रबंध का दूसरा महत्व कार्य चिंता संगठन के कोई कार्य है बिना संगठन की कोई भी प्रबंध जीवित नहीं रह सकता मानव व मशीन का सामूहिक प्रयास जो पूर्व निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कार्य करता है संगठन कहलाता है संगठन दो या अधिक व्यक्तियों का समूह होता है।


3. संचालन - संचालन प्रबंध का तीसरा महत्वपूर्ण कार्य है इसे निर्देशन या नेतृत्व भी कहा जाता है प्रबंध मस्तिष्क की भांति होता है प्रयास का कार्य संपूर्ण व्यवसाय उपयोग को संचालित करना होता है वह अन्य कर्मचारियों को आवश्यक कार्य करने हेतु निर्देश देने का काम करता है क्योंकि कार्य योजना प्रबंध द्वारा तैयार की जाती है।

संचालन या निर्देश में निम्नलिखित क्रियाओं का होना आवश्यक है -


1.प्रबंधक संबंधी समस्याओं पर आवश्यक निर्णय लेना

2. अधीन में कर्मचारियों का मार्ग प्रशस्त करता।

3. अधीनस्थों की कार्य प्रगति का वर्ण विक्षेपण करना।

4. वांछित कार्य करने हेतु प्रेरित करना।


CG Board August assignment 2021 class 12 व्यवसाय अध्ययन

प्रश्न क्रमांक 2 का उत्तर-

 1.प्रबंध की तीन विशेषताएं - विभिन्न विद्वानों ने प्रबंध को एक प्रक्रिया की संज्ञा दी है प्रबंध एक ऐसी प्रक्रिया है जो चलती ही रहती है इसलिए इसे निरंतर प्रक्रिया भी कहा जाता है।

2. प्रबंध एक समूह है - समूह शब्द के बिना प्रबंध की बात करना मूर्खता होगी क्योंकि प्रबंध दो या दो से अधिक व्यक्तियों का समूह है प्रबंध की सफलता समूह के प्रयासों से ही संभव है प्रबंध है स्वामी प्रबंधक कहलाता है प्रबंध के विकास में प्रबंधक अकेला कुछ भी नहीं कर सकता उसे लक्ष्य प्राप्ति हेतु एक समूह का सहयोग लेना आवश्यक होता है।


3. प्रबंधक सार्वभौमिक - प्रबंध घर में स्कूल में संगठन में धार्मिक व्यवसाय संस्थानों के व्यवसाय में उद्योग में व्यापार में कार्यालयों में परिवहन में सभी जगह व्याप्त है अतः यह सार्वभौमिक होता है जो सभी जगह व्याप्त है प्रबंध के बिना किसी भी क्षेत्र में किसी भी स्थान में कार्य विधि क्रमवार हुआ पूर्ण उद्देश्य अनुसार संपन्न नहीं किया जा सकता।


CG Board August assignment 2021 class 12 व्यवसाय अध्ययन


प्रश्न क्रमांक 3 का उत्तर

टेलर एवं क्रियोल के प्रबंध सिद्धांतों में अंतरटेलर का अध्ययन केंद्र में किया जबकि क्रियोल का अध्ययन केंद्र प्रबंध था।


टेलर के सिद्धांत वैज्ञानिक प्रबंध के सिद्धांत है जबकि क्रियोल के सिद्धांत प्रशासन के सिद्धांत माने जाते हैं।टेलर का प्रयोग बिंदु करवाना था जबकि क्रियोल का सिद्धांत प्रशासन प्रयोग बिंदु उच्च का शासन थावर्तमान में केरल के सिद्धांत व्यवहार में दिखाई नहीं पढ़ते जबकि क्रियोल के सिद्धांत आज भी अनेक उपक्रमों में भाग किए गए हैं।


प्रश्न क्रमांक 4 का उत्तर -

प्रबंध की पांच महत्व - 

1. लागत में कमी करने के लिए - प्रतिस्पर्धा में सफल होकर आगे बढ़ने का एक ही रास्ता है लागत में कमी करना इस हेतु लागत को कम करने के विभिन्न उपायों को ढूंढ जाता है यह कार्य अच्छा प्रबंध भी कर सकता है लागत में कमी हो किंतु वस्तु की उपयोगित्ता में गिरावट नहीं आनी चाहिए।


2. उत्पादन के साधनों का सदुपयोग करने के लिए - उत्पादन के विभिन्न साधन जैसे श्रम पूंजी माल मशीन आदि का सदुपयोग करने के लिए प्रबंध का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि दूर सभी साधनों का उपयोग कैसे किया जाए इसका निर्देशन भी बंद ही करता है।


3. शोध एवं अनुसाधन के लिए - वर्तमान प्रगतिशील व्यवसायिक एवं औद्योगिक की जगत में शोध एवं अनुसाधन के बिना कोई व्यवस्था आगे नहीं बढ़ सकती क्योंकि उत्पादन एवं वितरण की कोई नई तकनीक दिनोंदिन विकसित हो रही है।


4. व्यक्तियों के विकास के लिए - प्रबंध से व्यक्तियों को प्रशिक्षण के माध्यम से अनंत कार्य की तकनीकी सिखाई जाती है जिससे व्यक्ति अपना विकास स्वयं करना है प्रबंध के प्रयासों से नई-नई वस्तुओं का निर्माण किया जाता है जिससे मनुष्य का विकास होता है प्रबंध व्यक्तियों का विकास है ना की वस्तुओं का निर्देशन"।


5. रोजगार में वृद्धि के लिए - ब्रह्मांड की कार्य हेतु भारी मात्रा में कर्मचारियों एवं विशेष को की आवश्यकता पड़ती है अतः उचित प्रबंध की सफलता के लिए कर्मचारियों को कार्य पर लगाया जाता है प्रबंध द्वारा ही रोजगार के नए नए साधनों की खोज की जाती है इस प्रकार रोजगार के साधनों में वृद्धि के लिए भी प्रबंध का विशेष महत्व है।


प्रश्न क्रमांक 5 का उत्तर 

हेनरी फयोल द्वारा प्रतिपादित प्रबंध के पांच सिद्धांत

1. श्रम विभाजन का सिद्धांत - विशिष्ट ई करण के आधार पर श्रम विभाजन करना एक अच्छे प्रबंध की आवश्यकता है क्योंकि किसी भी अकरम में सामान क्षमता वाले कर्मचारी नहीं होते हैं अतः कर्मचारी व मजदूरों को उनकी कार्य क्षमता के अनुरूप कार्य का युक्तिसंगत विभाजन करना चाहिए इस हेतु श्रमिकों को विभिन्न वर्गों में वर्गीकृत करना चाहिए इस सिद्धांत का पालन करने से कर्मचारियों की कार्य क्षमता में वृद्धि होती है।

2. अनुशासन का सिद्धांत - जहां अनुशासन नहीं वहां कुछ नहीं आता श्रेष्ठ कार्य एवं परिणामों की आशा वही करनी चाहिए जहां अनुशासन हो इस हेतु आवश्यक नियम कानून हुआ दंड का स्पष्ट बंद होना चाहिए सभी स्तरों पर परिक्षेपण अच्छा होना चाहिए।

3. आदेश की एकता का सिद्धांत - इस सिद्धांत के अंतर्गत कर्मचारियों को आदेश एक ही अधिकारी से मिलना चाहिए क्योंकि अनेक अधिकारियों के आदेश भी अलग-अलग होंगे ऐसी दशा में कर्मचारी के आदेश का पालन करें यह दुविधा की स्थिति होती है अतः प्रत्येक कर्मचारी को चाहे वह किसी भी स्तर का क्यों ना हो आदेश एक ही अधिकारी से मिलना चाहिए।


4. व्यवस्था का सिद्धांत - यह सिद्धांत बताता है कि सामग्री मशीन व कर्मचारी सभी के लिए एक निश्चित व्यवस्था होनी चाहिए प्रत्येक सामग्री कहां से प्राप्त होगी कौन देगा और जार कहां रहेगा उसे कब कौन संचालित करेगा कौन कर्मचारी किस स्थान पर कार्य करेगा आदि की एक निश्चित व्यवस्था होनी चाहिए इससे सभी पक्ष को कार्य करने में सरलता व सुविधा हो जाती है विद्यार्थियों को भी चाहिए कि वे अपने घर पर काफी पुस्तक व अन्य सामग्री की उचित व्यवस्था रखें।


5. अधिकार एवं दायित्व का सिद्धांत - अधिकार एवं दायित्व का गाड़ी के दो पहियों के समान है अर्थात अधिकारियों को दायित्व तथा अधिकारों के अनुरूप होना चाहिए अर्थात जो व्यक्ति दायित्व स्वीकार करें उसे अधिकार आवश्यक देना चाहिए जिससे वह अधिकारियों द्वारा श्रेष्ठ कार्य करवा सके।


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