CG board September Assignment-2 class-12th political science solutions 2021-22 /कक्षा -12वीं राजनीति विज्ञान असाइनमेंट -2 सलूशन
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CG board September Assignment-2 class-12th political science solutions 2021-22 |
छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल रायपुर
शैक्षणिक सत्र 2021- 22 माह सितंबर
असाइनमेंट-02
कक्षा- बारहवीं
विषय- राजनीति विज्ञान
प्रश्न-1 अमेरिकी वर्चस्व से की राह में कौन-कौन से व्यवधान हैं? आपके अनुसार इसमें से कौन- सा व्यवधान आगामी दिनों में सबसे महत्वपूर्ण साबित होगा।
उत्तर- इतिहास बताता है कि साम्राज्य का पतन उनकी अंदरूनी कमजोरियों के कारण होता है ठीक इसी तरह अमेरिकी वर्चस्व की सबसे बड़ी बाधा खुद उसके वर्चस्व के भीतर मौजूद है अमेरिकी शक्ति की राह में तीन और अवरोध सामने आए हैं।
अमेरिका की संस्थागत बनावट: पहला व्यवधान स्वयं अमेरिका की संस्थागत बुनावट है यहां शासन के तीन अंग हैं तथा तीनों के बीच शक्ति का बंटवारा है और यही बनावट कार्यपालिका द्वारा सैन्य शक्तियों के बेलगाम इस्तेमाल पर अंकुश लगाने का काम करती हैं। उदाहरण के लिए अमेरिका में 9 / 11 की आतंकवादी घटना के बाद विधान पालिका कांग्रेस ने राष्ट्रपति को आतंकवाद से लड़ने के लिए सभी प्रकार के कदम उठाने की स्वीकृति दे दी परंतु अब यहां अमेरिका जनमत को देखते हुए कांग्रेस ने इराक युद्ध एवं उस पर आगे सैन्य खर्च को बढ़ाने के पक्ष में नहीं है ।इस बात से यह स्पष्ट है कि अमेरिकी शासन का आंतरिक ढांचा अमेरिकी राष्ट्रपति के निर्णय के रास्ते में एक व्यवधान के रूप में कार्य करता है।
जनमत: अमेरिकी वर्चस्व में दूसरी सबसे बड़ी अड़चन भी अंदरूनी है इस अड़चन के पक्ष में है अमेरिकी समाज जो अपनी प्रकृति में उन्मुक्त है ।अमेरिका में संचार के साधन समय-समय पर वहां के जनमत को एक खास दिशा में मोड़ने की भले कोशिश करें लेकिन अमरीकी राजनीतिक संस्कृति में शासन के उद्देश्य और तरीके को लेकर गहरे संदेह का भाव भरा है अमेरिका के विदेशी सैन्य अभियानों पर अंकुश रखने में यह बात बड़ी कारगर निभाती है।
जैसे अमेरिका इराक युद्ध और उसके बाद अमेरिकी सैनिकों के निरंतर होती मौतों के कारण वहां की जनता निरंतर इराक से अपनी फौजों को वापस बुलाने की मांग कर रही है ।जिसका प्रभाव यह है कि अमेरिकी प्रशासन की कठोर एवं निरंकुश सैन्य कार्रवाई जनमत को देखते हुए नियंत्रण किया हुआ है।
नाटो : अमेरिकी ताकत की राह में मौजूदा तीसरा व्यवधान सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में आज सिर्फ एक संगठन है जो संभवत अमेरिकी ताकत पर लगाम कस सकता है ।और इस संगठन का नाम है नाटो अर्थात उत्तर अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन स्पष्ट ही अमेरिका का बहुत बड़ा हिट लोकतांत्रिक देशों के इस संगठन को कायम रखने से जुड़ा है क्योंकि इन देशों में बाजार मुल्क अर्थव्यवस्था चलती है। इसी कारण इस बात की संभावना बनती है कि नाटो में शामिल अमेरिका के साथी देश उसके वर्चस्व पर कुछ अंकुश लगा सकें।
प्रश्न-2 11 सितंबर 2001 को संयुक्त राज्य अमेरिका पर आतंकवादी हमला क्यों हुआ? इस पर अमेरिका की प्रतिक्रिया क्या थी।
उत्तर- 1- बिल क्लिंटन के राष्ट्रपति काल में अनेक सैनिक कार्रवाई हुई एक बड़ी सैनिक कार्यवाही नैरोबी केन्या और दारे सलाम तंजानिया के अमरीकी दूतावासों पर बमबारी के जवाब में 1998 में हुए अतिवादी इस्लामी विचारों से प्रभावित आतंकवादी संगठन अलकायदा को इस बमबारी का जिम्मेदार ठहराया गया ।इस बमबारी के कुछ दिनों के अंदर राष्ट्रपति क्लिंटन ने ऑपरेशन इनफाइनाइट रीच का आदेश दिया। इस अभियान के अंतर्गत अमरीका ने सूडान और अफगानिस्तान के अलकायदा के ठिकानों पर कई बार कुछ मिसाइल से हमले किए अमेरिका ने अपनी इस कार्यवाही के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की अनुमति लेने या इस सिलसिले में अंतरराष्ट्रीय कानूनों की परवाह नहीं की ।अमेरिका पर आरोप लगा कि उसने अपने इस अभियान में कुछ नागरिक ठिकानों पर भी निशाना साधा जबकि इनका आतंकवाद से कोई लेना-देना नहीं था पीछे मुड़कर अब देखने पर लगता है कि यह तो एक शुरुआत भर थी।
2- 9/11 के जवाब में अमेरिका ने फांरी कदम उठाए और भयंकर कार्रवाई की अब क्लिंटन की जगह रिपब्लिकन पार्टी के जज डब्लू बुश राष्ट्रपति थे ।यह पूर्ववर्ती राष्ट्रपति एचडब्ल्यू बुश के पुत्र थे क्लिंटन के विपरीत उसने अमेरिकी हितों को लेकर कठोर रवैया अपनाया और इन हितों को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए।
3- आतंकवाद के विरुद्ध विश्वव्यापी युद्ध के अंग रूप में अमेरिका ने ऑपरेशन एड्यूरिंग फ्रीडम चलाया यह अभियान उन सभी के खिलाफ चला जिन पर 9 / 11 का शक था। इस अभियान में मुख्य निशाना अलकायदा और अफगानिस्तान के तालिबान शासन को बनाया गया तालिबान शासन के पांव जल्दी ही उखड़ गए ।लेकिन तालिबान और अलकायदा के अवशेष आदि सक्रिय हैं। 9/11 की घटना के बाद से अब तक इसकी तरफ से पश्चिमी मुल्कों में कई जगहों पर हमले हुए हैं इससे इनकी सक्रियता की बात स्पष्ट हो जाती है।
4- अमेरिकी सेना ने पूरे विश्व में गिरफ्तारीयों को अक्सर गिरफ्तार लोगों के बारे में उनकी सरकार को जानकारी नहीं दी गई ।गिरफ्तार लोगों को अलग-अलग देशों में भेजा गया और उन्हें खुफिया जेल खानों में बंदी बनाकर रखा गया। क्यूबा के निकट अमेरिकी नौसेना का एक ठिकाना खाता नामी में है कुछ बंदियों को वहां रखा गया इस जगह रखे गए बंदियों में ना तो अंतरराष्ट्रीय कानून की सुरक्षा प्राप्त है और ना ही अपने देश या अमेरिका के कानूनों की संयुक्त राष्ट्र से प्रतिनिधियों तक कोइ बंदिओं से मिलने की अनुमति नहीं दी गई है।
प्रश्न-3 श्रीलंका के तमिल समस्या के समाधान के लिए भारत के योगदान को लिखिए।
उत्तर- श्रीलंका की जनसंख्या का लगभग 18 परसेंट भाग भारतीय मूल के तमिल हैं। जो श्रीलंका के उत्तरी और पूर्वी प्रांतों में बसे हुए हैं श्रीलंका के स्वतंत्रता के बाद बहुसंख्यक सिंहलियों ने धर्म और भाषा के आधार पर एक नए राज्य के निर्माण के प्रयास शुरू किए जिसका स्वाभाविक रूप से तमिलों ने विरोध किया श्रीलंका सरकार ने सिंहलियों के लिए नौकरी तथा शिक्षण संस्थाओं आदि में सुविधाओं की व्यवस्था की जबकि तमिलों को इससे बंधित रखा। सरकार की तमिलों के प्रति भेदभाव तथा उपेक्षा की नीति ने तमिल को संगठित किया 1983 में तमिल उग्रवादियों ने तमिल लिबरेशन टाइगर्स नामक संगठन बनाया ।इस संगठन में हिंसात्मक कार्यवाही प्रारंभ कर दी और सरकार से सीधे संघर्ष की ठान ली ।1991 में चुनाव प्रचार के दौरान तमिल उग्रवादियों ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री राजीव गांधी की हत्या कर दी ।धीरे-धीरे श्रीलंका में जातीय संघर्ष तेज होने लगा और विस्फोटक तथा व्यापक हत्याएं की जाने लगी ।भारत और श्रीलंका में इस जातीय संघर्ष के लिए काफी प्रयास किए गए लेकिन सफलता प्राप्त नहीं हुई। सितंबर 2002 में नार्वे की मध्यस्था से श्रीलंका में जातीय संघर्ष समाप्त करने के प्रयास प्रारंभ किए गए मई 2009 में श्रीलंका के राष्ट्रपति राजपाक्षे ने सैनिक कार्यवाही में लिपटे के प्रमुख प्रभाकरण के मारे जाने की घोषणा की इससे श्रीलंका में दो दशक से चला आ रहा खूनी संघर्ष समाप्त होने की आशा जगी।
प्रश्न-4 दक्षिण एशियाई देशों की समान समस्याओं का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर- दक्षिण एशिया में विश्व की 21% आबादी रहती है लेकिन यहां विश्व की मात्र 3% भूमि है ।इतना ही नहीं दक्षिण एशिया के एक बड़े हिस्से को लगभग 200 वर्षों तक औपनिवेशिक शोषण सहना पड़ा। इस कारण यहां सभी लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करना एक बड़ी चुनौती है लेकिन व्यापक स्तर की सामाजिक आर्थिक विषमता और इससे जुड़ी नीतिगत विसंगतियों के कारण इस चुनौती का सामना मजबूती से नहीं हो पाया है।
दक्षिण एशिया में गरीबी भूख और कुपोषण समस्याएं बहुत बड़े पैमाने पर मौजूद हैं सबसे बड़ी प्राथमिकता इन समस्याओं को दूर करने को मिलनी चाहिए। लेकिन तरह तरह के तनाव आतंकवाद की घटनाओं और युद्ध की संभावना संपन्न होने के कारण जो वास्तविक लड़ाई भूख और गरीबी के विरुद्ध आगे बढ़ने चाहिए वह पीछे रह जाती है।
दक्षिण एशिया मानव विकास रिपोर्ट ने इन देशों में हथियारों पर होने वाले खर्च और विकास कार्यों पर होने वाले खर्च का तुलनात्मक अध्ययन किया है इस आकलन के अनुसार कई बड़े और विध्वंसक हथियारों की कीमत में कई अहम बुनियादी जरूरतों पर होने वाला खर्च आसानी से निकल सकता है।
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