RBSE Class -12th Hindi Paper 6 April 2022 Download Now |कक्षा 12वीं हिन्दी पेपर सलूशन

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RBSE Class -12th Hindi Paper 6 April 2022 Download Now |कक्षा 12वीं हिन्दी पेपर सलूशन

RBSE Class -12th Hindi Paper 6 April 2022 Download Now |कक्षा 12वीं हिन्दी पेपर सलूशन

RBSE -12th Hindi paper 2022-


हेलो दोस्तों राजस्थान बोर्ड द्वारा कक्षा -12वीं की वार्षिक परीक्षा 2022 का टाइम टेबल जारी कर दिया गया है इसमें RBSE बोर्ड ने स्पष्ट कर दिया है कि कक्षा 12वीं के वार्षिक परीक्षा पेपर 31 मार्च 2022 से 26 अप्रैल 2022 तक कांटेक्ट कराए जाएंगे

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको राजस्थान बोर्ड के कक्षा दसवीं के क्वेश्चन पेपर डाउनलोड किस प्रकार कर सकते हैं आप लोगों को बताएंगे तो आप लोगों को इस पोस्ट को जरूर पढ़ना है और अपने दोस्तों में भी शेयर करना है|


RBSE -12th Hindi paper 2022-

राजस्थान माध्यमिक परीक्षा 2022 पेपर

विषय - हिन्दी

समय 2:30 घंटे 

पुणांक 80


परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश


वस्तुनिष्ठ प्रश्न


प्रश्न -1 फिराक की रुबाइयो में हिंदी का एक घरेलू रूप दिखता है। फिराक की रुबाइयो में भाषा का यह रूप हिंदी के किस कवि की समानता रखता है?

1- कबीर

2- रहीम

3- बिहारी

4- सूरदास


उत्तर- सूरदास


प्रश्न -2 'चांद का टुकड़ा' वाक्य किसके लिए आया है?

1- मां के लिए

2- पुत्र के लिए

3- भाई के लिए

4- बहन के लिए


उत्तर- पुत्र के लिए


प्रश्न -3 यो रूपवती मुखड़े पै इक नर्म दमक यह पधांश धाम से किसके लिए आत्मा है?

1- मां के लिए

2- बच्चे के लिए

3- घर के लिए

4- बहन के लिए


उत्तर- मां के लिए


प्रश्न -4 देख आईने में चांद उतर आया है' पंक्ति में मां बच्चों को आईने में किसका प्रतिबिंब दिखाती है?

1- चांद का

2- बालक का

3- मां का

4- चांद और बालक का


उत्तर- चांद का


प्रश्न -5 मां बच्चे को आईने में चांद का प्रतिबिंब दिखाती है, क्योंकि…….

1- बच्चा चांद लेने की जिद करता है।

2- बच्चा खिलौना लेने की जिद करता है।

3- बच्चा आईना लेने की जिद करता है।

4- बच्चा स्वयं को आईने में देखना चाहता है।


उत्तर- बच्चा चांद लेने की जिद करता है।


एक पंक्ति शब्दों के प्रश्न उत्तर-


प्रश्न-1 फिराक गोरखपुरी का मूल नाम क्या है?

उत्तर रघुपति सहाय 'फिराक'।


प्रश्न-2 फिराक गोरखपुरी का जन्म कब और कहां हुआ था?

उत्तर- 28 अगस्त, 1896 ई०. को गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) में ।


प्रश्न- 3 फिराक गोरखपुरी उर्दू शायरों की किस परंपरा को तोड़ा था?

उत्तर- उर्दू शायरी में लोकजीवन और प्रकृति के पक्ष बहुत ही कम मिलते हैं। फिराक गोरखपुरी ने इस परंपरा को तोड़ा अथवा अपनी शायरियों में लोग जीवन और प्रकृति चित्रण को स्थान दिया।


प्रश्न- 4 'प्रकृति, मौसम और भौतिक जगत के सौंदर्य को शायरी का विषय मानते हुए यह वाक्य के दिव्य ताप भौतिकता से पृथक वस्तु नहीं है। जिसे हम भौतिक कहते हैं यही दिव्य भी है।' उपर्युक्त वाक्य किसने कहे हैं? 


उत्तर- फिराक गोरखपुरी ने।


प्रश्न- 5 फिराक की रुबाइयो में भाषा के किस रूप का अनूठा गठबंधन दिखाई देता है?


उत्तर- लोकभाषा का।


प्रश्न- 6 रुबाई क्या है?

उत्तर- 'रुबाई' उर्दू और फारसी का एक छंद या लेखन शैली है जिसमें चार पंक्तियां होती हैं। इसकी पहली, दूसरी चौथी पंक्ति में तोक (काफिया) मिलाया जाता है तथा तीसरी पंक्ति स्वच्छंद होती है।


प्रश्न- 7 मेरा पर्दा खोले है या अपना पर्दा खोले हैं' पंक्ति में कवि क्या कहना चाहता है?


उत्तर- कभी कहना चाहता है कि जो लोग दूसरों की बुराई करते हैं या दूसरों में कमियां निकालते हैं वे वास्तव में दूसरों का आहित ना करके स्वयं के असली रूप या स्वयं के बुरे विचारों को प्रकट कर रहे होते हैं।


लघुत्तरात्मक प्रश्न उत्तर -


प्रश्न-1 आंगन के लिए चांद के टुकड़ों को खड़ी हाथों से झुलाती है।, उपयुक्त पंक्ति से कवि का क्या आशय है?



उत्तर- उपर्युक्त पंक्ति में कवि फिराक गोरखपुरी माता का अपने बच्चों के प्रति सहयोग वात्सल का सजीव चित्रण करते हैं बच्चे को चांद के टुकड़ों की उपमा देकर वात्सल को और अधिक बढ़ा दिया है। वह बच्चे को आंगन में खड़ी अपने हाथों पर बुला रही है, ऐसा लगता है कि आकाश का चांद उसकी आंगन में उतर आया हो काव्य पंक्तियों में वात्सल्य रस का सुंदर चित्रण हुआ है।


प्रश्न-2 किस्मत हमको रो लेवे हैं हम किस्मत को लेवे हैं पंक्ति का भावार्थ स्पष्ट करो।


उत्तर- उपर्युक्त काव्य पंक्तियों में कवि ने अपनी किस्मत का दुर्भाग्यपूर्ण चित्रण किया है। कवि कह रहा है कि उसका भाग साथ नहीं दे रहा है। इसलिए कवि को अपने दुर्भाग्य पर रोना आता है कभी अपने दुर्भाग्य पर सहानुभूति पूर्वक बह रहा है।


प्रश्न- 3 फिराक गोरखपुरी की रुबाई और गजलों की शैलीगत विशेषताएं लिखो।


उत्तर- फिराक गोरखपुरी में अपनी रुबाई और गजलों में हिंदी उर्दू और लोक भाषा के अनूठे गठबंधन को पिरोया है। अपनी गजलों और रुबाईयो में सामान्य ग्रामीण बोलप्लस की शब्दावली का प्रयोग किया है। गोरखपुरी की भाषा में संवेदना और पोशाक वन मिलाजुला स्वरूप दिखाई देता है। साथ ही उपमा रूपक उत्प्रेक्षा और मानवीकरण जैसा अलंकारों का प्रयोग भी अपनी गजलों और रुबाईयो में किया है परंपरागत भाष बोध और शब्द भंडार का उपयोग करते हुए नवीन भाषा में नवीन विषयों को जोड़ा है। हिंदी और उर्दू का मिलाजुला स्वरूप फिराक आपकी रचनाओं में मिलता है।


प्रश्न- 4 उसको उतना ही पाते हैं खुद को जितना खोलें है पंक्ति से कवि का क्या आशय है?


उत्तर- कवि फ़िराक़ ने उपर्युक्त बहष्य पंक्ति में 'उसको' शब्द कई अर्थों में लिया है। उसको शब्द एक अर्थ में तो अपने प्रिय के प्रति वेद हस्त प्रेम को दर्शाया है कभी कहता है कि स्वयं को खोकर और समर्पित करके ही हम प्रिय के प्रेम बने प्राप्त कर सकते हैं। दूसरी तरफ कभी मनुष्य के आगे पढ़ने और रहस्य प्राप्त करने की ओर भी संकेत करता है यह कहता है कि लक्ष्य भी उतना ही जल्दी प्राप्त होता है जितना आप लक्ष्य के प्रति त्याग और समर्पण की भावना रखते हैं।


प्रश्न- 5 'शथ'मैं सन्नाटे कुछ बोले हैं से कवि का क्या आशय है?


उत्तर- शथ में सन्नाटे कुछ बोले हैं यह कहकर कवि ने प्रकृति के जड़ पदार्थों को भी चेतन स्वरूप बना दिया है कवि कहता है कि रात में अंधेरे की खामोशी भी मनुष्य को कुछ संदेश देती है हमें इसको भी सुनने और समझने का प्रयास करना चाहिए प्रकृति का प्रत्येक जड़ पदार्थ भी हमारे लिए प्रेरणा हो सकता है यदि हम उसकी तरफ ध्यान दें तो कवि फ्रांक का कहने का उद्देश्य यह है कि हमें जड़ पदार्थों को भी उतना ही महत्व देना चाहिए जितना हम चेतना पदार्थों को देते हैं।


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