किसी खेल का आँखों देखा वर्णन पर निबंध / Kisi match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay in hindi

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किसी खेल का आँखों देखा वर्णन पर निबंध / Kisi match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay in hindi

किसी खेल का आँखों देखा वर्णन पर निबंध / Kisi match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay in hindi


किसी खेल का आँखों देखा वर्णन पर निबंध / Kisi match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay in hindi



किसी खेल का आँखों देखा वर्णन पर निबंध , Kisi match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay in hindi


किसी खेल का आँखों देखा वर्णन

 

या 


क्रिकेट मैच का आँखों देखा हाल


(2019)


रूपरेखा—(1) प्रस्तावना, (2) हमारे विद्यालय का क्रिकेट मैच, (3) खेल के मैदान की व्यवस्था, (4) मैच का आरम्भ, (5) भोजनावकाश के बाद का खेल, (6) पुरस्कार-वितरण, (7) उपसंहार।


प्रस्तावना – व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए शिक्षा और भोजन ही पर्याप्त नहीं हैं, वरन् इनके लिए खेलकूद भी परमावश्यक है। खेल जहाँ एक ओर मनोरंजन करते हैं, वहीं दूसरी ओर इनसे खिलाड़ियों में अनुशासन और परस्पर सद्भाव भी जाग्रत होता है। मानव के विकास में खेलों के महत्त्व को समझते हुए उनको प्रोत्साहित करने की दृष्टि से अनेक क्रीड़ा प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। आज का व्यक्ति गम्भीर और जटिल होता चला जा रहा है। उसे पुनः बालकों की भाँति उत्साही, साहसी व खुशमिजाज बनने के लिए खेलों की ओर मुड़ना चाहिए। आज सभी वैज्ञानिक और स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि जो स्फूर्ति खेलों से प्राप्त हो सकती है, वह किसो ओषधि से नहीं।


हमारे विद्यालय का क्रिकेट मैच- प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष भी नवम्बर मास में हमारे विद्यालय में अन्य खेलों के साथ-साथ क्रिकेट का आयोजन हुआ। इसमें हमारे विद्यालय की क्रिकेट टीम का मुकाबला स्थानीय एस० एस० डी० कॉलेज की क्रिकेट टीम से हुआ। हमारे विद्यालय एस० डी० इण्टर कॉलेज की क्रिकेट टीम नगर की अन्य टीमों की तुलना में बहुत सुदृढ़ है। हमारे बल्लेबाज और गेंदबाज दोनों ही कुशल हैं तथा उनका क्षेत्ररक्षण बहुत चुस्त है। दूसरी टीम भी बहुत सुदृढ़ थी। खेल का आयोजन हमारे ही विद्यालय के मैदान में हुआ, जो नगर के मध्य में स्थित है। दोनों टोमों का मुकाबला बहुत रोमांचक रहा, जिसकी याद मन-मस्तिष्क में सदा ताजा रहेगी। 


खेल के मैदान की व्यवस्था-यह मैच 50-50 ओवरों का था। खेल 9 बजे शुरू होना था। दोनों विद्यालय के छात्र और बहुत बड़ी संख्या में स्थानीय दर्शक वहाँ पर एकत्रित हो चुके थे। मैं तो समय से पहले ही वहाँ पहुँच गया था। खेल के आयोजन की सुन्दर व्यवस्था थी। जिला विद्यालय निरीक्षक इस मैच के मुख्य अतिथि थे। मैदान में सफेद चूने से रेखाएँ खींची हुई थी। मैदान के चारों ओर दर्शकों के बैठने की व्यवस्था थी। कुछ ही देर में दोनों टीमों के कप्तान भी आये। सिक्का उछालकर टॉस हुआ। हमारे विद्यालय के कप्तान ने टॉस जीता और पहले दूसरी टीम को बल्लेबाजी करने के लिए आमन्त्रित किया।


मैच का आरम्भ—खेल शुरू हुआ। हमारी टीम के तेज गेंदबाज ने खेल को पहली गेंद फेंकी। बल्लेबाज जल्दबाजी कर बैठा और गेंद उसके बल्ले का बाहरी कोना लेते हुए विकेट-कीपर के हाथों में जा पहुँची। इस तरह हमारी टीम को पहली सफलता मिली। अगला खिलाड़ी बल्लेबाजी के लिए आया। दोनों ने बहुत तालमेल के साथ दूसरे विकेट की साझेदारी में 120 रन बनाये, जिनमें दस चौके और चार शानदार छक्के सम्मिलित थे। हमारे कप्तान के पसीने छूट रहे थे। कप्तान ने अब गेंद फिरकी गेंदबाजों को सौंपी। उन्होंने इतनी सटीक गेंदबाजी की कि बल्लेबाजों के साथ 'तू चल मैं आता हूँ' की कहावत चरितार्थ हो गयी। एक के बाद एक बल्लेबाज आउट होते चले गए। अभी बयालिस ओवर ही फेंके गये थे कि सारी टीम मात्र 204 रनों पर सिमट गयी।


भोजनावकाश के बाद का खेल- भोजन से निवृत्त होते ही एस० एस० डी० कॉलेज के खिलाड़ी मैदान में पहुँच गये। हमारी टीम के प्रारम्भिक बल्लेबाज मैदान पर पहुंचे और खेल आरम्भ हो गया। हमारे दोनों प्रारम्भिक बल्लेबाजों ने बहुत सूझ-बूझ और गति के साथ स्कोर को 80 तक पहुंचा दिया। पन्द्रह ओवर का खेल हो चुका था। दूसरी टीम के कप्तान ने अब स्वयं गेंद सँभाली और अपने क्षेत्ररक्षक चारों ओर फैला दिये। उसने बल्लेबाजों को खुलकर खेलने के लिए ललचाया। पहली ही गेंद पर चौका लगा। अगली गेंद बल्लेबाज को चकमा दे गयी। आरम्भिक जोड़ी टूट गयीं। गेंदबाजों के हौसले बढ़े और उन्होंने जल्दी-जल्दी चार विकेट ले लिये। शेष 25 ओवरों में 90 रन बनाने थे और छह विकेट हाथ में थे। कोई मुश्किल लक्ष्य नहीं था, लेकिन कहते हैं कि क्रिकेट की हर गेंद निर्णायक हो सकती है। अब दो ओवर का खेल शेष था और जीत के लिए दस रन बनाये जाने थे। दोनों बल्लेबाजों ने आपसी तालमेल से विकेट के बीच दौड़ते हुए 1-1 रन लेना शुरू किया और पाँच रन बना लिये। क्षेत्ररक्षकों को करीब बुलाकर विपक्षी टीम के कप्तान ने उन्हें इस तरह रन बनाने से रोकना चाहा, लेकिन सभी बल्लेबाज ने स्थिति को समझते हुए गेंद को ऊपर हवा में उछाल दिया। गेंद सीमा-रेखा से बाहर हो गयी और हमारी टीम ने मैच में रोमांचक विजय प्राप्त की।


पुरस्कार वितरण— खेल की समाप्ति पर मुख्य अतिथि ने पुरस्कार वितरण किये। हमारी टीम के प्रारम्भिक बल्लेबाज को 'मैन ऑफ द मैच' घोषित किया गया और टीम के कप्तान को विजेता शील्ड प्रदान की गयी। इस प्रकार यह क्रिकेट प्रतियोगिता सम्पन्न हुई, जिसके रोमांचक क्षण आज भी मेरी स्मृति में ताजा बने हुए हैं।


उपसंहार - हम देख रहे हैं कि एशियन एवं ओलम्पिक खेलों की पदक तालिका में भारतवर्ष पिछड़ता जा रहा है। यह दयनीय स्थिति है। जनसंख्या में चीन के पश्चात् दूसरा स्थान रखने वाला, कभी हॉकी में स्वर्ण पदक विजेता रहा भारत आज कहीं नहीं जम पा रहा है और आजादी के छः दशक बाद भी खेलों के क्षेत्र में उसे निराशा ही हाथ लग रही है। 


दुःख की बात है कि हम हर क्षेत्र में 'पिछड़े' होने के प्रभाव से अभी तक मुक्त नहीं हो पाये हैं। इस स्थिति से उबरने के लिए हमें खिलाड़ियों के उचित प्रशिक्षण, निष्पक्ष चयन व ईमानदार चयनकर्त्ताओं की अति आवश्यकता है।

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