p-Block Elements Class 12th ncert notes Chemistry Chapter 7 // p- ब्लॉक के तत्व
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कक्षा 12वी रसायन विज्ञान अध्याय 07 p ब्लॉक के तत्व – III
p-Block Elements Class 12th ncert notes Chemistry Chapter 7 , p- ब्लॉक के तत्व,
समूह -17 के तत्व
(हैलोजन परिवार)
आवर्त सारणी के दीर्घ रूप के वर्ग-17 में फ्लुओरीन (₉F), क्लोरीन (₁₇CI), ब्रोमीन (₃₅Br), आयोडीन (₅₃I) तथा (₈₅At) तत्व सम्मिलित हैं। इन्हें हैलोजन भी कहते हैं। हैलोजन सर्वाधिक क्रियाशील अधातुएँ हैं।
हैलोजनों के सामान्य लक्षण
वर्ग-17 के तत्वों के सामान्य गुणधर्म निम्नलिखित हैं
(i) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास हैलोजनों के बाह्य कोश का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns² np⁵होता है तथा इनके भीतर के कोश पूर्ण भरे हुए रहते हैं।
(ii) भौतिक अवस्था F₂ से I₂ तक आकार में वृद्धि के साथ वाण्डरवाल्स बलों में वृद्धि होने के कारण अवस्था, गैस से ठोस में परिवर्तित होती जाती है। अतः फ्लुओरीन तथा क्लोरीन गैस अवस्था में, ब्रोमीन द्रव अवस्था में तथा आयोडीन ठोस अवस्था में पायी जाती हैं।
(iii) विद्युतऋणात्मकता ज्ञात तत्वों में फ्लुओरीन (F) की विद्युतऋणात्मकता सबसे उच्च अर्थात् 4 होती है। वर्ग में नीचे जाने पर विद्युतऋणात्मकता घटती जाती है।
(iv) इलेक्ट्रॉन बन्धुता सभी ज्ञात तत्वों में क्लोरीन की इलेक्ट्रॉन बन्धुता सबसे उच्च होती है।
फ्लुओरीन की इलेक्ट्रॉन बन्धुता क्लोरीन से कम होती है, क्योंकि फ्लुओरीन के अपेक्षाकृत छोटे आकार के कारण 2p-कक्षकों में प्रबल इलेक्ट्रॉनिक प्रतिकर्षण होते हैं, फलस्वरूप आने वाला इलेक्ट्रॉन ज्यादा आकर्षण अनुभव नहीं करता है।
इलेक्ट्रॉन बन्धुता क्लोरीन से आयोडीन तक क्रमशः घटती है।
हैलोजन F CI Br I
इलेक्ट्रॉन बन्धुता (eV) 3.45 3.61 3.36 3.06
Cl>F> Br> I
(v) ऑक्सीकरण अवस्था सामान्यत: हैलोजन-1 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते हैं। सदैव -1 दर्शाता है, जबकि अन्य हैलोजन रिक्त d-कक्षक की उपलब्धता के कारण +1 +3 + 5 तथा +7 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते हैं।
(v) ऑक्सीकारक गुण अधिक विद्युतऋणात्मक होने के कारण हैलोजन परमाणु एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके सरलता से अपचयित हो जाते हैं, इस कारण सभी हैलोजन प्रबल ऑक्सीकारकों की भाँति कार्य करते हैं। अतः ऑक्सीकारक गुण का क्रम निम्न होता है।
F₂ > Cl₂ > Br₂ >I₂
फलस्वरूप फ्लुओरीन सबसे प्रबलतम ऑक्सीकारक तथा आयोडीन दुर्बलतम ऑक्सीकारक है।
(vi) रंग समूह में नीचे की ओर जाने पर तत्वों का रंग गहरा होता जाता है।
हैलोजन फ्लुओरीन आयोडीन
रंग हल्का पीला बैंगनी
हैलोजन तत्वों के रंगीन होने का कारण यह है कि इनके बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉन दृश्य क्षेत्र में विकिरणों का अवशोषण करके उत्तेजित होकर उच्च ऊर्जा। स्तर में चले जाते हैं। विकिरण के भिन्न-भिन्न क्वाण्टम अवशोषित करने के कारण ये भिन्न-भिन्न रंग प्रदर्शित करते हैं।
नोट जल में आयोडीन अल्प विलेय है, जबकि पोटैशियम आयोडाइड के विलयन में यह पूर्ण विलेय होती है, क्योंकि यह पोटैशियम आयोडाइड के विलयन में घुलकर गहरे रंग का पोटैशियम ट्राइआयोडाइड (KI₃) संकर यौगिक बनाती है।
KI आधिक्य + I₂ ⇔KI₃ संकर यौगिक
समूह-17 के तत्वों के रासायनिक गुणधर्म
(i) हाइड्रोजन हैलाइड हैलोजन तत्व, हाइड्रोजन के साथ अभिक्रिया करके हाइड्रोजन हैलाइड (HX) बनाते हैं। इनकी अम्लीय क्षमता HF से HI तक बढ़ती है। HF के अणुओं के मध्य हाइड्रोजन आबन्ध पाया जाता है, जिसके कारण ये परस्पर जुड़कर बृहद् अणु का निर्माण करते हैं। अतः ये द्रव अवस्था में रहते हैं। लेकिन HCI में हाइड्रोजन आबन्ध बनाने की क्षमता नहीं होती है। अतः यह गैसीय अवस्था में उपस्थित रहता है।
(ii) ऑक्साइड हैलोजन, ऑक्सीजन से संयोग करके विभिन्न प्रकार के ऑक्साइड निर्मित करते हैं। फ्लुओरीन के ऑक्साइड (OF₂तथा O₂F₂) ऑक्सीजन फ्लुओरोइड कहलाते हैं, क्योंकि F की विद्युतॠणात्मकता O से अधिक है। CI, Br तथा। की अपने ऑक्साइडों में ऑक्सीकरण अवस्था +1 से +7 तक होती है।
जैसे- CI₂O, CI₂O₃, CIO₂. Cl₂O₆, Cl₂O₇, आदि।
(II) ऑक्सी- अम्ल हैलोजन निम्न प्रकार के ऑक्सी अम्ल बनाती हैं
(a) हाइपोहैलस अम्ल (HXO)
(b) हैलस अम्ल (HXO₂)
(c) हैलिक अम्ल (HXO₃)
(d) परहैलिक अम्ल (HXO₄ )
किसी हैलोजन के ऑक्सी-अम्लों की अम्लीयता, हैलोजन की ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि के साथ बढ़ती है।
HCIO< HCIO₂ < HCIO₃< HCIO₄ (अम्लीय गुण)
अतः ऋणायनों की क्षारकता में वृद्धि का क्रम निम्न होता है
CIO₄ <CIO₃ <CIO₂< CIO- (क्षारीयता का गुण)
(iv) अन्तरा-हैलोजन यौगिक हैलोजन परमाणुओं की विद्युतॠणात्मकता में अन्तर होने के कारण हैलोजन परस्पर संयोग करके अन्तरा-हैलोजन यौगिक बनाते हैं। इनका सामान्य सूत्र ABₙहोता है, जहाँ A बड़े आकार वाला हैलोजन है। ये विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे- AB₁ AB₃, AB₅तथा AB₇अन्तरा - हैलोजन यौगिक हैलोजनों की अपेक्षा अधिक क्रियाशील होते हैं। (फ्लुओरीन के अतिरिक्त)
क्लोरीन
ग्रीक भाषा में क्लोरीन का अर्थ हरित-पीला होता है.
क्लोरीन बनाने की विधियाँ
(ᵢ) प्रबल ऑक्सीकारकों, जैसे-MnO₂. KMnO₄, K₂cr₂O₇ की HCI से अभिक्रिया कराने पर CI₂ का निर्माण होता है। (प्रयोगशाला विधि)
गर्म
MnO₂ + 4HCI → MnCl₂ + 2H₂O + Cl₂ सान्द्र क्लोरीन
2KMnO₄ +16HCI → 2KCI + 2MnCl₂+ 8H₂O + 5Cl₂
(ii) ब्लीचिंग पाउडर पर HC या H₂SO₄ की क्रिया द्वारा
CaOCl₂ + H₂SO₄ → CaSO₄ + H₂O + Cl₂
(ᵢᵢᵢ) डीकन विधि (औद्योगिक विधि)
CuCl₂(उत्प्रेरक) 450°C
4HCI + O₂ → 2H20+ 2Cl₂
गुणधर्म
(i) ऑक्सीकारक गुण क्लोरीन एक प्रबल ऑक्सीकारक है। इसका ऑक्सीकारक गुण नमी की उपस्थिति में होता है।
Cl₂+ H₂O → HOCI+HCI
HOCI → [O] + HCI
ऑक्सीकारक होने के कारण क्लोरीन, सोडियम सल्फाइट विलयन को सोडियम सल्फेट में तथा आयोडीन को आयोडिक अम्ल में ऑक्सीकृत कर देती है।
Na₂SO₃ + Cl₂ + H₂O → Na₂SO₄ + 2HCI
I₂+6H₂0+ 5Cl₂ → 2HIO₃ + 10HCI
(ii) NaOH से क्रिया
2NaOH+Cl₂ → NaCl + NaOCI + H₂O
16 NaOH + 3Cl₂ → NaClO₃ + 5NaCl + 3H₂O
ब्रोमीन या आयोडीन भी समान अभिक्रिया दर्शाते हैं।
(iii) विरंजक गुण क्लोरीन एक प्रबल विरंजक है।
Cl₂+ H₂O → 2HCI +[O]
रंगीन पदार्थ + [O] → रंगहीन पदार्थ
क्लोरीन, नमी की उपस्थिति में पदार्थों को विरंजित करती है। इसका विरंजक गुण इसकी ऑक्सीकारक प्रवृत्ति के कारण होता है।
(iv) क्लोरीन जल क्लोरीन का जलीय विलयन 'क्लोरीन जल' कहलाता है। क्लोरीन जल की क्रिया, पोटैशियम आयोडाइड-स्टार्च विलयन से कराने पर क्लोरीन, आयोडीन को विस्थापित कर देती है। इस कारण विलयन का रंग नीला- बैंगनी हो जाता है।
Cl₂ + 2KI → 2KCI + I₂ ↑
क्लोरीन जल बैंगनी
(v) CI- का परीक्षण एक शुष्क परखनली में थोड़ा-सा लवण लेकर उसमें सान्द्र H₂SO₄ मिलाकर गर्म करने पर तीक्ष्ण गन्ध वाली रंगहीन HCI गैस निकलती है।
2NaCl + H₂SO₄ → Na₂SO₄+ 2HCI
उपयोग
(i) पेयजल शुद्धिकरण में कीटाणुनाशक के रूप में।
(ii) रंजक, औषधि व विस्फोटक बनाने में।
(iii) काष्ठ लुग्दी, कपास और वस्त्रों के विरंजन में।
हाइड्रोजन क्लोराइड
हाइड्रोजन क्लोराइड का निर्माण निम्नलिखित विधियों द्वारा किया जाता है
प्रयोगशाला विधि
प्रयोगशाला में हाइड्रोजन क्लोराइड गैस का निर्माण सोडियम क्लोराइड तथा सान्द्र H₂SO₄ को एक साथ गर्म करके किया जाता है।
NaCl + H₂SO₄ → NaHSO₄ + HCI
NaHSO₄+ NaCl → Na₂SO₄ + HCI
अन्य विधियाँ
हाइड्रोजन क्लोराइड का निर्माण निम्न अन्य विधियों द्वारा भी किया जा सकता है
(i) संश्लेषण विधि
सूर्य का प्रकाश
H₂+ Cl₂ → 2HCI
(ii) जल की क्लोरीन से अभिक्रिया द्वारा
2H₂0 + 2Cl₂ → 4HCI ↑ + O₂↑
(iii) H₂S से क्लोरीन की अभिक्रिया द्वारा
H₂S + Cl₂ → 2HCI+S↓
(iv) ऐलुमिनियम, फॉस्फोरस, आदि के क्लोराइड से जल की अभिक्रिया द्वारा
AICI₃ + 3H₂O → AI(OH)₃ + 3HCI
PCI₅ + 3H₂O →H₃PO₃ + 3HCI
उपरोक्त विधियों से प्राप्त HCI गैस को जल में विलेय करने पर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल बनता है।
गुणधर्म
(i) अम्लीय प्रकृति शुष्क HCI गैस नीले लिटमस पर कोई प्रभाव नहीं डालती है, परन्तु नम अवस्था में यह नीले लिटमस को लाल कर देती है। यह गैस जल के साथ हाइड्रोनियम आयन बनाती है, अतः यह अम्लीय गुण दर्शाती है।
HCl(g) +H₂O(/) → H₃O+ (aq) + Cl-(aq) हाइड्रोनियन आयन
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एक प्रबल एकक्षारकीय अम्ल है।
(ii) दहन यह न तो स्वयं जलती है और न ही जलाने में सहायक होती है।
(iii) ऊष्मीय वियोजन यह गैस 1500°C से उच्च ताप पर H₂ और Cl₂में वियोजित हो जाती है।
1500°C
2HCI → H₂ + Cl₂
(iv) अमोनिया से क्रिया यह अमोनिया से क्रिया करके NH₄CI के श्वेत धूम्र देता है।
NH3 + HCI → NH₄CI
(v) धातुओं से क्रिया
Zn + 2HCI → ZnCl₂ + H₂ कॉपर, मर्करी, सिल्वर, गोल्ड, प्लेटिनम, आदि धातुएँ हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया नहीं करती हैं।
(vi) सोडियम से अभिक्रिया
2Na + 2HCI → 2NaCl + H₂ ↑
सोडियम क्लोराइड
(vii) ऑक्साइडों तथा हाइड्रॉक्साइडों से क्रिया
MgO+ 2HCI → MgCl₂ + H₂O
NaOH + HCl → NaCl + H₂O
(viii) कार्बोनेटों और बाइकार्बोनेटों से क्रिया
Na₂CO₃+ 2HCI → 2NaCl + H₂O + CO₂
NaHCO₂ + 2HCI→ NaCl + H₂O + CO₂
(ix) सल्फाइडों से क्रिया
Na₂S+2HCI → 2NaCl + H₂S
(x) सल्फाइटों तथा बाइसल्फाइटों से क्रिया
Na₂SO₃ + 2HCI → 2NaCl + H2O +SO₂
NaHSO₃ + HCI → NaCl + H2O + SO₂
(xi)नाइट्रेटों से क्रिया
AgNO₃ + HCI → AgCI↓ + HNO₃
AgCI + 2NH₄OH → [Ag(NH₃)₂ ]CI+2H₂0
(xii) लेड नाइट्रेट से अभिक्रिया
Pb(NO₃)₂+ 2HCI → PbCl₂ + 2HNO₃
(सफेद अवक्षेप)
(xiii) ऐसीटेट से HCI अम्ल की क्रिया द्वारा सफेद अवक्षेप बनता है।
(CH₃COO)₂Pb + 2HCI → PbCl₂ + 2CH₃COOH
(xiv) प्रबल ऑक्सीकारकों जैसे—
KMnO₄ ,K₂Cr₂O₇, MnO₂ और PbO₂से क्रिया द्वारा क्लोरीन गैस देता है।
2KMnO₄ + 16HCI → 2KCI + 2MnCl₂ + 8H₂O + 5Cl₂
K₂Cr₂O₇ + 14HCI → 2KCI + 2CrCl₃ + 7H₂O + 3Cl₂
(xv) नाइट्रिक अम्ल से अभिक्रिया
3HCI + HNO₃ → NOCI+ 2[CI] + 2H₂O
Au+ 3 [CI] → AuCl₃
Pt+ 4[CI] → PtCI₄
HCI के परीक्षण
(i) हाइड्रोक्लोरिक गैस या अम्ल अमोनिया गैस के साथ अमोनियम क्लोराइड का सफेद धूम्र बनाता है।
(ii) HCI का जलीय विलयन सिल्वर नाइट्रेट के विलयन के साथ AgCI का सफेद अवक्षेप बनाता है, जो नाइट्रिक अम्ल में अविलेय होता है।
(iii) HCI का जलीय विलयन लेड ऐसीटेट या लेड नाइट्रेट विलयन के साथ लेड क्लोराइड का सफेद अवक्षेप बनाता है, जो ठण्डे जल में अविलेय परन्तु गर्म जल में विलेय है।
(iv) सान्द्र HCI को MnO₂ या KMnO₄ के साथ गर्म करने पर हरे पीले रंग की क्लोरीन गैस प्राप्त होती है।
उपयोग
(i) इसे Cl₂. NH₄CIग्लूकोस (अन्न स्टार्च से), आदि के उत्पादन में प्रयुक्त करते हैं।
(ii) इसे प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में प्रयुक्त करते हैं।
(iii) प्लेटिनम, सोना धातुओं को घोलने के लिए ऐक्वारेजिया के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।
(iv) अस्थियों से सरेस निष्कर्षण में तथा अस्थि कोयले के शुद्धिकरण में इसे प्रयुक्त करते हैं।
(v) औषधि निर्माण व इस्पात उद्योग में प्रयोग करते हैं।
विरंजक चूर्ण
रासायनिक नाम कैल्सियम क्लोरो हाइपोक्लोराइट या क्लोराइट ऑफ लाइम अथवा क्लोरीनेटेड लाइम
सामान्य नाम विरंजक चूर्ण या ब्लीचिंग पाउडर
अणुसूत्र CaOCl₂: अणुभार 127
वास्तव में विरंजक चूर्ण दो यौगिकों कैल्सियम हाइपोक्लोराइट, CaOCl₂ तथा क्षारकीय कैल्सियम क्लोराइड, CaCl₂, Ca(OH)₂, का मिश्रण है, परन्तु सुविधा हेतु इसे CaOCl₂ के रूप में प्रदर्शित किया जाता है।
निर्माण की विधियाँ
विरंजक चूर्ण का निर्माण शुष्क बुझे हुए चूने पर क्लोरीन (Cl₂) की क्रिया द्वारा किया जाता है।
Ca(OH)₂ + Cl₂ → CaOCI₂+ H₂O
कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड क्लोरीन विरंजक चूर्ण जल
इसे औद्योगिक रूप से निम्न दो विधियों द्वारा बनाया जाता है।
(i) हेसन क्लेवर विधि
(ii) बैचमैन विधि
समूह-18 के तत्व या उत्कृष्ट गैसें
आवर्त सारणी के वर्ग (18) अथवा शून्य में 6 तत्व हैं, हीलियम (He), निऑन (Ne), ऑर्गन (Ar), क्रिप्टॉन (Kr), जीनॉन (Xe) तथा रेडॉन (Rn)I रेडॉन के अतिरिक्त अन्य सभी तत्व अत्यन्त सूक्ष्म मात्रा में वायुमण्डल में उपस्थित होते हैं। इनमें से Ar की प्रचुरता सर्वाधिक (1%) होती है। ये सभी तत्व रासायनिक रूप से निष्क्रिय होते हैं। अतः इन्हें 'अक्रिय गैस' भी कहते हैं। हीलियम का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns²तथा अन्य उत्कृष्ट गैसों का विन्यास ns² np⁶ होता है। इनकी अक्रिय प्रकृति इनकी संवृत कोश संरचना के कारण होती है। हीलियम सबसे हल्की गैस है।
इन गैसों की खोज रैले ने और रेडॉन की खोज डॉर्न ने की थी।
लक्षण
(i) ये गैसें रंगहीन, गन्धहीन, स्वादहीन तथा एकपरमाण्विक होती हैं।
(ii) उत्कृष्ट गैसों की त्रिज्याएँ वाण्डर वाल्स त्रिज्याएँ होती हैं। (जो सहसंयोजक त्रिज्याओं से उच्च होती हैं।)
(iii) इनका आयनन विभव उच्च होता है क्योंकि उत्कृष्ट गैसों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास स्थायी व पूर्ण होता है। अतः इलेक्ट्रॉन के निष्कासन में अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
(iv) इनकी इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान अधिक धनात्मक होता है।
(v) ये जल में अल्प विलेय होती हैं।
(vi) उत्कृष्ट गैसों के लिए Cp / Cv = 1.66 होता है।
उत्कृष्ट गैसों की प्राप्ति
(i) अक्रिय गैसों के मुख्य स्रोत रेडियोऐक्टिव खनिज, प्राकृतिक गैस तथा वायुमण्डल इत्यादि हैं।
(ii) हीलियम का मुख्य स्रोत मोनोजाइट सेण्ड है, जोकि एक रेडियोऐक्टिव खनिज है। हीलियम तथा रेडॉन को रेडियम के रेडियोऐक्टिव विघटन द्वारा भी प्राप्त किया जाता है
²²⁶₈₈Ra → ²²²₈₆Rn + ⁴₂He
(iii) क्लीवाइट खनिज में भी हीलियम उपस्थित होती है।
वायु में उत्कृष्ट गैसों का पृथक्करण फिशर-रिंगे विधि द्वारा किया जाता है।
(iv) हीलियम तथा निऑन के मिश्रण को 93K पर चारकोल के सम्पर्क में लाने पर निऑन पूर्ण रूप से अधिशोषित हो जाती है। हीलियम मुक्त हो जाती है, परन्तु अधिशोषि नहीं होती है।
उत्कृष्ट गैसों के उपयोग
(i) रक्त में कम विलेयता के कारण हीलियम तथा ऑक्सीजन के मिश्रण का गोताखोरों द्वारा साँस लेने में किया जाता है।
(ii) हल्की तथा अज्वलनशील होने के कारण हीलियम गुब्बारों तथा वायुयानों के टायरों आदि को भरने में प्रयुक्त होती है।
(iii) हीलियम का उपयोग गैस शीतित नाभिकीय रिएक्टरों में भी किया जाता है।
(iv) निऑन का उपयोग कोहरे को भेदने वाले लैम्प बनाने में किया जाता है।
(v) निऑन ट्यूब विज्ञापन चिन्हों के रूप में और सजावट करने में प्रयुक्त होती है।
(vi) ऑर्गन का उपयोग उच्च ताप धातुकर्मीय प्रक्रमों में निष्क्रिय वातावरण उत्पन्न करने हेतु किया जाता है।
(vii) ऑर्गन, विद्युत बल्बों को भरने में प्रयुक्त होती है।
(viii) क्रिप्टॉन और जीनॉन गैसे, ऑर्गन के स्थान पर बल्बों में भरने में प्रयुक्त होती हैं।
(ix) क्रिप्टॉन और जीनॉन का मिश्रण उच्च गति फोटोग्राफी के लिए प्रयुक्त कुछ चमकने वाली ट्यूबों में होता है।
(x) रेडॉन का प्रयोग कैंसर की रेडियोथैरेपी चिकित्सा में किया जाता है।
जीनॉन के यौगिक
जीनॉन (Xe) द्वारा अधिकतम यौगिक बनाए जाते हैं, क्योंकि इसका आयनन विभव अन्य उत्कृष्ट तत्वों से कम होता है। अतः उत्कृष्ट गैसों में जीनॉन (Xe) सबसे क्रियाशील तत्व है। यह ऑक्सीजन तथा फ्लुओरीन (अधिक ऋणविद्युतीय तत्वों) के साथ बहुत से यौगिकों का निर्माण करती है।
बहुविकल्पीय प्रश्न 1 अंक
प्रश्न 1. निम्न में से कौन-से तत्वों का युग्म समान वर्ग में रखा गया है?
(a) तत्व जिनकी परमाणु संख्या 17 और 38 है
(b) तत्व जिनकी परमाणु संख्या 20 और 40 है
(c) तत्व जिनकी परमाणु संख्या 11 और 33 है
(d) तत्व जिनकी परमाणु संख्या 17 और 35 है।
उत्तर (d)
प्रश्न 2. वह तत्व जिसकी विद्युतऋणात्मकता सबसे अधिक है
(a) Br
(b) Cl
(c) F
(d) I
Ans→ (c)
प्रश्न 3. हैलोजन की इलेक्ट्रॉन बन्धुता का सही क्रम है
(a) F> Cl > Br> I
(b) F< Cl < Br <I
(c) F< Cl > Br>I
(d) F> Cl< Br> I
उत्तर (c)
प्रश्न 4. वह तत्व जिसकी इलेक्ट्रॉन बन्धुता सबसे अधिक है
(a) O
(b) F
(c) Cl
(d) N
उत्तर (c) क्लोरीन की इलेक्ट्रॉन बन्धुता सर्वाधिक होती है।
प्रश्न 5. क्लोरीन का प्रबलतम ऑक्सी-अम्ल है
(a) HCIO₂
(b) HCIO₄
(c) HOCI
(d) HCIO₃
उत्तर (b)
प्रश्न 6. निम्न में से कौन-सा कथन सही है?
(a) NO नाइट्रिक अम्ल का ऐनहाइड्राइड है
(b) CO फॉर्मिक अम्ल का ऐनहाइड्राइड है।
(c) CI₂O₃, हाइपोक्लोरस अम्ल का ऐनहाइड्राइड है।
(d) Cl₂O₇, परक्लोरिक अम्ल का ऐनहाइड्राइड है
उत्तर (d)
प्रश्न 7. वायुमण्डल में सर्वाधिक पायी जाने वाली गैस है
(a) हीलियम
(b) नियॉन
(c) ऑर्गन
(d) क्रिप्टन
उत्तर (c)
प्रश्न 8. हीलियम गैस का मुख्य स्रोत है
(a) वायु
(e) समुद्री जल
(b) प्राकृतिक गैस
(d) रेडियोऐक्टिव खनिज
उत्तर (d)
प्रश्न 9. वायुयानों के टायरों में हीलियम के भरे जाने का कारण है।
अथवा गुब्बारों में H के स्थान पर He भरी जाती है, क्योंकि
(a) यह सबसे हल्की अक्रिय गैस है
(b) यह हवा से बहुत हल्की तथा अज्वलनशील गैस है
(c) यह बहुत कम ताप प्रदान करती है
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर (b)
प्रश्न 10. गहरे समुद्री गोताखोरों के साँस लेने में प्रयोग में आने वाली ऑक्सीजन में नाइट्रोजन की जगह प्रयुक्त होने वाली गैस है।
(a) Xe (c) Ne
(b) Kr (d) He
उत्तर (d)
प्रश्न 11. कोहरे को भेदने वाले लैम्प में प्रयुक्त गैस है
(a) Ne
(b) He
(c) N₂
(d) Ar
उत्तर (a)
प्रश्न 12. जीनॉन का कौन-सा फ्लुओराइड असम्भव है?
(a) XeF₂
(b) XeF₃
(c) XeF₄
(d) XeF₆
उत्तर (b)
प्रश्न 13. अधिकतम यौगिक बनाने वाली अक्रिय गैस है।
अथवा सबसे अधिक क्रियाशील निष्क्रिय गैस है
(a) Xe
(b) Ar
(c) Ne
(d) He
उत्तर (a)
प्रश्न 14. XeF₄ में Xe परमाणु का संकरण है
(a) sp³
(b) sp³d
(c) sp³d²
(d) dsp³
उत्तर (c)
प्रश्न 15. निम्नलिखित में कौन-सा एक यौगिक अस्तित्व में नहीं है?
(a) XeOF₄
(b) NeF₂
(c) XeF₂
(d) XeF₆
उत्तर (b)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न 2 अंक
प्रश्न 1. सामान्य ताप एवं दाब पर ब्रोमीन एक द्रव है, जबकि आयोडीन ठोस है। कारण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर ब्रोमीन का आकार अर्थात् परमाणु त्रिज्या आयोडीन की तुलना में कम होती है। अत: इसमें उपस्थित वाण्डरवाल्स बल भी कम होता है। इस कारण सामान्य ताप व दाब पर ब्रोमीन द्रव अवस्था में होती है। इसके विपरीत आयोडीन में वाण्डरवाल्स बल (बड़े आकार के कारण) अधिक होने के कारण यह ठोस अवस्था में होती है।
प्रश्न 2. हैलोजन रंगीन क्यों होते हैं?
उत्तर हैलोजन तत्वों के रंगीन होने का कारण यह है, कि इनके बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉन दृश्य क्षेत्र में विकिरणों का अवशोषण करके उत्तेजित होकर उच्च ऊर्जा स्तर में चले जाते हैं। विकिरण के भिन्न-भिन्न क्वाण्टम अवशोषित करने के कारण ये भिन्न-भिन्न रंग प्रदर्शित करते हैं।
प्रश्न 3. निम्न को समझाइए
HF द्रव है, जबकि HCI एक गैस है।
अथवा HF एक द्रव है, जबकि अन्य हाइड्रोजन हैलाइड गैसीय अवस्था में पाये जाते हैं। कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर HF के अणुओं के मध्य अन्तराण्विक हाइड्रोजन आबन्ध पाया जाता है, जिसके कारण ये परस्पर जुड़कर वृहद् अणु का निर्माण करते हैं। अतः यह द्रव अवस्था में रहता है। लेकिन अणुओं में हाइड्रोजन आबन्ध बनाने की क्षमता नहीं होती है। अतः यह गैसीय अवस्था में उपस्थित रहता है।
प्रश्न 4. CIF₃ के बनाने की विधि का ताप तथा दाब की परिस्थितियों को दर्शाते हुए रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर क्लोरीन तथा फ्लुओरीन की 200-300°C ताप पर क्रिया कराने पर ClF₃ बनता है।
200-300C
Cl₂ + 3F₂ → 2CI5
प्रश्न 5. हाइड्रोजन क्लोराइड एक सहसंयोजी यौगिक है, परन्तु उसका जलीय विलयन आयनिक हो जाता है।
उत्तर हाइड्रोजन क्लोराइड एक सहसंयोजी यौगिक है
यद्यपि HCI जल से क्रिया करके हाइड्रोनियम आयन बनाता है।
अर्थात् HCI+ H₂O → H₃O+ + CI-
क्योंकि HCI की जलयोजन ऊर्जा का मान बन्ध ऊर्जा से अधिक होता है अतः यह जल में सुगमता से आयनीकृत हो जाता है।
प्रश्न 6. क्रोमिल क्लोराइड परीक्षण का रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर
K₂Cr₂O₇ + 14HCI →2KCI + 2CrCl₂ + 7H₂O + 4Cl₂
प्रश्न 7. निर्जल HCI विद्युत का कुचालक है, परन्तु जलीय HCI सुचालक, क्यों?
उत्तर निर्जल HCl सहसंयोजक यौगिक है, इस कारण यह विद्युत का कुचालक है जबकि जलीय HCI में आयनों की उपस्थिति के कारण यह विद्युत का सुचालक होता है।
[HCI + H₂O → H₃O+ + CI- ]
प्रश्न 8. स्पष्ट कीजिए कि फ्लुओरीन केवल एक ही ऑक्सी-अम्ल, क्यों बनाता है?
उत्तर उच्च विद्युतॠणात्मकता, छोटे आकार तथा d कक्षकों की अनुपस्थिति के कारण फ्लुओरीन ऑक्सी-अम्लों में केवल +1 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाती है। यह अन्य सदस्यों की तरह +3 + 5 और +7 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित नहीं करती। यही कारण है कि अन्य हैलोजनों की अपेक्षा यह केवल एकमात्र
ऑक्सी अम्ल HOF बनाती है HOFO, HOFO₂ और HOFO₃ नहीं ।
प्रश्न 9. व्याख्या कीजिए कि क्यों लगभग एक समान विद्युतॠणात्मकता होने के पश्चात् भी नाइट्रोजन हाइड्रोजन आबन्ध निर्मित करता है।जबकि क्लोरीन नहीं।
उत्तर नाइट्रोजन तथा क्लोरीन दोनों की विद्युतऋणात्मकता समान (3.0) है। परंतु नाइट्रोजन हाइड्रोजन आबन्ध निर्मित करता है जबकि क्लोरीन नहीं। इसका कारण यह है कि नाइट्रोजन परमाणु का आकार क्लोरीन की तुलना में छोटा है। (परमाणु त्रिज्याएँ N = 70pm, C1 = 90pm)। अत: CI-H आबन्ध में CI की तुलना में, N-H आबन्ध में N अधिक ध्रुवणन उत्पन्न करता है। अत: जिसके कारण नाइट्रोजन हाइड्रोजन आवन्ध बनाता है, क्लोरीन नही
प्रश्न 10. स्पष्ट कीजिए कि क्यों क्लोरीन के ऑक्सी- अम्लों की अम्लता नीचे दिये गये क्रम में बढ़ती है HCIO < HCIO₂ < HCIO₃ <HCIO₄
उत्तर क्लोरीन की तुलना में ऑक्सीजन अधिक विद्युतॠणात्मक तत्व है। अतः क्लोरीन पर उपस्थित ॠणावेश का वितरण CIO- से CIO-₄, आयन तक बढ़ता है। अतः क्योंकि क्लोरीन से जुड़े ऑक्सीजन परमाणुओं की संख्या बढ़ती है, अतः आयनों का स्थायित्व भी निम्न दिये गये क्रम में बढ़ता है
CIO- < CIO-₂ < CIO-₃< CIO-₄
संयुग्मी क्षारकों का स्थायित्व बढ़ने के कारण इनसे सम्बन्धित अम्लों की अम्ल सामर्थ्य भी समान क्रम में बढ़ती है।
HCIO < HCIO₂ < HCIO₃< HCIO₄
प्रश्न 11. आप HCI से Cl₂ तथा Cl₂ से HCI कैसे प्राप्त करोंगे? केवल अभिक्रियाएँ दीजिए।
उत्तर (i) हाइड्रोजन क्लोराइड से क्लोरीन का निर्माण सान्द्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल को मैंगनीज डाइऑक्साइड के साथ गर्म करके क्लोरीन गैस बनाई जाती है।
MnO₂ + 4HCl → MnCl₂ + Cl₂+ 2H₂O
(ii) क्लोरीन से हाइड्रोजन क्लोराइड का निर्माण सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में क्लोरीन जल से अभिक्रिया करके HCI बनाती
2Cl₂+ 2H₂O → 4HCl + O₂
प्रश्न 12. किस उदासीन अणु के साथ CIO- समइलेक्ट्रॉनी है? क्या एक अणु लुईस क्षारक है?
उत्तर CIO- में (17+8+1=26) 26 इलेक्ट्रॉन है, यह दो उदासीन अणुओं के साथ समइलेक्ट्रॉनी हैं। ये हैं
(i) ऑक्सीजन डाइफ्लुओराइड, OF₂
(ii) क्लोरीन फ्लुओराइड, CIF इनमें से CIF लुईस क्षारक है क्योंकि यह और अधिक फ्लुओरीन के परमाणुओं को इलेक्ट्रॉन दान कर सकता है।
प्रश्न 13. जल के साथ F₂तथा CI₂की अभिक्रियाएँ लिखिए
उत्तर (i) फ्लुओरीन जल से अभिक्रिया करके ऑक्सीजन तथा ओजोन उत्पन्न करती है।
2F₂(g) + 2H₂O (/) →4HF (aq) + O₂(g)
3F₂(g) + 3H₂0 (/) → 6HF (aq) + O₃( g )
(ii) क्लोरीन सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में जल से अभिक्रिया करके नवजात ऑक्सीजन उत्पन्न करती है।
Cl₂ + H₂O सूर्य का प्रकाश → 2HCI + [O]
प्रश्न 14. कारण सहित स्पष्ट कीजिए कि He उत्कृष्ट गैसों में सबसे अधिक निष्क्रिय है।
उत्तर He से Rn की ओर जाने पर आयनन ऊर्जा का मान क्रमशः घटता है, इसलिए He की आयनन ऊर्जा सभी उत्कृष्ट तत्वों में सर्वाधिक है। इसमें से इलेक्ट्रॉन निष्कासित करना आसान नहीं होता है, इस कारण यह कहा जाता है कि He उत्कृष्ट गैसों में सबसे अधिक निष्क्रिय है।
प्रश्न 15. उत्कृष्ट गैसों के अक्रिय होने का कारण लिखिए तथा क्वीलाइट खनिज में पायी जाने वाली उत्कृष्ट गैस का उपयोग लिखिए।
उत्तर उत्कृष्ट या अक्रिय गैसों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास nsnps होता है, इनमें उपस्थित सभी कक्षक पूर्ण होते हैं। सभी कक्षक पूर्णतया भरे होने के कारण ये
संतृप्त या स्थायी होते हैं, इस कारण रासायनिक रूप से निष्क्रिय होती है। दूसरे शब्दों में, इलेक्ट्रॉनिक विन्यास स्थिर संवृत्त कोश विन्यास होते हैं।
इस कारण इन तत्वों में इलेक्ट्रॉन ग्रहण तथा इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति नहीं होती है और सामान्य परिस्थितियों में ये रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग नहीं लेती है। अर्थात् इनकी संयोजकता शून्य होती है, इस कारण इन्हें शून्य वर्ग में रखा गया है। क्वीलाइट खनिज में हीलियम गैस पायी जाती है।
उपयोग हीलियम गुब्बारों तथा वायुयानों के टायरों, आदि को भरने में प्रयोग की जाती है।
प्रश्न 16. उत्कृष्ट या अक्रिय गैसों की इलेक्ट्रॉन बन्धुता शून्य होती है, क्यों?
उत्तर अक्रिय या उत्कृष्ट गैसों का विन्यास ns² np⁶(पूर्ण) होने के कारण यह अत्यधिक स्थायी होता है, इस कारण इनमें इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की क्षमता नहीं होती है। अतः इनकी इलेक्ट्रॉन बन्धुता शून्य होती है।
प्रश्न 17. उत्कृष्ट गैसें रासायनिक रूप में निष्क्रिय क्यों होती हैं?
अथवा "उत्कृष्ट गैसों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास संवृत्त कोश विन्यास कहलाते हैं।" स्पष्ट कीजिए।
अथवा उत्कृष्ट गैसों के अक्रिय होने का कारण दीजिए। अथवा शून्य वर्ग के तत्वों को उत्कृष्ट गैसें कहते हैं। कारण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर उत्कृष्ट या अक्रिय गैसों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns² np⁶ होता है, इनमें उपस्थित सभी कक्षक पूर्ण होते हैं। सभी कक्ष पूर्णतया भरे होने के कारण ये संतृप्त या स्थायी होते हैं, इस कारण यह रासायनिक रूप से निष्क्रिय होती है। दूसरे शब्दों में, इनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास स्थिर संवृत्त कोश विन्यास होते है
इस कारण इन तत्वों में इलेक्ट्रॉन ग्रहण तथा इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति नहीं होती है और सामान्य परिस्थितियों में ये रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग नहीं लेती है अर्थात् इनकी संयोजकता शून्य होती है, इस कारण इन्हें शून्य वर्ग में रखा गया है।
प्रश्न 18. ₈₈Ra²²⁶ से प्राप्त होने वाली अक्रिय गैस का नाम तथा इसका प्रमुख उपयोग लिखिए।
उत्तर ₈₈Ra²²⁶ के रेडियोऐक्टिव विघटन से रेडॉन (Rn) गैस प्राप्त होती है।
Ra 226 86 Rn 222 + He+ हीलियम
₈₈Ra²²⁶ → ₈₆Ra²²² + ₂He⁴
इसका उपयोग कैंसर की रेडियोथैरेपी चिकित्सा में किया जाता है।
प्रश्न 19. रेडॉन की खोज किसने की? इसका उपयोग किस रोग के उपचार में किया जाता है?
उत्तर रेडॉन की खोज डॉर्न ने की थी। इसका प्रयोग कैंसर की रेडियोथैरेपी चिकित्सा में किया जाता है।
प्रश्न 20. कैंसर के उपचार में प्रयोग की जाने वाली अक्रिय गैस का नाम तथा संकेत लिखिए।
उत्तर रेडॉन, संकेत Rn
प्रश्न 21. अक्रिय गैसों के द्वारा बनाए गए यौगिकों के
उत्तर अक्रिय गैस जीनॉन के यौगिक सूत्र लिखिए।
XeF₆ XeOF₄ XeO₂F₂, XeF₄ XeF₂ आदि हैं।
प्रश्न 22. उत्कृष्ट गैसों के परमाण्विक आकार संगत आर्वत में तुलनात्मक रूप से बड़े क्यों होते हैं?
उत्तर उत्कृष्ट गैसों के परमाण्विक आकार तुलनात्मक रूप से बड़े होते हैं क्योंकि इनकी त्रिज्याएँ, वाण्डरवाल्स त्रिज्याएँ होती हैं जिनका मान सहसंयोजी त्रिज्याओं
तथा धात्विक त्रिज्याओं से अपेक्षाकृत अधिक होता है। जबकि एक ही आवर्त में दूसरे सदस्यों की त्रिज्याएँ सहसंयोजक त्रिज्याएँ या धात्विक त्रिज्याएँ होती हैं जिनका मान कम होता है।
प्रश्न 23. उत्कृष्ट गैसों के आयनन विभव के मान ऊँचे होते हैं, समझाइए।
अथवा उत्कृष्ट गैसों के आयनन विभव उच्च होते हैं। क्या समझाइये?
उत्तर उत्कृष्ट गैसों का आयनन विभव उच्च होता है, क्योंकि उत्कृष्ट गैसों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास स्थायी व पूर्ण होता है। अत: इलेक्ट्रॉन के निष्कासन में अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
लघु उत्तरीय प्रश्न 3 अंक
प्रश्न 1. अन्तरा - हैलोजन यौगिकों के लक्षण या गुण लिखिए।
उत्तर अन्तरा- हैलोजन यौगिकों के लक्षण
(i) इनकी प्रकृति प्रतिचुम्बकीय होती है।
(ii) सभी अन्तरा-हैलोजन यौगिक वाष्पशील द्रव या ठोस होते हैं।
(iii) अन्तरा-हैलोजन यौगिक सहसंयोजक प्रकृति के होते हैं।
(iv) इनके भौतिक गुण अवयवी हैलोजनों के मध्यवर्ती होते हैं।
(v) इनके गलनांक तथा क्वथनांक अपेक्षित मानों से थोड़े उच्च होते हैं।
(vi) इनकी क्रियाशीलता सामान्यतया हैलोजन से अधिक होती है।
(vii) ये प्रबल ऑक्सीकारकों की भाँति कार्य करते हैं।
(viii) अन्तरा-हैलोजन यौगिक असंतृप्त हाइड्रोकार्बन से क्रिया करके योगोत्पाद बनाते हैं।
(ix) ये जल से क्रिया करके अपघटित होकर हैलाइड तथा हाइपोहैलाइट बनाते हैं।
AB+H₂O → HB + HOA
हैलाइड हाइपोईलाइट
(x) AB यौगिकों की आण्विक संरचना रेखीय, AB₃ यौगिकों की बंकित T-आकार की, AB₅यौगिकों की संरचना वर्गाकार पिरामिडीय तथा AB₇ की संरचना पंचकोणीय द्विपिरामिडीय होती है।
प्रश्न 2. K₂Cr₂O₇ से क्लोरीन प्राप्त करने तथा क्लोरीन से सल्फ्यूरिल क्लोराइड तथा कैल्शियम क्लोरोहाइपोक्लोराइट बनाने के भी रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर
K₂Cr₂O₇ से क्लोरीन प्राप्त करना
K₂Cr₂O₇ + 14HCI → 2KCl+ 2CrCl₃ + 7H₂O + 3Cl₂
क्लोरीन से सल्फ्यूरिल क्लोराइड तथा कैल्शियम क्लोरो हाइपोक्लोराइट बनाना
SO₂ + Cl₂ → SO₂CI₂
Ca(OH)₂ + Clg₂→ Ca(OCI)₂ + H₂O
प्रश्न 3. निऑन तथा आर्गन गैसों के उपयोग सूचीबद्ध कीजिए।
अथवा निऑन के प्रमुख उपयोग लिखिए।
उत्तर
निऑन के उपयोग
(i) इसका उपयोग विसर्जन ट्यूब तथा प्रदीप्त बल्बों में विज्ञापन प्रदर्शन हेतु किया जाता है।
(ii) निऑन बल्बों का उपयोग वनस्पति उद्यान तथा ग्रीन हाऊस में किया जाता है।
(iii) निऑन का उपयोग वोल्टेज रेग्युलेटर और सूचकों में किया जाता है।
आर्गन के उपयोग
(i) आर्गन विद्युत बल्ब को भरने में प्रयुक्त की जाती है।
(ii) इसका उपयोग उच्च ताप धातुकर्मीय प्रक्रमों में अक्रिय वातावरण उत्पन्न करने में किया जाता है।
(iii) प्रयोगशाला में इसका उपयोग वायु सुग्राही पदार्थों के प्रबन्धन में भी किया जाता है
प्रश्न 4. जीनॉन टेट्राफ्लुओराइड के बनाने की विधि लिखिए। आवश्यक समीकरण भी दीजिए।
उत्तर निर्माण की विधियाँ जीनॉन टेट्राफ्लुओराइड के निर्माण की विधियाँ निम्नलिखित हैं।
(i) 195 K ताप पर जीनॉन तथा फ्लुओरीन के मिश्रण (1:5) में विद्युत विसर्जन प्रवाहित करने पर XeF₄ बनता है।
विद्युत विसर्जन
Xe + 2F₂ → XeF₄
195K
(ii) निकिल की एक नली में 673K तथा 6 वायुमण्डलीय दाब पर जीनॉन व फ्लुओरीन को 1 : 5 के अनुपात में लेकर गर्म करने पर XeF₄ का निर्माण होता है।
Ni नलिका
Xe + 2F₂ → XeF₄
5-6 वायुमण्डलीय दाब, 673K
लघु उत्तरीय प्रश्न 4 अंक
प्रश्न 1. उत्कृष्ट गैसों के सामान्य लक्षण लिखिए तथा प्रमुख उपयोगों को लिखिए।
अथवा हीलियम गैस की उपयोगिता पर टिप्पणी लिखिए।
अथवा अक्रिय गैसों की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अथवा निऑन के प्रमुख उपयोग लिखिए।
अथवा ऑर्गन के उपयोग लिखिए।
अथवा हीलियम, निऑन और ऑर्गन की उपयोगिता लिखिए।
उत्तर
लक्षण
(i) ये गैसे रंगहीन, गन्धहीन तथा स्वादहीन होती हैं।
(ii) उत्कृष्ट गैसों की संयोजकता शून्य होती है।
(iii) इनका आयनन विभव उच्च होता है।
(iv) उत्कृष्ट गैसों के लिए Cp/Cv= 1.66 होता है।
उपयोग
(i) हीलियम के उपयोग
(a) हीलियम तथा ऑक्सीजन के मिश्रण का उपयोग गोताखोरों द्वारा साँस लेने में किया जाता है।
(b) हीलियम गुब्बारों, वायुयानों के टायरों आदि को भरने में प्रयुक्त होता है।
(ii) निऑन के उपयोग
(a) निऑन का उपयोग कोहरे को भेदने वाले लैम्प बनाने में किया जाता है।
(b) निऑन ट्यूब विज्ञापन चिन्हों के रूप में और सजावट करने में होती हैं।
(iii) ऑर्गन के उपयोग
(a) ऑर्गन विद्युत बल्बों को भरने में प्रयुक्त होती है।
(b) ऑर्गन का उपयोग उच्च ताप धातुकर्मीय प्रक्रमों में निष्क्रिय वातावरण उत्पन्न करने में किया जाता है।
(iv). क्रिप्टॉन के उपयोग
(a) क्रिप्टॉन और जीनॉन गैसें ऑर्गन के स्थान पर बल्बों को भरने में प्रयुक्त होती हैं।
(b) क्रिप्टॉन और जीनॉन का मिश्रण उच्च गति फोटोग्राफी के लिए प्रयुक्त कुछ चमकने वाली ट्यूबों में होता है।
प्रश्न 2. हाइड्रोक्लोरिक अम्ल बनाने की प्रयोगशाला विधि का रासायनिक समीकरण देते हुए संक्षिप्त वर्णन कीजिए। लेड ऐसीटेट के साथ इसकी अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण लिखिए। इसके दो प्रमुख उपयोग भी लिखिए।
उत्तर
प्रयोगशाला विधि
प्रयोगशाला में हाइड्रोजन क्लोराइड गैस का निर्माण सोडियम क्लोराइड तथा सान्द्र H₂SO₄ को एक साथ गर्म करके किया जाता है।
NaCl + H₂SO₄ → NaHSO₄+ HCI
NaHSO₄+ NaCl →Na₂SO₄+ HCI
HCI गैस से हाइड्रोक्लोरिक अम्ल बनाने की विधि
चित्र में दिखाए गए फ्लास्क में लगी हुई निकास नली के बाहर निकले सिरे पर रबड़ की नली के द्वारा एक साधारण फनल (कीप) जोड़ देते हैं तथा फनल का कुछ भाग बीकर में भरे जल में डुबा देते हैं। HCI गैस सर्वप्रथम निकास नली तत्पश्चात् फनल से होती हुई जल में पहुँचती है और वहाँ विलेय होकर HCI अम्ल (HCl गैस का जलीय विलयन) बनाती है।
लेड ऐसीटेट से अभिक्रिया
(CH₃COO)₂Pb + 2HCI → PbCl₂ + 2CH₃COOH
उपयोग (i) इसे Cl₂, NH₄CI₂ग्लूकोस (अन्य स्टार्च से), आदि के उत्पादन में प्रयुक्त करते हैं।
(ii) प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में प्रयुक्त करते हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 5 अंक
प्रश्न 1. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर आवर्त सारणी में हैलोजन परिवार के तत्वों की स्थिति की विवेचना कीजिए।
अथवा Cl, Br तथा I की इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर आवर्त सारणी में स्थिति की विवेचना कीजिए।
अथवा आवर्त सारणी में F, Cl एवं Br के स्थान की निम्न बिन्दुओं के आधार पर विवेचना कीजिए।
(i) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
(ii) विद्युतधनात्मकता।
(iii) विद्युतऋणात्मकता
उत्तर फ्लुओरीन (F), क्लोरीन (CI), ब्रोमीन (Br), आयोडीन (I) तथा ऐस्टेटीन (At) हैलोजन तत्व कहलाते हैं। इनके भौतिक एवं रासायनिक गुणों में क्रमिक परिवर्तन होने के कारण इन्हें एक ही समूह में रखा गया है। ग्रीक भाषा में (हैलो = समुद्री लवण, जन्स = उत्पन्न करना) होता है। अत: इन्हें 'हैलोजन' कहा जाता है।
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
फ्लुओरीन (₉F) [He] 2s² 2p⁵
क्लोरीन (₁₇CI) [Ne]3s² 3p⁵
ब्रोमीन (₃₅Br) (Ar] 3d¹⁰ 4s² 4p⁵
आयोडीन ( ₅₃I ) (Kr] 4d¹⁰, 5s² 5p⁵
ऐस्टेटीन (85 At ) [Xe] 4f¹⁴, 5d¹⁰, 6s² 6p⁵
हैलोजनों के बाह्य कोश का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns² np⁵ होता है अर्थात् इनके बाहरी कोश में 7 इलेक्ट्रॉन पाए जाते हैं। इनके भीतर के कोश पूर्ण भरे हुए होते है। अतः इनके गुणों में भी समानता पायी जाती है।
गुणों में समानता
(i) सभी तत्वों का बाह्यतम इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns² np⁵ होता है।
(ii) ये सभी तत्व प्रारूपिक तत्व होते हैं।
(iii) ये तत्व तीक्ष्ण गन्ध युक्त, रंगीन वाष्प वाले होते हैं।
(iv) ये सभी तत्व गैसीय प्रावस्था में द्विपरमाणुक (F₂, Cl₂, Br₂, I₂) होते हैं।
(v) ये सभी तत्व विद्युत तथा ताप के कुचालक होते हैं।
(vi) इनके क्वथनांक तथा गलनांक का मान कम होता है।
(vii) हैलोजन तत्वों की आयनन ऊर्जाओं के मान उच्च होते हैं।
(viii) हैलोजन तत्वों की विद्युतॠणात्मकता सर्वाधिक होती है।
(ix) उच्च विद्युतऋणात्मकता के कारण सभी हैलोजन तत्व अधातु होते हैं।
(x) सभी हैलोजन विशिष्ट रंग प्रदर्शित करते हैं।
(xi) ये सभी तत्व अम्लीय ऑक्साइड निर्मित करते हैं।
(xii) अधिक विद्युतॠणात्मकता के कारण इनकी प्रवृत्ति ऑक्सीकारक होती है।
(xiii) हैलोजन तत्वों की इलेक्ट्रॉन बन्धुता संगत आवर्त में सबसे उच्च होती है। सभी ज्ञात तत्वों में क्लोरीन की इलेक्ट्रॉन बन्धुता सबसे उच्च होती है।
(xiv) हैलाइड आयन अपचायक प्रकृति के होते हैं, जिनमें फ्लुओराइड आयन सबसे दुर्बल अपचायक है।
गुणों में क्रमिक परिवर्तन
परमाणु क्रमांक में क्रमिक परिवर्तन के कारण इन तत्वों के गुणों में भी क्रमिक
परिवर्तन होते हैं जो निम्न हैं
(i) वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर तत्वों की अवस्था परिवर्तित हो जाती है। जैसे- क्लोरीन गैस, ब्रोमीन द्रव तथा आयोडीन ठोस है।
(ii) वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर गैसों का रंग गहरा होता जाता है। अतः फ्लुओरीन हल्की पीली, क्लोरीन हरी-पीली, ब्रोमीन लाल भूरी तथा आयोडीन वाष्प गहरी बैंगनी रंग की होती है।
(iii) परमाणु क्रमांक वृद्धि के साथ इनकी परमाणु त्रिज्या भी बढ़ती है।
(iv) परमाणु क्रमांक वृद्धि के साथ इन तत्वों के आयनन विभव तथा विद्युतॠणात्मकता घटती है, परन्तु धनविद्युती लक्षण बढ़ता है। निम्न आयनन ऊर्जा के कारण आयोडीन कुछ यौगिकों में I+ आयन के रूप में पाया जाता है तथा आयोडीन में धात्विक चमक भी होती है।
(v) परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ इनके क्वथनांक तथा गलनांक के मान बढ़ते हैं।
(vi) परमाणु क्रमांक में वृद्धि के साथ ऑक्सीकारक गुण घटता है।
(vii) परमाणु क्रमांक की वृद्धि के साथ हाइड्राइडों का स्थायित्व घटता है।
(viii) परमाणु क्रमांक की वृद्धि के साथ इनकी क्रियाशीलता घटती है।
(ix) परमाणु क्रमांक की वृद्धि के साथ इनकी ऑक्सीकारक प्रवृत्ति भी घटती है।
(x) परमाणु क्रमांक की वृद्धि के साथ इसके आयनन विभव के मान घटते हैं। गुणों में समानता व क्रमिक परिवर्तन के कारण इन्हें एक ही समूह अर्थात् सप्तम समूह (VIIA समूह) में रखा गया है।
प्रश्न 2. डीकन विधि द्वारा क्लोरीन के औद्योगिक निर्माण का सचित्र वर्णन कीजिए। इसकी अमोनिया के साथ अभिक्रिया लिखिए। आवश्यक रासायनिक समीकरण भी लिखिए।
अथवा क्लोरीन के ओद्योगिक निर्माण की डीकन विधि का वर्णन नामांकित चित्र के साथ कीजिए। क्लोरीन पानी के साथ कैसे अभिक्रिया करती है? रासायनिक समीकरण द्वारा समझाइए।
अथवा डीकन विधि से क्लोरीन के निर्माण का सचित्र वर्णन कीजिए तथा सल्फर डाइऑक्साइड के जलीय विलयन से इसकी क्रिया का रासायनिक समीकरण लिखिए।
अथवा डीकन विधि द्वारा क्लोरीन के निर्माण का सचित्र वर्णन कीजिए तथा अभिक्रिया देते हुए उत्प्रेरक का उपयोग भी समझाइए । सान्द्र तथा गर्म कॉस्टिक सोडे विलयन से इसकी क्या अभिक्रिया होती है?
अथवा डीकन विधि द्वारा क्लोरीन के निर्माण का सचित्र वर्णन कीजिए। क्लोरीन के एक ऑक्सीकारक एवं एक विरंजक गुण को उदाहरण सहित समझाइए ।
यह निम्नलिखित से किस प्रकार की क्रिया करती है? (i) सोडियम आर्सेनाइट विलयन (ii) गर्म चूने का पानी
अथवा डीकन विधि द्वारा क्लोरीन के उत्पादन का वर्णन कीजिए।
उत्तर क्लोरीन के निर्माण की डीकन विधि इस विधि में उत्प्रेरक क्यूप्रिक क्लोराइड की उपस्थिति में हाइड्रोजन क्लोराइड गैस को वायु ऑक्सीजन द्वारा ऑक्सीकृत करके क्लोरीन गैस बनायी जाती है। में उपस्थित इस प्रक्रिया में सर्वप्रथम हाइड्रोजन क्लोराइड गैस को वायु के साथ मिश्रित करके एक ऑक्सीकरण कक्ष जिसका ताप 450°C होता है, में प्रवाहित किया जाता है। इस कक्ष में CuCl₂ विलयन से भीगोकर शुष्क किए क्र्वाट्ज पत्थर के टुकड़े रखे होते हैं। वायु द्वारा हाइड्रोजन क्लोराइड के ऑक्सीकरण द्वारा क्लोरीन गैस बनती है।
CuCl₂ (उत्प्रेरक) 450°C
4HCl + O₂ → 2H₂O+2Cl₂
इस प्रकार निर्मित क्लोरीन में HCI, N₂, O₂, तथा जलवाष्प मिश्रित होते हैं। इस मिश्रण को स्क्रबर में से प्रवाहित कर HCI को हटा देते हैं तथा दूसरे कक्ष में सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल (H₂SO₄) जल की नमी को अवशोषित कर लेता है। इस प्रकार N₂, O₂ मिश्रित क्लोरीन प्राप्त होती है।
उत्प्रेरक क्रिया निम्न प्रकार से होती है।
2CuCl₂ → Cu₂Cl₂ + Cl₂
क्यूप्रेस क्लोराइड
2Cu₂Cl₂ + O₂ → 2Cu₂OCl₂
क्यूप्रस क्लोराइड क्यूप्रस ऑक्सीक्लोराइड
2HCl + Cu₂OCl₂ → 2CuCl₂ + H₂O
क्यूकि क्लोराइड
गुण
(i) अमोनिया के साथ अभिक्रिया अमोनिया के आधिक्य के साथ, नाइट्रोजन तथा अमोनियम क्लोराइड देती है, जबकि क्लोरीन अधिक होने पर नाइट्रोजन ट्राइक्लोराइड (विस्फोटक) बनता है।
क्लोरीन
8NH₃ +3Cl₂ → 6NH₄Cl + N₂
आधिक्य विस्फोटक
NH₃ + 3Cl₂ → NCl₃ + 3HCI
आधिक्य विस्फोटक
(ii) गर्म व सान्द्र NaOH से अभिक्रिया
6NaOH+ 3Cl₂ → NaClO₃ + 5NaCl + 3H₂O
(iii) सोडियम आर्सेनाइट से अभिक्रिया (ऑक्सीकरण)
Na₃AsO₃ + H₂O + Cl₂ → Na₃ÁsO₄ + 2HCl सोडियम आर्सेनाइट सोडियम आर्सेनेट
(iv) गर्म चूने के पानी से अभिक्रिया क्लोरीन की गर्म चूने के पानी से अभिक्रिया कराने पर कैल्सियम क्लोरेट और कैल्सियम क्लोराइड बनते हैं।
6Ca(OH)₂ + 6Cl₂ →Ca(ClO₃)₂+ 5CaCl₂कैल्सियम क्लोराइड + 6H₂O
क्लोरीन की विरंजक क्रिया अथवा क्लोरीन की पानी से अभिक्रिया क्लोरीन गैस नमी (H₂O) से अभिक्रिया करके नवजात ऑक्सीजन उत्पन्न करती है जो फूल-पत्तियों, आदि के रंगीन अवयवों से अभिक्रिया करके उन्हें ऑक्सीकृत करते हुए रंगहीन बना देती है।
Cl₂ + H₂O → 2HCI
नवजात ऑक्सीजन
[O]
रंगीन पदार्थ → रंगहीन
सल्फर डाइऑक्साइड के जलीय विलयन से क्लोरीन की क्रिया
SO₂ + 2H₂0+ Cl₂ → 2HCl+ H₂SO₄
प्रश्न 3. क्लोरीन के औद्योगिक निर्माण की विद्युत अपघटनी विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर
ब्राइन के विद्युत अपघटन द्वारा क्लोरीन का निर्माण
वर्तमान में क्लोरीन का औद्योगिक स्तर पर उत्पादन सान्द्र सोडियम क्लोराइड विलयन (ब्राइन) के विद्युत अपघटन द्वारा किया जाता है। ब्राइन के विद्युत अपघटन की प्रक्रिया में NaOH मुख्य उत्पाद तथा हाइड्रोजन सहउत्पाद के रूप में प्राप्त होती है।
सिद्धान्त इस विधि द्वारा क्लोरीन के निर्माण के लिए NaOH विलयन (ब्राइन) का स्टील कैथोड तथा ऐनोड के मध्य विद्युत अपघटन कराया जाता है जिससे ऐनोड पर क्लोरीन तथा कैथोड पर हाइड्रोजन मुक्त होती है तथा कैथोड कक्ष में NaOH विलयन एकत्रित हो जाता है।
NaCl → Na+ + Cl-
2CI- → Cl₂ + 2e- (ऐनोड अभिक्रिया)
2H₂O + 2e- → 2OH- + H₂ (कैथोड अभिक्रिया)
ब्राइन के विद्युत अपघटन द्वारा क्लोरीन अथवा सोडियम हाइड्रॉक्साइड का निर्माण करने के लिए विशिष्ट प्रकार के सेल (नैलसन सेल) का प्रयोग करते हैं। जिसमें उत्पाद अलग-अलग रहते हैं, जिससे की वह आपस में क्रिया न करें। चित्रानुसार नैलसन सेल में स्टील का कैथोड (U-आकार का छिद्रित) तथा ऐनोड ग्रेफाइट (छड़) का प्रयुक्त होता है कैथोड में आन्तरिक सतह पर ऐस्बेस्टॉस का अस्तर लगा होता है। जोकि सरन्ध्र डायाफ्राम के रूप में कार्य करता है जो कैथोड व ऐनोड को अलग रखता है। ब्राइन को ऐनोड कक्ष में भर देते हैं। इसमें ग्रेफाइट ऐनोड डूबा रहता है। ब्राइन का विद्युत अपघटन होने पर ऐनोड पर क्लोरीन गैस मुक्त होती है जिसे स्टील के सिलिण्डर में एकत्रित कर लिया जाता है। कैथोड पर हाइड्रोजन गैस मुक्त होती है तथा कैथोड कक्ष में NaOH विलयन (लगभग 10%एकत्रित हो जाता है।
प्रश्न 4. विरंजक चूर्ण क्या है? विरंजक चूर्ण के निर्माण की विधि का वर्णन नामांकित चित्र के साथ कीजिए तथा इसका एक ऑक्सीकारक गुण भी लिखिए।
उत्तर विरंजक चूर्ण का रासायनिक नाम कैल्सियम क्लोरो हाइपोक्लोराइट या क्लोराइट ऑफ लाइम अथवा क्लोरीनेटेड लाइम
सामान्य नाम विरंजक चूर्ण या ब्लीचिंग पाउडर
अणु सूत्र CaOCl₂; अणु भार 127 वास्तव में विरंजक चूर्ण दो यौगिकों कैल्सियम हाइपोक्लोराइट, CaOCl₂ तथा क्षारकीय कैल्सियम क्लोराइड, CaCl₂ CaOH₂ का मिश्रण है, परन्तु सुविधा हेतु इसे Ca(OCl)Cl के रूप में प्रदर्शित किया जाता है।
विरंजक के चूर्ण निर्माण की हेसन क्लेवर विधि इस विधि द्वारा विरंजक चूर्ण के निर्माण के लिए प्रयुक्त संयन्त्र में लेड या लोहे के कई बेलनाकार पाइप एक-दूसरे से नलिका द्वारा जुड़े रहते हैं। प्रत्येक पाइप में एक शाफ्ट लगी होती है, जिस पर ब्लेड लगे होते हैं। यह शाफ्ट क्षैतिज अक्ष पर निरन्तर घूमती रहती है। संयन्त्र के ऊपरी भाग में एक हॉपर होता है जिसके द्वारा बुझा हुआ चूना [Ca(OH)₂] डाला जाता है। नीचे की ओर से पाइप द्वारा क्लोरीन (Cl₂) गैस प्रवाहित की जाती है, जोकि ऊपर से धीरे-धीरे आते हुए बुझे चूने से क्रिया करके विरंजक चूर्ण का निर्माण करती है, जो संयन्त्र के निचले भाग में एकत्रित हो जाता है।
Ca(OH)₂ + Cl₂ →CaOCl₂ + H₂O
बुझा हुआ चूना विरंजक चूर्ण
विरंजक चूर्ण की ऑक्सीकारक प्रवृत्ति
यह अम्लीय माध्यम में पोटैशियम आयोडाइड (KI) को आयोडीन (I₂) में ऑक्सीकृत कर देता है।
CaOCl₂ + 2CH₃COOH + 2KI → (CH₃COO)₂Ca कैल्सियम ऐसीटेट+ 2KCl + I₂ + H₂O आयोडीन
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