सूक्ष्म शिक्षण क्या हैं? / What is Micro Teaching?

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सूक्ष्म शिक्षण क्या हैं? / What is Micro Teaching?

सूक्ष्म शिक्षण क्या हैं? / What is Micro Teaching?


सूक्ष्म शिक्षण क्या हैं? / What is Micro Teaching? 




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सूक्ष्म शिक्षण (Micro Teaching)


सूक्ष्म शिक्षण से तात्पर्य एक ऐसे शिक्षण से है जिसमें किसी छोटी पाठ्य योजना को या पाठ्य योजना के एक अंश को छोटे- छोटे टुकड़ों या खण्डों में विभाजित कर एक छोटी कक्षा को थोड़े समय के लिए दिए जाने वाले शिक्षण से है ।


सूक्ष्म शिक्षण में सभी कुछ सूक्ष्म रहता है - छोटी पाठ्य योजना, कक्षा का आकार छोटा, तथा समयावधी भी छोटी होती है।


सूक्ष्म शिक्षण का प्रारम्भ सर्वप्रथम स्टैनफोर्ड यूनीवर्सिटी अमेरिका में हुआ था । सर्वप्रथम 1961 में इसी यूनीवर्सिटी के प्रोफेसर कीथ एचीसन ने पाठ्य योजना के इस प्रकार पर शोध कार्य करना प्रारम्भ किया । सन् 1963 में इसी यूनीवर्सिरी के प्रो० ए .डब्लू. ऐलन ने इस प्रयोग में सहयोग किया तथा इसे सूक्ष्म शिक्षण का नाम दिया ।


इसीलिए सूक्ष्म शिक्षण के जनक के रूप में ए .डब्ल्यू. ऐलन को ही जाना जाता है।


उसके अलावा प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक बुस ने भी बहुत अधिक प्रयोग किए हैं।


भारत में सूक्ष्म शिक्षण को प्रयोग करने का श्रेय D. D. तिवारी की जाता है।


सूक्ष्म शिक्षण की विशेषताएं (Features of micro teaching) :


1- सूक्ष्म शिक्षण किसी छोटी पाठ्य योजना तथा छोटे शिक्षण का एक रूप है


2- सूक्ष्म शिक्षण का उद्देश्य पराम्परागत शिक्षण कौशलों में सुधार करना है।


3- सूक्ष्म शिक्षण के द्वारा अध्यापक स्वयं में एक -एक शिक्षण कौशल का विकास कर उसमें निपुणता को प्राप्त करते हैं।


4- सूक्ष्म शिक्षण की प्रक्रिया प्रतिपुष्टि ( फीड बैंक) तथा पुर्नबलन पर आधारित होती है। अर्थात इसके द्वारा शिक्षको को अपने शिक्षण कौशल में सुधार का अवसर दिया जाता है।


5-  सूक्ष्म शिक्षण एक सक्रिय तथा रुचिपूर्ण शिक्षण है। समय कम होने के कारण सभी छात्र पूरी तत्परता के साथ शिक्षण कार्य करते हैं ।


सूक्ष्म शिक्षण की प्रक्रिया (Micro teaching process)  :- 


 NCERT  के अनुसार सूक्ष्म शिक्षण की प्रक्रिया के 6 चरण होते हैं तथा सम्पूर्ण सूक्ष्म शिक्षण की प्रक्रिया के लिए 36 मिनट का समय निर्धारित किया गया है। जिसमें शिक्षण कार्य के लिए 6 मिनट तथा अधिकतम समय 5-10 मिनट तक का निर्धारित किया गया है।


सूक्ष्म शिक्षण प्रक्रिया को सूक्षम शिक्षण चक्र के नाम से भी जाना जाता है ।


1- पाठ योजना निर्माण (Planing )- 6 minute


2- शिक्षण (Teaching) - 6 min. 


3- प्रतिपुष्टि (feed back)- 6min


4- पुनः पाठ नियोजन (Re-plan) -6 min,


5.पुन: शिक्षण (Re- teach) -6mim,


6. पुनः प्रतिपुष्टि (Re-feed back) -6 min.



 सूक्ष्म शिक्षण के सिद्धान्त (principles of micro teaching) -



1- निरन्तरता का सिद्धान्त (principle of continuity)


सूक्ष्म शिक्षण की प्रक्रिया बिना रुके हुए लगातार चलती रहती है। सभी शिक्षक एक-एक करके स्वयं में सभी शिक्षण कौशलों का विकास करना सीखते है ,तथा स्वयं में सुधार करने का प्रयास करते हैं ।


2- पुर्नबलन का सिद्धान्त (principle of reinforcement) :


सूक्ष्म शिक्षण की प्रक्रिया पुर्नबलन के सिद्धान्त पर आधारित होती है अर्थात् इससे शिक्षको को अपने शिक्षण कार्य के लिए तत्काल ही प्रतिपुष्टि प्राप्त होती हैं, और उनमें सकारात्मक पुर्नवलन का विकास होता है।


3- अभ्यास का सिद्धान्त (principle of practice)  :- 


सूक्ष्म शिक्षण की प्रक्रिया निरन्तर अभ्यास पर आधारित है। लगातार अभ्यास के द्वारा शिक्षक शिक्षण कौशलों में निपुण हो जाते हैं।


4- सूक्ष्म शिक्षण का सिद्धान्त (theory of micro teaching) :


 सूक्ष्म शिक्षण की प्रक्रिया होने में सभी कुछ सूक्ष्म होने के कारण अध्यापक तथा छात्र दोनो ही सक्रिय रूप से उस  पाठ्य क्रम से जुड़े रहते हैं।





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