मेरे पसंदीदा समाचार पत्र पर निबंध || essay on my favourite newspaper
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मेरे पसंदीदा समाचार पत्र पर निबंध || essay on my favourite newspaper |
मेरा प्रिय समाचार पत्र
रूपरेखा - प्रस्तावना, समाचार पत्रों का आविष्कार और विकास, समाचार पत्रों के विविध रूप, समाचार पत्रों का महत्व, समाचार पत्रों से लाभ, समाचार पत्रों से हानियां, उपसंहार।
1. प्रस्तावना - जिज्ञासा एवं कौतूहल मनुष्य की संभावित प्रवृत्ति है। अपने आसपास की एवं सुदूर स्थानों की नित नवीन घटनाओं को सुनने व जानने की मनुष्य की प्रबल इच्छा रहती है। पहले प्रायः व्यक्ति दूसरों से सुनकर तथा पत्र आदि के द्वारा अपनी जिज्ञासा का समाधान कर लेते थे, परंतु अब विज्ञान का आविष्कार एवं मुद्रण यंत्रों के विकास से समाचार पत्र व्यक्ति की जिज्ञासा को शांत करने के प्रमुख साधन हो गए हैं। यह एक ऐसा साधन है, जिसके द्वारा हम घर बैठे अपने समाज, राष्ट्र एवं विश्व की नवीनतम घटनाओं से अवगत रह सकते हैं। समाचार पत्रों से पूरा विश्व एक परिवार बन गया है, जिसमें सभी देश एक-दूसरे के सुख दुख में सम्मिलित होते हैं।
2. समाचार पत्रों का आविष्कार और विकास - समाचार पत्र का आविष्कार सर्वप्रथम इटली में हुआ। तत्पश्चात अन्य देशों में भी धीरे-धीरे समाचार पत्रों का प्रकाशन प्रारंभ हुआ। भारत में समाचार पत्र का प्रादुर्भाव अंग्रेजों के भारत आगमन पर प्रेस की स्थापना होने से माना जाता है। हिंदी में 'उदंत मार्तण्ड' नाम से पहला समाचार-पत्र निकला। शनै:-शनै: भारत में समाचार-पत्रों का विकास हुआ और हिंदी, अंग्रेजी तथा विभिन्न प्रादेशिक भाषाओं में अनगिनत समाचार-पत्रों का प्रकाशन आरंभ हुआ। हिंदी में आज नवभारत टाइम्स, हिंदुस्तान, जनसत्ता, पंजाब केसरी, अमर उजाला, दैनिक जागरण, वीर अर्जुन, आज, दैनिक भास्कर आदि समाचार-पत्रों का चरम विकास उनकी बढ़ती हुई मांग का सूचक है।
समाचार-पत्रों के विविध रूप - आज देशी एवं विदेशी कितनी ही भाषाओं में समाचार-पत्र प्रकाशित हो रहे हैं। इनमें से कुछ समाचार-पत्र प्रतिदिन प्रकाशित होते हैं, तो कुछ साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक, अर्धवार्षिक एवं वार्षिक। नए-नए समाचार पत्र निकलते ही जा रहे हैं। आजकल प्रायः सभी समाचार पत्र मनोरंजक सामग्री: यथा - लेख, कहानी, फैशन, स्वास्थ्य, खेल ज्योतिष आदि; को अपने पत्र में नियमित स्थान देते हैं।
समाचार-पत्रों का महत्व - आज समाचार-पत्रों का महत्व सर्वविदित है। आज 'प्रेस' को लोकतंत्र के चार स्तंभों में से एक प्रमुख स्तंभ माना जाता है। समाचार-पत्रों ने केवल भारतीय जनजीवन को ही प्रभावित नहीं किया है, अपितु भारतीयों में राष्ट्रीयता का संचार भी किया है। आधुनिक युग में समाचार-पत्रों की उपयोगिता 'दिन दूनी रात चौगुनी' बढ़ गई है। इनके द्वारा अपने देश के ही नहीं, विदेशों के समाचार भी घर बैठे प्राप्त होते हैं। सामाजिक उत्थान, राष्ट्रीय उन्नति तथा जन-कल्याण हेतु समाचार-पत्रों का महत्वपूर्ण योगदान है। ये सामाजिक कुरीतियों, अंधविश्वासों और अपराधों का प्रकाशन कर उनकी रोकथाम में मदद करते हैं। ये विभिन्न राजनीतिक समस्याओं को जनता के सम्मुख लाकर राष्ट्रीय जागरण का तथा जनमत का निर्माण करके लोकतंत्र के सच्चे रक्षक का कार्य करते हैं।
समाचार पत्रों से लाभ -
(ख) मनोरंजन का साधन - समाचारों की जानकारी से मानसिक संतुष्टि प्राप्त होती है। इन में प्रकाशित साहित्यिक एवं सांस्कृतिक सामग्री विशेष रूप से मनोरंजन प्रदान करती है। यात्रा के समय पत्र-पत्रिकाएं यात्रा को सुगम एवं मनोरंजक बनाती हैं।
(ग) कुरीतियों की समाप्ति - समाचार-पत्रों से सामाजिक कुरीतियों एवं बुराइयों को दूर करने में भी सहायता मिलती है। समाज में फैली अशिक्षा, दहेज, बाल-विवाह, वृद्ध-विवाह आदि बुरी प्रथाओं का परिहार होता है। देश में व्याप्त भ्रष्टाचार, शोषण, अनाचार और अत्याचारों की घटनाओं को प्रकाशित कर असामाजिक तत्वों में भय उत्पन्न करने में सहायता मिलती है।
(घ) स्वस्थ्य जनमत का निर्माण - आज के प्रजातांत्रिक युग में प्रत्येक राजनीतिक दल को अपनी विचारधारा जनता तक पहुंचानी होती है। स्वस्थ्य जनमत का निर्माण करने एवं राजनीतिक शिक्षा देने में समाचार-पत्रों का सर्वाधिक महत्व है। इस प्रकार समाचार-पत्र जनता और सरकार के बीच की कड़ी होते हैं।
समाचार पत्रों से हानियां - समाचार-पत्र जहां देश का कल्याण करते हैं; वहीं इनसे हानियां भी होती हैं। ये किसी पूंजीपति, राजनीतिक नेता और सांप्रदायिक दल की संपत्ति होते हैं; अतः इनमें जो समाचार या सूचनाएं प्रकाशित होती हैं, उन्हें वे अपनी स्वार्थ-पूर्ति के आधार पर भी तोड़-मरोड़कर प्रकाशित करते हैं। बहुत-से समाचार-पत्र अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए झूठी अफवाह, निराधार एवं सनसनीपूर्ण समाचार, अभिनेत्रियों के अश्लील चित्र प्रकाशित करते हैं। इनमें प्रकाशित जातिगत, सांप्रदायिक एवं प्रादेशिक विचार कभी-कभी राष्ट्रीय एकता में भी बाधक होते हैं।
उपसंहार - आज के युग में समाचार-पत्र को महत्वपूर्ण शक्ति-स्तंभ माना जाता है। अतः समाचार-पत्रों को ऐसे लोगों के हाथ में केंद्रित न होने दें, जो देश में गड़बड़ी, अव्यवस्था और विद्रोह फैलाना चाहते हैं। इनके अध्ययन से स्वतंत्र चिंतन में बाधा नहीं पहुंचनी चाहिए। इसके लिए यह भी आवश्यक है कि समाचार-पत्रों के स्वामियों, संपादकों एवं पत्रकारों को किसी भी राजनीतिक दल के हाथों अपनी स्वतंत्रता नहीं बेचनी चाहिए। ऐसा करने से ही वे अपनी लेखनी की स्वतंत्रता को बचाए रख सकेंगे और अपना दायित्व निभाने में सफल होंगे। समाचार-पत्रों में निष्पक्ष और नि:स्वार्थ होकर पूरी इमानदारी से विचार व्यक्त किए जाने चाहिए, जिससे समाज व राष्ट्र का कल्याण हो सके।
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