सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी /Subhadra Kumari Chauhan ki Jivani in Hindi

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सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी /Subhadra Kumari Chauhan ki Jivani in Hindi

सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी /Subhadra Kumari Chauhan ki Jivani in Hindi

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सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी // Biography of Subhadra Kumari Chauhan in Hindi



Subhadra Kumari Chauhan ka jivan Parichay




नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट upboard.live पर। दोस्तों आज की पोस्ट में हम आपको बताने जा रहे हैं झांसी की रानी कविता की रचना करने वाली महान कवयित्री, जानी-मानी महान साहित्यकार एवं लेखिका सुभद्रा कुमारी चौहान जी की। सुभद्रा कुमारी चौहान एक ऐसा नाम जो हिंदी साहित्य जगत में हमेशा याद रखा जाएगा अपनी महान रचनाओं एवं कृतियों के लिए।


स्वतंत्रता संग्राम की सक्रिय सेनानी, राष्ट्रीय चेतना की अमर गायिका एवं वीर रस की एकमात्र कवियित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी को यदि हिंदी साहित्य का पर्याय देखा जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। यद्यपि सुभद्रा कुमारी चौहान जी नवमी कक्षा तक ही पढी थी, किंतु उनकी रचनाओं को देखकर यह बिल्कुल भी नहीं लगेगा कि वह इतनी कम शिक्षित थी। यदि हम सुभद्रा कुमारी चौहान जी की रचना को देखते हैं तो हमको यही लगेगा की सुभद्रा कुमारी चौहान जी की रचनाएं भी बहुत ही महान कवियों के समतुल्य हैं। दोस्तों आज की पोस्ट में हम सुभद्रा कुमारी चौहान जी के जीवन से संबंधित सारी जानकारी आपके लिए लेकर आए हैं। आपको इस पोस्ट को अंत तक पढ़ना है यदि यह पोस्ट पसंद आए तो अपने दोस्तों में भी शेयर करिएगा।



जीवन परिचय


सुभद्रा कुमारी चौहान


जीवन परिचय : एक दृष्टि में



नाम

सुभद्रा कुमारी चौहान

जन्म

सन् 1904 ईस्वी में।

जन्म स्थान

उत्तर प्रदेश के निहालपुर (इलाहाबाद) में।

मृत्यु

सन 1948 ईस्वी में।

पिताजी का नाम

श्री रामनाथ सिंह

पति का नाम

श्री लक्ष्मण सिंह

शिक्षा

क्रॉस्थवेट गर्ल्स कॉलेज की छात्रा, देश सेवा में लग जाने के कारण शिक्षा अधूरी।

रचनाएं

मुकुल, त्रिधारा, बिखरे मोती इत्यादि।

प्रमुख रस

वीर तथा वात्सल्य।

उपलब्धियां

'मुकुल' काव्य संग्रह पर सेकसरिया पुरस्कार।

प्रसिद्धि

कवयित्री होने के नाते झांसी की रानी ,मुकुल, त्रिधारा कविताओं के लिए।

गृह नगर

मध्य प्रदेश का जबलपुर जिला।

मृत्यु का स्थान

मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में।

मृत्यु का कारण

कार दुर्घटना में मृत्यु।

शिक्षा

नौवीं कक्षा उत्तीर्ण।

स्कूल

क्रॉस्थवेट गर्ल्स कॉलेज

व्यवसाय

लेखिका

धर्म

हिंदू

नागरिकता

भारतीय

वैवाहिक स्थिति

शादीशुदा



जीवन परिचय-  स्वतंत्रता संग्राम की सक्रिय सेनानी, राष्ट्रीय चेतना की अमर गायिका एवं वीर रस की एकमात्र कवियित्री सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म वर्ष 1904 ई० में इलाहाबाद के एक संपन्न परिवार में हुआ था। इन्होंने प्रयाग के 'क्रॉस्थवेट गर्ल्स कॉलेज' में शिक्षा प्राप्त की। 15 वर्ष की अवस्था में इनका विवाह खंडवा के ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान के साथ हुआ। विवाह के बाद गांधी जी की प्रेरणा से ये पढ़ाई लिखाई छोड़कर देश सेवा में सक्रिय हो गई तथा राष्ट्रीय कार्यों में भाग लेने लगीं। इन्होंने कई बार जेल यात्राएं भी की। माखनलाल चतुर्वेदी की प्रेरणा से इनकी देशभक्ति का रंग और भी गहरा हो गया। वर्ष 1948 में एक मोटर दुर्घटना में इनकी असामयिक मृत्यु हो गई।



साहित्यिक परिचय- सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाओं में देशभक्ति एवं राष्ट्रीयता का स्वर मुखरित हुआ है। इनके काव्य की ओजपूर्ण वाणी ने भारतीयों में नवचेतना का संचार कर दिया। इनकी अकेली कविता 'झांसी की रानी' ही इन्हें अमर कर देने के लिए पर्याप्त है। इनकी कविता 'वीरों का कैसा हो बसंत' भी राष्ट्रीय भावनाओं को जगाने वाली ओजपूर्ण कविता है। इन्होंने राष्ट्रीयता के अलावा वात्सल्य भाव से संबंधित कविताओं की भी रचना की।



रचनाएं- सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपने साहित्यिक जीवन में भले ही कम रचनाएं लिखी, लेकिन उनकी रचनाएं अद्वितीय हैं। देशभक्ति की भावना को काव्यात्मक रूप प्रदान करने वाली इस कवियित्री की रचनाएं निम्नलिखित हैं-



काव्य संग्रह- मुकुल और त्रिधारा।



कहानी संकलन- सीधे-साधे चित्र, बिखरे मोती तथा उन्मादिनी।



'मुकुल' काव्य संग्रह पर इनको 'सेकेसरिया' पुरस्कार प्रदान किया गया।



भाषा शैली- सुभद्रा जी की शैली अत्यंत सरल एवं सुबोध है। इनकी रचना शैली में ओज, प्रसाद और माधुर्य भाव से युक्त गुणों का समन्वित रूप देखने को मिलता है। राष्ट्रीयता पर आधारित इनकी कविताओं में सजीव एवं ओजपूर्ण शैली का प्रयोग हुआ है।



हिंदी साहित्य में स्थान - सुभद्रा जी हिंदी साहित्य में अकेली ऐसी कवयित्री हैं, जिन्होंने राष्ट्रप्रेम को जगाने वाली कविताएं लिखीं। इनकी कविताओं ने भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम में स्वयं को झोंक देने के लिए प्रेरित किया। इन्होंने नारी की जिस निडर छवि को प्रस्तुत किया, वह नारी जगत के लिए अमूल्य देन है। हिंदी साहित्य में इनको गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त है।



सुभद्रा कुमारी चौहान की शिक्षा - उन्होंने शुरू में इलाहाबाद के क्रॉस्थवेट गर्ल्स कॉलेज में पढ़ाई की और 1919 में मिडिल स्कूल की परीक्षा पास की। उसी वर्ष खंडवा के ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान से शादी के बाद वह जबलपुर चली गई।



सुभद्रा कुमारी चौहान का परिवार - 



पिता का नाम

ठाकुर रामनाथ सिंह 

पति का नाम

ठाकुर लक्ष्मण सिंह

बेटियों का नाम

सुधा चौहान तथा ममता चौहान

बेटों का नाम

अजय चौहान, विजय चौहान और अशोक चौहान 



सुभद्रा कुमारी चौहान की शादी - सुभद्रा कुमारी की शादी बहुत ही कम उम्र में हो गई थी। वर्ष 1919 में जब सुभद्रा मात्र 16 साल की थी तब उनकी शादी मध्य प्रदेश राज्य में खंडवा जिले के रहने वाले ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान से करा दी गई थी शादी के बाद समुद्रा कुमारी चौहान मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में आ गई।



शादी के बाद सुभद्रा कुमारी के 5 बच्चे हुए जिनका नाम सुधा चौहान ,अजय चौहान, विजय चौहान और अशोक चौहान एवं ममता चौहान था। उनकी बेटी सुधा चौहान की शादी प्रेमचंद के बेटे अमृतराय से हुई थी, सुधा चौहान ने अपनी मां की जीवनी लिखी थी जिसका नाम था मिले तेज से तेज।



सुभद्रा कुमारी चौहान का कैरियर - सुभद्रा कुमारी चौहान बहुत ही उत्तम दर्जे की महान कवित्री थी और इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब उनकी उम्र केवल 9 साल थी तब उन्होंने एक कविता नीम लिखी थी और इनकी इस कविता को पत्रिका मर्यादा ने प्रकाशित किया था।


सुभद्रा को बचपन से ही कविताएं लिखने का शौक था लेकिन उस समय कविता लिखने के पैसे ना मिलने के कारण उन्होंने कविताओं के साथ-साथ कहानियां लिखना भी शुरू कर दिया था कि कहानियों के बहाने से पैसा कमा सकें। 



झांसी की रानी - 



"सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,


बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी ,


गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी ,


दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी,


चमक उठी सन सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी,


बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,


खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी"।



झांसी की रानी की कविता हिंदी साहित्य में सबसे ज्यादा पढ़ी गई और गाए जाने वाली कविताओं में से एक है। झांसी की रानी की कविता में 1857 की क्रांति में उनकी भागीदारी के बारे में बताया गया है कि कैसे उन्होंने अंग्रेजों से मुकाबला किया था।



कविता हिंदी साहित्य में सबसे अधिक पढ़ी और गाई जाने वाली कविता में से एक है। यह और उनकी अन्य कविताएं, वीरों को कैसा हो बसंत, राखी की चुनौती और विधा, खुलकर स्वतंत्रता आंदोलन की बात करती है।



ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने बड़ी संख्या में भारतीय युवाओं को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया था।



असहयोग आंदोलन में भाग लेना - 1921 में सुभद्रा कुमारी चौहान और उनके पति महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हुए। वह नागपुर में गिरफ्तार होने वाली पहली महिला सत्याग्रही थी और 1923 और 1942 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के कारण उन्हें दो बार जेल में भी जाना पड़ा था।



सुभद्रा कुमारी चौहान कवित्री की रचनाएं - 



उन्होंने तीन कहानी संग्रह लिखे जिनमें बिखरे मोती, उन्मादिनी और सीधे साधे चित्र शामिल है। कविता संग्रह में मुकुल त्रिधारा आदि शामिल हैं।



कहानी संग्रह



1.बिखरे मोती (1932)


2.उन्मादिनी (1934)


3.सीधे-साधे चित्र (1947)



कविता संग्रह :



1.मुकुल


2.खिलौने वाला


3.ये कदंब का पेड़


4.त्रिधारा



सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाओं की विशेषता -  


सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपनी कविताएं कहानियां और रचनाओं को बहुत ही आसान शब्दों में लिखा है। उन्होंने वीर कविताओं के अलावा बच्चों के लिए भी कविताएं लिखी हैं। उन्होंने मध्यम वर्ग के जीवन पर कुछ बड़ी कहानियां भी लिखी है। सुभद्रा ने अपनी लेखक में हिंदी खड़ी बोली का इस्तेमाल किया।



सुभद्रा कुमारी चौहान की सभी रचनाओं के नाम-



1.झांसी की रानी


2.मेरा नया बचपन


3.जलियांवाला बाग में बसंत


4.साध


5.यह कदंब का पेड़


6.ठुकरा दो या प्यार करो


7.कोयल


8.पानी और धूप


9.वीरों का कैसा हो बसंत


10.खिलौने वाला


11.उल्लास


12.झिलमिल तारे


13.मधुमय प्याली


14.मेरा जीवन


15.झांसी की रानी की समाधि पर


16.इसका रोना


17.नीम


18.मुरझाया फूल


19.फूल के प्रति


20.चलते समय


21.कलह कारण


22.मेरे पथिक


23.जीवन फूल


24.भ्रम


25.समर्पण


26.चिंता


27.प्रियतम से


28.प्रथम दर्शन


29.परिचय


30.अनोखा दान






सुभद्रा कुमारी चौहान कौन है?


सुभद्रा कुमारी चौहान एक बहुत ही प्रसिद्ध कवयित्री थी।



सुभद्रा कुमारी चौहान की मृत्यु कब हुई?


15 फरवरी 1948 को एक कार दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई।



सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता कौन सी है?


इनकी कविताओं में "मुकुल" कहानी संग्रह " बिखरे मोती","सीधे-साधे चित्र" और चित्रारा आदि प्रसिद्ध है।



सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म कब हुआ था?


सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1950 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले के निहालपुर गांव में हुआ था।



सुभद्रा कुमारी चौहान के पति का क्या नाम था?


सुभद्रा कुमारी चौहान के पति का नाम ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान था।



सुभद्रा कुमारी चौहान की सबसे चर्चित कविता कौन सी है?


सुभद्रा कुमारी चौहान की सबसे चर्चित कविता "झांसी की रानी" है।



मेरी प्यारी हिंदी कविता की कवयित्री का क्या नाम है?


मेरी प्यारी हिंदी कविता की कवित्री का नाम सुभद्रा कुमारी चौहान है।



सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाएं की क्या विशेषता है?


सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाओं में राष्ट्रीय आंदोलन, स्त्रियों की स्वाधीनता, जातियों का उत्थान आदि का वर्णन था



सुभद्रा कुमारी चौहान का साहित्यिक परिचय लिखिए?


सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाओं में देशभक्ति एवं राष्ट्रीयता का स्वर मुखरित हुआ है। इनके काव्य की ओजपूर्ण वाणी ने भारतीयों में नवचेतना का संचार कर दिया। इनकी अकेली कविता 'झांसी की रानी' ही इन्हें अमर कर देने के लिए पर्याप्त है। इनकी कविता 'वीरों का कैसा हो बसंत' भी राष्ट्रीय भावनाओं को जगाने वाली ओजपूर्ण कविता है। इन्होंने राष्ट्रीयता के अलावा वात्सल्य भाव से संबंधित कविताओं की भी रचना की।




सुभद्रा कुमारी चौहान साहित्य में स्थान लिखिए? 


सुभद्रा जी हिंदी साहित्य में अकेली ऐसी कवयित्री हैं, जिन्होंने राष्ट्रप्रेम को जगाने वाली कविताएं लिखीं। इनकी कविताओं ने भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम में स्वयं को झोंक देने के लिए प्रेरित किया। इन्होंने नारी की जिस निडर छवि को प्रस्तुत किया, वह नारी जगत के लिए अमूल्य देन है। हिंदी साहित्य में इनको गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त है।


सुभद्रा कुमारी चौहान ने असहयोग आंदोलन में भाग क्यों लिया?


1921 में सुभद्रा कुमारी चौहान और उनके पति महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हुए। वह नागपुर में गिरफ्तार होने वाली पहली महिला सत्याग्रही थी और 1923 और 1942 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के कारण उन्हें दो बार जेल में भी जाना पड़ा था।


सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवन पर एक टिप्पणी लिखिए?


सुभद्रा कुमारी चौहान बहुत ही उत्तम दर्जे की महान कवित्री थी और इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब उनकी उम्र केवल 9 साल थी तब उन्होंने एक कविता नीम लिखी थी और इनकी इस कविता को पत्रिका मर्यादा ने प्रकाशित किया था।


सुभद्रा को बचपन से ही कविताएं लिखने का शौक था लेकिन उस समय कविता लिखने के पैसे ना मिलने के कारण उन्होंने कविताओं के साथ-साथ कहानियां लिखना भी शुरू कर दिया था कि कहानियों के बहाने से पैसा कमा सकें। 



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