माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय (Makhanlal Chaturvedi ki jivani)

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माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय (Makhanlal Chaturvedi ki jivani)

माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय (Makhanlal Chaturvedi ki jivani)

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कवि माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय // Makhanlal Chaturvedi Biography In Hindi



माखनलाल चतुर्वेदी की जीवनी




नमस्कार दोस्तों ! स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट upboard.live पर . दोस्तों आज की पोस्ट में हम चर्चा करने जा रहे हैं, हिंदी साहित्य जगत के एक महान कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी की। दोस्तों यह तो सभी जानते हैं कि जब जब हिंदी साहित्य एवं खड़ी बोली के रचनाओं की बात होगी उस समय सबसे पहले जो नाम सबसे अगर पंक्ति में होगा वह नाम होगा महा कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी। माखनलाल चतुर्वेदी जी एक ऐसा नाम जिसने अपनी सर्वश्रेष्ठ रचनाओं का ऐसा रस आम जनमानस में घोला कि आज नैतिक शिक्षा, नैतिकता  की रसमयी काव्य धारा केवल हिंदुस्तान में ही नहीं अपितु समस्त विश्व में बह रही है। दोस्तों यदि यह पोस्ट आप लोगों को पसंद आए तो इसे अपने दोस्तों में अधिक से अधिक शेयर करिएगा।



जीवन परिचय (Jivan Parichay)



माखनलाल चतुर्वेदी



जीवन परिचय : एक दृष्टि में



नाम

माखनलाल चतुर्वेदी

जन्म

सन 1889 ईस्वी में

जन्मस्थान

मध्य प्रदेश राज्य के बाबई (होशंगाबाद जिले में)

मृत्यु

30 जनवरी, सन 1968 ईस्वी में।

पिताजी का नाम

पंडित नंदलाल चतुर्वेदी

माता जी का नाम

सुंदरीबाई

संपादन

प्रभा, कर्मवीर

भाषा

खड़ी बोली

शैली

ओजपूर्ण भावात्मक

रचनाएं

युगचरण, समर्पण, हिमकिरीटनी इत्यादि

उपलब्धियां

हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष, पदम विभूषण की उपाधि एवं भारतीय आत्मा के रूप में प्रसिद्धि से विभूषित।

व्यवसाय

लेखक, साहित्यकार, कवि एवं पत्रकार

लेख

हिम कीर्तिनी, साहित्य देवता, हिम तरंगिणी और वेणु लो गूंजें धरा

साहित्य का प्रकार

  नव छायाकार

सम्मान

मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा देश के श्रेष्ठ कवियों को माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार दिया जाता है।




उनके नाम पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भी है।




उनके नाम पर पोस्टेज स्टांप जारी किए गए।

शिक्षा

प्राथमिक शिक्षा के बाद घर पर ही अंग्रेजी, संस्कृत, बांग्ला, गुजराती भाषा का अध्ययन

पत्नी का नाम

ज्ञात नहीं है।



जीवन परिचय- राष्ट्रीय हित को ही अपना परम लक्ष्य मान लेने वाले तथा क्रांति के अमर गायक माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 1889 ईसवी में मध्यप्रदेश के बाबई नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम नंदलाल चतुर्वेदी था, जो पेशे से अध्यापक थे। प्राथमिक शिक्षा प्राप्ति के बाद माखनलाल चतुर्वेदी ने घर पर ही संस्कृत, बांग्ला, गुजराती और अंग्रेजी भाषा का अध्ययन किया और कुछ समय तक अध्यापन कार्य भी किया। इसके बाद इन्होंने खंडवा से 'कर्मवीर' नामक साप्ताहिक पत्र निकाला।



वर्ष 1913 में ये प्रसिद्ध मासिक पत्रिका 'प्रभा' के संपादक नियुक्त हुए। द्विवेदी जी ने कई बार राष्ट्रीय आंदोलनों में भाग लिया। इससे इन्हें अनेक बार जेल की यात्राएं करनी पड़ीं। वर्ष 1943 में ये हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष बने। भारत सरकार द्वारा इन्हें पदम विभूषण की उपाधि प्रदान की गई। 80 वर्ष की आयु में इस महान साहित्यकार का निधन 30 जनवरी, 1968 को हो गया।



साहित्यिक परिचय- पत्रकारिता से अपना साहित्यिक जीवन शुरू करने वाले माखनलाल चतुर्वेदी जी की रचनाओं में देश-प्रेम की भावना सशक्त रूप में विद्यमान थीं।


इन्होंने अपने निजी संघर्षों, वेदनाओं और यातनाओं को अपनी कविता के माध्यम से व्यक्त किया। चतुर्वेदी जी आजीवन देश-प्रेम और राष्ट्र कल्याण के गीत गाते रहे। राष्ट्रवादी विचारधारा वाले इनके काव्यों में त्याग, बलिदान, कर्तव्य-भावना और समर्पण के भाव समाए हुए हैं।



रचनाएं- 


चतुर्वेदी जी की कृतियों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार हैं-



काव्य संग्रह- युग चरण, समर्पण, हिमकिरीटनी, वेणु लो गूंजें धरा।



स्मृतियां- संतोष, बंधन-सुख



कहानी संग्रह- कला का अनुवाद



निबंध संग्रह- साहित्य देवता



नाट्य रचना- कृष्णार्जुन युद्ध



इनकी 'हिमतरंगिणी' साहित्य अकादमी पुरस्कार से पुरस्कृत रचना है।



भाषा शैली-  चतुर्वेदी जी ने अपनी काव्य रचनाओं में ओजपूर्ण भावात्मक शैली का प्रयोग किया है। इसमें छायावादी लाक्षणिकता परिलक्षित होती है।


इनकी कविताओं में कल्पना की ऊंची उड़ान के साथ-साथ भावों की तीव्रता भी दृष्टिगोचर होती है।



हिंदी साहित्य में स्थान - राष्ट्रीयता की भावना से ओत-प्रोत माखनलाल चतुर्वेदी जी की रचनाएं हिंदी साहित्य की अक्षय-निधि हैं, जिन पर हिंदी साहित्य प्रेमियों को गौरव की अनुभूति होती है। वे हिंदी साहित्य में अत्यंत ऊंचा स्थान रखते हैं।



माखनलाल चतुर्वेदी का कैरियर ( Profession of Makhanlal Chaturvedi ) 


1910 में अध्यापन का कार्य छोड़ने के बाद माखनलाल राष्ट्रीय पत्रिकाओं में संपादक का काम देखने लगे थे। उन्होंने प्रभा और कर्मवीर नाम की राष्ट्रीय पत्रिकाओं में संपादन का काम किया। माखनलाल ने अपनी लेखन शैली से देश के एक बहुत बड़े वर्ग में देश प्रेम भाव को जागृत किया। उनके भाषण भी उनके लेखों की तरह ही ओजस्वी और देश प्रेम से ओतप्रोत होते थे। उन्होंने 1943 में अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षता की उनकी कई रचनाएं तब देश के युवाओं में जोश भरने और उन्हें जागृत करने के लिए बहुत सहायक सिद्ध हुई।



माखनलाल चतुर्वेदी अवॉर्ड्स और सम्मान



1 . माखनलाल चतुर्वेदी को 1955 में साहित्य अकैडमी का अवार्ड जीतने वाले पहले व्यक्ति बने।



2. हिंदी साहित्य में अभूतपूर्व योगदान देने के कारण ही पंडित जी को 1959 में सागर यूनिवर्सिटी से डी. लिट की उपाधि भी प्रदान की गई।



3. 1963 में माखनलाल चतुर्वेदी को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में अपूर्व योगदान के कारण पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया।



धरोहर 




माखनलाल चतुर्वेदी के साहित्य की विधा में दिए योगदान के सम्मान में बहुत से यूनिवर्सिटी ने विविध अवॉर्ड्स के नाम उनके नाम पर रखे। मध्य प्रदेश सांस्कृतिक काउंसिल द्वारा नियंत्रित मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी देश की किसी भी भाषा में योग्य कवियों को माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार देती है। पंडित जी के देहांत के 19 वर्ष बाद 1987 से यह सम्मान देना शुरू किया गया। 



भोपाल मध्य प्रदेश में स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय पूरे एशिया में अपने प्रकार का पहला विश्वविद्यालय है इसकी स्थापना पंडित जी के राष्ट्रीय स्वाधीनता संग्राम में पत्रकारिता और लेखन के द्वारा दिए योगदान को सम्मान देते हुए 1991 में हुई। भारत के पोस्ट और टेलीग्राम डिपार्टमेंट ने भी पंडित माखनलाल चतुर्वेदी को सम्मान देते हुए पोस्टेज स्टांप की शुरुआत की। यह स्टांप पंडित जी के 88वे जन्मदिन 4 अप्रैल 1977 को जारी हुआ।




माखनलाल चतुर्वेदी जी की रचनाएं - 



1.समय के पांव


2.गरीब इरादे अमीरी इरादे


3.हिम तरंगिणी


4.युग चार 


5.बीजुरी


6.काजल


7.साहित्य के देवता





महान कवि माखनलाल चतुर्वेदी के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य



मध्य प्रदेश के महान साहित्यकार श्री माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म कहां हुआ था?


राष्ट्रीय हित को ही अपना परम लक्ष्य मान लेने वाले तथा क्रांति के अमर गायक माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 1889 ईसवी में मध्यप्रदेश के बाबई नामक ग्राम में हुआ था।



माखनलाल चतुर्वेदी का उपनाम क्या है?


माखनलाल चतुर्वेदी सरल भाषा और ओजपूर्ण भावनाओं के अनूठे हिंदी रचनाकार थे। उन्हें एक भारतीय आत्मा उपनाम से भी जाना जाता है।



माखनलाल चतुर्वेदी जी की मृत्यु कब हुई?


माखनलाल चतुर्वेदी जी की मृत्यु 80 वर्ष की आयु में इस महान साहित्यकार का निधन 30 जनवरी, 1968 को हो गया।



माखनलाल चतुर्वेदी के माता-पिता का क्या नाम था?


जीवनी श्री माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में बाबई नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम नंद लाल चतुर्वेदी था जो गांव के एक प्राइमरी स्कूल में अध्यापक थे। तथा इनकी माता का नाम सुंदरबाई था।



एक भारतीय आत्मा के नाम से कौन प्रसिद्ध है?


एक भारतीय आत्मा उपनाम से माखनलाल चतुर्वेदी जी प्रसिद्ध है।



हिंदी के कवि कौन है?


हिंदी भाषा के प्रथम कवि सिद्ध सरपहा को कहा जाता है। हिंदी के प्रथम कवि सर पास राहुल सांकृत्यायन ने हिंदी का प्रथम कवि जैन साहित्य के रचयिता सरकार को माना है जिनका जन्म काल आठवीं सदी माना जाता है। परंतु हजारी प्रसाद द्विवेदी ने हिंदी का प्रथम कवि अब्दुल रहमान को माना है यह मुल्तान के निवासी और जाति के जुलाहे थे।



माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म स्थान क्या है?


मध्यप्रदेश के बाबई नामक ग्राम में हुआ था।



माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म कब और कहां हुआ था और मृत्यु कब हुई?


राष्ट्रीय हित को ही अपना परम लक्ष्य मान लेने वाले तथा क्रांति के अमर गायक माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 1889 ईसवी में मध्यप्रदेश के बाबई नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम नंदलाल चतुर्वेदी था, जो पेशे से अध्यापक थे। प्राथमिक शिक्षा प्राप्ति के बाद माखनलाल चतुर्वेदी ने घर पर ही संस्कृत, बांग्ला, गुजराती और अंग्रेजी भाषा का अध्ययन किया और कुछ समय तक अध्यापन कार्य भी किया। इसके बाद इन्होंने खंडवा से 'कर्मवीर' नामक साप्ताहिक पत्र निकाला।


वर्ष 1913 में ये प्रसिद्ध मासिक पत्रिका 'प्रभा' के संपादक नियुक्त हुए। द्विवेदी जी ने कई बार राष्ट्रीय आंदोलनों में भाग लिया। इससे इन्हें अनेक बार जेल की यात्राएं करनी पड़ीं। वर्ष 1943 में ये हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष बने। भारत सरकार द्वारा इन्हें पदम विभूषण की उपाधि प्रदान की गई। 80 वर्ष की आयु में इस महान साहित्यकार का निधन 30 जनवरी, 1968 को हो गया।



माखनलाल चतुर्वेदी चतुर्वेदी का साहित्य में स्थान क्या था?


राष्ट्रीयता की भावना से ओत-प्रोत माखनलाल चतुर्वेदी जी की रचनाएं हिंदी साहित्य की अक्षय-निधि हैं, जिन पर हिंदी साहित्य प्रेमियों को गौरव की अनुभूति होती है। वे हिंदी साहित्य में अत्यंत ऊंचा स्थान रखते हैं।



माखनलाल चतुर्वेदी की भाषा शैली क्या थी?


चतुर्वेदी जी ने अपनी काव्य रचनाओं में ओजपूर्ण भावात्मक शैली का प्रयोग किया है। इसमें छायावादी लाक्षणिकता परिलक्षित होती है।


इनकी कविताओं में कल्पना की ऊंची उड़ान के साथ-साथ भावों की तीव्रता भी दृष्टिगोचर होती है।



माखनलाल चतुर्वेदी की प्रमुख रचनाएं बताइए?


चतुर्वेदी जी की कृतियों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार हैं-



काव्य संग्रह- युग चरण, समर्पण, हिमकिरीटनी, वेणु लो गूंजें धरा।



स्मृतियां- संतोष, बंधन-सुख



कहानी संग्रह- कला का अनुवाद



निबंध संग्रह- साहित्य देवता



नाट्य रचना- कृष्णार्जुन युद्ध



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